19+ Special Akbar Birbal Stories in Hindi | अकबर बीरबल की हिन्दी कहानियाँ
मनोरंजन और प्रेरणादायक सीख से भरी Akbar Birbal Stories in Hindi. जिन अकबर बीरबल की कहानियों को पढ़कर आपको बहुत कुछ सींखने को मिलेगा।
विश्व प्रख्यात Akbar Birbal ki Kahani आशा करते हैं, आपको आज की यह अकबर बीरबल की हिन्दी कहानियाँ पसन्द आएंगी। तो चलिए शुरू करते हैं।
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Akbar Birbal Stories in Hindi
” जादुई छड़ियाँ “
महाराज अकबर के राज्य में एक बार किसी व्यापारी के घर में बहुत मूल्यवान वस्तु चोरी हो गयी थी। उसके घर में 10 नौकर कार्यरत थे।
व्यापारी को पूर्ण विश्वास था कि उसके घर से चोरी, उन्ही नौकरों में से किसी ने की है। लेकिन वह किसी पर भी इल्जाम लगाने से डर रहे थे। उन्हें वह मूल्यवान वस्तु किसी भी कीमत पर चाहिए ही थी।
व्यापारी को समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। तब उसके मन में विचार आया कि बीरबल जी के पास तो सभी परेशानियों का हल होता है!
मुझे उन्हीं के पास मदद के लिए जाना चाहिए। व्यापारी मदद के लिए बीरबल के पास चले जाता है। वह बीरबल को अपनी परेशानियों को बताता है।
बीरबल ने उसकी परेशानी सुनी और उससे कहा, तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर पर चलता हूँ।”
बिरबल ने वहीं बाग से 10 समान आकर की लकड़ियां चुनी औऱ व्यापारी के घर चल दिये। व्यापारी के घर पहुंचते ही बीरबल ने सभी नौकरों को बुलवाया,
और उन सभी को अपनी लाई हुई, 1-1 लकड़ी दे दी और कहा, ” ये सभी जादुई लकड़ियां हैं। जिस किसी ने भी चोरी की होगी, कल सुबह तक उसकी ये जादुई छड़ि 2 इंच बड़ी हो जाएगी।
मैं कल फिर इन्हें लेने के लिए आ जाऊंगा।”
सुबह हुई। सभी नौकरों को फिर से उनकी छिड़ियो के साथ उपस्थित किया गया। बीरबल आए और उन्होंने सभी की छड़ियों को परखा। 1 नौकर की छड़ी 2 इंच कम निकली, बीरबल ने कहा दिया ,
” यही है चोर!” डर के मारे उस चोर ने भी अपना जुर्म कुबूल कर लिया। और व्यापारी को उसकी वस्तु वापस लौटा दी।
व्यापारी हैरान हो गए कि बीरबल जी को कैसे पता, लगा। जबकि वह लकड़ियां तो बाग से बीरबल ने उसके सामने ही उठाई थीं।
Akbar Birbal Stories in Hindi Moral Part- तब बीरबल ने बताया,-
चोर ने पकड़े जाने के डर से रात में अपनी छड़ी को 2 इंच काट दिया जिससे कि उसकी लकड़ी औरों की लकड़ी से छोटी हो गयी थी।
सभी ने बीरबल की बुद्धिमानी की तारीफ की और व्यापारी ने भी बीरबल का धन्यवाद किया।
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” मियां मिट्ठू “
राजा अकबर के राज्य में एक बार एक बहेलिया आया। उसके पास बहुत से तोते और अन्य प्रकार के पक्षी थे, जिन्हें वह बेचकर रुपये कमाता था,
वह तोतों को पकड़कर उनको अच्छी तरह से सिखाकर इछुक लोगों को उचित दामों पर बेच दिया करता था।
राजा अकबर को इस बात का पता चला। राजा अकबर ने उस बहेलिये को अपने दरबार मे तोते के साथ बुलवाया।
बहेलिये ने अपने पास का सबसे अच्छा तोता निकाला और उस तोते से पूछा, ” मियां मिट्ठू बताइए यह किसका दरबार है!” तब तोता बोला, ” यह दरबार राजा अकबर का है।
” राजा अकबर तोते से बहुत प्रसन्न हुए। उन्हें तोता बहुत पसंद आया। उन्होंने बहेलिये से कहा, ” यह तोता हमें पसन्द है, कीमत कितनी है इसकी”
बहेलिया बोला, ” महाराज मैं अपने मुह से क्या बोलूँ आप ही अपने मन से कुछ भी दे दीजिए।”
राजा अकबर ने बहेलिये को उस तोते के बदले बहुत सारा इनाम और कुछ सवर्ण मुद्राएँ दे दीं। बहेलिया चला गया।
तोते को राजा अकबर बहुत प्रेम करते थे और दिन का एक बड़ा भाग उसके ही साथ बिताते थे। उन्होंने तोते की कड़ी सुरक्षा भी करी थी। और सैनिकों को सख्त हिदायत दी थी,
कि, यदि मेरे तोते को कुछ भी हुआ तो मैं तुम सबको छोडूंगा नहीं। लेकिन तोता बहुत दिनों तक जीवित न रहा। वह 1 दिन अपनी ही मौत मारा गया। इसमें किसी भी सैनिक की कोई भी गलती नही थी।
अब सभी सैनिक संकट में आ गए! सभी यह सोच रहे थे कि राजा को तोते की मौत की खबर देगा कौन! सभी को अपनी जान गंवाने का डर था तभी एक सैनिक ने सुझाया,
कि बीरबल जी ही इस परेशानी से हम सभी को बचा सकते हैं। तब तोते की रखवाली करने वाले सभी सैनिक बीरबल के पास गए। बीरबल पूरी बात सुनकर चिंतित हो गए लेकिन उन्होंने कहा-
कि महाराज को तो इस बारे में बताना ही होगा। नहीं तो वे हम सबकी जान ही ले लेंगे। सभी चलते हैं महाराज के पास!
सभी महाराज के पास आए। महाराज बीरबल को सैनिकों के साथ देखकर चिन्तित हुए। बीरबल बोले, ‘महाराज आपका तोता…! महाराज वो…! अकबर बोले, हां बीरबल बोलो क्या हुआ हमारे तोते को?
Akbar Birbal ki Kahani Moral Part- बिरबल बोले” महाराज आपका तोता न कुछ खा रहा है, न कुछ पी रहा है, आंखे भी नहीं खोल रहा, और सांसे भी नहीं ले रहा और…..”
इतना कहने तक महाराज बोले, “साफ साफ कहो न तोता मर गया है!”
