6 Spacial Jungle Ki Kahani in Hindi with Images | जंगल की कहानियां
मनोरंजन और प्रेरक सीखों से भरी Jungle Ki Kahani. जिन्हें पढ़कर आपको बहुत कुछ सींखने के साथ साथ आपका मनोरंजन भी होगा।
आज हम आपके लिए लाए हैं जंगल की कहानियां, तो चलिये शुरू करते हैं Jungle Story in Hindi.
Jungle Ki Kahani
” कबूतर और मधुमक्खी “
एक बार एक मधुमक्खी सुबह सुबह उड़कर अपने लिए फूलों से रस के रूप में भोजन लेने के लिए जा रही थी। उसका छत्ता जंगल की नदी के किनारे वाले पेड़ पर था।
उस ही पेड़ पर एक कबूतर भी रहा करता था। लेकिन दोनो में से कोई भी एक दूसरे को नहीं जानते थे।
उस दिन जब वह मधुमक्खी उड़कर जा रही थी तो वह नदी के ऊपर से होती हुई जा रही थी। अचानक तभी एक हवा का तेज झोंका आया और वह मधुमक्खी जाकर नदी के पानी मे गिर गयी।
जिस वजह से उसके पूरे पंख गीले हो गए।
वह अब उड़ नहीं सकती थी। मधुमक्खी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। मधुमक्खी के पंख गीले होना अर्थात उसकी मृत्यु निश्चित होती है। वह बहुत डर गई।
पेड़ पर कबूतर बैठा हुआ था। उसकी नजर जब नदी में पड़ी तो उसने देखा कि उसके ही पेड़ पर एक छत्ते में रहने वाली मधुमक्खी संकट में पड़ गयी है।
उसने कुछ सोचा और फिर पेड़ से एक पत्ता अपनी चोंच से तोड़कर उसने मधुमक्खी की ओर फेंक दिया।
डूबते को तिनके का सहारा मिला।
किसी तरह मधुमक्खी पत्ते के ऊपर आई। थोड़ी देर के बाद उसके पंख सूख गए। अब वह उड़ सकती थी। मधुमक्खी उड़कर वापस पेड़ पर आई और उसने कबूतर का धन्यवाद भी दिया। फिर वह अपने लिए फूल का रस लेने के लिए चले गई।
बहुत दिन बीत गए। फिर एक दिन कबूतर यूं ही गुनगुनाते हुए पेड़ की एक डाली पर सोया हुआ था। तभी कुछ शरारती बच्चे उस पेड़ के नीचे आ गए।
बच्चों के पास गुलेल थी वह बहुत देर से किसी पक्षी को गुकेल का शिकार बनाने की तलाश में थे और वे बच्चे किसी पक्षी का शिकार करना चाहते थे।
अब मधुमक्खी उस ही समय अपना खाना ढूंढने से लौटी थी, मधुमक्खी ने उन बच्चों को देख लिया। और उनकी गुलेल को भी। बच्चे ने कबूतर की ओर गुलेल करके निशाना साधा।
अब मधुमक्खी को बच्चे की करनी के बारे मे पता लग गया। इससे पहले की बच्चा कबूतर पर गुलेल चला पाता, मधुमक्खी ने जाकर बच्चे के हाथ मे डंक मार दिया। गुलेल नीचे गिर गयी और बच्चा जोर जोर से रोने लगे गया।
बच्चे की चिल्लाने की आवाज सुनकर कबूतर जग गया। उसने सब देखा और सारी बात उसे समझ मे आ गयी। बच्चा रोते रोते अपने घर चल दिया और कबूतर ने भी मधुमक्खी का धन्यवाद दिया।
और आपस मे अच्छे मित्र भी बन गए।
सीख | Jungle Ki Kahani : ” हमे हमेशा कठिनाई में फंसे हुए लोगों की सहायता करनी चाहिए।”
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” बैल औऱ मेंढक “
जंगल के किनारे एक तालाब था। तालाब में बहुत से मेंढक रहते थे। जिनमें से कुछ मेंढक बुजुर्ग थे और कुछ बच्चे। बच्चे मेंढक अक्सर खेलते खेलते तालाब से बाहर निकल जाया करते थे।
उन्हें बाहर की दुनिया के बारे में पता नहीं था।
