23+ Special Kahani Lekhan in Hindi with Example | हिंदी कहानी लेखन
प्रेरणा भरी इन मोरल कहानियों से सीखिए, उत्तम Kahani Lekhan in Hindi. इस पोस्ट में आपको कहानी लेखन के बेस्ट उदाहरण मिलेंगे। देखिए इन कहानियों को और सीखिए 23+ Best Hindi Kahani Lekhan-
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Kahani Lekhan in Hindi
” नन्ही चिड़िया का प्रयास “
एक बार एक घने जंगल में बहुत भीषण आग लग गई। जंगल मे आग की घटनाएं बहुत देखी जाती हैं। जिनका कारण मनुष्य होते हैं।
जंगल की आग बढ़ती ही जा रही थी। किसी को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था, कि करें तो क्या करें। सब जानवर अपना अपना घर छोड़कर दुज़रे जंगल मे जाने की तैयारी कर रहे थे।
बड़े जानवर और पक्षी अपने अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हो रहे थे। थोड़ी ही देर में जंगल मे भगदड़ मच गई। सभी अपनी अपनी जान बचाने में लगे हुए थे।
वहीं जंगल मे एक नन्ही सी चिड़िया थी,
उसने सभी परिस्थितियां देखी और उसको अपने सभी साथियों की बहुत चिता हो रही थी। उसने सोचा,
मुझे अपने साथियों की मदद करनी चाहिए और अपने घर को बचानी चाहिए।
जंगल के पास में ही एक छोटा सा तालाब था। नन्ही चिड़िया, उस तालाब में गयी, अपनी चोंच में पानी भरा और जंगल में आकर जंगल की आग को बुझाने के लिए प्रयास करने लगी।
वह बार बार जंगल जाती अपनी चोंच में पानी भरकर जंगल लाती और जंगल की आग बुझाने का प्रयास करती रहती। तभी उसे एक बन्दर दिखाई दिया,
जो स्वंय भी पलायन कर ने के लिए पूरी तैयारी करके बैठा था।
वह बहुत समय से नन्ही चिड़िया को देख रहा था। चिड़िया भी तक रही थी लेकिन मुँह से उफ्फ किये बिना ही लगातार अपना काम कर रही थी। बन्दर चिड़िया के पास गया और उससे पूछा,
” बहिन यह क्या कर रही हो! तुम्हे नही जाना क्या अपने लिए नयी जगह खोजने?”
तब चिड़िया बोली, ” मेरा जंगल ही मेरा घर है। यही मेरे सुख दुःख में मेरा साथी था। अब जब इसको मेरी जरूरत है तो मैं इसे छोड़कर कैसे जा सकता हूँ। मुझे मेरे संस्कार यह नही सिखाते हैं।
अतः इसको बचने के लिए मुझसे जो भी बन पड़ेगा मैं जरूर करूँगी।” इतना कहकर चिड़िया फिर से अपने काम मे लग गयी।
बन्दर, चिड़िया से बहुत प्रभावित हुआ। उसने सोचा, ” जब इतनी छोटी सी चिड़िया अपने अंदर इतनी अच्छी भावना रख सकती है तो मैं क्यों नही?”
अब बन्दर बीबी चिड़िया की मदद करने लगा।
थोड़ी ही देर में आसमान में घनघोर बादल छा गए और वर्षा होने लगी। बन्दर और चिड़िया बहुत खुश हुए। बरसात के पानी से थोड़ी ही देर में पूरी जंगल की आग बुझ गयी। उन्होंने ईश्वर का धन्यवाद दिया।
सीख | Kahani Lekhan in Hindi : ” ईश्वर भी उन्ही के साथ होते हैं, जो अपने कार्य को पूरी निष्ठा और लगन के साथ करते हैं।”
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” ब्राह्मण और तीन ठग “
एक बार एक ब्राह्मण अपनी बकरी को अपने कंधे पर रखकर मन्दिर में पूजा के लिए ले जा रहा था। वह अपने रास्ते मे सीधा सीधा चलता जा रहा था।
तभी गांव के तीन ठगों की नजर ब्राह्मण पर पड़ी, और उन्होंने उस बकरी को भी देखा। बकरी को देखते ही ठगों के मुह में पानी आ गया। अब तीनों उस बकरी को चुराने की योजना बनाने लगे।
उन्होंने एक योजना बनाई औऱ जिसके अनुसार पहला ठग ब्राह्मण के पास गया एक साधारण युवक बनकर गया और बोला, “
नमस्कार ब्राह्मण जी! कैसे है आप? तबियत तो ठीक है न?”
ब्राह्मण बोला , ” तबियत को क्या होगा! तबियत बिल्कुल ठीक है।”
ठग बोला, ” अरे मैं तो इसलिए पूछ रहा हूँ क्योंकि आपने अपने कुत्ते को कंधे पर उठा रखा है न!”
