22+ Spacial Dadi Maa ki Kahaniyan with Images | प्रेरक दादी मां की कहानियाँ
मनोरंजन और प्रेरक Dadi Maa ki Kahaniyan. आशा करते हैं, आपको आज की यह कहानियाँ पसन्द आएंगी, और इन Dadi Man ki Kahani से कुछ नया सींखने को मिलेगा। तो चलिए शुरू करते हैं दादी मां की कहानियां।
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Dadi Maa ki Kahaniyan
1. मित्रता
एक बार की बात थे एक गांव में एक धनी सेठ का घर था।वह गांव के लोगों को कर्ज आदि दिया करता था। वहीं गांव में तीन चोर दोस्त भी रहते थे।
वे तीनों छोटी मोटी चोरियां कर अपना जीवन यापन करते थे।
लेकिन अब वे इन चोरियों से तंग आ चुके थे। उन्होंने अब एक बड़ी चोरी करने का मन बनाया। जिससे वह अपना पूरा जीवन चैन से बिता सके। उन्होंने सेठ का घर लूटने का प्लान बनाया।
और योजना के मुताबिक ही, सेठ का पूरा घर रातोरात लूट लिया।
रात को ही तीनों जंगल के रास्ते शहर की ओर भागने लगे। तीनों के पास धन, गहने, और कीमती सामानों से भरी एक एक बोरी थी। अब सुबह हुई तो तीनों को भूख लगने लगी।
तभी एक चोर ने खाना ले आने का फैसला किया। बाकी दो चोर उसका जंगल मे ही इंतजार कर रहे थे। वे बैठे बैठे चोरी किया हुआ सामान देख ही रहे थे कि तभी दोनो चोरों के मन में लालच आया औऱ उन्होंने तीसरे चोर, जो कि खाना लेने गया था उसको मारकर सारा माल खयड हड़पने की योजना बनाई।
वही जो चोर खाना लेने गया था, उसके मन मे भी लालच आया और उसने भी ऐसा ही सोचा उसने खाना खिलाकर मारने की योजना बनाई। उसने खुद तो पेट भर कर खाना खाया और उनके लिए खाने में जहर मिला कर ले आया।
जंगल मे पहुंचते ही, दोनो चोर दोस्त उस पर टूट पड़े उसको बहुत मारा और वह वहीं पर मर गया। उन दोनों ने उसकी लाश को भी ठिकाने लगा दिया।
अब दोनो चैन से बैठकर खाना खाने लगे। खाने में तो जहर था। खाना खा कर वो दोनो भी तड़प तड़प कर मर गए।
सीख | Dadi maa ki Kahani : ” धन कभी भी किसी का नहीं होता, बल्कि यह तो दुश्मनी की जड़ होता है। इसका लालच बहुत बड़ा श्राप है।”
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2. लालची कुत्ता
एक गांव में एक कुत्ता रहता था। उसका कोई निश्चित ठिकाना नहीं था। वह दिन भर यहां से वहां भटकता रहता था। वह हर रोज दिन भर इधर उधर भटकता रहता था, एक दिन वह खाना तलाश रहा था।
तभी उसे एक जगह पर एक रोटी मिली।
वह बहुत खुश हुआ। क्योंकि उसे उस दिन आधिक मेहनत नहीं करनी पड़ी और वह आसानी से अपना भोजन ढूंढ सका। खुश होकर वह अपनी रोटी को लेकर एक वृक्ष के नीचे बैठ गया।
गर्मी के दिन थे। कुत्ते को प्यास भी लगी थी। कुत्ते ने मनमे सोचा, यदि मैं प्यास में ही रोटी खा जाऊंगा तो मुझे इसका स्वाद नहीं आएगा। मुझे पहले पानी पी लेना चाहिए।
यह सोचकर वह पास के ही तालाब में पानी पीने गया। लेकिन रोटी को भी वह साथ ले गया।
उसने रोटी को अपने मुंह से दबाया हुआ था। जब कुत्ता तालाब के पास पहुंचा तो उसने देखा कि एक कुत्ता बिल्कुल उसी के जैसा , पानी के उस पार खड़ा हुआ है।
जब वह और पास गया तो, उसने देखा की पानी वाले कुत्ते के पास भी एक रोटी है। अब कुत्ते के मन मे लालच जाग उठा। उसने सोचा यदि मैं इस कुत्ते की रोटी हथिया लूँगा तो मेरे पास दो रोटियां हो जाएंगी।
यही सोचकर वह पानी मे कूद गया। कुत्ते को तैरना नहीं आता था । उसने मदद मांगने के लिए आवाज भी लगाई लेकिन वहां कोई भी नहीं आया। अंत मे वह पानी मे ही डूबकर मर गया।
सीख | Dadi ki Kahaniyan : ” लालच बुरी बला है। स्वंय के पास जितना होता है, उतने में ही संतोष करना चाहिए।”
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Dadi ki Kahaniyan
3. अंगूर खट्टे है
एक बार एक लोमड़ी जंगल से घूमते घूमते एक बाग में जा पहुंची। उसको भूख भी लगी थी। बाग में बहुत से फल-फूल लगे हुए थे। बाग में लगे लाल लाल सेब ध्यान आकर्षित कर रहे थे ,
और ऊपर लगी अंगूर की बेल, आह! उसमे लटके अंगूरों को देखकर ही मुंह मे पानी आ रहा था।
इतने सारे फलो को देखकर लोमड़ी की भूख और बढ़ गयी। अब लोमड़ी ने निश्चय किया कि वह उन अंगूरों को ही खाएगी।
