6+ Special Bhoot ki Kahani in Hindi | भूत प्रेत की सच्ची कहानियां
सच्ची घटनाओं पर आधारित Bhoot ki Kahani in Hindi. आशा करते हैं आपको आज की यह भूत प्रेत की सच्ची कहानियां पसन्द आएंगी। तो चलिए शुरू करते हैं।
आज हम आपके लिए आये हैं Bhoot Pret ki Kahani Hindi. जो विश्व प्रख्यात होने के साथ साथ सच्ची घटनाओं पर आधरित भी हैं।
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Bhoot ki Kahani
” जहाज वाला भूत “
समुद्र के किनारे एक गांव था। वहां लोग मछली पालन किया करते थे और आगे के अन्य गांवों में मछलियों को बेचकर अपना जीवन व्यापन करते थे।
एक दिन सुबह सुबह लोग समुद्र के किनारे मछली पकड़ने जा रहे थे तो, उन्होंने देखा कि एक पानी का बड़ा सा जहाज समुद्र के किनारे रुका हुआ है।
पानी के जहाज में बिना टिकट के नहीं जा सकते थे.
इसलिए कोई भी उसके अंदर नहीं गया। लेकिन मछली पकड़ते समय जब रवि की नजर उस जहाज पड़ रही थी,
तब वह देख रहा था कि जहाज में तो कोई हलचल ही नहीं थी। उसको लगा कि कुछ न कुछ गड़बड़ तो जरूर है। वह पूरी बात को पता करने के लिए स्यामू को लेकर जहाज के अंदर चला गया।
जहाज के अंदर जाकर वह हैरान हो गया, उसने देखा कि बहुत सी लाशें उस जहाज में बिछी हुई है। अब स्यामू और रवि बहुत ही ज्यादा डर गए।
वह वापस आ ही रहे थे कि उनके सामने एक चुड़ैल प्रकट हो गयी। अब वो दोनो एयर ज्यादा डरने लगे।
चुड़ैल बोली, ” यह जहाज मेरा है! तुम्हारी इसमें आने की हिम्मत कैसे हुई? अब तुम दोनों का भी वही हश्र होगा जो कि इन सब लोगों का हुआ है। ही ही ही ही….”
चुड़ैल ने स्यामू का गला पकड़ लिया। चुड़ैल का ध्यान केवल स्यामू पर ही था, अब रवि मौका देखते ही वहां से भाग निकला और जहाज से कूद गया।
वापस गांव में आकर सब यह पूरी बात जकर सभी गांववालों को बताई। सभी गांववाले गांव में एक भूतिया जहाज के आने से बहुत सहमे हुए थे। तभी एक महिला भी दौड़ते हुए उस गांव में आ पहुंची।
गाँव के बाबा भी वही उपस्थित थे।
उस महिला ने बताया, ” जहाज में जो लड़की है, वह चुड़ैल नहीं है वह मेरी बेटी है, उसके अंदर किसी राक्षस ने प्रवेश कर लिया है। कोई मेरी बेटी को बचा लो!” वह रो रोकर बोली।
अब बाबा ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया और सब कुछ पता लगाया।
बाबा बोले, ” यह महिला सही कह रही है। वह जहाज दो दोस्तों का था। एक दोस्त ने धोखाधड़ी से अपने ही मित्र को मार डाला ताकि पूरे जहाज पर वही कब्जा कर सके!