उनके बुजुर्ग मेंढकों ने उन्हें बाहर की दुनिया के बारे में चेताया था कि बाहर बहुत ही भयंकर और बड़े बड़े जानवर घूमते हैं जो कि, हमे हानि पहुंचा सकते हैं। उनसे सदा दूर ही रहना।
एक दिन ऐसे ही बच्चे मेंढक तालाब से बाहर आए और खेलने लग गए। खेलते खेलते उन्हें पता ही नहीं लगा कि कब वे तालाब से दूर आ चुके हैं।
तभी एक बैल तालाब की ओर पानी पीने के उद्देश्य से चलता हुआ आया। मेंढक बच्चों ने, उस बैल को देख लिया। बैल उस ही दिशा में चला आ रहा था , जिस दिशा में बच्चे मेंढक खेल रहे थे।
जैसे ही मेंढकों ने बैल को देखा, उनकी तो सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गयी। उन्होंने इतना विशालकाय जानवर इससे पहले कभी भी नहीं देखा था।
क्योंकि वह तालाब की ओर ही जा रहा था तो, बच्चे जल्दी से कूद कूदकर तालाब की ओर ही चल पड़े, सबको इस विनाशकारी जानवर के बारे में बताने के लिए। उन्हें तालाब में जाते ही उनकी मां दिखी।
एक बच्चे ने बोला, ” मां बाहर बहुत बड़ा और डरावना जानवर आया है। वह हमारे तालाब को नष्ट करने के लिए ईधर ही चला आ रहा है।”
सभी बच्चे डरे हुए थे। तब उनकी मां ने अपना पेट फुलाया और कहा, ” देखो बच्चो क्या वह मुझसे भी बड़ा जानवर था?”
बच्चे बोले, ” नही मां वह आपसे भी बहुत बड़ा था।”
फिर से मेंढकी ने अपना हाथ पैर और शरीर और अधिक फुलाया और बच्चों से पूछा, ” अब बताओ ! क्या वह इससे भी बड़ा था?”
मेंढक बच्चे एक स्वर में बोले, ” हां मां आपसे भी बड़ा।”
इस प्रकार मेंढकी अपना शरीर फुलाते गयी और अपनी तुलना बैल से करने लगी। अपनी तुलना करते करते, उसने अपना शरीर बहुत अधिक फुला दिया।
एक स्थिति ऐसी आई कि उसका पेट ही फट गया। वह तड़प तड़प कर मर गयी। बच्चे मेंढक, सबको उस बड़े जानवर से बचाने के लिए आए और वहां अपनी मां को ही उन्होंने खो दिया।
सीख | Jungle Story in Hindi : ” झूठी शान और झूठा अभिमान हमेशा ही विनाश का कारण बनता है ।”
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Jungle Story in Hindi
” भेड़िया और पेड़ “
एक लड़का अपनी भेड़ – बकरियों को लेकर चराने के लिए रोज जंगल लेकर जाया करता था। उसका कोई साथी नहीं था। इसलिए वह अकेले ही जंगल मे जाता था, अपने मवेशियों को चराने।
वह सुबह अकेला जाता, मवेशियों को चरने के लिए छोड़कर बहुत बोर हो जाता था। उसके पास कोई काम नहीं होता था इसलिए वह वहीं पर सो जाता था।
शाम को फिर सभी भेड़ बकरियों को इकट्ठा कर के वह फिर से अपने घर लौट जाता था। वह जंगल के अधिक भीतर नहीं जाता था इसलिए जंगली जानवरों का खतरा कम ही होता था।
जिसके कारण वह निश्चिंत होकर दिन में सो जाता था।
एक दिन जब वह जंगल मे बकरी चराने के लिए गया तब, उसने रोज की ही तरह जंगल में अपने जानवरों को चरने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया और खुद एक अच्छी छांव वाली जगह देखकर सोने लगा।
उस दिन उसे नींद ही नहीं आ रही थी। अब कोई काम नहीं होने के कारण वह बहुत परेशान हुआ।
जंगल आने से पहले बहुत से खेत रास्ते में पड़ते थे। जिन पर दिन में गांव के किसान आकर खेती करते थे। तो उस दिन उस लड़के के मन मे शैतानी सूझी और वह उस ही समय जोर जोर से चिल्लाने लगा,
” बचाओ…! बचाओ…! भेड़िया आया, बचाओ..!”