अंगूर की बेल तो बहुत ऊपर थी। लोमड़ी ने बहुत कोशिश की, ऊंचा कूदी भी। लेकिन उसके मुंह मे एक भी अंगूर का दाना नहीं आया। अब उसने सोचा, यदि मुझे एक लकड़ी मिल जाती तो मैं इन अंगूरों को कैसे न कैसे एन केन प्रकारेण तो तोड ही लेती।
उसकी मन की इच्छा पूरी हुई और उसे अपने पैर के ही पास में एक छड़ी मिल गयी। उसने अपने मुंह से वह छड़ी उठाई और अंगूरों को तोड़ने का प्रयास करने लगी।
अंगूर तो क्यो टुटते, उतनी ऊंचाई पर जो लगे थे। लोमड़ी ने एक तरीका और आजमाकर देखा, लेकिन उससे भी एक भी अंगूर नहीं टूटा। अंत मे उसने अपनी हार मान ली। लेकिन बाहर जताया नहीं कि वह हार गई है।
अब वह बाग से जाने लगी। पहले उसने इधर उधर देखा, और फिर यह सोचकर कि कोई उसकी मजाक न बनाए , कहने लगी, “कितने खट्टे अंगूर हैं। कौन खाएगा इन्हें! “
सीख | Dadi man ki Kahani : ” यदि कोई चीज प्राप्त न हो सके, तो उसको बुरा भला कहने की बजाए उसको प्राप्त करने के लिए अन्य प्रयास करने चाहिए। चीजों को बुरा कहने से वह मिल तो नहीं जयगी।”
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4. बुध्दिमान खरगोश
बहुत समय पहले एक जंगल में एक शेर रहता था। वह बहुत ही खूंखार था औऱ शिकार करने में माहिर था। एक बार तो वह एक दिन के चार-पांच जानवरों को अपना शिकार बना लेता था।
जिस वजह से जंगल में जानवरों की संख्या घटने लगी। इसका असर पूरे जंगल मे पड़ रहा था।
जंगल मे घट रही जानवरों की संख्या को देखते हुए सभी जानवरों ने एक सभा की। जिसमे जानवरों के कम होने का मुद्दा उठाया गया और इस बारे में सबने शेर से बात करने का निर्णय लिया।
सभी शेर के पास गए और उससे अपनी परेशानी साझा की।
भालू जो कि मुखिया था वह शेर से बोला, ” आप जंगल के राजा हो, लेकिन जिस प्रकार आप शिकार कर रहे हो ऐसे तो पूरा जंगल ही नष्ट हो जाएगा। आपको अपने शिकार करने की गति थोड़ी धीमी करनी होगी।”
तब शेर बोला, ” मैं आप सभी की बातों से सहमत हूँ। लेकिन आप यदि चाहते हैं कि मैं शिकार न करूं तो आप लोगो को ही मेरे शिकार का इंतजाम करना होगा।”
सबकी सहमति से रोज एक एक जानवर को शेर की गुफा में भेजने का निर्णय लिया गया। अब रोज एक जानवर को शेर की गुफा में भेज दिया जाता था।
एक दिन आई खरगोश की बारी। खरगोश बहुत ही चालाक था। वह शेर की गूफा में थोड़ा देर से गया। शेर गुस्से और भूख से बौखलाया हुआ था। शेर ने खरगोश से पूछा, ” इतने देर से क्यो आए जानते नहीं हो कि कौन हूँ मैं?”
तब खरगोश ने कहा ,” महाराज मैं तो समय से आ गया था। लेकिन मुझे रास्ते मे एक दूसरा शेर मिल गया और वह खुद को जंगल का राजा बता रहा था। तब मैं ने उसे डाँठ लगाई और उसकी खबर देने आपके पास आ गया।
” शेर को दूसरे शेर की बात सुनकर बहुत गुस्सा आया। वह खरगोश को लेकर उसके पास जाने लगा।
खरगोश उसे एक कुँए के पास ले गया और उससे कहा कि वह शेर कुँए के अंदर रहता है।
जब शेर ने कुँए के अंदर देखा तो उसे उसकी परछाई नजर आई और अपनी परछाई को दूसरा शेर समझकर वह उसे मारने के लिए कुँए में कूद गया। जिससे उसकी मृत्यु हो गयी और वह मर गया।
पूरे जंगल को एक छोटे से जानवर ने बड़े और खूंखार शेर से छुटकारा दिला दिया।
सीख | Dadi maa ki Kahani : ” कठिन समय मे बुध्दि का प्रयोग और उचित तरकीबें बहुत लाभदायक होती है।
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Dadi man ki Kahani
5. बातूनी कछुआ
एक बार एक कछुआ जंगल के एक तालाब के किनारे रहता था। वहीं बहुत से जलीय जानवर भी रहते थे। तालाब के किनारे ही दो सारस भी रहते थे।
जब कछुआ तालाब के इधर उधर घूमता तो उसे वे सारस दिखाई देते थे। धीरे धीरे, उन में बात चीत हुई और वे कुछ ही समय मे अच्छे दोस्त भी बन गए।
एक बार की बात है, जंगल मे अचानक सूखा पड़ गया। वह तालाब भी सूखने लगा था, जहां पर कछुआ और सारस रहा करते थे। सभी जानवर नये जगह रहने का स्थान खोजने लगे।
अब सारसों ने भी अपने रहने के लिए दुसरे जंगल मे एक नई जगह ढूंढ ली। एक दिन जब कछुआ सारसों से मिलने आया तो एक सारस ने उससे कहा, ” कछुए भाई!
