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Spacial Funny Story in Hindi with Images | Short funny Stories

मनोरंजन से भरी Funny Story in Hindi. जिन्हें पढ़कर आपको शेख चिल्ली की शरारतों का पता चलेगा। आशा करते हैं, आपको आज की हमारी यह शेख चिल्ली की कहानियां पसन्द आएंगी।

आज हम आपके लिए लेकर उपस्थित हैं Funny Story in Hindi तो चलिए शुरू करते हैं।


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Funny Story in Hindi


” शेख चिल्ली की लकड़ियां “


   एक बार शेख चिल्ली अपने मित्रों के साथ जंगल मे लकड़ियों को काटने के लिए गए। इससे पहले उन्होंने कभी भी लकड़ियां नहीं काटी थी। जबकि उनके सभी मित्र लकड़ी काटने में माहिर थे।

वे सभी बहुत अच्छे रुपये भी लकड़ियां काटकर ही कमा लेते थे।

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शेख चील्ली भी रुपये कमाने के उद्देश्य से ही जंगल में लकड़ी काटने के लिए गए थे। सब पेड़ पर चढ़े तो, शेख चील्ली भी देखा-देखी, पेड़ पर चढ़ गये। उन्होंने पेड़ से एक बड़ी सी लकड़ी काटी।

फिर वह लकड़ी को देखते हुए सोचने लगे,

 ” वाह! मैं ने यह लकड़ी काट ही ली। अब मैं ऐसी ही अनेक लकड़ियों को लेजाकर बाजार में बेच आऊंगा। जिससे मुझे ढेर सारे रुपये मिल जाएंगे।

रोज इसी प्रकार लकड़ियों को बेचने से मेरे पास रुपये ही रुपये हो जाएंगे। उन रुपयों से मैं अपना खुद का फर्नीचर का व्यापार करूँगा।

  फर्नीचर बेचकर मैं कुछ ही समय मे बहुत अमीर हो जाऊंगा। जिससे कि नगर के राजा स्वंय ही अपनी राजकुमारी का विवाह कराने के लिए मेरे दरवाजे पर आएंगे।

  पहले तो मैं थोड़ा नखरे करूँगा, लेकिन फिर उनकी जिद करने पर मैं मान ही जाऊंगा। हमारी धूमधाम से शादी होगी। पूरा नगर हमारी शादी में आएगा।

मैं अपनी राजकुमारी के लिए एक महल बनवाऊंगा। महल के बागीचे में हम दोनों एक दूसरे से मिलकर ढेर सारी बातें करेंगे। राजकुमारी अपना हाथ आगे बढ़ाएगी और मैं उसका हाथ पकड़ने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाऊंगा। और फिर……..”

   शेख चील्ली समझ रहा था कि राजकुमारी उसके सामने ही है।

उसने लकड़ी की बल्ली को छोड़कर हाथ आगे बढ़ाया। जैसे ही उसका सन्तुलन बिगड़ा वह धड़ाम से नीचे गिर गया। सपने तो टूटे ही टूट साथ ही, उसकी बहुत सी हड्डियां भी टूट गईं।


सीख | Funny Story in Hindi : ” अपने खयाली पुलाव में इतना भी नहीं खोना चाहिए कि वास्तविक जीवन मे पछतावा करना पड़े।”

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Funny Stories in Hindi


” गधे की दुल्हनिया “

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   एक जंगल मे एक शेर रहता था। उसके साथ एक गीदड़ भी। गीदड़ को तो बस भरपेट भोजन चाहिए था, वह शेर के सम्पर्क में भी इसीलिए आया तांकि शेर शिकार करे,

और वह उस शिकार के कुछ हिस्से का आनंद ले सके।

   लेकिन यहां हुआ इसका ठीक उल्टा। शेर जो था, वह बहुत ही बुजदिल और डरपोक था। वह अपने साथी शेरों, जो कि उसी की उम्र के थे, उनसे युद्ध मे हार हार कर परेशान हो गया था।

औऱ अपने झुंड से निकलकर वह उस नए जंगल मे आया था। अब गीदड़ को ही शिकार में शेर की मदद करनी पड़ती।

   एक बार शेर ने साहस करा, और चल दिया अकेले, शिकार पे, बिना गीदड़ की मदद के तांकि गीदड़ के मन मे उसके प्रति भय बना रहे।

उसको जंगल मे ही एक सांड मिल गया। सांड को देखते ही, शेर शिकार करने के उद्देश्य से छिप गया। जैसे ही मौका मिला, शेर ने जंगली सांड पर आक्रमण किया।

इससे पहले की वह आक्रमण कर पाता जंगली सांड ने उसे जोर से लात मारी। शेर की तो चीख निकल गयी। सांड ने फिर उसे खूब मारा। जैसे तैसे शेर अपनी जान बचाकर वहां से भागा।

शेर बुरी तरह से जख्मी हो चुका था।

  बहुत दिन बीत गए। गीदड़ और शेर दोनो ही भूखे थे और न ही शेर के घाव भर पा रहे थे। तब शेर ने गीदड़ से कहा, ” अब तुम्हें ही कुछ करना होगा भोजन के लिए”।

गीदड़ तो खूद ही डरपोक था। उसने एक योजना बनाई औऱ शेर को भी उसमे शामिल किया।

   अब गीदड़ शेर के बारे में बड़बड़ाते हुए गांव की तरफ गया। वहां उसने एक गधे को देखा, वह उसके पास गया और बोला, ” नमस्कार चाचा जी! कैसन हो?