अब उसका दोस्त बन गया राक्षस लेकिन उसके पास शक्तियां नहीं थी वह किसी को छू नहीं सकता था। अतः उसे एक शरीर की आवश्यकता थी।
जब यह महिला और अन्य लोग उस जहाज में सफर कर रहे थे तो, उस राक्षस ने इसकी लड़की के अंदर प्रवेश कर लिया और इसकी लड़की ने चुड़ैल का रूप धारण कर लिया।
और अपने दोस्त सहित सभी को मौत के घाट उतार दिया।”
महिला ने कहा, ” बाबाजी आप तो अंतर्यामी है कृपया मेरी बेटी को बचा लें।”
अब बाबा ने कहा, ” उस राक्षस को तभी खत्म किया जा सकता है जब हम उसके पार्थिव शरीर को जला दें। लेकिन वह हमें मिलेगा कहाँ,
” तब महिला बोली! बाबाजी राक्षस एक लाश को बहुत ही सम्भाल कर रखता है, मैं ने वह देखी है, शायद वही उसकी लाश होगी।’
बाबाजी उस महिला को लेकर उस जहाज में चढ़े और चुपके से जहाज के उस कमरे में चले गये जिसमे राक्षस की लाश थी। उस लाश को छूने तक ही चुड़ैल वहां पहुंच गयी।
चुड़ैल ने स्वामी जी की शक्तियों से मुकाबला किया वह अब हार गई। बाबा जी ने कुछ मन्त्र पढ़े और वह राक्षस महिला की बेटी के शरीर से निकल गया। अब राक्षस लाचार था।
बाबाजी ने अब उसकी लाश को जला डाला। उसको अब मुक्ति मिल गयी। महिला की बेटी भी बच गयी। दोनो ने बाबाजी का धन्यवाद दिया और अब सब खुशी खुशी अपने घर चले गए।
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Bhoot ki Kahani in Hindi
” पीपल के पेड़ का भूत “
एक गांव में एक रामसिंह नाम का वैद रहता था। वह अपने घर मे अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह और उसकी पत्नी बीमार लोगों की सेवा किया करते थे।
गांव के सभी लोग छोटी-मोटी तकलीफों के लिए उनके ही पास जाया करते थे। रामसिंह आवश्यक जड़ी-बूटियों को लेने के लिए रोज जंगल जाता था,
जहाँ से उसे भिन्न भिन्न प्रकार की झड़ी-बूटियां मिलती थी। रामसिंह उन जड़ीबूटियों को जंगल से लाकर जड़ी बूटियां बनाता था,
और उनसे बनी हुई औषधियों का प्रयोग , आए बीमार लोगों का इलाज करता था।
एक दिन उसके घर एक बुजुर्ग अपना इलाज कराने के लिए आए। वे बहुत ही ज्यादा बीमार थे, रामसिंह ने उन्हें अच्छे से देखा-भाला फिर उन्हें कहा,
” आपके इलाज के लिए मुझे कुछ विशेष प्रकार की जड़ीबूटी की आवश्यकता है, जो कि अभी मेरे पास उपलब्ध नहीं है, मैं आपको यह दवाई दे रहा हूँ,
आप इसे पानी मे मिलाकर खा लेना आपको आराम होगा और जब मैं जड़ीबूटी लेकर तैयार कर लूंगा तब मैं आपको सूचित कर दूंगा या मैं खुद ही आपके घर आ जाऊंगा।”
इतना कह कर वह अपनी पत्नी के साथ चल दिया, जंगल की ओर । जंगल मे वह उस खास जड़ीबूटी को ढूंढ रहा था, और उसकी पत्नी कुछ अन्य प्रकार की जड़ीबूटियों को इकट्ठा कर रही थी।
जड़ीबूटी ढूंढते हुए रामसिंह अंदर घने जंगल मे जा पहुंचा। वहां उसे डर भी लग रहा था। जंगल मे एक बहुत ही बड़ा और घना पीपल का वृक्ष था। उस वृक्ष में एक चुड़ैल रहती थी।
उसको किसी ऋषि ने अपने प्रभावी शक्तियों की सहायता से उस पीपल के वृक्ष में कैद कर रखा था। जब रामसिंह उस पेड़ के पास पहुंचा, तो वह चुड़ैल बहुत ही खुश हुई। उसने मन मे सोचा,
” आज मैं उस ऋषि की शक्तियों के प्रभाव से आजाद हो जाऊंगी। बस एक बार यह इंसान इस पेड़ को छू ले!”