लड़के की आवाज, खेतो तक जा रही थी। किसान लड़के की आवाज सुनकर फौरन अपना काम-धंधा छोड़कर उसके पास आए। उनमें से एक किसान बोला, “बच्चे डरो नहीं बताओं, कहाँ है भेड़िया?”
तब लड़का हंसने लगा और बोला, ” हा हा हा..! भेड़िया तो नहीं है यहाँ कहीं। मैं तो मजाक कर रहा था।”
किसानों ने उसे इस बात पर बहुत डाँटा और वहां से चले गए। कुछ दिनों के बाद भी लड़के ने यही नाटक रचा और उसको उस दिन भी किसानों ने बहुत डाँठ लगाई।
उस दिन लड़के की समझ मे आया कि मुझे इस प्रकार किसी को परेशान नहीं करना चाहिए।
अब उसके ही अगले दिन उस जंगल मे सचमुच एक भेड़िया आ गया।लड़का पेड़ पर चढ़ गया और खूब जोर से चिल्लाने लगा। ” बचाओ….! बचाओ…!”
उस दिन किसानों ने सोचा कि वह लड़का आज भी नाटक कर रहा है। सब अपने अपने काम मे ही लगे रहे।
वहां भेड़िये ने 2-3 भेड़ों को मार डाला और एक बकरी का बच्चा अपने साथ लेकर चल दिया। उस दिन लड़के को अपनी की गई भूल पर बहुत दुख हुआ।
सीख | Jungle Ki Kahani : ” झूठे व्यक्ति की सही और सच्चाई भरी बातों का भी कोई विश्वास नहीं करता। ”
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” स्वार्थी मित्र “
Hindi Jungle Story – एक जंगल मे एक खरगोश रहा करता था। खरगोश बहुत ही अच्छा और परोपकारी था। वह आवश्यकता पड़ने पर सभी की मदद किया करता था।
अतः उसे सभी अच्छा मानते थे और उसको अपना मित्र भी समझते थे। खरगोश भी सबको अपना मित्र ही समझता था।
मगर एक दिन संकट में सबकी सहायता करने वाला खरगोश स्वंय ही संकट में पड़ गया। खरगोश के पीछे जंगल के कुछ शिकारी कुत्ते पड़ गए। वह अपनी जान बचाकर भागने लगा।
वह भागता रहा। थोड़ी देर भागते भागते वह थक गया । और अब उसको दौड़ने की भी सामर्थ्य नहीं थी। उसने मन ही मन सोचा, ” यदि कोई जल्द ही मेरी सहायता के लिए नहीं आया तो मैं इन शिकारियों द्वारा मारा जाऊँगा।
हे ईश्वर! कृपया कर मेरी सहायता करें। और मेरे किसी मित्र को मेरी सहायता के लिए इधर भेज दें।”
तब उसे सामने से घोड़ा आते हुए दिखा। वह झटपट घोड़े के पास गया और उससे बोला, ” घोड़े भाई ! मुझे तुम्हारी सहायता चाहिए, मेरे प्राण संकट में हैं।
कृपया कर मेरी सहायता कर दो। मुझे आप अपनी पीठ पर बैठाकर कहीं और ले जाओ।”
तब घोड़ा बोला, ” भाई खरगोश मैं तुम्हारी सहायता तो कर देता लेकिन, मुझे अभी किसी कार्यवश कहीं जाना है अतिशीघ्र! वह देखो तुम्हारा मित्र बैल इधर आ रहा है।
तुम उस से कहो वह तुम्हारी सहायता जरूर करेगा।” इतना कहकर घोड़ा दौड़ता हुआ चला गया।
अब खरगोश बैल के पास गया और बोला, ” बैल मित्र कृप्या मेरी सहायता कर दो। मेरे पीछे शिकारी कुत्ते पड़े हुए हैं। वह मेरे प्राण हरना चाहते हैं। कृपया कर मुझे बचा लो।”