हमने तो अपने रहने के लिए एक नया स्थान खोज लिया है। क्या तुमने भी अपने रहने के लिए नया स्थान ढूंढ लिया? यह जगह तो कुछ दिनों में खाली ही होने वाली है।”
तब कछुआ कुछ परेशान होकर बोला, ” नहीं भाई मैं ने अभी तक कोई रहने की जगह नहीं ढूंढी है।” सारस फिर बोला, ” तुम परेशान न हो। हम तुम्हारे मित्र हैं हम तुम्हारी सहायता करेंगें।”
तब सब ने निश्चय किया कि कछुए को भी वहीं ले जाएंगे जहाँ पर सारस रहने वाले हैं। लेकिन अब एक समस्या आन खड़ी हुई। कछुए की चाल बहुत धीमी थी और सारस उड़कर अपना मार्ग तय करते थे।
तब सारसों ने एक तरकीब लगाई। तरकीब के अनुसार कछुए को अपने मुंह से एक छड़ी पकड़नी थी और उसी छड़ी को दोनो सारस दोनों छोर से पकड़कर उड़ने वाले थे जिससे सब एक साथ नई जगह पर पहुंच सके।
लेकिन चलते समय सारसों ने कछुए को चेतावनी दी थी कि वे रास्ते मे कहीं भी अपना मुंह न खोलें ।
तीनों उड़ गए। रास्ते मे कुछ बच्चे नीचे खेल रहे थे, उन्होंने कछुए को देखकर कह दिया, ” उड़ने वाला कछुआ हा हा हा…”
कछुए ने उत्तेजित होकर अपना मुंह बोलने के लिए खोल दिया और वह नीचे गिरकर मर गया। सारसों को अपने मित्र को खो देने का बहुत दुख हुआ।
सीख | Dadi ki Kahaniyan : ” कभी भी दूसरों की गलत बातों में नहीं आना चाहिए।”
6. गधा और घोड़ा
एक बार एक व्यापारी के पास एक गधा और एक घोड़ा था। व्यापारी गधे से खूब काम करवाता था। लेकिन घोड़े से बहुत कम क्योंकि घोड़ा केवल दौड़ के लिए था।
इस वजह से ही घोड़ा स्वयं को बहुत अच्छा मानता था और मूल्यवान भी।
एक दिन व्यापारी अपने गधे और घोड़े को लेकर बाजार की ओर जा रहा था। वह घोड़े के लिए कुछ आवश्यक सामान लेने के लिए जा रहा था।
साथ ही उसे अपना कुछ सामान निर्यात करना था तो वह उस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपने सामान को गधे के उपर लादकर बाजार ले जा रहा था।
सब बाजार की ओर चल दिये।
गधे के ऊपर जो वजन लदा हुआ था,वह बहुत ही भारी था। जिसकी वजह से गधा थोड़ी ही देर चलने में थक गया। व्यापारी को इस बात का पता नहीं चला।
Dadi amma ki Kahani Moral Part- लेकिन गधे की जब हिम्मत टूटने लगी तो गधे ने घोड़े से मदद मांगते हुए कहा, ” घोड़े भाई मेरे ऊपर बहुत सारा वजन है,
इसकी वजह से मुझसे अब चला भही नहीं जा रहा है। क्या आप इसमें से आधा वजन ले लोगे? “
घोड़ा घमण्ड में था। उसने गधे को साफ मना कर दिया। गधा बहुत उदास हुआ और चलने लगा। कुछ देर बाद गधे को चक्कर आ गया और वह नीचे गिर गया। उसके मुह से झाग भी निकल रहा था।
तो व्यापारी ने सोचा, इसके ऊपर शायद वजन अधिक हो गया था तभी यह नीचे गिर गया है।
यह सोचकर व्यापारी ने घोड़े के ऊपर सारा वजन लाद दिया। और घोड़ा तो मना भी नहीं कर सकता था। वजन वाकई में बहुत भारी था। घोड़ा अब चलते चलते सोचने लगा, ” काश मैने पहले ही गधे की बात मान ली होती तो मुझे अभी इतना कष्ट नहीं झेलना पड़ता।”
सीख | Dadi maa ki Kahaniyan : “जो दूसरों की सहायता करता है, उसकी सहायता करने में भी लोग ततपर रहते हैं अतः दूसरों की सहायता करनी चाहिए।”
Dadi maa ki Kahaniyan
7. भूखी लोमड़ी
बहुत समय पहले की बात है। एक बार एक लोमड़ी जंगल मे खाने की तलाश कर रही थी। वह बहुत ही भूखी थी। उसने 2 दिनों से खाना देखा तक नहीं था।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह खाना कहाँ से ढूंढे। भूखे पेट कुछ काम भी नहीं हो पा रहा था। वह सोच रही थी कि अगर उसे खाने का एक टुकड़ा भी मिल जाए तो,वह उसके लिए बहुत होगा।
क्योंकि फिर वह दिमाग लगाकर कुछ सोच तो सकेगी।
अब वह धीरे धीरे जंगल मे घूमने लगी। तभी उसको एक चिड़िया दिखी। चिड़िया की चोंच में कुछ था। लोमड़ी थोड़ा दूर थी तो उसको नजर नहीं आ रहा था।
जब लोमड़ी चिड़िया के थोड़ा करीब आई तो, उसने देखा कि चिड़िया ने अपनी चोंच में रोटी का एक बहुत बड़ा टुकड़ा दबा रखा था। लोमड़ी उस टुकड़े को उससे छीनने के बारे में सोचने लगी।
Dadi ki Kahaniyan Moral Part- लोमड़ी चालाक थी, तभी उसके मन मे एक युक्ति ने जन्म लिया। अब वह चिड़िया के और करीब आ गयी।
उसने चिड़िया से नमस्कार करते हुए कहा, ” नमस्कार चिड़िया बहन!