तब अचानक , रामसिंह का हाथ उस पेड़ से गलती से लग गया। अब वह चुड़ैल ऋषि के श्राप से आजाद हो गयी और वहां से निकलकर रामसिंह के अंदर घुस गई।
अब रामसिंह का शरीर एक चुड़ैल के रूप को धारण कर चुका था। वह अकेले ही घर चल दिया, उसकी पत्नी में उसे जंगल में बहुत ढूंढा पर उसको रामसिंह कहीं भी नहीं मिला।
तब तक हारकर वह भी घर की ओर चल दी।
घर जाकर जब उसने देखा तो, रामसिंह वहां आराम से लेटा हुआ था। उसने जाकर रामसिंह को कहा, ” अजी आप कब आए! मैं तो आपको ढूंढती रह गयी। आज तो आपने मुझे डरा ही दिया था।”
रामसिंह अपनी पत्नी की आवाज सुनकर बहुत गुस्से में आ गया और उसने अपनी पत्नी का गला पकड़ लिया। वह बोला, ” अपनी बकवास से मेरी नींद क्यो खराब कर रही है! सोने दे मुझे।”
यह कहकर उसने अपनी पत्नी को दूर फेंक दिया और खुद जाकर सो गया। उसकी पत्नी बहुत जोर जोर से रोने लगी।
अगली सुबह उसके घर कुछ लोग आए उपचार के लिए, तब भी रामसिंह ने उन्हें बहुत बुरी तरह डाँठ कर भगा दिया। रामसिंह की पत्नी को अब शक होने लगा।
उसने मन ही मन सोचा, जंगल में कहीं कोई न कोई बुरी घटना घटी है, इसका पता मुझे लगाना ही होगा।
भूत प्रेत की सच्ची कहानियां – रामसिंह की पत्नी गांव के साधु के पास जाती है औऱ अपनी सभी परेशानियों को उनको बता देती है। साधु अपनी शक्तियों से सब पता कर लेते हैं,
कि क्या हुआ था, और अब आगे क्या करना है।
साधु रामसिंह की पत्नी के साथ उसके घर चले गए, रामसिंह आराम से सोया हुआ था। साधु बाबा ने रामसिंह के घर के चारों ओर एक कवच का निर्माण कर दिया जिससे कि वह चुड़ैल बाहर न जा सके।
अब बाबा के लिए चुड़ैल को पकड़ना आसान हो गया।
उन्होंने अपने मन्त्रो द्वारा पहले तो चुड़ैल को रामसिंह के शरीर से अलग किया फिर उस चुड़ैल को अपने एक मायावी बोतल में कैद कर दिया। अब वह चुड़ैल हमेशा के लिए बाबा के पास कैद हो चुकी थी।
रामसिंह की पत्नी ने बाबा का धन्यवाद दिया और बाबा वहां से चले गए। रामसिंह को जब होश आया तो उसकी पत्नी ने उसे अभी बातें बताई।
रामसिंह को बहुत पछतावा हुआ उसने अपनी गलती के लिए अपनी पत्नी से माफी भी मांगी।
अब दोनो फिर से अपनी खुशहाल जीवन को दूसरों की सेवा करते हुए जीने लगे।
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भूत प्रेत की सच्ची कहानियां
” टैक्सी चलाने वाला भूत “
एक गांव था। वहां एक हरिया नामक युवक की मृत्यु हो गयी थी। अपनी मृत्यु से पहले वह टैक्सी चलाया करता था। वह अपने जीवनकाल में बहुत ही ईमानदार व्यक्ति था।
लेकिन आपसी दुश्मनी के चलते उसे किसी अपने ही रिश्तेदारों ने मार डाला।
मृत्यु के पश्चात उसका क्रियाकर्म नहीं किया गया ।इसलिए अब वह एक भूत बन गया। उसके पास शक्तियां नही थी, जिस से वह अपनी मौत का बदला अपने रिश्तेदारों से ले सके।
उसे पता लगा कि अगर मैं अमावस की रात 10 लोगो की एकसाथ बलि चढ़ाकर उनका खून पी लूं तो मैं बहुत ही ताकतवर हो जाऊंगा और अपनी मौत का बदला भी ले सकूंगा।
अब वह गांव के टैक्सी स्टैंड पर जाता और जो भी उसकव यात्री दिखते थे उनको जंगल के एक सुनसान जगह पर रख देता। 2-3 लोगों को उसने अगवाह कर लिया था।
उन लोगों की खबर जल्द ही आस पास के क्षेत्र में फैल गयी। वह अब सतर्क हो गया।
Bhoot ki Kahani Last part- वहीं दूसरी ओर गाँव में इस बात का बहुत खौफ हो गया। अब कोई भी टैक्सी से सफर नहीं करना चाहता था। एक दिन शोभा और उसके पति धीरज को कोई काम था,