हम आपको नई घास की जगह बताने आए हैं और हां एक गुप्त खबर भी है! वहां बगल के गांव की गधी भी आई है। उसे वह जगह बहुत पसंद आ गयी है और अपने लिए वर खोज रही है।

तुम तो खूबसूरत भी हो और जवान भी , तो मैं ने सोचा आपको बता ही दूँ।”

  गधा तो अपनी दुल्हनिया के बारे में सोचकर बहुत खुश हुआ और चल पड़ा गीदड़ के साथ। जब वह दोनो जंगल मे पहुंचे, शेर, योजना के अनुसार झाड़ी के पीछे खड़ा था।

गधे को उसकी चमचमाती हुई आंखे दिख गयी।

गधे वहां से दुम दबाकर भाग गया। तब गीदड़ भी उसके पीछे पीछे गया। गीदड़ ने पूछा क्या हो गया चाचा, चाची से मिले बिना ही आ गए?”

  गीदड़ ने उसे शेर की आंखों के बारे में बताया। तब गीदड़ हंसा और, बोला, ” क्या बात करत हो चाचा! वह तो आपकी ही दुल्हनिया थी। जो आपका बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।”

  तब गधे को लगा कि वह डर के मारे ही यह सब सोच रहा था। वह जंगल मे फिर से गया और इस बार शेर ने पीछे से उस पर वार कर दिया।

गधा अब अपनी दुल्हनिया का ही शिकार हो गया। और शेर का तो यह अपने पूरे जीवन का पहला शिकार था।


सीख | Funny Story in Hindi : ” चापलूसी करने वालों की बातों में कभी नहीं आना चाहिए।”

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Short Moral Stories


” पजामे की गाथा “

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   एक बार एक गांव में दीनु नाम का लड़का अपनी मां के साथ रहता था। दीनु अक्ल का थोड़ा कच्चा था। उसकी मां उससे बहुत परेशान रहती थी।

  एक दिन दीनु की मां बाहर कपड़े सुखाकर आई। उस दिन बाहर हवा चल रही थी। दीनु की मां ने सोचा, जब कपड़े सूख जाएंगे तो, मैं कपड़ो को उठाकर ले जाऊंगी।

लेकिन थोड़ी ही देर में हवा तेज होने लग गई। औऱ फिर तेज हवाओं ने आंधी और बवंडर का रूप ले लिया। दीनु की मां द्वारा सुखाए गए कपड़े भी उसी बवंडर में उड़ गए।

   सभी लोग डर के मारे अपने अंदर आ गए, साथ ही जो-जो सामान हाथ पड़ा तो, वो भी अपने साथ ले आए। लेकिन दीनु की मां ने कपड़े अंदर नहीं रखे थे।

Funny Stories in Hindi Intrusting Part :  अंदर जाने के बाद उसे याद आया कि अरे मैने तो कपड़ों को बाहर ही छोड़ दिया है। उसने खिड़की खोल कर देखी तो,

बाहर के सारे कपड़े उड़ रहे थे।

   जब आंधी थमी तो गांव के सभी लोग अपना-अपना समान ढूंढने के लिए घर से बाहर निकले। दीनु की मां भी अपने कपड़ों को लेने के लिए बाहर आई। सब कपड़े इधर उधर पड़े हुए थे।

दीनु की मां ने सभी कपड़े उठाए औऱ अंदर आ गयी। दीनु तो अपने सपने में खोया हुआ था। तभी उसकी मां बोली, ” दीनु उठ! जाकर बाहर देख कर आ।

सारे कपड़े तो मुझे मिल गए बस तेरा पजामा नहीं मिला। शायद वह उड़कर कुएं में जा गिरा है। जा और ढूंढ कर अपना पजामा ले आ।”

  तब दीनु के चेहरे पर हंसी आयी और वह बोला,

” मां अच्छा ही हुआ जो मेरा पजामा उस कुँए में जा गिरा। यह भी तो सोचो, कि यदि वह पजामा मैं ने पहना हुआ होता तो पजामे के साथ-साथ मैं भी कुँए में गिर गया होता और अभी तक तो मैं भगवान को प्यारा भी हो गया होता।”