बीरबल बोले, महाराज मैं ने अपने मुह से कुछ भी नहीं कहा, यह तो आप ही कह रहे हैं। अब आप हम अबकी जान बख़्श दीजिए।
महाराज बीरबल के उत्तर पर स्वयं निरुत्तर हो गए। और उन्होंने किसी भी सैनिक पर गुस्सा नहीं किया।
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Akbar Birbal ki Kahani
” रुपये किसके..? “
एक बार राजा अकबर अपने सभी मंत्रियों के साथ दरबार में बैठकर अपना राजकाज का कार्य कर रहे थे। तभी राजदारबान ने आकर बताया कि दो लोग बाहर आए हैं और उन्हें आप से न्याय चाहिए।
महाराज ने सारा कार्य छोड़ दिया और उन दोनों लोगो को दरबार में बुलवाया। महाराज बोले, ” बोलो क्या परेशानी है तुम्हारी और तुम दोनों को किस प्रकार का न्याय चाहिए।”
तब पहला आदमी बोला, ” महाराज मैं तेली हूँ। तेल बेचकर पैसे कमाता हूँ इसने मेरी पैसों की थैली को चुरा लिया था। मैं ने इस से अपनी रुपये की थैली ली तो यह मुझपर इल्जाम लगा रहा है कि मैं ने इसकी थैली चुराई है।
महाराज कृपया कर मेरे साथ न्याय करिए।”
तब दूसरा आदमी बोला, ” महाराज मैं कसाई हूँ मैं बहुत गरीब हूँ मैं ने आज जितना भी माल बेचा, उस से इकट्ठा किया और इस थैली में डाल दिया, जब यह तेली मेरी दुकान पर आया,
तो इसने मेरे सारे रुपये उठा लिए और मेरे रुपयों पर अपना हक जताने लग गया।” वह रोने लगा।
दोनो की बात सुनकर राजा अकबर कुछ फैसला नहीं ले पा रहे थे। दोनो की कहानी उन्हें सच्ची लग रही थी। राजा अकबर ने अब इस मसले को बीरबल को दे दिया। उन्होंने बीरबल से कहा, ” इस समस्या को अब तुम ही सुलझाओ। “
बीरबल ने मन मे कुछ सोचा और दोनो को बाहर इंतजार करने को कहा। दोनो ही बाहर चले गए। बीरबल ने अब दरबान से एक कटोरे में पानी ले आने के लिए कहा।
बीरबल ने उन सारे सिक्को को उन पानी में डाल दिया।
बीरबल ने दोनों व्यक्तियों को अंदर बुलाया और कहा महाराज ये तेली ही गुनहगार है। ये सिक्के कसाई के है।
महाराज बोले, ” बीरबल यह तुमने कैसे पता किया?”
Akbar Birbal Kahani Moral Part- तब बीरबल बोले, ” महाराज! मैं ने सभी सिक्कों को पानी में डाल दिया था, अगर ये सिक्के तेली के होते तो कुछ न कुछ तेल का भाग पानी के ऊपर जरूर उभर कर आता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अतः यह सिक्के तेली के नहीं है।”
बीरबल की होशियारी ने कसाई को उसके पैसे वापस लौटा दिए। और महाराज के हुक्म के अनुसार तेली को कैदखाने में डाल दिया।
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” हरे रंग का घोड़ा “
एक बार राजा अकबर अपने बाग में टहल रहे थे। उनके बाग में खूब हरियाली फैली हुई थी। दृश्य बहुत ही सुंदर था। वह दृश्य राजा अकबर के मन में बस गया। राजा अकबर जब घुड़सवारी कर रहे थे,
तब भी उन्हें वही हरा-भरा दृश्य उनके सामने आ रहा था।
राजा ने निश्चय किया कि वे अपने लिए एक हरा घोड़ा लेंगे। लेकिन उन्हें घोड़े के हरे न होने की बात तो पता थी। अब उनके मन में एक विचार आया। उन्होंने यह पहेली बिरबल के पास ले जाने की सोची।
वह महल गए और बीरबल को अपने पास बुलाया। बीरबल , महाराज के पास आए।
राजा अकबर बोले, ” बीरबल मुझे अपने लिए हरा घोड़ा चाहिए। और मुझे यह सात दिन के अंदर अंदर ही चाहिए। यदि तुम मेरे लिए हरे रंग का घोड़ा नहीं ला पाओगे तो मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।
मैं तुमसे फिर कभी भी नहीं मिलूंगा। “
बीरबल अब सोचने लगे, महाराज यह कैसी चुनौती दे रहे हैं यह तो कभी भी पूरी नहीं हो सकती। बीरबल सोचते सोचते वहां से चले गए। अब बीरबल सात दिनों के लिए महल से गायब हो गए।
सब सोच रहे थे कि बीरबल सच में महाराज के लिए, हरे रंग का घोड़ा ढूंढने के लिए गए हैं।
बीरबल भी बहुत छान-बीन करते हैं और फिर सतवाँ दिन खत्म होने के बाद आठवें दिन पहुंच जाते हैं दरबार में।
महाराज बीरबल को देखकर बहुत ही ज्यादा खुश होते हैं और पुछते है, ” क्यो बीरबल! कहाँ है मेरा घोड़ा, हरे रंग का!!..”
दरबार के लोगों की नजर बीरबल पर ही टिकी होती है। बीरबल अपना जवाब देते हुए बोलते हैं, ” महाराज! मैं ने सभी जगहें छान मारी और मुझे हरे रंग का घोड़ा मिल भी गया बहुत अधिक प्रयासों के बाद।
Akbar Birbal Stories in Hindi Moral Part- लेकिन घोड़े का जो मालिक है, उसने मुझे घोड़ा अपने साथ लाने नहीं दिया, उसने मेरे सामने एक शर्त रखी है। जिसको पूरा करके ही हम हर घोड़े से मिल सकते हैं।
शर्त यह थी कि घोड़ा खास है अतः घोड़े को भी मिलने का दिन खास होगा। घोड़े के मालिक ने हफ्ते के सातों दिनों को छोड़कर किसी भी दिन घोड़ा ले जाने को कहा है।”
बीरबल की बात सुनकर सब हैरान रह गए। और राजा ने भी उसकी बुद्धि की परख को औऱ अच्छे से जान लिया।
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Akbar Birbal Story in Hindi
” ईमानदारी की सीख “
एक बार राजा अकबर, बीरबल के साथ बैठकर कुछ हिसाब-किताब कर रहे थे। तभी उनके मन में एक विचार आया और उन्होंने बीरबल से कहा, ” बीरबल देखो हिसाब किताब में कितनी कम गड़बड़ी है!