आज तो तुम बड़ी ही सुंदर लग रही होमैं ने इससे पहले इतना सुंदर किसी और को नही देखा। मेरे हिसाब से तो तुम्हें ही हमारे जंगल की महारानी होना चाहिए था। “
लोमड़ी उससे यह इसलिए नहीं कह रही थी कि उसको चिड़िया अच्छी लगती है, बल्कि इस कारण कह रही थी, क्योंकि उसे तो चिड़िया के मुख से भोजन छीनना था।
अब जैसे ही चिड़िया ने बोलने के लिए अपना मुंह खोला, उसकी रोटी नीचे गिर गयी और उसके लोमड़ी ने फटाफट झपट लिया। रोटी खाकर फिर वह अपने घर चली गई। चिड़िया बेचारी देखती रह गयी।
सीख | Dadi maa ki Kahani : ” किसी के बहकावे में कभी भी नहीं आना चाहिए। इससे हमारा ही नुकसान होता है।
8. गधे की चतुराई
एक बार एक गांव में एक बढई रहता था। वह बहुत ही मेहनती था। उसने एक गधा पाल रखा था।
वह जब इधर उधर जाता और उसको कोई सामान ले जाना होता तो वह अपने गधे पर रखकर ही ले जाया करता था। गधे के होने से बढई को बहुत मदद मिल जाती थी।
एक बार वह लकड़ी काटने के लिए जंगल मे गया था। वह साथ मे ही अपने गधे को भी जंगल ले गया था।
बढई ने लकड़ियों को काटा और उसको एक जगह पर इकट्ठा किया। अब वह दूसरी जगह गया। लेकिन वह अपने गधे को जंगल के अंदर नहीं लेकर गया और उसको वहीं एक पेड़ से बांध दिया।
गधे की रस्सी अच्छे से नहीं बंधी थी अतः गधे के हरकत करने की वजह से वह खुल गयी और गधा आजाद हो गया। अब वह जंगल में घूमने लगा।
शिकारियों ने जंगली जानवरों को पकड़ने के लिये जंगल मे बहुत से गड्ढे बनाए ठगे। गधे ने नही देखा, और वह जा गिरा एक गड्ढे में। गड्ढा गहरा था। जिस वजह से गधा बाहर न आ सका।
जब बढई लकड़ी तोड़ कर आया तो उसे रस्ते में ही गधा मिल गया ।
Dada Dadi ki Kahani- बढई , लकड़ियों को एक किनारे रख, गधे को बाहर निकालने की कोशिश करने लगा।
बहुत प्रयासों के बाद भी बढई गधे को बाहर न निकाल पाया परेशान होकर उसने गड्ढे में मिट्टी डालना शुरू कर दिया।
वह सोच रहा था कि, गधा वैसे भी बूड़ा हो चुका था, वह मेरे अब किसी काम का नहीं है। वहीं गधे को भी डर लग रही थी कि उसका मालिक उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यो कर रहा है।
बढई अपने कंधों में ही लकड़ियों को लेकर घर चला गया। इधर, गधा मिट्टी में नहीं दबा, बल्कि उसने मिट्टी को अपने पैरों से नीचे को किया और मिट्टी से जब गड्ढा भर गया तब वह छोटा गड्ढा होने की वजह से बाहर आ गया।
अब वह आजाद था। वह खुशी खुशी जंगल मे ही रहने लगा।
सीख | Dadi ki Kahaniyan : ” कभी कभी बुराई के लिए किये गए कार्य भी बहुत सहायता प्रदान करते हैं।”
Dadi ki Kahaniyan
9. नन्ही कोयल की कहानी
एक बार एक घने जंगल मे एक कोयल रहती थी वह बहुत ही अच्छी थी, और अपने जंगल से बहुत प्यार भी किया करती थी।
एक बार किन्ही कारणों की वजह से जंगल मे आग लग गयी और जंगल अब जलने लगा। सभी जानवर अपनी अपनी जान बचाकर भागने लगे।
सब अपने लिए एक अच्छी और सुरक्षित जगह तलाश करने के लिए जंगल से बाहर जा रहे थे।
आग बढ़ती ही जा रही थी। धीरे धीरे चलने वाले कुछ जानवर उस आग का शिकार भी हो गए और वहीं जलकर मर गए।
Dadi ki Kahaniyan Moral Part- इतनी भीषण समस्या के दौरान वह नन्हीं सी कोयल जंगल के पास वाले तालाब से अपनी चोंच में पानी लाकर आग में डाल रही थी। तभी वहां से एक भालू गुजरा।
भालू की गति भी धीमी ही थी तो भालू ने उस कोयल को ऐसा करते हुए देख लिया। उसको हंसी आ रही थी, फिर उसने कोयल को रोक कर पूछा, ” क्यो नन्ही सी कोयल! तुम्हें मजाक लग रहा है क्या!
आग लगी है जंगल मे! कभी भी किसी का भी खेल खत्म हो सकता है। तुम यहाँ खेल क्यों कर रही हो?”
तब कोयल बोली, ” भालू दादा, मैं जानती हूं कि जंगल मे आग लगी है। और मैं कोई खेल नहीं कर रही। यह जंगल मेरी मातृभूमि है। इस जगह से मैं बहुत प्रेम भी करती हूं।
अतः मैं अपने इस प्यारे घर रूपी जंगल को ऐसे नहीं छोड़ सकती। मुझसे जितना हो रहा है, मैं उतना कर रही हूं और ऐसा तब तक करती रहूँगी जब तक मेरे शरीर मे प्राण हैं।”
इतना कहकर वह फिर से पानी लाने चली गयी। भालू को अपनी सोच पर बहुत लज्जा आई और वह फिर चिड़िया के पीछे उसकी मदद करने चल दिया।
सीख | Dadi man ki Kahani : ” मुश्किलों से भागने की बजाय उनका सामना और उनको सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। भागना किसी भी प्रकार का हल नहीं होता है।”
10. धूर्त चूहा
दादी मां की कहानियां- बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में एक मंदिर था। वहां के पण्डित जी वहीं मन्दिर में ही रहा करते थे। पण्डित जी को लोग दक्षिणा के रूप में अन्न ,फल-फूल , कुछ रुपये आदि देकर जाते थे।
जिनसे पण्डित जी अपना खाना पीना कर लेते थे।