और उन्हें बाजार जाना था बाजार जाने के लिए टैक्सी की आवश्यकता होती थी। उन्हें जाने मे डर भिलग रही थी लेकिन जाना भी जरूरी था।
अब गलती से वे दोनों हरिया की ही टैक्सी में बैठ गए। हरिया उन्हें बेहोश कर के गाड़ी से थोड़ा आगे ले गया और फिर वहाँ से गायब हो गया।
अगले दिन शोभा और उसके पति की खबर पूरे गांव में फैल गयी। गांववालों ने उनके अगुवाई की खबर थाने में कराई। पुलिसकर्मियों ने पूरे शहर और जंगल में कैमरे लगवा दिए।
अब उन्हें कैमरे की सहायता से पता लगा कि सारा मामला क्या है। वह अपनी पूरी टीम को लेकर जंगल पहुंचे। हरिया के क्षेत्र में आते ही, पुलिसकर्मियों के सारे उपकरणों ने काम करना बंद कर दिया।
जब पुलिसवालों ने उससे पूछा कि वह इतने लोगो को अगवाह क्यो कर रहा है तो हरिया भूत ने बताया कि मुझे अपना बदला लेना है। और भी सारी बाते बता दी।
अब उसने उन पुलिसवालों को भी बन्दी बना दिया। 10लोग भी हो चुके थे। अब उसे केवल अमावस्या की रात का इंतजार था।
उन्हीं में से एक पुलिसकर्मी वहां से जैसे तैसे भाग निकला, उसने गांव में जाकर पता किया कि उसके रिश्तेदार कौन है, उनसे मिलकर उसने उन्हें हरिया के बारे मे बताया औऱ हरिया के क्रियाकर्म करने की बात कही।
सभी ने मिलकर अमावस से पहले ही हरिया का क्रियाकर्म कर दिया। अब हरिया की आत्मा मुक्त हो गयी। हरिया के कातिलों को जेल में डाल दिया गया। और इस तरह सभी गांववालों को बचाया गया।
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Bhoot Pret ki Kahani Hindi
” चुड़ैल और डॉक्टर “
विलासपुर नामक एक गांव था। वहां सभी लोग बहुत ही सभ्य और एक दूसरे की सहायता करने वाले थे। वहां एक डॉक्टर था विशम्भर जो कि पूरे गांव का इकलौता डॉक्टर था।
वह पूरी ईमानदारी से अपना काम करता था और गांव के सभी लोग उस पर बहुत ही भरोसा किया करते थे। विशम्भर एक समझदार और कर्तव्यपरायण व्यक्ति था।
वह अपने समाज के प्रति सभी कर्तव्यों को अच्छी तरह से निभाता था।
एक बार उस गांव में एक अन्य डाक्टर आया। वह केवल अपने भले के लिए वहां आया था और अपने लिए ही अब कुछ करना चाहता था। शुरू में एक-दो लोग उसके दवाखाने गए ,
लेकिन उसने उन लोगों से इलाज के नाम पर कई रुपये लुटे औऱ न ही उनको अच्छी दवाई दी। इसके बाद वे लोग विशम्भर डॉक्टर के ही पास गए।
डॉक्टर विशम्भर के दवाखाने के आगे बहुत ही भीड़ लगी रहती थी।
क्योंकि गांव के किसी भी इंसान में से कोई भी उस दूसरे डॉक्टर के वहां नहीं जाना चाहते थे।
वह दूसरा डॉक्टर विशम्भर के दवाखाने के आगे इतनी ज्यादा भीड़ को देखकर हैरान रह जाता और यह सोचता कि, मेरे दवाखाने में इतने लोग क्यो नहीं है। बहुत दिन बीत गए
उसके दवाखाने में कोई भी नहीं आया । अब उसका दवाखाना बन्द होने की कगार पर आ खड़ा हुआ। वह बहुत ही परेशान था। उसने सोचा, मेरी मदद अब एक ही कर सकता है और वह है, जंगल के गुफा वाली चुड़ैल।
वह डरते हुए जंगल गया और चलते चलते उस चुड़ैल को गुफा के आगे पहुंच गया। वह बहुत ही डरा हुआ था। क्योंकि उसे अपनी जान का भी डर था, की कहीं वह चुड़ैल मुझे अंदर जाते ही न मार डाले।
वह डरते हुए गूफ़ा के अंदर गया।
चुड़ैल को पता लग गया था कि कोई इंसान वहां आ रहा है वह खुश हुई, और बोली, ” आज तो मेरा भोजन स्वयं चलकर मेरे पास आ रहा है। हा हा हा हा….”