हमारे राज्य के लोग बहुत ही ईमानदार हैं। और सभी अपने राजा से बहुत प्रेम करते हैं। “
बीरबल खुश हुए लेकिन फिर बोले, ” महाराज यह बात गलत भी तो हो सकती है। जैसा आप सोच रहे हैं वैसा बिल्कुल भी नहीं है। यहां के लोग ईमानदार और भाईचारे वाले बिल्कुल भी नहीं है।”
महाराज बोले, अगर तुम्हें यही लगता है तो तुम मुझे यह साबित कर के दिखाओ तब जाकर मैं यह मानूंगा कि जो कुछ भी तुम कह रहे हो वह सत्य है।
बीरबल मान गए औऱ बोले, “ठीक है महाराज! आप मुझे कुछ समय दीजिए मैं यह आपको साबित कर के दिखाऊंगा।”
महाराज मान गए।
शाम को बीरबल ने पूरे राज्य मे एक घोषणा करवा दी। घोषणा के अनुसार ” कल दोपहर में सभी राज्य वासियों के लिए राजभोज का आयोजन किया जाएगा।
अतः सभी लोग महल के मैदान में आकर दिन होने से पहले पहले 1 लोटा दूध बड़े भगोने में बिना पूरा ढक्कन खोले हुए डाल दें।”
पुरे राज्य के लोगों ने घोषणा सुनी औऱ, सुबह घोषणा के अनुसार ही सब सुबह सुबह अपना लोटा लेकर वहां पहुँच गए। सबने अपना कार्य किया और वहां से चले गए।
Akbar Birbal Kahani Moral Part- दिन होने पर बीरबल ने महाराज को सारी बात बताई और उस भगोने के पास लेकर गए। महाराज से बीरबल ने भगोने का ढक्कन हटाने को कहा,
भगोने का ढक्कन हटाते ही, महाराज हैरान रह गए।
भगोने में तो दूध की एक बूंद भी नहीं थी। पूरा भगोना पानी से भरा हुआ था। यह देखकर बीरबल बोले,”महाराज मैं ने आप से कहा था न यही है वह। सभी राज्य के लोगों ने यह सोचा,
की अन्य व्यक्ति तो दूध डालेंगे ही, यदि उसमे 1 लोटा पानी पड़ जाए तो किसी को भी कुछ पता नहीं चलेगा। लेकिन राज्य के प्रत्येक व्यक्ति के ऐसा सोचने से आज यह भगोना दूध से नहीं बल्कि पानी से भरा हुआ है।”
बीरबल से अब राजा अकबर सहमत हुए।
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” बीरबल की महल- वापसी “
Akbar Birbal Story in Hindi- एक बार राजा अकबर ने बीरबल से नाराज होकर उन्हें महल से चले जाने का आदेश दे दिया। बीरबल तो होशियार थे, उन्हें पता था कि बादशाह अकबर की यह नाराजगी कुछ ही समय की है।
तो अपने पक्ष में कुछ न कहकर वे चुपचाप महल से चले गए।
वास्तव में महाराज अकबर की नाराजगी कुछ ही समय की थी। अब उन्हें बीरबल की याद सताने लगी, और चिंता भी होने लगी कि पता नहीं बीरबल आखिर किस हालात से गुजर रहे होंगे!
उन्होंने पूरे राज्य में पता करवाया लेकिन कोई भी बीरबल का पता नहीं जानता था।
राजा अकबर भी बहुत हठी थे, उन्होंने ठान ही लिया था कि वे अपने प्रिय बीरबल को ढूंढ कर ही रहेंगे।
राजा अकबर ने एक योजना बनाई और पूरे राज्य में एक घोषणा करवा दी कि जो कोई भी राजा अकबर से आधी छाया तथा आधी धूप में मिलेगा, राजा उसे 500 सवर्ण की मुद्राएँ देंगे।
राजा को पूर्ण विश्वास था कि इस बात का हल केवल बीरबल ही कर सकते हैं।
पूरे राज्य में यह बात फैल गयी। बहुत से लोग लालच में आकर वहां आए, लेकिन कोई भी राजा की शर्त को पूरा नहीं कर सका। तब यह ख़बर बीरबल तक पहुंच गई।
बीरबल जिस गाँव में ठहरे हुए थे, उस गांव में उनके ही बगल में एक गरीब कुम्हार रहता था। बीरबल ने कुम्हार से कहा, ” तुम एक चारपाई अपने सर पर रखकर ले जाना और फिर महाराज से मिलना तुम्हें फिर 500 सवर्ण मुद्राएँ मिल जाएंगी।
Akbar Birbal ki Kahani Moral Part- कुम्हार ने बिल्कुल वैसा ही किया जैसा कि उसको , बीरबल जी ने बताया। महाराज उसके उत्तर से सन्तुष्ट हुए औऱ उसे 500 सवर्ण मुद्राएँ इनाम के तौर पर दे दिए! फिर महाराज ने उससे पूछा,
” क्या यह युक्ति तुम्हारी थी?” कुम्हार बोला, ” नही महाराज मेरे गांव में आजकल ही एक बुद्धिमान युवक रहने के लिए आया है उसने ही मुझे ऐसा करने के लिए कहा।
” महाराज समझ गए कि वह बुद्धिमान व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि बीरबल ही होगा। महाराज ने कुम्हार से उस व्यक्ति के पास जल्द से जल्द ले जाने की इच्छा व्यक्त की।
कुम्हार बिना किसी संकोच के राजा अकबर को बीरबल के पास ले गए और अकबर ने बीरबल से माफी मांगी और बीरबल को वे स्वयं ही पूरे सममान के साथ महल में लेकर आए।
Akbar Birbal ki Kahani
” बांस का टुकड़ा “
एक बार राजा अकबर बीरबल के साथ अपने महल के बाग में सैर कर रहे थे। बीरबल राजा को चुटकुले सुना रहे थे। राजा अकबर उस समय बहुत अच्छे मन मे थे और खुश भी थे।
टहलते समय राजा अकबर के पैर में एक बांस की लकड़ी का टुकड़ा आ गया। उन्हें तो वैसे भी मस्ती ही सूझ रही थी। उन्होंने वह टुकडा उठाया ।
राजा अकबर हर समय बीरबल की परीक्षा लेते रहते थे, तो बीरबर को छेड़ने का इस से अच्छा मौका वे कैसे छोड़ सकते थे। उन्होंने वह टुकड़ा जमीन से उठाया और मन में कुछ सोचा और वह टुकड़ा बीरबल के हाथों में थमा दिया।
महाराज अकबर बोले, बीरबल इस बांस के टुकड़े को बिन काटे ही छोटा कर के दिखाओ।
बीरबल चुटकुला सुनाते-सुनाते रुक गए और समझ गए कि महाराज केवल उनकी परीक्षा लेना चाहते हैं। लेकिन उन्हें यह सवाल बहुत अटपटा से लगा तभी उन्होंने सोचा कि यदि सवाल अटपटा सा है,
तो इसका जवाब भी अटपटा बी होना चाहिए।
Akbar Birbal Story in Hindi Moral Part- पास में एक बांस का बना हुआ बड़ा सा डंडा रखा हुआ था। बीरबल ने वह डंडा एक हाथ में उठा लिया और दूसरे हाथ में था,
वह नीचे गिरा हुआ छोटा सा बांस का टुकड़ा। बीरबल ने महाराज से कहा,
” देखिए महाराज, यह बांस बड़ी है, इसके सामने यह छोटा बांस का टुकड़ा अपने आप ही छोटा हो गया। मुझे इसे काटना भी नही पड़ा!”
यह सुनकर महाराज खुश हुए और हंसने लगे। उन्होंने बीरबल को अपने गले से लगा लिया और कहा,” तुम्हारा कोई जवाब नहीं।”
” चीनी और रेत का मिश्रण “
Akbar Birbal Story in Hindi- एक बार एक दरबारी, दरबार में एक शीशे का डब्बा ले आया। डब्बे मे रेत और चीनी मिली हुई थी। असल में रोज कोई न कोई बीरबल को अपनी बुद्धि के बल पर हराने की कोशिश करता था,
और बीरबल हमेशा ही जीत जाते थे। इसलिए रोज किसी न किसी बहाने बीरबल की कोई न कोई परीक्षा होती ही रहती थी।
दरबारी भी बीरबल की बुद्धिमानी की परीक्षा लेना चाहता था। दरबारी बोला, ” बीरबल जी आपको बिना इसमें पानी डाले इस रेत से चीनी को अलग करना है।
बीरबल ने थोड़ी देर कुछ सोचा और फिर बिन पानी के रेत से चीनी अलग करने के लिए राजी हो गए। उन्होंने वह शीशे के बर्तन को पकड़ लिया और उस बर्तन को बाहर बगीचे में ले गए।
उनके पीछे पीछे दरबार मे मौजूद सभी लोग भी बगीचे में पहुंच गए।
सबकी नजरें बीरबल पर ही जमीं हुई थी। तब बीरबल ने शीशे के बर्तन का सारा रेत औऱ चीनी का मिश्रण एक पेड़ के चारों ओर डाल दिया। जो दरबारी यह सब लेकर आया था, उसने पूछा, ” क्या है यह” ?