एक बार मन्दिर में न जाने कहाँ से एक चूहा घुस आया। चूहे ने मन्दिर में ही अपने कई ठिकाने बना लिए थे। चूहा बहुत ही उद्दंड था। वह अक्सर पण्डित जी का खाना चुरा लेता था,
और उसे ले जाकर अपने बिलों में भर लेता था।
Dada Dadi ki Kahani– पण्डित जी ने चूहे को कई बार पकड़ने का प्रयास किया लेकिन वह हर बार असफल रहे क्योंकि चूहा हर बार उनको चकमा देकर भाग जाता था और पण्डित जी कुछ भी नहीं कर पाते थे।
एक फिन गांव के ही एक मित्र पण्डित जी से भेंट करने के लिए आए थे। पंडित जी और उनके दोस्त जब बात कर रहे थे तभी वह धूर्त चूहा वहां आ गया और पण्डित जी के दोस्त की,
उनके थैले से घड़ी चुरा कर भाग गया और अपने बिल में छिप गया।
दोनो ने यह देख लिया। तब पण्डित जी ने अपने दोस्त को चूहे की पूरी कहानी बता दी। तब पण्डित जी के दोस्त ने कहा, ” चूहे की असली ताकत है भोजन यदि उसे भोजन ही न मिला तो वह दुर्बल हो जाएगा और फिर तुम उसे पकड़ सकते हो।”
पण्डित जी को अपने दोस्त की बात सही लगी। आज से अब वे अपना खाना मन्दिर में रखने की बजाए कहीं और रखने लग गए। चूहा दिन में खाना ढूंढता रहता लेकिन उसको कुछ न मिलता।
कुछ दिनों ऐसे ही चलता रहा और फिर चूहा बिन भोजन के बहुत ही निर्बल हो गया। फिर जब एक दिन पण्डित जी उसके पीछे छड़ी लेकर उसे पकड़ने के लिए दौड़े तो, उन्होंने उसको एक जोर की छड़ी मारी और वह मन्दिर से हमेशा हमेशा के लिए भाग गया।
सीख | Dadi maa ki Kahani : ” अपने शत्रु को कभी भी निर्बल नहीं समझना चाहिए। और यदि उसको हराना है तो पहले उसकी शक्तियों पर हमला कर उन्हें क्षीण करने का प्रयास करना चाहिए।”
Dadi amma ki Kahani
11. टिड्डा और चींटी
एक बार एक जंगल मे एक टिड्डा रहता था। उस ही जंगल में एक चींटी भी रहती थी। एक बार टिड्डा और चींटी एक ही पेड़ पर थे, उन दोनों ने एक दूसरे को देखा, बातचीत हुई और उनकी दोस्ती हो गयी।
अब कभी जब दोनो मिलते तो वे एक दूसरे का अभिवादन करते और खूब बातें किया करते थे।
गर्मियों के दिन थे। उन ही दिनों टिड्डा एक दिन दोपहर का खाना खाकर पेड़ में बैठकर आराम कर रहा था और गाना गुनगुना रहा था। उस ही पेड़ के नीचे चींटी अपनी अन्य साथियों के साथ भोजन इकट्ठा कर रही थी।
अचानक टिड्डे की नजर अपनी दोस्त चींटी पर पड़ी उसने चींटी को रुकवाया और उससे बातचीत करने लगा।
टिड्डा बोला, ” दोस्त तुम इतनी धूप में यह क्या कर रही हो। “
चींटी बोली, ” दोस्त बरसात के दिन नजदीक हैं। उन दिनों खाना ढूंढना बहुत मुश्किल होता है। अतः हम बरसात के लिए भोजन इकट्ठा कर रहे हैं। तुमने क्या अपना भोजन इकट्ठा कर लिया है? जो तुम इतने निश्चिंत हुए हो?”
टिड्डा बोला, ” नहीं दोस्त मैं ऐसा नहीं करता। अभी तो मैं खाना खा कर आराम ही कर रहा था। तुम करो भोजन इकट्ठा, मैं गाना गाता हूँ फिर मैं सो जाता हूँ।”
Dadi ki Kahaniyan Moral Part- चींटी को उस पर गुस्सा आया लेकिन वह बिन कुछ कहे ही अपने झुंड में वापस चले गयी। और भोजन इकट्ठा करने लगी।.
बरसात के दिन शुरू हो गए। शुरू में ही चार- पांच दिन लगातार वर्षा हुई। टिड्डा 4 दिनों से भूखा था बारिश के कारण उसे कहीं भी खाना नही मिला, वह इधर उधर भटकता रहा।
फिर उसे याद आया कि उसकी दोस्त चींटी ने तो खूब सारा भोजन इकट्ठा किया है! क्यो न उसके पास मदद के लिए जाया जाए।
वह चींटी के घर गया और उसका दरवाजा खटखटाया। चींटी ने दरवाजा खोला। तब टिड्डे ने अपना दुख चींटी को बताया।
चींटी को उस पर बहुत गुस्सा आया औऱ वह बोली, ” जब मैं मेहनत से भोजन इकट्ठा कर रही थी तो तुम आराम से सोकर गाना गा रहे थे! अब भुगतो! मुझे आलसी लोग पसन्द नहीं है। तुम चले जाओ यहाँ से, हमने निश्चित खाना इकट्ठा किया है मैं नहीं दे सकती तुम्हें।”
टिड्डा उदास होकर वहां से चल दिया।
सीख | Dadi maa ki Kahaniyan : ” वर्तमान में किये गए आलस की वजह से भविष्य में पछताना पड़ सकता है। अतः आलस्य को कभी नहीं अपनाना चाहिए।”
12. जंगल की सभा
दादी मां की कहानियां- एक गांव के पास एक जंगल था। वहां विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों का बसेरा था। उन सभी मे बहुत ही एकता थी।
माह के अंतिम शनिवार को रात में हर बार उनकी एक सभा होती थी। जिसमे मनोरंजक कार्यक्रमो के साथ साथ, बहुत से मुद्दों पर बात की जाती थी,
और जंगल को आगे बढ़ाने के लिए तथा सभी जानवरो की सुरक्षा के लिए भी फैसले लिए जाते थे।
वहां सभी को बहुत ही अच्छा लगता था और आगे आने का मौका भी मिलता था।
एक दिन ऐसे ही सभा का आयोजन किया जा रहा था। रात्रि हुई और सभा शुरू हुई।
तभी एक जानवर ने पूछा, ” क्या कोई बता सकता है, की हमारे जंगल मे कितने कौए हैं?”