ब्राह्मण बोला, ” कुत्ता? नहीं तो , यह तो एक बकरी है। मेरी बकरी मैं इसे पूजा के लिए ले है रहा हूँ।”
तभी ठग जोर जोर से हंसा और वहां से चला गया।
अब दूसरा ठग भी युवक बनकर वहां आया। वह ब्राह्मण से चलते हुए बोला, ” प्रणाम ! मान्यवर आप इस कुत्ते को अपने कंधे में लिए कहाँ जा रहे हैं।
कुत्ता तो जमीन पर भी चल सकता है न! आप स्वयं को क्यो गंदा कर रहे हो! कोई तकलीफ तो नहीं है इसे?”
ब्राह्मण सोच में पड़ गया। वह बोला,” भाई मैं तो अपनी बकरी को ही लाया था मेरे कंधे पर!!”
युवक बोला, ” नहीं नहीं यह तो एक कुत्ता है। रुकिए पीछे से जो व्यक्ति आएगा उससे पुच्छवाता हूँ।”
तभी योजना के अनुसार तीसरा ठग भी वहां आ पहुंचा। दूसरे ठग ने उस तीसरे आए ठग को रोका। वह रुक गया। अब दुसरे नम्बर के ठग ने तीसरे ठग से पूछा,
” भाईसाहब! जरा बताइये तो! यह जानवर कौन सा है! तब वह बोला , ” भैया आपको नहीं दिख रहा है क्या? यह तो एक कुत्ता है। लेकिन महाशय आपने इसे अपने ऊपर क्यो उठाया है?”
वह हंसने लगा। फिर दोनो वहां से चले गए। बाद में जाकर तीनों ठग आपस मे मीले, और छिपकर ब्राह्मण को देखने लगे।
अब ब्राह्मण का माथा सनक गया। उसने बकरी को नीचे उतारा। उसने सोचा, यह बकरी के रूप में कोई राक्षस है जो कि, बार बार अपना रूप कभी कुत्ते के रूप में कभी बकरी के रूप में बदल रहा है।
ब्राह्मण ने बकरी को वही छोड़ दिया और स्वयं मन्दिर की ओर चले गए।
ठग आए और बकरी को उठाया औए वहां से निकल गए। उनकी योजना आज सफल हुई।
सीख | Hindi Kahani Lekhan : ” जब तथ्य स्पष्ट हो तो, दूसरों की कही बातों पर कभी भी स्वयं को भटकाना नहीं चाहिए। “
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Hindi Kahani Lekhan
” प्यासा कौआ “
एक बार की बात है। गर्मियों के दिन थे, दोपहर के समय बहुत ही तेज गर्मी पड़ रही थी। सभी जानवर जंगल से पानी की तलाश में इधर उधर यहां से वहां, भटक रहे थे।
एक कौआ था वह भी पानी की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। लेकिन उसे कही भी पानी नहीं मिला। अंत में वह थका हुआ एक बाग में पहुँचा। वह पेड़ की शाखा पर बैठा हुआ था ,
की अचानक उसकी नजर वृक्ष के नीचे पड़े एक घड़े पर गई। उसमे शायद पानी हो, इस आशा से वह उड़कर घड़े के पास चला गया।
वहां जाकर उसने देखा कि घड़े में तो थोड़ा पानी है. वह पानी पीने के लिए नीचे झुका लेकिन उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी। ऐसा इसलिए हो रहा था,
क्योंकि घड़े में पानी बहुत कम था। अब कौआ बहुत ही दुखी हुए। पानी के इतने करीब होते हुए भी वह अपनी प्यास नहीं बुझा पा रहा था।
लेकिन वह कौआ हताश नहीं हुआ बल्कि पानी पीने के लिए उपाय सोचने लगा। जमीन में उसे कुछ कंकड़ दिखाई दिए। तभी उसे एक उपाय सूझा।
उसने आस पास बिखरे हुए कंकर उठाकर घड़े में डालने शुरू कर दिए। लगातार पानी में कंकड़ डालने से पानी ऊपर आ गया। फिर उसने आराम से सन्तुष्ट होकर पानी पिया और उड़ गया।
सीख | Kahani Lekhan Hindi : ” मुसीबत के समय बुध्दि का प्रयोग करना चाहिए। जहां कोई रास्ता नहीं होता मंजिल तक पहुंचने का, वहां कहीं न कहीं कोई उम्मीद की किरण तो होती ही है।”
” लोभ “
एक नगर में अशोक नाम का एक अमीर व्यापारी रहता था। वह मेहनती भी था। उस के पास बहुत अधिक धन था।