तब बीरबल जी बोले, परिणाम के लिए आप सभी कल सुबह तक का इंतजार करें। मैं सभी को सुबह ही इसका परिणाम बताऊंगा भी और दिखाऊंगा भी।
Akbar Birbal Stories in Hindi Moral Part- सभी वहां से चले गए और कार्यवाही के बाद सभा भी समाप्त हो गयी। सभी कल सुबह का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
अब वह दिन भी आ गया। पहले सब दरबार में उपस्थित हुए ,
और फिर राजा अकबर के कहने पर बीरबल ने सबको बगीचे में बुला लिया। सब उस पेड़ के नीचे गए। पेड़ के पास जाने पर सबने देखा कि चीनी तो गायब हो चुकी थी और पेड़ के चारों ओर केवल रेत ही रेत बची हुई थी।
सब बीरबल की चतुराई पर अब उसकी प्रशंसा करने लगे। अब जो दरबारी वह रेत और चीनी लेकर आया था उसने बीरबल से पूछा, ” चीनी कहाँ गयी।”
तब बीरबल बोले, चीनी तो चींटियां ले गयी। अब आपको चीनी लेने के लिए उन चींटियों के पास जाना पड़ेगा।
बीरबल की बातें सुनकर सभी उपस्थित लोग ठहाके मार कर हंसने लगे।
Akbar Birbal Kahani
” बुद्धिमानो से भी बुद्धिमान “
राजा अकबर अपने बेटे की मूर्खता से बहुत परेशान थे, उन्होंने बीरबल से कहा, एक ऐसा व्यक्ति ढूंढ कर लाओ जो कि बुद्धिमानो से भी बुद्धिमान हो!
अब वो व्यक्ति ही शहजादे की अक्ल को ठिकाने पर ला सकता है।
बीरबल ने कहा, ठीक है जहाँपनाह! मैं ऐसे इंसान को जल्द ही आपके सामने ले कर आऊंगा।
बादशाह ने बीरबल को 200स्वर्ण मुद्राएं दी, और उस बुद्धिमान व्यक्ति को देने और उसको महल में बुलवाबे के लिए कहा। बीरबल ने उन रुपयों को पकड़ा और महल से चल दिये।
अब बीरबल ने हफ्ते के 6 दिनों तक खूब मौज मस्ती की और 100 स्वर्ण मुद्राओं को गरीबों में बांट दिया। और सातवें दिन राज्य से ही किसी ग्वाले को अच्छे वस्त्र पहनाकर महल ले गए।
बीरबल ने रास्ते में ही उस ग्वाले को सब कुछ समझा दिया था कि महल में जाकर क्या करना है।
महल में सभी मौजूद थे, राजा अकबर ने कहा, ” क्या यही है वह बुद्धिमान व्यक्ति?” बीरबल ने हामी भरी। अब राजा उस व्यक्ति से सवाल करने लगे। उसका नाम पूछा। व्यक्ति ने कोई जवाब नहीं दिया तब महाराज अकबर ने दूसरा सवाल पूछा,
और ऐसे करते करते राजा अकबर में उस व्यक्ति से कई सारे सवाल पूछ डाले। राजा अकबर को अब बहुत गुस्सा आया उन्होंने बीरबल से पूछा कि कहीं यह गूंगा बहरा तो नहीं है?
Akbar Birbal ki Kahani Moral Part- बीरबल बोले, ‘ नहीं महाराज यह एक बुद्धिमान व्यक्ति है। इसे अपने बड़े बूढ़ों की बातें अभी तक याद है, जिन्होंने इसे सिखाया है, कि राजा भगवान स्वरूप होते हैं,
औऱ वे ही हमारे अन्नदाता भी होते हैं कभी भी उनसे कोई बहस नहीं करनी चाहिए । तभी यह चुप है।”
महराज समझ गए। और बीरबल की हाजिरजवाबी और बुद्धिमानी पर उनको एक बार फिर से फक्र महसूस हुआ।
” सही और गलत में अंतर “
अकबर बीरबल की हिन्दी कहानियाँ- दरबार भरा हुआ था। महराज अकबर राज्य की सही और गलत गतिविधियों के बारे में सोच रहे थे तभी उनके मन मे एक सवाल आया कि, सही और गलत के बीच कितना अंतर होता है।
यही प्रश्न उन्होंने दरबार में उपस्थित प्रत्येक जन से पूछा, कोई भी इसका उत्तर नहीं बता पा रहे थे। सबकि निगाहें जाकर बीरबल पर रुक रहीं थी।
महल की सारी गलत गतिविधियों और अनेक उलझी हुई परिस्थितियों को केवल बीरबल ही सुलझाया करते थे। अब महाराज बीरबल से बोले, ” बीरबल तुम्हारे पास तो हर प्रश्न का उत्तर होता है न?
तो इस प्रश्न का उत्तर भी अब तुमको ही देना होगा। बताओ मुझे कि सही और गलत के बीच कितना अंतर होता है।”
बीरबल ने न आव देखा न ताव और सीधे बोल दिया, “महाराज सही और गलत के बीच केवल चार अंगुलयों का अंतर होता है।”
बीरबल के इस जवाब पर सभी आश्चर्यचकित रह गए। महाराज ने कहा, केवल चार अंगुलयों का? कैसे??… और इसको परखना इतना मुश्किल कैसे होता है चार अंगुलयों का फर्क होने के बावजूद!”