डॉक्टर अंदर पहुंचा। उसने चुड़ैल से डरते हुए कहा, ” मुझे आपकी मदद चाहिए।” चुड़ैल बोली, ” मदद! कैसी मदद? मैं भला तेरी मदद क्यो करूँगी। मैं तो तुझे खाने वाली हूँ।
तू बचेगा तभी तो अपने काम को कर पाएगा। मेरे खाने के बाद तुझे किसी भी प्रकार की मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी।”
वह बोला, ” मैं आपके लिए भोजन का इंतजाम कर सकता हूँ।”
चुड़ैल बोली, ठीक है, बता क्या मदद चाहिए! तब वह बोला, ” मुझे आप ऐसी दवाई बनाकर दो जिससे मैं जिसका भी इलाज करूं वह जल्द से ठीक हो जाए,
फिर मेरे ही दवाखाने में सब अपना इलाज के लिए आए। मैं उन्ही मे से किसी को आपके भोजन के लिए रख दूँगा।”
Bhoot ki Kahani Interesting Part- चुड़ैल मान गयी और उसको एक दवा बना कर दे दी। अब डॉक्टर वह दवाई किसी को भी देता तो वह दवा की एक खुराक लेने से ही ठीक हो जाता था। अब पूरे गांव में यह बात फैल चुकी थी।
इसके बाद उस डॉक्टर के दवाखाने के आगे भी विशम्भर से भी अधिक भीड़ लगी रहती।
लेकिन दूसरी ओर लोगों को महसूस हो रहा था कि गांव में लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन घटती ही जा रही है। उस डॉक्टर के दवाखाने के पास एक आदमी रहता था,
वह किसी न किसी मरीज को रात को दवाखाने में भर्ती होते हुए देखता था। और सुबह होते ही वह मरीज गायब हो जाता था। उसे कुछ गड़बड़ लगी,
जब उसने एक दिन रात को इस बात की तहकीकात की तो उसे मालूम हुआ कि कोई चुड़ैल आती है, और उस मरीज को खा जाती है। यह बात उसने गांववालों को बताई। सभी गांववाले बहुत चिंतित हुए।
और उन्होंने सोचा, की हम सब मिलकर उस जंगल की चुड़ैल और उस डॉक्टर मो सबक सिखा कर रहेंगे।
Bhoot ki Kahani Last part- सब मिलकर गांव के ऋषि के पास गए। ऋषि ने उनको एक अभिमंत्रित जल दिया और कहा, यदि तुम इस जल को उस चुड़ैल के ऊपर डाल दोगे तो वह चुड़ैल हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी।
सभी गांववालों ने फैसला किया कि वे सभी रात को डॉक्टर के दवाखाने जाएंगे और उस चुड़ैल का खात्मा कर देंगे। और उन्होंने ऐसा ही किया! वह बिना किसी शौर के डॉक्टर के दवाखाने में छिपे हुए थे। उन सभी के हाथ में वह अभिमंत्रित जल था।
जैसे ही चुड़ैल अपना भोजन लेने के लिए वहां आई, सभी ने एक साथ मिलकर का चुड़ैल के ऊपर वह अभिमंत्रित जल फेंक दिया, जिसके कारण वह जलकर भस्म हो गयी।
अब सभी गांववालों को उस चुड़ैल के डर से छुटकारा मिल गया। सभी ने मिलकर दूसरे डक्टर को सबकी जान के साथ खेलने के जुर्म में पुलिस को सौंप दिया।
अब सभी गांव में खुशी खुशी रहने लगे।
भूत की कहानियां
” चुड़ैल का आईना “
एक गांव में वसुंधरा नाम की एक लड़की रहती थी। वह बहुत ही सुंदर थी। उसके नैन नक्श बहुत ही अच्छे थे। सभी उसकी सुंदरता की तारीफ किया करते थे।
एक दिन वह अपना घड़ा लेकर कुँए के पास पानी भरने के लिए जा रही थी। वह कुँए के पास पहुंच गई। वह पानी भर रही थी, तभी उसके मुह में एक रौशनी चमकी वह रौशनी किसी आईने से परावर्तित होकर उसके मुंह से टकरा रही थी।