सब इस प्रश्न को सुनकर अचरज में पड़ गए।
Dada Dadi ki Kahani- इस सभा मे कछुआ भी था। वह किसी भी क्रियाकलाप में भाग नहीं लेता था, जिस वजह से उसके साथी उसको चिढ़ाते थे।
आज उसके पास स्वंय को साबित करने का एक सुनहरा मौका था।
वह अपनी जगह से उठा और बोला, ” मुझे इस सवाल का जवाब पता है।”
उस के साथी जो उसको चिढ़ाया करते थे, वे भी वहीं सिबह में मौजूद थे, वे सभी बहुत आश्चर्यजनक ढंग से कछुए को देखने लगे। तभी लोमड़ी बोली, ” सभी को मौका मिलना चाहिए। कछुआ जवाब दे सकता है।”
तब कछुए ने कहा, ” हमारे जंगल में ‘पांच हजार सात सौ चौसठ’ कौए हैं।”
कछुए का जवाब सुनकर उसके मित्र हंसने लगे। तभी लोमड़ी ने सबको शांत कराया औऱ कछुए से पूछा, ” तुम इतना विश्वास से कैसे कह सकते हो? यदि इस संख्या से कम या ज्यादे हुए तो?”
तब कछुए ने बड़ी ही बुध्दिमानी से उत्तर दिया, ” लोमड़ी जी, आप सभी चाहें तो गिन सकते हैं। जिस प्रकार हमारे रिश्तेदार अन्य जंगलों में होते हैं उसी प्रकार कौओं के भी रिश्तेदार अन्य जंगलों में रहते हैं।
यदि मेरी बताई गई संख्या में से एक भी कौआ अधिक हुआ तो, समझ लिजिए कि उनका कोई रिश्तेदार उनसे मिलने के लिए आया है।
और यदि इस संख्या में से एक भी कौआ कम मिला तो समझ लेना कि हमारे जंगल का कौआ दूसरे जंगल अपने रिश्तेदारों से मिलने गया है।”
कछुए की बात सुनकर सब हैरान रह गए। सभी ने इसके लिए ताली बजाई और बड़े लोगो ने इसे शाबाशी दी।
सीख | Dadi ki Kahaniyan : ” शांत मन से प्रश्नों के हल ढूंढने से हर प्रश्न हल हो जाता है।”
Dada dadi ki Kahani
14. बुध्दिमान हंस
एक जंगल मे एक घना वृक्ष था। उस पर बहुत से हंस रहते थे। एक बार उस वृक्ष से छोटी छोटी बेलें ऊपर को आ रही थीं। तो, उन हंसों में से एक बुध्दिमान हंस ने अपने साथियों से कहा कि हमें ये बेले अभी काट देनी चाहिए।
नही तो ये हमारे लिए खतरा बन सकती हैं।
वह हंस बूड़ा था तो किसी ने उसकी बात नहीं सुनी और यह कहकर टाल दिया कि, हंस तो बूड़ा है शायद बुढ़ापे में आकर ऐसा कह रहा है।
समय बीतता गया, किसी ने भी इस समस्या को कभी नहीं देखा, और न ही इस पर गौर किया।
अब वे लताएँ बहुत बड़ी हो चुकी थी, और पेड़ पर इस प्रकार लिपत गयी थी मानो कोई सीढ़ी पेड़ से लगा दी हो।
Dadi maa ki Kahani Moral Part- एक दिन एक बहेलिया उस जंगल मे आया औए उसने वह घना वृक्ष देखा। उसने अपने मन मे सोचा कि यहां तो कोई न कोई आएगा ही।
और यही सोचकर उसने हंसो के पेड़ में जाल बिछा दिया औऱ वहां से चला गया।
उस समय सभी हंस दाना लेने के लिए गए हुए थे।
जब सभी हंस पेड़ पर वापस आया तो, वे जाल में फंस गए। अब वे कुछ भी नहीं कर पा रहे थे। बूढे हंस ने तो सबको पहले ही चेतावनी दी थी। अब सब उनकी बात न मानने पर पछता रहे थे।
सभी ने बूढे हब्स से कोई उपाय सोचने को कहा।
तब हंस बोला, ” इस संसार मे कुछ भी नामुमकिन नहीं होता। तुम्हारी सोच पर ही निर्भर करता है सब। अब कल जब शिकारी हमे लेने आएगा तो सब मेरे इशारे पर जाल सहित ही उड़ जाना। याद रहे हम यह कर सकते हैं।”
अब अगले दिन जब बहेलिया जंगल में आया तो वह बहुत खुश हुआ, बहेलिये ने जाल हटाया ही था कि बूढ़े सरदार ने इशारा कर दिया सभी हंस पूरी जान लगाकर उड़ गए और बहेलिया देखता रह गया।
सीख | Dadi maa ki Kahani : ” आत्मशक्ति और बुद्धि के उचित सन्तुलन से हर असम्भव कार्य भी किया जा सकता है।”
15. ऊंची उड़ान
दादी मां की कहानियां- बहुत समय पहले कि बात है। एक जंगल के पास मे बहुत सारे गिद्ध ऊंची ऊँची चट्टानों में रहा करते थे। उनका पूरा समूह एक साथ रहता था। गिद्ध ऊंची उड़ान के लिए जाने जाते हैं।
तभी शायद उन्होंने अपना रहने का स्थान उस चट्टान को चुना था।
वे चट्टानों से ऊंची उड़ान भरकर शिकार किया करते थे। एक दिन, सभी गिद्ध भोजन की तलाश में बहुत दूर चले गए थे। वे एक ऐसी जगह पर पहुंच गए जहां मछलियों की बहार थी।
उन्हें एक तालाब दिखाई दिया। जिसमें बहुत सारी मछलियां थीं। लेकिन वह तालाब जंगल के पास था तो, वहां जंगली जानवरों का डर लग रहता था।
परन्तु गिद्ध जानवरों से नहीं डरते ठगे क्योंकि वे उड़ना जानते थे और उनको अपने पंखों पर भरोसा भी था।
Dadi amma ki Kahani Moral Part- दो – तीन दिन वहीं रुकने के बाद, एक समझदार गिद्ध बोला , ” यह जगह भले ही लाभदायक हो लेकिन हमें यहां नहीं रहना चाहिए।”
अन्य गिद्धों ने उसकी बात नहीँ मानी। लेकिन वह गिद्ध अकेला ही चट्टानों में चल पड़ा। और वे वही रुक गए।