  उसकी मां उसकी बात सुनकर आश्चर्य में पड़ गयी। और मन ही मन उसकी बुद्धि को कोसने लगी।”


सीख | Funny Story in Hindi : ” बुद्धिहीन व्यक्ति से कभी भी काम की बात नही करनी चाहिए।”

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Short Funny Story in Hindi


” शेख चील्ली की चिठ्ठी “


   एक बार शेख चील्ली के भाई की तबियत बहुत ही खराब हो गयी। वह दुसरे गांव में रहते थे और शेख चील्ली भी अलग गांव में रहते थे।

  शेख चील्ली के भाई ने अपने बीमार होने की खबर अपने भाई तक एक चिट्ठी द्वारा पहुंचाई। तब का समय अभी के समय जितना विकसित नहीं था।

अतः तब चिट्ठी इधर से उधर पहुंचाने के लिए डाक, डाकिया आदि की व्यवस्था नहीं थी। उस समय के लोग इधर उधर जाने वाले मुसाफिरों के हाथ से चिट्ठियो को आपमें रिश्तेदारों तक पहुंचाया करते थे।

    जब शेख चील्ली को अपने बीमार भाई का पता लगा तो, वह बहुत दुखी हुआ।

और उसने सोचा कि मुझे भी अपने भाई का हाल चाल पूछने और उनके जल्द ही ठीक हो जाने की बात का संदेश चिट्ठी के माध्यम से उन तक पहुंचाना चाहिए।

अब शेख चील्ली ने चिट्ठी तो लिख दी। उस चिट्ठी उनके भाई तक पहुंचाने की समस्या खड़ी हो गयी।

   जब शेख चील्ली नाई के पास गया तो नाई बोला, ” मेरी तबियत खराब चल रही है कुछ दिनों से तब मैं किसी गांव नहीं जा पा रहा हूँ। तुम किसी और को खोज लो। “

  नाई ही एकमात्र डाकिया था, जो कि लोगो की चिट्ठियां दुसरे गांवों तक पहुंचाता था।

गांव में फसल पक चुकी थी। अतः किसी मुसाफिर की भी कहीं जाने की उम्मीद बहुत कम थी। अब शेख चील्ली ने ही निश्चय किया कि मैं ही यह चिट्ठी अपने भाई तक पहुँचाऊंगा।

   अगले दिन सुबह होते ही, शेख चील्ली चल पड़ा अपने भाई के गांव की ओर। शाम होने तक वह अपने भाई के गांव में पहुंच भी गया। लेकिन जैसे ही वह अपने भाई के घर पर पहुंचा,

उसने दरवाजा खटखटाया और जब उसके बीमार भाई ने दरवाजा खोला, शेख चील्ली ने वह चिट्ठी अपने भाई को थमा दी। और स्वयं उल्टे पैर चल पड़ा अपने गांव की ओर।

Funny Stories in Hindi Intrusting Part : उसका बीमार भाई खांसते हुए इसके पीछे दौड़ा। उसने बहुत आवाज भी लगाई। तब जाकर, वह रुका और बोला,

” भाई साहब मुझे जाने दो मेरा काम था आप तक चिट्ठी पहुंचाना अब मैं चलता हूँ।”

  तब उसका बीमार भाई उसे समझाते हुए बोला, ” भाई तुम उतनी दूर से चलकर आए हो, कुछ चाय नाश्ता तो कर के जाओ। “

  तब शेख चील्ली बोला, ” नहीं नहीं भाईसाहब! आप समझ नहीं रहे हैं। मैं यहाँ आपकी खैर ख़बर की चिट्ठी पहुंचाने ही आया था। नाई के बदले। अब मुझे जाने दो।”

   तब उसके भाई ने औऱ जिद की। तो शेख चील्ली बोला, ” अरे भाईजान बड़े ही अड़ियल किस्म के इंसान हो आप। नाई बीमार था, तो उसकी जगह मैं आपको चिट्ठी पहुंचाने के लिए आया हूँ।

मुझे अभी घर भी पहुंचना है। बहुत व्यस्त हूँ मैं यदि मेरे पास समय होता तो, मैं नाई की जगह , खुद ही नहीं आ जाता आपसे मिलने?”

इतना कहकर शेख चील्ली वापस दौड़ता हुआ अपने घर चले गए। और उसकी बातों को सुनकर उसका भाई वहीं बेहोश हो गया।


सीख | Funny Story in Hindi : ” मूर्खो से तर्क करने का कोई लाभ नहीं। वे वैसा ही करते हैं, जैसा वे करना चाहते हैं। फिर चाहे वह सही हो या गलत।”


Conclusion


आज आपने पढ़ी Funny Story in Hindi. आशा करते हैं आपको आज की हमारी यह कहानियां पसन्द आएंगी, ऐसी ही और कहानियां पढ़ने के लिए बने रहें के साथ।

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