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Exclusive Rahim Das Biography in Hindi | Rahim Das in Hindi 2020

भारतीय हिंदी साहित्य में कई सारे ऐसे कवि हुवे है, जिन्हें आज भी गर्व से याद किया जाता है, संत  रहीम दास जी भी उन्ही में से एक हैं। आज आप जानेंगे- Biography of Rahim Das in Hindi.


Rahim Das Biography in Hindi


रहीम दास जी ने मुस्लिम होते हुवे भी भगवान कृष्ण पर अनेक दोहों और कविताओं को लिखा, जिस कारण वे पूरे भारतवर्ष में आज भी प्रख्यात हैं।

रहीम दास जी के द्वारा दिये गए ये दोहे- वलियाँ तथा कविताएं एक उपहार समान हैं, जिसे यह संसार सर्वदा याद करता रहेगा।


Rahim Das Biography in Hindi –

   पूरा नाम   अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना
   जन्म   17 दिसंबर 1556 लाहौर (पाकिस्तान)
   पिता   बैरम खान
   माता   सुल्ताना बैगम
   मृत्यु   1627 ईसवी
   प्रमुख रचनाएँ  रहीम कवितावली, रहीम रत्नावली, रहीम सतसई।

Rahim Das Jiwan Parichay in Hindi :


Rahim Das in Hindi


रहीम दास जी का पूरा नाम जो उनके पिता ने रखा , अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना था।

रहीम दास जी जन्म लाहौर शहर (जो कि अब पाकिस्तान में है) में 17 दिसंबर 1556 को हुवा।

रहीम दास जी के पिता का नाम, बैरम खान था। तथा माता का नाम, सुल्ताना बैगम। रहीम दास जी अकबर को इतने पसन्द थे, कि अकबर ने रहीम दस जी को अपने नवरत्नों में शामिल कर लिया था।

रहीमदास जी कवि होने के साथ साथ, सेनापति, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, एवं विद्वान थे।

रहीम दास जी के पिता बैरम खान राजा हुमायू के एक सलाहकार थे,

तथा अकबर के राजा बनने के बाद भी वे अकबर के संरक्षक थे। रहीम दास उस समय केवल 5 वर्ष के ही थे, जब इनके पिता बैरम खान की हत्या कर दी गयी।

अकबर ने बैरम खान को अपना संरक्षक होने के नाते रहीम दास जी और उनकी माता सुल्ताना बैगम को अपने ही महल में पनाह दी, और रहीम जी की शिक्षा दीक्षा का उचित प्रबंध किया।


About Rahim Das in Hindi :


रहीम दास जी किसी भी विद्या को सीखने की प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने अकबर के दरबार मे रहते ही हिंदी, उर्दू, संस्कृत , फ़ारसी, तुर्की व अन्य भी कई भाषाओं का अध्ययन किया , और उन भाषाओं में महानता हासिल की।

अगर रहीम दास जी के विवाह की बात करें , तो उनका विवाह केवल 16 वर्ष की आयु में ही मिर्जा अजीज की बहन (जो कि बैरम खान का विरोधी था) से हुई।

रहीम दास जी को धार्मिक चीजों में अत्यंत रुचि थी।

बहुत ज्यादा धार्मिक होने के कारण रहीम दास जी का ज्यादातर समय ग्रंथ पढ़ने, और अन्य धार्मिक कार्यों में ही गुजरता था।

मुस्लिम धर्म से होते हुवे भी, रहीम दास जी का कृष्ण भक्ति में ही ज्यादातर समय गुजरता था। कृष्ण भगवान से रहीम जी इतने प्रभावित थे, की उन्होंने भगवान कृष्ण के संदर्भ में कई सारी कविताओं और दोहों की रचना की।

ज्यादातर रहीम जी की रचनाओँ में कृष्ण जी का वर्णन देखने को मिलता है।

कई सारे विद्वानो का कहना है, कि रहीम दास जी गोस्वामी तुलसीदास जी के भी अच्छे मित्र थे। 15 वीं ईसवी के एक और विद्धवान केशवदास जी से भी इनकी मित्रता थी।

रहीम जी ने अपने आप को रहिमन नाम से संबोधित किया है।


Sant Rahim Das ji ka Antim Samay :


अकबर के पुत्र जहाँगीर रहीम दास जी को पसंद नही करते थे, इसी कारण 16वीं शताब्दी के शुरुआत में राजा अकबर की मृत्यु के पश्चात जहाँगीर ने रहीम दास जी को अपने ही महल में नजरबंद करवा दिया।

तथा रहीम दस जी ने अपना अंतिम जीवन नजर बंदी में ही व्यतीत किया। और अंत में सन 1627 ईसवी में रहीम दस जी ने अपने जीवन की अंतिम सांस ली।