एक दिन उस गिद्ध को अपने साथियों की बहुत याद आ रही थी तो उसने सोचा कि क्यों न अपने साथियों से मिल आऊं। अब वह उस तालाब के पास जाने लगा।
तालाब के पास जैसे ही वह पहुंचा, वह घबरा गया। वहाँ बहुत सारे गिद्धों के कंकाल पड़े हुए थे और एक गिद्ध घायल हालत में पड़ा हुआ था। वह जल्द से उसके पास गया और उससे पूछा,
” तुम सबकी यह हालत केसे हुई?” तब घायल गिद्ध कराह कर बोला, ” हम सब पर जंगली जानवरों ने हमला कर दिया था लेकिन जैसे ही हम उनसे बचने के लिए उड़ने लगें तो हमारे पंखों ने हमारा साथ नहीं दिया,
और हम उड़ नहीं पाए। जिस कारण जानवरों ने सब पट हमला बोल दिया।” इतना कहकर ही उसने भी अब प्राण त्याग दिए। गिद्ध दुखी होकर वहां से वापस आ गया।
सीख | Dadi man ki Kahani : ” किसी भी वस्तु को जितनी उपयोग की जाए उसकी उपियोगिता भी उतनी अधिक बढ़ती है अतः हमें हट वस्तु का निश्चित रूप से प्रयोग करना चाहिए।”
दादी मां की कहानियां
16. ऋषि और चूहा
एक बार एक आश्रम में एक ऋषि रहते थे। वे बहुत ही ज्ञानी थे और उनके पास बहुत महत्वपूर्ण शक्तियां भी थी। उनके कुछ अनुयायी भी उनकी सेवा करने के लिए उनके साथ आश्रम में रहते थे।
न जाने एक चूहा कहाँ से उनके आश्रम में आ गया और वहीं रहने लगा। चूहा वहीं रहने लगा और वह ऋषि से बहुत प्रेम भी करता था। जब ऋषि ध्यान करते या फिर पूजा में लीन होते तो,
वह चूहा भी ऋषि के साथ बैठ जाता औऱ पूजा में ध्यान लगाता।
लेकिन वह चूहा बिल्लियों और अन्य जंगली जानवरो से बहुत डरता था। जब भी उसे कोई जंगली जानवर दिखाई देता था तो वह आकर ऋषि की कुटिया में छिप जाता था।
Dadi maa ki Kahani Moral Part- ऋषि को भी अब चूहे से लगाव हो गया था। लेकिन उनको चूहे का डरना भी पसन्द नहीं था। उनके पास कुछ दिव्य शक्तियाँ थी। उन्होंने चूहे को उन ही शक्तियों से चूहे से शेर बना दिया।
चूहा बहुत प्रसन्न हुआ और अब वह स्वतंत्र होकर जंगल मे घूम सकता था।
सभी जंगली जानवर अब उससे डरने लगे और उसकी इज्जत करने लगे। लेकिन ऋषि कभी भी उसकी इज्जत नही करते थे और उसके साथ एक चूहे का जैसा ही व्यवहार किया करते थे।
शेर बने चूहे को यह बात पसन्द नहीं थी। शेर ने सोचा, मेरे चूहे होने की बात केवल ऋषि को ही पता है, यदि मैं इसे मार दूँगा तो मुझे कभी भी किसी भी चीज का डर नहीं रहेगा।
यह सोचकर वह द्वेष की भावना के साथ ऋषि के सम्मुख पहुंच गया। ऋषि तो दिव्यदृष्टि वाले थे, उन्हें चूहे की भावना पता लग गयी थी। जैसे ही चूहा उन्हें मारने आया वैसे ही उन्होंने गिर से चूहे को शेर से चूहा बाबा दिया।
चूहे को फिर अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने ऋषि से माफी मांगी।
सीख | Dadi amma ki Kahani : ” बनावटी चेहरों का ढोंग करना उचित नहीं है। हम भले ही बाहर से परिवर्तित हो जाए लेकिन हमारी प्रकृति तो वही रहेगी।”
17. चूहा और भगवान
दादी मां की कहानियां- एक बार एक जंगल मे एक चूहा रहता था। वह बहुत ही डरपोक था। उसे अपना चूहा होना बिल्कुल भी पसन्द नहीं था। वह एक दिन मन्दिर गया और मन्दिर जाकर भगवान से प्रार्थना करने लगा,
” भगवान मुझे चूहा क्यों बनाया, मुझे हमेशा बिल्ली का डर लगा रहता है, पता नहीं कब मैं मर जाऊं! काश मैं बिल्ली होता।” इतना कहकर वह रोने लग गया।
भगवान को उसके ऊपर दया आ गयी और भगवान ने उसे एक बिल्ली बना दिया।
अब बिल्ली बनकर चूहा निश्चिन्त होकर घूमने लगा। फिर एक दिन उसके पीछे एक बड़ा सा कुत्ता पड़ गया और वह बिल्ली डर के मारे एक घर मे घुस गई । उसको बहुत डर लगा।
Dadi amma ki Kahani Moral Part- कुत्ते के जाने के बाद वह फिर से मन्दिर गयी और भगवान को आप बीती हुई सारी बातें बता दी। फिर रोकर बोलने लगी, काश मैं एक कुत्ता होता।
भगवान को दया आई और भगवान ने फिर से चूहे को बिल्ली से बदलकर कुत्ता बना दिया।
कुत्ता बनकर चूहा एक दिन जंगल मे घूमने गया तो, उसके पीछे एक शेर पड़ गया। उसने जौसे तैसे अपनी जान बचाई और फिर मन्दिर में चले गया। मन्दिर में पहुँचकर वह फिर से रोने लगा।
भगवान जी को फिर से उस पर दया आई और उसको शेर बना दिया। अब वह कुछ सन्तुष्ट था। लेकिन अब उसके पीछे एक शिकारी पड़ गया। उसने उसी समय भगवान से प्रार्थना की कि, भगवान जी मुझे इंसान बनना है।
इस बार भगवान जी को उस पर दया नही आई। क्योंकि उसको कुछ भी बना दिया जाता परन्तु उसकी सोच चूहों वाली ही रहती। इस बार भगवान जी ने उसे फिर से चूहा बना दिया।