Akbar Birbal Story in Hindi Moral Part- बीरबल बोले, ” महाराज! हमारे कान औऱ आंख के बीच केवल चार अंगुलयों का ही तो अंतर होता है। हम जो कुछ भी केवल अपने कानों से सुनते हैं और उसमें विश्वास भी कर लेते हैं, जरूरी नहीं है कि वह सही हो।
लेकिन जो हम अपनी आंखों से देखते हैं और पूरा देखते हैं वह कभी भी गलत नहीं हो सकता। इसलिए मैं कह रहा हूँ कि सही और गलत में केवल चार अंगुलयों का अंतर होता है।”
बीरबल की इस बात से सभी सन्तुष्ट हुए और इस जवाब का सभी ने ताली बजाकर स्वागत किया।
अकबर बीरबल की हिन्दी कहानियाँ
” विवाद ”
एक बार राजा अकबर के दो रत्नों बीरबल औऱ तानसेन में किसी बात को लेकर कुछ विवाद छिड़ गया। दोनों का विवाद सरल होने की बजाए औऱ अधिक उलझता जा रहा था।
तभी दोनों ने निश्चित किया कि वे अपनी समस्या को लेकर राजा अकबर के पास जाएंगे।
राजा अकबर ने दोनो की परेशानियों को सुना। लेकिन राजा अकबर किसी एक को न्याय देखे दूसरे रत्न का दिल दुखाना नहीं चाहते थे। इसलिए उन्होंने दोनो रत्नों से कहा,” आप दोनों की बातें मुझे समझ में नहीं आ रही है।
आप दोनों एक बार महाराज महाराणाप्रताप के पास चले जाइये, वे एक न्यायप्रिय राजा भी है, वे तुम्हारी इस समस्या को अवश्य ही सुलझा देंगे।
दोनो ही रत्न महाराणा प्रताप के महल में पहुँच गए।दोनो ने ही अपना अपना पक्ष महाराणा प्रताप के सामने रख दिया। तानसेन जीतने के लिए अब अपना संगीत गाने लगे जिससे कि महाराणा प्रताप उनकी मधुर ध्वनि में खोने लगे।
बीरबल को लगा कि, तानसेन अपने के संगीत के कारण ही उन्हें सम्मोहन कर रहे हैं। तब बीरबल महाराणा प्रताप से बोले, ” महाराज मैं ने आपके राज्य में आते समय भगवान से यही प्रार्थना की थी कि,
Akbar Birbal Stories in Hindi Moral Part- यदि मैं सही होऊँगा तो मैं 100 गायों को जीवनदान दूँगा और उसे दान कर दूँगा। और तानसेन ने मन्नत मांगी थी कि यदि वह सफल हो जाता है तो वह 100 गायों को बलि चढ़ा देगा और 100 गायों का नुकसान करेगा।
यह सुनकर महराणा प्रताप बहुत घबरा गए और सोचने लगें, गौहत्या पाप होती है, अतः मैं बीरबल को छोड़कर तानसेन का साथ नहीं दे सकता। तब उन्होंने कहा, की बीरबल की बात एकदम सत्य है।
यह सुनकर बीरबल खुश हुए और तानसेन को भी अपने मित्र की जीत पर बहुत खुशी हुई। अब दोनों अपने महल की ओर चल पड़े।
” लालची दुकानदार “
अकबर बीरबल की हिन्दी कहानियाँ- राज्य के एक गांव में एक बहुत ही कंजूस बर्तनों का व्यापारी, था। वह दिन प्रतिदिन के लोगों को ठगता रहता था। सभी लोग उस से बहुत परेशान थे।
अब इस व्यापारी से छुटकारा दिलाने के लिए केवल बीरबल ही उनकी मदद कर सकते थे इसलिए गांव के कुछ लोग बीरबल के पास मदद मांगने के लिए आए।
बीरबल ने पूरी बात सुनी और उन लोगो से कहा, ‘ आप सब चिंता मत कीजिए। मैं उसे ऐसा सबक सिखाऊंगा कि फिर वो कभी भी किसी को भी ठगने की कोशिश नही करेगा।”
सभी अपने अपने घर। चले गए। अगले ही दिन, बीरबल व्यापारी को सबक सिखाने के लिए उसकी दुकान पर पहुंच गए। दुकान में जाकर बीरबल ने व्यापारी से, तीन बड़े बड़े परात मांगे।
व्यापारी खुश हुआ कि आज उसकी सबसे ज्यादा बिक्री हुई है। बीरबल उन परातों को घर लेकर आ गए। थोड़े ही दिनों में, बीरबल एक छोटा सा परात लेकर उस ही दुकान में गए जिस दुकान से उन्होंने परात लिए थे।
उन्होंने व्यापारी से कहा, ” इसे आप रख लीजिए। इस परात को उन बढ़ी बड़ी परातों ने जन्म दिया है , व्यापारी लालची था वह बहुत खुश हुआ और वह छोटी सी परात बिन कुछ सवाल जवाब के ही अपने पास रख ली।
Akbar Birbal Story in Hindi Moral Part- शाम को बीरबल फिर से उसकी दुकान में एक परात लेकर गए औऱ बोले, देखिए भाई जो मैं परात ले गया था उनमे से तो दो मर गए हैं और अब यही बचा है। मुझे मेरे पैसे वापस चाहिए।
व्यापारी बोला, ” भाईसाहब क्या आप पागल हो! भला बर्तन भी कभी जीते या मरते हैं?”
तब बीरबल ने कहा, ‘ यदि ऐसा नहीं हो सकता है तो बर्तन बच्चे कैसे देते हैं?”
व्यापारी समझ गया और व्यापारी को बीरबल जी के सारे रुपये भी वापस करने पड़े। व्यापारी ने बीरबल जी से वादा भी किया कि अब वह किसी को भी परेशान नहीं करेगा।
Akbar and Birbal Stories in Hindi
” तीन सवाल “
बीरबल राजा अकबर के बहुत प्रिय मंत्री थे वे अपने राज्य के सभी फैसले बीरबल की राय लेकर ही किया करते थे। यह देखकर दरबार के सभी लोग बीरबल को कम पसन्द करने लग गए थे,
और हमेशा ही बीरबल को दरबार से निकलवाने का प्रयत्न करते रहते थे। लेकिन बीरबल भी कम हठी नहीं थे, वे सभी दरबारियों की हरकतों का जवाब अपनी बुद्धिमानी से देकर सबका मुह बन्द कर दिया करते थे।
एक दिन एक दरबारी दरबार मे बीरबल के लिए तीन प्रश्न लेकर आया।
प्रश्न कुछ इस प्रकार थे-
1-आसमान में कितने तारे हैं?
2- इस धरती का केंद्र कहाँ है?
3- दुनिया मे कितने महिला और कितने पुरुष हैं?