रहीम दास जी की इच्छा थी, कि जब भी वे अंतिम सांस लें , उन्हें अपने मकबरे के पास ही दफना दिया जाए, और हुवा भी esa ही।

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Das ji ki Sahityik Sewaye :


रहीम दास जी को राजनीति का ज्ञान उनके पिता बैरम खान से मिला था, तथा उनकी बचपन से काव्य में रुचि रखने के कारण उन्हें कई सारे काव्य गुरुओं से आशीर्वाद प्राप्त था।

रहीम दास जी के नीति के दोहे आज भारतवर्ष के साथ साथ विदेशों में भी प्रसिद्ध हैं।

हिंदी, फ़ारसी, उर्दू, अरबी ,संस्कृत , फारसी तथा अन्य भाषाओं का ज्ञान होने के कारण रहीम दस जी ने कई सारे भिन्न भिन्न भाषाओ के ग्रन्थों को इन भाषाओं में अनुवाद किया।

रहीम दास जी ने बाबरनामा (बबर की आत्मकथा) जो तुर्की भाषा मे लिखी गयी है, उसका फ़ारसी में अनुवाद किया। रहीम दास जी ने ऐसी भक्ति की कविताएं और दोहे लिखे,

जिन्हें भारतवर्ष में आज भी N.C.E.R.T. की पुस्तकों में प्रकाशित किया जाता है।


Sant Rahim Das Ji ki Prmukh Rachnaye :


रहीम कवितावली, रहीम रत्नावली, रहीम बिलास, रहिमन बिनोद, रहिमन चन्द्रिका, बाबरनामा, रहीम सतसई आदि रहीम दास जी की प्रमुख रचनाएँ हैं।

रहीम जी द्वारा रहीम सतसई में किया गया 300 से अधिक दोहों का संकलन भी किया गया है। रहीम जी की एक प्रमुख रचना मदनाष्टक भी है, जिसमें इन्होंने कृष्ण व गोपियों के बीच के प्रेम का वर्णन किया है।

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Rahim ji Father Story :


कुछ विद्वानों द्वारा यह बताय गया कि, रहीम दास जी के पिता की मृत्यु कैसे हुई।
एक बार रहीम दास के पिटक बैरम खान अपना सब कार्य छोड़कर हज यात्रा (मुस्लिम धर्म के लोगों का पवित्र स्थान) के लिए जा रहे थे। जाते वख्त वे गुजरात के पाटन इलाके में ठहरे।

पाटन में एक विख्यात शहस्र्लिंग तालाब था, बैरम खान ने उस तालाब में विहार किया, और जैसे ही तालाब से निकले, उनके एक पुराने विरोधी अफगान मुबारक खां ने उनपर छुरे से वार कर दिया। ओर उनकी मृत्यु हो गयी।

अफगान मुबारक खान ने बैरम खान के बाद अब उनकी पत्नी सुल्ताना बैगम को मारने की सोची, पर सुल्ताना बैगम   अपने बेटे रहीम दास को लेकर अहमदाबाद की तरफ निकल गयी।

जब यह बात अकबर को पता चली, तब अकबर में सुरक्षित सुल्ताना बैगम ओर उनके बेटे रहीम को अपने दरबार मे बुलवाया, और उनकी परवरिश की। कई लोगो का यह bhi manna है,

की रजक अकबर ने बैरम खान की हत्या के बाद सुल्ताना बैगम से विवाह भी किया , और कबीर दास जी को शाही खानदान में ” मिर्जा खान ” की उपाधी भी दी गयी।


Rahim Das Dohe (Cuplets ) in Hindi :


Conclusion | Biography of Rahim Das 


सन्त रहिम दास जी को आज उनके Great meaningful दोहे और कविताओं की वजह से केवल भारत में ही नही बल्कि पूरी दुनिया मे जाना जाता है, चाहे वे मुस्लिम धर्म के ही क्यों न हों,

उनका कृष्ण प्रेमी होने के कारण हर धर्म के लोग उनकी सराहना करते है, रहीम दास जी ने अपने जीवन मे बहुत सारे कष्ट देखे, उनके पिता का साया बचपन मे ही उनके सर से हट गया ,

पर फिर भी उन्होंने अपने काव्यों के प्रति रुचि नही छोड़ी, रहीम दास जी के जीवन से हमे भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

तो दोस्तों आज आपने जाना Rahim Das Biography in Hindi. उम्मीद करते हैं, आपको Biography of Rahim Das in Hindi पसन्द आया होगा, रहीम दस जी के जीवन से बहुत कुछ सीख भी मिली होगी।

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