उसने सोचा, जरूर यह किसी न किसी की शरारत है। उसने अपना घड़ा भर लिया था। जब उसने आस पास देखा तो कोई भी नही था। वह हैरान हो गयी। तभी उसने अगल बगल देखा,
उसकी नजर एक पेड़ के तले में जाकर रुकी। उसने देखा कि पेड़ के नीचे एक बहुत सुंदर सा आईना पड़ा हुआ है। वह आईना उसे अपनी ओर आकर्षित किये जा रहा था। जब वह उस आईने के पास गई उसने देखा कि,
एक बहुत सुंदर सा आईना जमीन पर पड़ा हुआ था। वह एक राजसी आईना लग रहा था। उसने सोचा, मैं किसी महारानी से कम थोड़ी हूँ, मैं इस आईने को अपने घर ले जाऊंगी और अपनी सुंदरता को रोज सुबह सुबह इसमें निहारूँगी।
यह सोचकर उसने आईना उठा लिया और उसमें अपना चेहरा देखने लगी । जैसे ही उसने अपनी शक्ल उस आइने में देखी उसकव आईने में अपने चेहरे की जगह एक चुड़ैल दिखी ।
वह जोर से चिल्लाई और आइने को वहीं फेंक दिया । वह दौड़ कर अपने घर चली गयी। घर जाकर उसने अपने आइने में देखा तो उसकी शक्ल अब बहुत ही खराब हो चुकी थी।
उसने सारी बात अपनी माँ को बताई। जब यह बात उसकी माँ को पता चली तो वह भी उस आईने के पास गई और उसने उस आईने को तोडने की कोशिश की लेकिन वह असफल रही,
और फिर उसके सामने चुड़ैल प्रकट ही गयी। चुड़ैल ने उसका चेहरा भी बिगाड़ दिया। वह फिर निराश होकर अपने घर लौट आई।
Bhoot ki Kahani in Hindi Last part- अगले दिन पंचायत हुई। वहां पाया गया कि, न केवल वसुंधरा और उसकी मां का बल्कि कई और महिलाओं के साथ भी यह घटना घट चुकी है।
सरपंच जी थोड़े समझदार थे उन्होंने एक योजना बनाई।
योजना के अनुसार दो महिलाएं उस आईने के पास गई और जोर जोर से बोलने लगी,”वह चुड़ैल अकेले आ रही महिलाओं को ही परेशान करती है। हमारे सामने आए तो बात बने!
” उनकी आवाज सुनकर चुड़ैल भड़क उठी। जोर जोर से हवाएं चलने लगीं और चुड़ैल उनके सामने प्रकट हुई। वसुंधरा एक बड़ा सा पत्थर लेकर उस पेड़ के ऊपर बैठी हुई थी।
वह चुड़ैल के आईने से बाहर निकलने का ही इंतजार कर रही थी। उसने वह बड़ा सा पत्थर आईने के ऊपर फेक दिया। आईना टूटकर चूर चूर हो गया। चुड़ैल की शक्तियां उस आईने में ही थी।
और आइने के टूट जाने से वह चुड़ैल भी नष्ट हो गयी।
सभी को उस चुड़ैल और आईने से छुटकारा मिल गया। और सभी को, जिनका मुह चुड़ैल ने बिगाड़ दिया था, उन सबको पुराना रूप भी वापस मिल गया।
Bhoot ki Kahani
” मुँहनोचवा प्रेत “
एक गांव था सोनपुर, वहाँ सभी लोग बहुत ही प्रेम और भाईचारे के साथ रह करते थे। उस गांव के लोगों का सबक अपना अपना धंधा था जिसके कारण सब परिवार सम्पन्न थे। और सभी के पास बहुत सी जमीनें भी थीं।
एक बार दो व्यापारी दोस्त राजू और सुरेंद्र बाजार से अपने सामान की बिक्री कर घर वापस आ रहे थे, दोनो एक -दूसरे से बात कर रहे थे,
कि आज का दिन तो अच्छे से गुजर गया अब जल्दी घर जाकर कल की तैयारी करनी है। दूसरा भी इस बात पर हामी भर रहा था। रात बहुत हो चुकी थी।
तभी उनको एक आवाज आई, ” आओ मेरे पास आओ! मैं तुम्हारी सभी परेशानियों को दूर कर दूंगा। हा हा हा हा हा….”