बीरबल कुछ क्षणों के लिए बाहर चले गए और कहीं से एक भेड़ और एक छोटी सी छड़ी लेकर फौरन दरबार मे उपस्थित हो गए। सब उनकी इस हरकत से हैरान थे तब बीरबल ने कहा,
पहले प्रश्न का उत्तर यह है-जितने बाल इस भेड़ के शरीर मे है उतने ही तारे आसमान में भी हैं, मेरे मित्र चाहें तो गिन सकते हैं।
दूसरे प्रश्न का उत्तर देने के लिए बीरबल ने जमीन पर कुछ लाइन खींची औऱ उसके बीचों बीच उस लकड़ी को गाड़ दिया और कहा, ” महाराज यही है,
धरती का केंद्र, आप सभी चाहें तो इसको भी माप सकते हैं।
Akbar Birbal ki Kahani Moral Part- बीरबल बोले, अब रही तीसरे प्रश्न की बात तो, इस संसार ने महिलाओं और पुरुषों की गिनती करना तो बहुत कठिन है, क्योंकि महिलाओं और पुरुषों के अलावा भी संसार मे कुछ लोग होते हैं,
जैसे कि उनमें से कुछ लोग यहीं हमारे दरबार मे भी उपस्थित है, जिनको मार कर महिला और पुरुषों की गिनती की जा सकती है।
बीरबल के जवाबों को सुनकर सभी दरबारियों का सर शर्म से झुक गया और बीरबल ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि उनके जैसा संसार मे कोई और नहीं।
” अकबर का सपना “
अकबर बीरबल की हिन्दी कहानियाँ- एक दिन महाराज अकबर ने अपने सपने में देखा कि उनके मुह के सभी दांत झड़ गए हैं और उनके मुंह मे अब केवल एक ही दांत बचा हुआ है।
महाराज को अब बड़ी चिंता होने लगी। वे फटाफट उठे और दरबार मे चले गए।
महाराज ने उसी समय राज ज्योतिषी को बुलवाने का संदेश दे दिया। राजा की आज्ञा के अनुसार दूत उस ही समय राजज्योतिषी को दरबार मे लेकर आ गया। महाराज ने राजज्योतिषी से कहा,
” प्रणाम ज्योतिषी जी मैने एक सपना देखा और सपने में मेरे एक दांत के अलावा सभी दांत झड़ गए थे, इसका क्या अर्थ हो सकता है।”
ज्योतिषी जी ने कुछ गणना की और महाराज से कुछ देर बाद बोले, ” महाराज आपके सपने का एक ही मतलब निकलता है, कि आपके जो रिश्तेदार है वो आपसे पहले ही मर जाएंगे। “
यह सुनकर राजा अकबर आग बबूला हो गए। उन्होंने ज्योतिषी को क्रोध में महल से चले जाने को कहा। ज्योतिषी महल से चले गए। बीरबल वहीं दरबार में मौजूद थे,
Akbar Birbal Story in Hindi Moral Part- महाराज को परेशान देखकर बीरबल बोले, ” महाराज आप कृपया परेशान न हों। आप का सपना शुभ था और उसका केवल एक ही मतलब निकलता है। आपको मैं बताता हूँ।”
कुछ देर सोचने के बाद बीरबर फिर बोले, ” महाराज इस शुभ सपने का अर्थ यह था कि आप अपने सभी नाते रिश्तेदारों से भी अधिक समय तक जीवित रहेंगे।”
अब महाराज बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने बीरबल को खुश होकर इनाम भी दिया। बीरबल ने तो वही बात बोली थी जो कि ज्योतिषी उन्हें बोलकर गए थे, लेकिन उन्होंने सही तरीके का इस्तेमाल किया।
Akbar and Birbal Story in Hindi
” अकबर और बीरबल की पहली मुलाकात “
राजा अकबर को शिकार का बहुत शौक था। वे महीने में कम से कम एक बार घोड़े पर सवार होकर शिकार खेलने जरूर ही जाया करते थे।
एक बार हमेशा की ही तरह महाराज अकबर अपबे कुछ सैनिकों के साथ शिकार पे निकले थे। लेक़िन जंगल मे कुछ ऐसा हुआ कि, कुछ सैनिक रास्ता भटक गए।
अब राजा और उनके पहरेदार ही बचे थे। शाम होने को आ गयी। महाराज को समझ नहीं आ रहा था कि वे अपने महल तक अब कैसे पहुंचे? उन्हें दूर से सड़क का एक भाग दिखाई दिया।
Akbar and Birbal Stories in Hindi Interesting Part- उन्होंने अपने पहरेदारों को उस रास्ते को ढूंढने के लिए भेज दिया अब अकबर अकेले थे। भुख भी लग रही थी,
लेकिन वह उस समय बेबस थे वह अपने लिए कुछ भी नहीं कर पा रहे थे।
कुछ ही समय में राजा के पहरेदार वापस लौट आए और बोले महाराज हमे बाहर जाने का रास्ता नहीं मिल रहा। अब हम महल कैसे जाएंगे! तब महाराज ने सभी को डाँठ लगाई।
क्योंकि वे लोग रास्ता नहीं ढूंढ़ पा रहे थे।
जंगल में एक बच्चा विचरण कर रहा था। महाराज ने उसे देख लिया महाराज के आदेश पर 1 सैनिक उस बच्चे के पास गया और उसको महाराज के पास आया। महाराज ने उस बच्चे से पूछा,
” बेटा क्या आप बता सकते हो, कि आगरा के लिए कौन सा रास्ता जाता है?
तब बच्चा जोर जोर से हंसने लगा और बोला, ” आप भी किसी बातें कर रहे हो रास्ते कब चलते हैं? चलना तो आपको ही होगा। हा हा हा हा…’
सभी सैनिक बालक की दुष्टता पर क्रोधित थे लेकिन वे चुपचाप खड़े थे। क्योंकि उन्हें राजा के गुस्से से बहुत डर लगता था।
लेकिन महाराज क्रोधित नहीं हुए और न ही उन्होंने बच्चे को डाँटा। वे मुस्कुराए और बोले, ” बेटा नाम क्या है तुम्हारा?”
बच्चे ने कहा, ” मेरा नाम महेशदास है।”
Akbar Birbal Story in Hindi Moral Part- तब महाराज अकबर बोले, ” बेटा मुझे निडर लोग बहुत पसंद हैं। तुम हमेशा ऐसे ही निडर रहना। ये लो यह मेरी अंगूठी है,
इसे तुम मेरी निशानी के तौर पर रखना।
तुम अभी हिंदुस्तान के बादशाह अकबर से बात कर रहे हो! तुम जब कभी महल में आओगे तो यह अंगूठी हमे दिखाना हम तुम्हें पहचान जाएंगे।” महाराज ने अंगूठी खोली और बच्चे को दे दी।
अब बच्चे ने पहले उन्हें प्रणाम किया फिर उन्हें आदर सहित आगरा के रास्ता बता दिया।
महराज अपने महल चले गए।
और इस प्रकार राजा अकबर भावी बीरबल से पहली बार मिले। और बहुत प्रभावित भी हुए।
” पत्नी का डर ”
अकबर बीरबल की हिन्दी कहानियाँ- एक बार बातों ही बातों में बीरबल ने कहा, ” महाराज सभी लोग, अपनी अपनी पत्नियों से डरते हैं और उनकी सभी बातों को मानते हैं।
और जोरू के गुलाम होते हैं। इस पर महाराज बोले,
” मैं यह नहीं मानता।” तब बीरबल बोले, ” महाराज मैं यह साबित कर सकता हूँ।”
महराज मान गए। लेकिन बीरबल फिर बोले, ” महाराज आपको मेरी एक मदद करनी होगी इस कार्य मे!
Akbar and Birbal Stories in Hindi Interesting Part- महाराज बोले हां बोलो, तुम्हें किस प्रकार की मदद चाहिए। तब बीरबल ने कहा, ” महाराज आप एक फरमान जारी कर दीजिए, कि राज्य में जो कोई भी अपनी-अपनी पत्नियों से डरता है,
वह बीरबल के पास 1 -1 मुर्गा लेकर जमा कर दें।”
महाराज ने बीरबल के कहने पर यह फरमान पूरे राज्य में जारी कर दिया। कुछ ही दिनों में बीरबल के पास बहुत से मुर्गे हो गए। तब बीरबल महाराज को मुर्गियों के बाड़े में लेकर आए।
और उन्होंने महाराज को वे मुर्गे दिखाए जो कि लोगों ने उन्हें दिये थे। अब बीरबल ने कहा, ‘ देखिए महाराज मैं ने तो साबित कर दिया। अब आप अपना फरमान आपस ले सकते हैं।’
लेकिन महाराज को पता नहीं क्या सूझी कि उन्होंने फरमान लेने से मना कर दिया और हंसते हुए महल को निकल गए।
बीरबल तो फंस गए थे। अब बीरबल ने इस समस्या को सुलझाने का एक तरीका ढूंढा। कुछ दिनों बाद वे महल में गए और महाराज से बोले, ” महाराज पड़ोसी मुल्क में एक राजकुमारी रहती है,
बहुत सुंदर है। सुशील भी है एक रानी बनने के सभी गुण हैं उसमें। आप कहें तो आपके विवाह का प्रस्ताव रखूं?”