सीख | Dadi man ki Kahani : ” जो भी अपनी परिस्थितियों से घबराकर भटक जाता है, उसको चाहे कितनी भी सुविधाओं को दे दिया जाए वह असंतुष्ट ही रहता है।”
Grandmother Stories in Hindi
18. शेर और चूहा
एक बार जंगल मे एक शेर एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम कर रहा था। शेर गहरी नींद में सोया हुआ था।
तभी एक चूहा वहां आ गया। और खेलने लगा। उस चूहे का बिल उस पेड़ के पास ही था जहाँ, शेर आराम कर रहा था। चूहे को अभी तक शेर के होने के बारे में पता नहीं था।
नहीं तो इतना तुच्छ से जीव इतनी बड़ी गलती कभी नहीं करता।
चूहा खेलते खेलते, शेर के ऊपर चढ़ गया। शेर के ऊपर कूदना चूहे को बहुत अच्छा लग रहा था। क्योंकि उसके लिए शेर का। शरीर एक गद्दे की भांति था। शेर की नींद अचानक खुली और वह उठ गया।
उसने देखा कि एक छोटा सा चूहा, मेरे ऊपर कूद रहा था। शेर को पहले तो बहुत गुस्सा आया लेकिन फिर उसको चूहे के ऊपर दया आ गयी। वह वहां से उठा और जाने लगा।
तब चूहे ने देखा कि मैं तो एक शेर के ऊपर कूद रहा था, वह बहुत डर गया।
तब शेर पीछे मुड़ा और बोला, ” तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है। “
तब चूहा मुस्कुराया और बोला, “महाराज मेरी जान बख्शने ने लिए धन्यवाद।”
Dadi maa ki Kahani Moral Part- शेर वहां से चला गया। चूहा तो अब एहसान के तले दबा हुआ था। वह भी चाहता था कि वह शेर की सहायता करे , लेकिन वह अभी बहुत छोटा था।
बहुत दिन बीत गए अब शेर एक दिन किसी शिकारी के जाल में फंस गया। शेर बहुत जोर से दहाड़ा। उसकी आवाज पूरे जंगल मे गूंज रही थी। तभी उसकी आवाज चूहे ने सुन ली।
वह चिंतित हुआ और इधर उधर ढूंढने लगा। फिर वह आवाज की दिशा में गया तो उसने देखा कि शेर तो जाल में फंसा हुआ है। वह शेर के पास गया और बोला, ” महाराज आप चिंता मत करिए।
शेर बोला, ” तुम छोटे से हो, मुझे कैसे बचाओगे! जाओ किसी और को बुला लाओ।”
तब चूहा बोला, ” महाराज विश्वास कर के देखिए।”
तब चुहे ने फटाफट से अपने नुकीले दांतों की सहायता से पूरा जाल कुतर दिया।
शेर ने उसका धन्यवाद दिया। और दोनो साथ मिलकर जंगल की ओर चल दिये।
सीख | Dadi ki Kahaniyan : ” छोटा हो या बड़ा कभी न कभी हर कोई किसी की भी सहायता कर सकता है। इसलिए किसी को भी कम महत्वपूर्ण नहीं समझना चाहिए।”
19. गधा और नमक की बोरियां
दादी मां की कहानियां- एक बार एक गांव में एक नमक का व्यापारी रहता था वह समुद्र से नमक आयात करने के बाद उसे शुद्ध करके बाजार में बेचकर आता था। उसके पास बहुत से गधे थे,
जिन पर लाद कर वह नमक बाजार ले जाया करता था।
एक दिन व्यापारी एक गधे के ऊपर नमक की बोरियां लादकर बाजार ले जा रहा था। उन दिनों काम हल्का ही चल रहा था। व्यापारी और गधा बाजार की ओर चल दिये।
बाजार जाने के लिए रास्ते की एक नदी पार करनी होती थी। रोज अन्य गधों के साथ तो वह गधा आराम से नदी पार कर लेता था। लेकिन आज वह अकेला था और उस पर वजन भी काफी था,
तो नदी में उसका संतुलन बिगड़ गया और वह पानी मे फिसल गया।
पानी मे जैसे ही वह फिसला, नमक भी उसके साथ पानी मे गिरा। नामक की बोरिया गीली हो गईं और आधा नमक तो पानी मे बह ही गया । व्यापारी ने उसे उठाया और उसको वैसे ही ले जाने लगा।
अब गधे का बोझ थोड़ा हल्का हुआ। लेकिन उस दिन व्यापारी का काफी नुकसान हो गया था।
Dadi amma ki Kahani Moral Part- गधे को अब बोझ हल्का करने का उपाय पता चल गया था। अब अगले दिन भी व्यापारी उस ही गधे को बाजार लाया।
गधे ने पिछले दिन के जैसे आज भी फिसलने का नाटक किया।
उस दिन भी व्यापारी , गधे को ऐसे ही बाजार ले गया। गधा खुश हुआ।
लेकिन घर जाकर जब व्यापारी इस विषय के बारे में सोच रहा था तो उसे कुछ गड़बड़ लगी।
अब अगले दिन भी व्यापारी उस गधे को लेकर ही बाजार जाने लगा। उस दिन भी गधा फिसला। अब व्यापारी को यकीन हो गया कि गधा जानबूझकर फिसल रहा है।
उस दिन व्यापारी गधे को बाजार ले जाने की जगह वापस घर ले गया। और उसकी खूब पिटाई कर दी। अब गधे को अपनी गलती पर बहुत पछतावा हुआ।
सीख | Dadi maa ki Kahani : “किसी के विश्वास का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए।”
Conclusion | दादी मां की कहानियां
आज आपने पढ़ी Dadi maa ki Kahaniyan. आशा है, आज की यह कहानियां पसन्द आयी होंगी, और इन Dadi man ki Kahani से कुछ नया सींखने को मिला होगा, ऐसी ही अन्य रोचक कहानियां पढ़ने के लिए बने रहे के साथ।