राजू और सुरेंद्र की डर के मारे सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी। अब वे दोनों डर के मारे कांपने लगे। जब सुरेंद्र ने पीछे मुड़ कर देखा तो कोई भी नहीं था।
लेकिन जैसे ही वह आगे मुड़ा एक भयानक राक्षस उसके सामने खड़ा था। राजू दिल का थोड़ा कच्चा था वह प्रेत को देखते ही बेहोश हो गया। अब सुरेंद्र पर जिम्मेदारी थी कि वह राजू की भी जान बचाए और अपनी भी।
सुरेंद्र भागने लगा, लेकिन जिस दिशा में भी सुरेंद्र भागने का प्रयास करता राक्षस उसके सामने आ खड़ा होता। अब वह बहुत ही अधिक डर गया। राक्षस ने उसे अब अपनी शक्तियों से बांध दिया।
अब उसने भयानक स्वर में कहा, ” मुझसे भागने की कोशिश कर रहा था! अब बोल कहाँ जाएगा। मुझसे अब तुझे कोई भी नहीं बचा सकता। हा हा हा हा…”
सुरेंद्र वहीं जमकर खड़ा हो गया और उसने अपनी आंखें बंद कर लीं। प्रेत ने उसके शक्ल की बहुत बुरी हालत कर दी। अपने बड़े बड़े नाखूनों से राक्षस ने सुरेंद्र का पूरा मुह नोच डाला।
अब वह बेहोश हुए राजू के पास गया। राजू तो बेहोश पड़ा था, उसको कुछ पता नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है! राक्षस ने उसका भी पूरा मुँह अपने लम्बे लम्बे नाखूनों से नोच डाला।
औऱ वहां से चला गया। अब बंधा हुआ सुरेंद्र भी खुल गया। तब उसने अपने मुंह पर हाथ फेरा तो उसे एहसास हुआ कि उसके चेहरे के साथ उस राक्षस ने कुछ न कुछ तो किया है, अब उसे राजू की याद आई।
Bhoot ki Kahani Interesting Part- वह दौड़ कर राजू के पास पहुंचा उसने देखा कि राजू का चेहरा बुरी तरह से बिगड़ा हुआ है, उस राक्षस ने दोनों के चेहरे को नोच कर बिगाड़ दिया था।
सुरेंद्र ने अपने मित्र को होश में लाने के लिए उस पर कुछ पानी के छीटें डाले। जब राजू उठा तो, उसने भी सुरेंद्र का मुंह देखा तब सुरेंद्र ने उसे बताया कि हम दोनों की ऐसी हालत उस राक्षस ने की है।
राजू बोला, “मैं तो सोच रहा था कि आज हमारी जान तो गयी! तभी मुझे चक्कर आ गया था। मुझे माफ़ कर दो मित्र मैं तुम्हारी मदद न कर सका। चलो अब गांव चलकर सबको इस बारे में बताते हैं ताकि सब सतर्क हो जाएं। ”
दोनों दौड़ दौड़ कर गांव चले गए। रात का समय था सभी लोग सोए हए थे, गांव में बहुत ही सन्नाटा था। दोनों ने निश्चय किया कि वे इस बारे में अब सुबह ही सबसे बात करेंगे। दोनों जाकर अपने अपने घरों में सो गए।
सुबह हुई जैसे ही वे दोनों बाहर आए सब उनके मुख को देखकर हैरान रह गए। गांव के सभी लोग उनसे उनकी इस हालत का कारण जानने के लिए बहुत उत्सुक थे, और डरे हुए भी थे।
तब मुँहनोचवा राक्षस की रारी बात उन लोगों ने गांववालों को बता दी। सरपंच भी वहां आकर खड़ा हो गया था। अब सरपंच ने लोगो से कहा,
” रात में क्या पता दोनो बाजार से नशा करके आए हुए हों और रस्ते में कंकरीट या किसी कांटेदार झाड़ियों में गिर गए हों। तभी इनकी हालत ऐसी हुई है! और अपने किसी डरावने सपने के बारे में यह हमें बता रहे हो ।