Akbar Birbal Stories in Hindi Moral Part- महाराज बोले, ‘ अरे बीरबल क्या कह रहे हो ये, पहले से ही दो कम है क्या, और जरा धीरे बोलो अगर उन दोनों ने सुन लिया तो कयामत आ जाएगी।”
इतना सुनकर बीरबल हंसने लगे और बोले, ” महाराज अगर ऐसी ही बात है तो आप भी 2 मुर्गे जमा करवा दीजिए। “
अब राजा और बीरबल दोनो ही हंसने लगे। फिर महाराज अकबर ने अपना फरमान वापस भी ले लिया।
अकबर बीरबल कहानियाँ
” बीरबल की खिचड़ी “
एक बार बीरबल के साथ राजा अकबर सुबह सुबह अपने बाग में टहल रहे थे। ठंडी के दिन थे। बातों बातों में दोनो ही तालाब के किनारे जा पहुंचे।
अब महाराज को पता नहीं चला और उनका एक पैर उस तालाब में चला गया। महराज ने जूती पहनी हुई थी, फिर भी उनका पैर उस जल में ठंड के मारे अकड़ गया।
महाराज ने कहा, ” बीरबल! क्या कोई ऐसा व्यक्ति होगा! जो कि रात भर इस पानी मे खड़ा हो सके?”
बीरबल ने कहा, ” क्यो नही महाराज ! ऐसा हो सकता है। आप घोषणा करिए कि जो भी व्यक्ति रात भर के लिए इस पानी में खड़ा होगा उसको बहुत सारा धन मिलेगा।
फिर देखिए आपको ऐसे कई व्यक्ति मिल जाएंगे। “
महाराज बोले, ” मैं नहीं मानता। कोई केवल धन के लिए ही ऐसा नहीं के सकता। “
फिर बीरबल बोले, ” महाराज लोगो की मजबूरी ही उनका ऐसा करने का सबसे बड़ा कारण होती है आप आजमा कर देख सकते हैं।”
महाराज ने बीरबल से कहा, ठीक है बीरबल, तुम कहते हो तो मान लेते हैं। लेमिन ऐसे इंसान को तुम ही ढूंढ कर लाओगे जो कि इस तालाब में रात भर के लिए खड़ा हो सके।”
बीरबल हामी भर के वहां से चल दिये, बीरबल राज्य के लोगों से मिले, फिर वे एक ऐसे व्यक्ति से मिले जिसको धन की बहुत ज्यादा जरूरत थी,
बीरबल ने उस व्यक्ति से उसके धन की जरूरत का कारण पूछा, तब उस व्यक्ति ने कहा, ” बीरबल जी मेरी मां बहुत बीमार है , उनको ठीक करने के लिए मुझे धन चाहिए।” वह रोने लगे गया।
तब बीरबल बोले, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ। लेकिन तुम्हें उसके लिए एक कठिन कार्य करना होगा। उस व्यक्ति ने कहा कि मैं अपनी मां को बचाने के लिए कुछ भी कर सकता हूं।
आप मुझे केवल कार्य बताइये बाकी आप सब चीजें मुझ पर छोड़ दीजिए।
तो बीरबल जी ने उसे सब समझा दिया।
रात हुई। पहरेदारों के बीच उस युवा व्यक्ति ने तालाब में प्रवेश किया, और वह बिना किसी कपकपाहट और सवाल-जवाब के , जगा हुआ उस तालाब के ठंडे पानी में रात भर पानी मे खड़ा रहा।
अगके दिन सुबह हुई, और उसको पहरेदारों ने, तालाब से निकाला। उसे सैनिक दरबार मे लेकर गए। सभी दरबार मे उपस्थित हुए, महाराज ने पहरेदारों से पूछा कि क्या यह व्यक्ति रात भर खड़ा था तालाब के ठंडे पानी मे?”
सभी पहरेदारों ने हामी भरी।” तब महाराज खुश होकर उसे धन देने ही वाले थे कि, एक दरबारी ने कहा, ” महाराज यह असम्भव है। जरूर कोई न कोई गड़बड़ है, आप इससे पूछिए कि इसने ऐसा किया कैसे?”
Akbar and Birbal Story in Hindi Interesting Part- तब उस व्यक्ति ने पूरे दरबार को बताया, ” महाराज मैं भी पहले यही सोच रहा था कि यह मुझसे नहीं हो पाएगा,
लेकिन फिर मुझे एक दीपक दिखा,
मैंने उसके प्रकाश के सहारे ही अपनी पूरी रात काटी। मैं महसूस कर रहा था कि उसका प्रकाश मुझे गर्मी दे रहा है।”
तब वह दरबारी बोला, ” देखा महाराज इसे गर्मी मिल रही थी, यह अब इनाम का हकदार नहीं है।” जब तक बीरबल कुछ बोल पाते , महाराज ने इनाम देने से इनकार कर दिया।
अब वह युवक बहुत रोने लगा। उसने बीरबल से मदद मांगी,बीरबल ने भी ठान लिया कि वह उसको इंसाफ दिलाकर ही रहेंगे।
अब अगले दिन बहुत देर तक जब बीरबल दरबार मे नहीं आए तो महाराज को चिंता होने लगी। महराज ने बीरबल को बुलवाने के लिए सैनिक भेजे लेकिन बीरबल ने उन सैनिकों को यह कहकर भेज दिया कि,
वे अभी अपनी खिचड़ी बना रहे हैं, जब तक वह खिचड़ी बन नही जाती और वे खिचड़ी को खा नहीं लेते तब तक वे महल नहीं आएंगे।”
यह जवाब महाराज ने सुना, पूरा काम काज बीरबल के बिना रुका हुआ था। तो अब परेशान होकर महाराज स्वयं ही बीरबल के घर चले गए। महाराज ने बीरबल से पूछा, ‘अभी तक नहीं बनी है तुम्हारी खिचड़ी?”
तब बीरबल बोले, नहीं महाराज यह देखिए।” बीरबल ने अपनी खिचड़ी की जगह उन्हें दिखाई।
महाराज यह सब देखकर दंग रह गए। नीचे कुछ लकड़ियां जल रही थी और खिचड़ी का बर्तन उससे 3-4 फ़ीट ऊपर रस्सी की सहायता से लटकाया गया था। तब महाराज बोले,
” बीरबल यह क्या बेहूदा मजाक है? इतनी दूर से तो बर्तन को आंच भी नहीं लग रही होंगी। यह खिचड़ी तो ऐसे कभी भी नहीं बनेगी।”
Akbar Birbal Stories in Hindi Moral Part- तब बीरबल बोले, ” महाराज जब इतनी लकडियो के जलने से मेरी खिचड़ी में आंच तक नहीं लग रही है तो दिये कि रौशनी से भला किसी को गर्माहट कैसे मिल सकती है?”