एक दिन उसने अपनी पत्नी दीपा को करोडो रूपये का एक हार तोहफे के रूप में उपहार दे दिया जिस कारण उसकी पत्नी दीपा को उस हार से काफी लगाव था।
एक बार उन्होंने सोचा कि भगवान की कृपा से हमारे पास सब कुछ है। हमे भी अब कुछ दान-पुण्य करना चाहिए। यह सोचकर वे दोनों एक धर्म यात्रा पर निकले।
धर्मयात्रा में चलते चलते वे एक तीर्थ नगरी में पहुंचे जहाँ बंदरो का बहुत ही आतंक था। वे किसी की भी चीज यूं ही उठाकर ले जाते थे।
अचानक एक नटखट बन्दर दीपा के गले के हार को झपटकर ले गया और उस बन्दर ने उसे एक ऊँचे पेड़ की टहनी में टांग दिया। यह वही हार था जिसे अशोक ने उसे दिया था, जो कि बहुत कीमती भी था।
दीपा ने उस हार को निकालने की कोशिश की पर वह हर बार असफल हुई और उसे देखकर वहां और लोग भी उस हार को निकालने में जुट गये। लेकिन वे लोग भी उस नेकलेस को निकालने में असमर्थ रहे।
अचानक लोगो को लगा की बन्दर ने उस नेकलेस को नीचे बहते गंदे नाले में गिरा दिया। कुछ लोगो ने उस नेकलेस को निकालने के लिए नाले में छलांग लगा दी। तभी उधर से गुजर रहे एक सन्त को यह सब देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ।
उन्होंने गौर से देखा तो पाया की जिस हार को पाने के लिए लोग नाले में कूदे है, वह नेकलेस तो अभी भी पेड़ में लटक रहा है,
वे वहां रुके और उन्होंने उन लोगो से कहा की आप जिस चीज को एक नाले में पाने की कोशिश कर रहे हो, वह तो सिर्फ उसकी परछाई है।असली चीज तो अभी भी पेड़ से लटक रही है।
यह सब देखकर वे लोग हैरान हो गये। कड़े प्रयासों के बाद जाकर वह हार दीपा को वापस मिल पाया।
सीख | Kahani Lekhan in Hindi : ” लोभ अच्छे अच्छे मनुष्यो की ईमानदारी को डगमगा देता है। अतः कभी भी लोभ के मायाजाल में न फंसें।”
Kahani Lekhan Hindi
” घोड़े की पूँछ में घण्टी “
एक गांव में एक मूर्ख रहता था। वह अपनी मूर्खता के लिए पूरे गांव में प्रसिद्ध था। वह लाख जतन कर ले अपनी चालाकी करने की लेकिन कोई न कोई कार्य वह ऐसा कर जाता,
कि उसकी सारी चालाकी धरि की धरी रह जाती थी।
एक बार वह अपनी बकरी और घोड़े को बेचने के लिए बाजार की ओर निकल पड़ा। उसने अपनी बकरी के गले मे घण्टी बांधी थी,
जिसकी आवाज से उसको बकरी के होने का पता चल सके औऱ वह स्वयं घोड़े पर बैठा था। उसने बकरी को एक रस्सी के सहारे से घोड़े की पूँछ पर बांध दिया था।
और वह घोड़े की लगाम कसकर आगे की ओर चलता ही जा रहा था। पीछे से घण्टी की आवाज भी आ ही रही थी।
जब वह बाजार जा रहा था, तो उसे वहां जाते हुए, तीन ठगों ने देख लिया जो कि उस मूर्ख को भली भांति जानते थे। अब उन्होंने मूर्ख व्यक्ति के घोड़े और बकरी को चुराने की योजना बनाई।
मूर्ख व्यक्ति घोड़े में सवार होकर चलता ही जा रहा था। अब योजना के अनुसार, पहला ठग, चुपचाप घोड़े के पीछे गया। और बकरी के गले से घण्टी निकाल कर घोड़े की पूँछ पर बांध दी।
मूर्ख व्यक्ति को पता ही नहीं लगा और ठग उसकी बकरी को वहाँ से ले गया।
अब ठग दूसरा आगे से आया। उसने मूर्ख व्यक्ति से कहा, ” अरे भाई, घोड़े की पूँछ पर घँटी काहे बांधी है? विचित्र घोड़ा है क्या! हा हा हा…”
तब आदमी घबरा गया। वह बोला, ” नहीं नहीं घण्टी तो मैं ने बकरी के गले मे बांध रखी है।”
तब तीसरा ठग दौड़कर आया। और वहां आकर हांफते हुए बोला, ” अरे भाइयों तुम में से किसी की बकरी चोरी हुई है क्या? मैं ने अभी अभी एक आदमी को एक बकरी को हाथ मे पकड़े भागते हुए देखा।”