आप लोग परेशान न होइए ऐसा कुछ नहीं है। राजू और सुरेंद्र ने सभी को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन कोई भी उनकी बातें नहीं माना। सब अपने अपने काम की ओर चल दिये।
उसी शाम को मोहन भी अधिक रात को बाजार से लौट रहा था। उसे भी वहां मुँहनोचवा दिख गया। अब उसे एहसास हुआ कि जो कुछ भी राजू और सुरेंद्र कह रहे थे वो सब सच था।
वह बहुत ही डर गया, और मुहनोचवे के पैरों पर गिर गया। वह बहुत गिड़गिड़ाया। लेकिन मुहनोचवे ने उसकी एक न सुनी और उसको भी जान सेन मारकर उसका भी मुँह नोच डाला।
अगली सुबह मोहन भी राजू और सुरेंद्र से जाकर मिला। उसने इन दोनों को अपना मुह दिखाया और कहा, ” मुझे माफ़ कर दो भाइयों मै ने आप दोनों की बात नहीं मानी और देखो,
आज मुहनोचवे ने मेरा क्या हाल कर दिया है। हमें इस ख़बर के बारे में अब अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है। चलो गांववालों से चलकर बात करते हैं। गांव के सभी लोग इकट्ठे हुए और मोहन ने अपनी बात रखी।
वही पर मौजूद सरपंच ने कहा, ” मैं तो यही कहूँगा की ये सब इन तीनो की मिली भगत है। असल मे ये तुम सबका व्यापार नष्ट करना चाहते हैं।”
सभी गांववाले अपने व्यापार के बारे में सुनकर बहुत क्रोधित हो गए और उन तीनों को डाँठ फटकार कर वहां से चले गए। अब उनके सामने यह समस्या थी कि वे अपनी बात को कैसे लोगों को समझाएं।
उसी रात अब एक लड़की की हत्या हो गयी। अगली सुबह जब लोगों ने उस लड़की की लाश को देखा तो सब हैरान हो गए। लड़की का मुंह नोचा हुआ था, और गले मे कुछ निशान बने हुए थे।
मोहन राजू और सुरेंद्र को मालूम हो गया कि यह मुहनोचवे का ही काम है। तीनो चिंतित हुए की अब तो राक्षस लोगो को मारने भी लगा है।
Bhoot ki Kahani in Hindi Last part- राजू अपने काम से तालाब की ओर जा रहा था, उसने देखा कि वहां तो मुँहनोचवा खड़ा है! और वह सरपंच के साथ कुछ बात कर रहा है।
वह पास गया और उसने जो देखा उससे वह आश्चर्य चकित रह गया। अब वह अपने मित्र सुरेंद्र के पास पहुंचा।
और सुरेंद्र को बताया कि वह राक्षस सरपंच के अधीन है। जैसा सरपंच कहता वह वैसा ही करता है। सरपंच के हाथ मे एक छड़ी थी वह उसी से उस राक्षस को नियंत्रित कर रहा था।
सरपँच हम सबकी जमीनें हड़पना चाहता है। सुरेंद्र ने कहा, ” हमे कैसे भी कर के वह छड़ी उस सरपँच से छीनकर जलानी होगी।
दोनो रात को छिपते हुए सरपँच के घर पहुंच गए। और राजू को सरपंच के तकिए के नीचे वह छड़ी मिल गयी। लेकिन जैसे ही राजू ने उस छड़ी को पकड़ा राक्षस वहां प्रकट हो गया।
उसने राजू का गला पकड़ लिया सुरेंद्र ने झट से राजू से वह छड़ी छीनी और उसको अपनी मशाल से जला दिया।
राक्षस भी इसी छड़ी के साथ जलकर खत्म हो गया। अब सरपंच ने सबके सामने अपनी गलती मान ली। और खुद को कानून के हवाले कर दिया।
Conclusion
आज आपने पढ़ी Bhoot ki Kahani in Hindi आशा करते हैं, आपको यह भूत प्रेत की सच्ची कहानियां पसन्द आईं। ऐसी ही रोचक पोस्ट पढ़ने के लिए बने रहिये हमारे साथ।