[Exclusive] Biography About Tulsidas in Hindi- Tulsidas Biography 2020
आज हम आपको बताएंगे- Biography About Tulsidas in Hindi. गोस्वामी तुलसीदास की Information के अलावा आप उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में भी जानेंगे।
Contents in this Post
About Tulsidas in hindi
जन्म | 1589 ई. |
जन्म (Place) | राजापुर, बांदा, उत्तर प्रदेश |
प्रमुख रचनाएं | रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, दोहावली, कवितावली, गीतावली , पार्वती मंगल , अरण्य-कांड. |
पंचतंत्र में विलीन | 1680 ई. |
कुछ लोगो कहना है , कि गोस्वामी तुलसीदास का जन्म 1520 ई. में हुआ , पर ज्यादातर विद्वान कहते हैं- तुलसीदास जी का जन्म 1589 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक छोटे से गांव राजापुर गांव में हुआ था।
इनके पिता पंडित थे , जिनका नाम से आत्माराम दुबे था। इनकी मां हुलसी देवी थीं। कुछ लोग इनके द्वारा रचित पंक्ति – “मैं कोनी नीच गुरु शनि कथा शुरू कर खेत” के कारण मानते हैं
कि इनका जन्म स्थान एटा जिले में है, जबकि ज्यादातर विद्वान राजापुर ही मानते हैं।
Tulsidas Biography :
तुलसीदास के माता और पिता आत्माराम और हुलसी ने तुलसीदास को बचपन में ही त्याग दिया, तथा इनका पालन-पोषण एक प्रसिद्ध संत नरसिंह दास ने किया।
इन्ही ने तुलसीदास को ज्ञान और भक्ति विद्या अजित कराई। शिक्षा पूरी होने के बाद ये राजापुर में आ गए । जहां पर इनका विवाह दीनबंधु की पुत्री रत्नावली से हुआ । यह पहले अपनी पत्नी रत्नावली से बहुत अधिक प्रेम करते थे,
और रत्नावली से अत्यधिक प्रेम करने के कारण एक दिन रत्नावली इन से खिन्न होकर बोली – कि आप जितना मुझ पर अपना ध्यान लगाते हैं उतना ही प्रभु भक्ति में देते, तो साक्षात प्रभु आपके सामने प्रकट हो जाते।
रत्नावली की यह बातें तुलसीदास जी को इतनी बुरी लगी कि वे प्रभु भक्ति में लीन हो गए , यह तुलसीदास बायोग्राफी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
गोस्वामी तुलसीदास की शिक्षा :
इसके बाद उन्होंने काशी जाना उचित समझा ,और काशी के एक प्रसिद्ध ज्ञानी श्री सनातन से तुलसीदास ने वेद शिक्षा प्राप्त की।
और श्री राम भगवान के अनेक तीर्थों का भ्रमण करते हुए राम भगवान का गुणगान किया। इन्होंने अपना सर्वाधिक समय चित्रकूट, काशी और अयोध्या में व्यतीत किया। किंतु अंत में जब यह काशी में थे,
तब श्री राम भगवान का नाम लेते- लेते 1680 ई. में गोस्वामी तुलसीदास पंचतंत्र में विलीन हो गए।
Biography Information tulsidas in hindi :
गोस्वामी तुलसीदासजी हिंदी एवं संस्कृत साहित्य के एक जाने-माने विभूति थे , इन्होंने भगवान श्री राम जी के संदर्भ में रामचरितमानस की रचना की तथा उसमें श्री राम भगवान के बारे में पूर्ण रुप से व्याख्या की ,
रामचरितमानस की रचना करने के कारण इन्हें सबसे बड़ा राम भक्त भी कहा जाता है । श्री रामचरितमानस तुलसीदास जी के aur About Tulsidas in Hindi का एक महत्वपूर्ण रचना है ।
गोस्वामी तुलसीदास श्री राम भगवान से इतने प्रभावित थे, कि उन्होंने रामचरितमानस जैसे बड़े ग्रंथ की रचना भी की। जिसमें इन्होंने श्री राम भगवान के चरित्र और जीवन की पूर्ण चर्चा की है ।
इसके अलावा गोस्वामी तुलसीदास की प्रमुख रचनाएं हनुमान चालीसा, दोहावली, कवितावली, गीतावली , पार्वती मंगल , अरण्य-कांड आदि है।
रामचरितमानस गोस्वामी तुलसीदास का सबसे प्रतिष्ठित ग्रंथ है , इसमें उन्होंने सैकड़ों दोहौं और चौपाइयों की मदद से श्रीराम के जीवन चरित्र का वर्णन किया है ,
पर रामचरितमानस हिंदी भाषा में नहीं है , इसे अवधी भाषा में तुलसीदास द्वारा लिखा गया है।
रामचरितमानस (Ramcharitmanas) का रचना:
रामचरितमानस तुलसीदास जी द्वारा अवधी भाषा में रची गई, यह ग्रंथ अनेकता में एकता को दर्शाता है ।
इस ग्रंथ का उल्लेख हिंदू धर्म के अलावा सिख, मुस्लिम , ईसाई और अन्य धर्मों में मिलता है । इस ग्रंथ में श्री राम के जीवनी के बारे में सारांश से बताया गया है।
हनुमान चालीसा की रचना कैसे हुई (About Tulsidas’s Hanuman Chalisa ):
गोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना की। वे श्री राम के अलावा हनुमान जी के भी बहुत बड़े भक्त थे,
यह माना जाता है , कि तुलसीदास जी से 1 दिन एक औरत में मिलने आई, औरत ने तुलसीदास जी के पैर छुए , और तुलसीदास जी ने उन्हें सौभाग्यवती भाव: कहा।
परंतु वह औरत फूट-फूट कर रोने लगी , और तुलसीदास जी ने को बताया – कि उसके पति की आज मृत्यु हुई है ।
परंतु तुलसीदास जी अभी भी अपने आशीर्वाद पर अटल रहे , और श्रीराम का जाप करने को कहा । जाप करते रहने पर उसके पति अचानक जिंदा हो गये।
यह चमत्कार अकबर को पता चला , और अकबर ने तुलसीदास को अपने महल बुलवाया ।
अकबर ने तुलसीदास से कोई चमत्कार दिखाने को बोला। पर तुलसीदास जी ने चमत्कार दिखाने से मना करते हुए बोला, कि मैं कोई चमत्कारी बाबा नहीं हूं ।
और इतने में अकबर और तुलसीदास जी के बीच अनबन हो गई। तुलसीदास जी को कारागार भेज दिया गया , कारागार में भी तुलसीदास जी ने अपनी राम के प्रति श्रद्धा ना छोड़ी, और हनुमान चालीसा की रचना की।
इसके कुछ दिन बाद ही अकबर ने तुलसीदास जी को रिहा कर दिया । और उनसे जीवन भर के लिए मित्रता कर ली। तुलसीदास के जीवन का यह एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जब उन्होंने हनुमान चालीसा की रचना की।
तुलसीदास जी की प्रेम कहानी (Tulsidas Love Story):
तुलसीदास का विवाह दीनबंधु की पुत्री रत्नावली से हुआ, जो अत्यधिक सुंदर थी। तुलसीदास रत्नावली की सुंदरता के कारण रत्नावली से अत्यधिक प्रेम करते थे ।
वे अपना अधिकतर समय रत्नावली के साथ गुजारते । उनका और कामों में मन भी कम लगता था । 1 दिन रत्नावली किसी काम से अपने घर चली जाती है , और तुलसीदास अकेले हो जाते हैं।
कुछ दिन गोस्वामी तुलसीदास अकेले गुजार लेते हैं , परंतु कुछ दिन बाद उनका रत्नावली से अत्यधिक प्रेम होने के कारण अकेले रहना असंभव हो जाता है । इसलिए वे भी रत्नावली के घर जाने की सोचते हैं ,
और शाम को निकल पड़ते हैं , तुलसीदास जी रत्नावली के प्रेम में इतना खो गए होते हैं कि उन्हें नदी पार करते समय एक मृत शरीर, लकड़ी दिखाई पड़ती है । जैसे ही वे रत्नावली के पास पहुंचते हैं ,
(About Tulsidas in Hindi) रत्नावली उन्हें दुत्कारती है, और कहती है – “अस्थि चर्म मय देह यह तो ऐसी प्रीत ना को जो होती राम से तो काहे भाव गीत”
अर्थात- जितना तुम प्रेम मेरे इस मान्स के पुतले को करते हो , उतना ही श्रद्धा अगर श्रीराम में दिखाते , तो तुम्हें ईश्वर की प्राप्ति होती ,और मोक्ष प्राप्त होता ।
Tulsidas जी की Biography का यह एक ऐसा था जब तुलसीराम , तुलसीदास बने।
तुलसीदास जी को उस दिन यह बात समझ में आ गयी, और वह मोह माया त्याग कर श्री राम भगवान के जाप में लग जाते हैं।
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Conclusion :
तुलसीदास जी अपने जीवन में हनुमान चालीसा और रामचरितमानस जैसे बड़े ग्रंथों की रचना करने के कारण आज देश में नहीं ,
बल्कि पूरे विश्व में जाना जाता है । इनकी दोहावली और कवितावली के दोहे N.C.E.R.T. की पुस्तकों में दर्शाए जाते हैं ।
आज आपने जाना Biography about Tulsidas in Hindi और उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक कहानियां ,
जो हमें निश्चित ही एक अच्छी सीख देती हैं । इसके अलावा आपने उनकी प्रमुख रचनाओं के बारे में भी जाना।
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