अब महाराज निरुत्तर हो गए।महाराज को अपने निर्णय पर शर्मिंदगी हुई। उन्होंने तुरंत सबको दरबार में बुलाया। दरबार में वह युवक भी उपस्थित था। युवक से महाराज ने स्वयं माफी मांगी और सम्मान से उसे इनाम की राशि दी।
और अपनी तरफ से उनकी मां का इलाज कराना सुनिश्चित किया।
सभी बहुत खुश हुए। और उस युवक ने बीरबल का धन्यवाद भी दिया।
” पहेली “
अकबर बीरबल की हिन्दी कहानियाँ- राजा अकबर को पहेली पूछने और पहेलियों को सुलझाने का बहुत शौक था वे जब भी मजाक करने को होते तो सभी से पहेलियां पूछते थे,
और कुछ अपनी पहेलियों को सुनते थे।
एक दिन महाराज को मजाक सुझा।वह बीरबल से पहेलियां पूछ रहे थे औऱ बीरबल उन पहेलियों का बड़ा ही सटीक उत्तर दे रहे थे। लेकिन तभी महाराज अकबर ने बीरबल से एक बड़ी ही कठिन पहेली पूछ डाली। पहेली थी-
” ऊपर ढक्कन नीचे ढक्कन, मध्य में खरबूजा
छुरि से कटे नहीं, अर्थ भी नहीं है दूजा।”
बीरबल ने यह पहली कहीं पर भी नहीं सुनी थी। उन्होंने बहुत कोशिश की पर वे कुछ सोच ही नहीं पा रहे थे। तब उन्होंने महाराज से कहा, महाराज आप मुझे यह पहली सुलझाने के लिए कुछ समय दें।
मैं आपकी पहेली को सुलझाकर जल्द ही आपको इसका जवाब दूँगा।
Akbar Birbal ki Kahani Interesting Part- तब बीरबल पहेली का जवाब सोचते सोचते एक घर में चले गए, वहां एक छोटी सी बच्ची खाना बना रही थी। तब बीरबल ने उस लड़की से पूछा, ” बेटी क्या कर रही हो? और तुम्हारी माता कहाँ है?”
तबस लड़की ने कहा, ” मैं मां को बना रही हूं और रोटी कहीं घूमने गयी है। तब लड़की के उस अटपटे से जवाब को सुनकर बिरबल हैरान रह गए।
थोड़ी ही देर में उसके माता पिता भी आ गए। तब बीरबल ने उन्हें सारी बात बता दी। तब लड़कीक पिता ने कहा, यह बचपन से ही ऐसी अटपटी पहेलियों सी बातें करती है। आप परेशान न होइए।
तब बिरबल ने कहा, क्यो न इनसे वही पहेली पूछनी चाहिए, जो कि महराज ने मुखसे पूछी थी, क्या पता ये मुझे उस पहेली का सही जवाब बता सकें।
Akbar Birbal Story in Hindi Moral Part- यह सोचकर बीरबल ने उस आदमी से बादशाह अकबर द्वारा पूछी गयी, वही पहेली पूछी। तब उस इंसान ने कहा,
” इसका जवाब तो बहुत सरल है। दो ढक्कन का अर्थ है, एक आकाश और एक धरती।
और बीच मे खरबूजे का अर्थ है, हम सब। और इस ढक्कन को हटाकर खरबूजे को कभी भी चाकू से नहीं काट सकता।
बीरबल अब समझ गए और उन्हें लगा कि क्या पहेली इतनी ही आसान थी!वह अब हंसने लगे।
तब वह फिर से बादशाह अकबर के पास गए उन्होंने अकबर को पहेली का अर्थ बताया। महाराज खुशह हुए और बीरबल को इनाम भी दिया।
Akbar Birbal ki Kahani
” राज्य में अंधों की संख्या “
एक बार राजा अकबर ने बीरबल से प्रश्न किया, बीरबल क्या तुम मुझे यह बता सकते हो कि, पूरी दुनिया मे अंधे ज्यादा है या देखने वाले। तब बीरबल ने जवाब दिया,
‘ महाराज मैं पूरी दुनिया का तो नहीं जानता लेकिन हमारे राज्य में अंधे लोगों की संख्या बहुत अधिक है।
तब अकबर बोले, ‘ कैसे? मैं नहीं मानता। बीरबल तुम्हें यह सिद्ध करना होगा कि हमारे राज्य में अंधे ज्यादे हैं। और देखने बाले बहुत कम।
तब बीरबल मान गए और एक बिना बुनी हुई चारपाई को लेकर बाजार के चौराहे के बीचोंबीच बैठ गए। उन्होंने साथ मे दो व्यक्तियों को भी रखा था, जो कि कागज और कलम लेकर बैठे हुए थे।
Akbar and Birbal Stories in Hindi Interesting Part- बीरबल चारपाई बुनने लग गए। तब बीरबल जी को यूं काम करता हुआ देख वहां पर थोड़ी ही देर में बहुत सी भीड़ इकट्ठा हो गयी।
बीरबल जी से जो कोई भी वहां आ रहा था,
1 ही सवाल पूछ रहा था कि, ” बीरबल जी आप क्या कर रहे है!”
जो भी यह सवाल पूछ रहा था उन सभी का नाम 1 कागज मे लिख दिया जा रहा था। यह बात फैलते फैलते पूरे राज्य को पता चल गई। महराज अकबर को भी यह बात पता चली, तो वह जल्द से बीरबल के पास पहुंच गए।
उन्होंने बीरबल से पूछा, ” बीरबल तुम यह क्या कर रहे हो?'”
जो नाम लिख रहा था, अब वह बीरबल को देखने लगा। तब बीरबल ने कहा, ” महाराज का नाम भी सूची में जोड़ दो।”
महाराज को समझ नहीं आया। महाराज ने दोनों व्यक्तियों के हाथों से वह पर्चा छीन लिया और उसको पढ़ने लगे। दोनों ही पर्चों में सूचियां बनी हुई थी। एक पर्ची में लिखा था,
देखने वाले लोगों की सूची और दूसरे में लिखा था, अंधे लोगों की सुची। महाराज यह सब देख कर चकित रह गए। जो अंधे लोगों की सूची थी उसमें खचाखच नाम भरे हुए थे। जो सूची देख सकने वाले लोगों की थी,
उनमें एक भी नाम नही था। तब महाराज ने पूछा बीरबल क्या है यह सब और इस अंधों की सूची में तुमने मेरा नाम क्यो जोड़ रखा है?
Akbar Birbal Story in Hindi Moral Part- तब बीरबल ने कहा, ” महाराज सबको दिख रहा है कि मैं क्या कर रहा हूँ फिर भी सब ने मुझसे यही पूछा कि बीरबल जी आप क्या कर रहे हैं।
सभी लोग अंधों की तरह मुझसे पूछ रहे हैं कि मैं क्या कर रहा हूँ।
जिस जिस ने भी मुझसे यह प्रश्न किया मैं ने उन सभी का नाम अंधों की सूची में डाल दिया। अब आप ही बताइए कि मैं क्या करूं।”
बीरबल ने कहा , ” महाराज इससे तो यही साबित होता है कि हमारे राज्य में देखने वाले लोगों से अधिक संख्या अंधे लोगो की है।
तब महाराज मंद मंद मुस्कुराते हुए बोले, ” बीरबल तुम्हारी अक्लमंदी का तो कोई जवाब ही नही ।
Conclusion | अकबर बीरबल हिन्दी कहानियाँ
आज आपने पढ़ी Akbar Birbal Stories in Hindi. आशा करते हैं आपको आज की हमारी यह Akbar Birbal ki Kahani पसन्द आयी होंगी,और इनसे कुछ नया सींखने को मिला होगा।
अकबर बीरबल की हिन्दी कहानियाँ ऐसी ही रोचक कहानियां पढ़ने के लिए बने रहिये sarkaariexam के साथ।