बैल बोला, ” मैं तुम्हारी सहयता तो कर देता लेकिन मुझे अपने अन्य बैल मित्रों से मिलने जाना है। वह मेरा इंतजार कर रहे होंगे। तुम्हारा दोस्त बकरा भी इसी ओर आ रहा है मैं ने उसे देखा है रास्ते मे, तुम उससे मदद मांग लो। वह तुम्हारी सहायता जरूर करेगा।”
खरगोश दौड़ा दौड़ा आगे गया और, बकरे के पास पहुंच गया। खरगोश बोला, ” भाई मेरी सहायता कर दो। मेरे पीछे शिकारी कुत्ते पड़े हुए हैं। जो कि मेरी जान लेना चाहते हैं।”
बकरा बोला, ” भाई सुनकर बहुत दुख हुआ। मैं तुम्हारी सहायता तो कर देता लेकिन देखो मेरी पीठ कितनी खुरदरी है। तुम इसमें बैठोगे तो तुम्हें बहुत तकलीफ होगी। वह देखो तुम्हारी मित्र भेड़ भी इसी तरफ आ रही है। वह तुम्हें आरामदायक पीठ पर बैठाकर बचा लेगी। तुम उसके ही पास जाओ।”
Jungle ki Kahani Moral Part- खरगोश अब भेड़ के पास गया और उसने भेड़ से भी मदद मांगी लेकिन भेड़ ने भी कुछ बहाना बनाकर उसकी सहायता करने से साफ इनकार कर दिया।
अब खरगोश बहुत हताश हो चुका था। वह मन मे सोच रहा था कि मैं ने मुसीबत पड़ने पर सबकी सहायता की। लेकिन अभी मैं संकट में हु तो मेरी सहायता कोई भी नहीं कर रहा।
यहाँ सब अपने स्वार्थ के लिए ही मित्रता करते हैं।
अब उसने सब ईश्वर के भरोसे छोड़ दिया और जाकर एक बिल में छिप गया। कुत्ते आए और फिर जब खरगोश नहीं मिला तो वे वहां से चले गए। खरगोश बहुत दुखी हो गया था।
वह फिर अपनी जान बचाकर उस जंगल से हमेशा हमेशा के लिए चला गया।
सीख | Jungle Story in Hindi : ” स्वार्थी मित्रों का होना न होना एक ही बराबर है क्योंकि वे अपना काम तो निकलवा लेते हैं परन्तु आवश्यकता पड़ने पर कभी सहायता नहीं करते।”
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Jungle ki Kahaniyan in Hindi
” चूहा और साधु “
एक घना जंगल था। जंगल के बीचोबीच एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर था, जिस मन्दिर में एक साधु रहता था। वह साधु उस मंदिर में, बहुत समय से रहता आ रहा था ,
और मन्दिर में आए लोगों की सहायता और सेवा किया करता था। भिक्षा मांगकर जो कुछ भी उसे मिलता वह उसे उन लोगों को दान कर देता जो दूर से आकर उस मंदिर साफ़ करने में उसका सहयोग करते थे।
उस मंदिर में एक चूहा भी रहता था। वह चूहा अक्सर उस साधु का रखा हुआ अन्न खा जाता था। साधु ने चूहे को कई बार भगाने की कोशिश की लेकिन वह चकमा देकर छिप जाता।
उसने अपना बिल मन्दिर के ही एक कोने में बनाया हुआ था। साधु ने उस चूहे को पकड़ने के लिए बहुत प्रयास किये । लेकिन वह हरबार असफल रहे।
साधु एक दिन परेशान होकर, जंगल से बाहर गांव में अपने एक मित्र के पास गए।
Jungle ki Kahani Moral Part- साधु के मित्र ने उसे एक योजना बताई कि चूहे ने मंदिर में अपना कहीं बिल बना रखा होगा और वह वहां अपना सारा खाना जमा करता होगा।
अगर उसके बिल तक पहुंचकर सारा खाना निकाल लिया जाये तो चूहा खुद ही कमजोर होकर मर जायेगा। साधु ने अपने मित्र की बात मान ली। वह अपने मित्र को भी जंगल के बीच मे स्थित मनसिर में ले आया।
अब साधु और उसके मित्र ने जहाँ तहाँ बिल खोजना शुरू कर दिया। अंततः उनको बिल मिल ही गया जिसमें चूहे ने खूब सारा अन्न चुराकर इकठ्ठा कर रखा था।
बिल खोदकर सारा अन्न बाहर निकाल दिया गया। अब चूहे को खाना नहीं मिला तो वह कमजोर हो गया और साधु ने अपनी छड़ी से कमजोर चूहे पर हमला किया।
अब चूहा डर कर भाग खड़ा हुआ और जंगल मे ही कहीं चला गया। वह लौटकर कभी भी वापस मन्दिर नहीं आया।
सीख | Jungle Ki Kahani : ” चतुराई करने वाले का भी एक न एक दिन अंत हो ही जाता है। “
” चार मित्र “
Hindi Jungle Story – एक जंगल मे हिरन, कछुआ, कौआ और चूहा रहते थे। उन चारों में बहुत ही गाढ़ी मित्रता थी। चारों एक दुसरे से बहुत प्रेम किया करते थे।
सभी दोस्त सुख में तो एक साथ रहते थे ही, साथ ही कठिनाई आने पर ढाल बनकर एक दुसरे की सहायता करते थे और एक-दूसरे को संकट से भी बचाते थे।
एक बार जंगल में एक शिकारी आ गया। वह जंगल मे किसी अच्छे एयर महंगे जानवर को फंसाने के लिए आया था ताकि वह उस जानवर को बाजार में बेच कर उससे अच्छे खासे रुपये कमा सके। शिकारी ने अपना जाल बिछा दिया। और शिकारी के उस जाल में उन दोस्तों में से एक हिरन उस जाल में फंस गया।
अब बेचारा हिरन असहाय सा जाल में फंसा था उसे लगा कि आज मेरी मृत्यु निश्चित है। इस डर से वह घबराने लगा। तभी उसके मित्र कौए ने ये सब देखा और उसने कछुआ और चूहे को भी हिरन की सहायता के लिए बुला लिया।
कौए ने जाल में फंसे हिरन पर इस तरह चोंच मारना शुरू कर दिया जैसे कौये किसी मृत जानवर की लाश को नोंचकर खाते हैं। अब शिकारी को लगा कि कहीं यह हिरन मर तो नहीं गया।
Jungle ki Kahani Moral Part- तभी कछुआ उसके आगे से गुजरा। शिकारी ने सोचा हिरन तो मर गया इस कछुए को ही पकड़ लेता हूँ,
इसको बेचकर बीबी मैं बहुत से रुपये कमा सकता हूँ।
यही सोचकर वह कछुए के पीछे पीछे चल दिया। इधर मौका पाते ही चूहे ने अपने नुकीले दांतों की सहायता से हिरन का सारा जाल काट डाला और उसे आजाद कर दिया।
शिकारी कछुए के पीछे- पीछे जा ही रहा था कि तभी कौआ उड़ता हुआ आया और कछुए को अपनी चौंच में दबाकर उड़ाकर ले गया।
इस तरह सभी मित्रों ने मिलकर एक दूसरे की जान बचायी। शिकारी वहां देखता ही रह गया और निराश होकर वहां से चला गया।
सीख | Jungle Story in Hindi : ” एकता की शक्ति से बड़ी कोई भी शक्ति नहीं होती। “
Conclusion | जंगल की कहानियां
आज आपने पढ़ी Jungle ki Kahani आशा करते हैं आपको आज की यह Jungle Story in Hindi पसन्द आईं, और इन जंगल की कहानियां से बहुत कुछ सीखने को मिला।
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