यह बात सुनकर जब मूर्ख व्यक्ति ने पीछे मुड़ कर देखा तो पीछे कोई न था। हां लेकिन घण्टी जरूर थी, जो कि घोड़े की पूँछ पर बंधी थी।
मूर्ख व्यक्ति रोने लगा, ” हाय मेरी बकरी को कौन ले गया। कोई मेरी बकरी ल दो…!” यह सब कहने लगा।
तब तीसरा ठग फिर बोला, ” वह अभी ज्यादा दूर नहीं निकला होगा। यदि आप मुझे अपना घोड़ा दे तो मैं उसे पकड़ सकता हूं। जल्दी करिए अभी देर नहीं हुई है।”
तब मूर्ख व्यक्ति नीचे उतर गया और बोला, ” यह लो मेरा घोड़ा ले जाओ। और मेरी बकरी को ले दो।”
दोनो ठग घोड़े में बैठकर वहां से रफ्फूचक्कर हो गए। और मूर्ख इंतजार ही करता रह गया।
सीख | Hindi Kahani Lekhan : ” मूर्खता का परिणाम कभी भी लाभकारी नहीं होता।”
” ऊंट का घमंड “
बहुत समय पहले की बात है। एक गांव में एक जुलाहा रहता था। वह बहुत गरीब था। उसकी शादी बचपन में ही हो गई थी। बीवी आने के बाद घर का खर्चा बढना ही था।
यही चिन्ता उसे खाए जाती। फिर गांव में अकाल भी पडा। लोग कंगाल हो गए। जुलाहे की आय एकदम खत्म हो गई। उसके पास शहर जाने के सिवा और कोई चारा न रहा।
शहर में उसने कुछ महीने छोटे-मोटे काम किए। थोडा-सा पैसा अंटी में आ गया और गांव से खबर आने पर कि अकाल समाप्त हो गया हैं, वह गांव की ओर चल पडा।
रास्ते में उसे एक जगह सडक किनारे एक ऊंटनी नजर आई। ऊटंनी बीमार नजर आ रही थी और वह गर्भवती थी। उसे ऊंटनी पर दया आ गई। वह उसे अपने साथ अपने घर ले आया।
घर में ऊंटनी को ठीक चारा व घास मिलने लगी तो वह पूरी तरह स्वस्थ हो गई और समय आने पर उसने एक स्वस्थ ऊंट बच्चे को जन्म दिया।
ऊंट बच्चा उसके लिए बहुत भाग्यशाली साबित हुआ।
कुछ दिनों बाद ही एक कलाकार गांव के जीवन पर चित्र बनाने उसी गांव में आया। पेंटिंग के ब्रुश बनाने के लिए वह जुलाहे के घर आकर ऊंट के बच्चे की दुम के बाल ले जाता।
लगभग दो सप्ताह गांव में रहने के बाद चित्र बनाकर कलाकार चला गया।
इधर ऊंटनी खूब दूध देने लगी तो जुलाहा उसे बेचने लगा। एक दिन वह कलाकार गांव लौटा और जुलाहे को काफी सारे पैसे दे गया, क्योंकि कलाकार ने उन चित्रों से बहुत पुरस्कार जीते थे
और उसके चित्र अच्छी कीमतों में बिके थे। जुलाहा उस ऊंट बच्चे को अपना भाग्य का सितारा मानने लगा।
कलाकार से मिली राशी के कुछ पैसों से उसने ऊंट के गले के लिए सुंदर-सी घंटी खरीदी और पहना दी। इस प्रकार जुलाहे के दिन फिर गए। वह अपनी दुल्हन को भी एक दिन गौना करके ले आया।
ऊंटों के जीवन में आने से जुलाहे के जीवन में जो सुख आया, उससे जुलाहे के दिल में इच्छा हुई कि जुलाहे का धंधा छोड क्यों न वह ऊंटों का व्यापारी ही बन जाए।
उसकी पत्नी भी उससे पूरी तरह सहमत हुई। अब तक वह भी गर्भवती हो गई थी और अपने सुख के लिए ऊंटनी व ऊंट बच्चे की आभारी थी।
जुलाहे ने कुछ ऊंट खरीद लिए। उसका ऊंटों का व्यापार चल पड़ा।अब उस जुलाहे के पास ऊंटों की एक बडी टोली हर समय रहती। उन्हें चरने के लिए दिन को छोड दिया जाता।
ऊंट बच्चा जो अब जवान हो चुका था उनके साथ घंटी बजाता जाता।
एक दिन घंटीधारी की तरह ही के एक युवा ऊंट ने उससे कहा “भैया! तुम हमसे दूर-दूर क्यों रहते हो?”
घंटीधारी गर्व से बोला “वाह तुम एक साधारण ऊंट हो। मैं घंटीधारी मालिक का दुलारा हूं। मैं अपने से ओछे ऊंटों में शामिल होकर अपना मान नहीं खोना चाहता।”
उसी क्षेत्र में वन में एक शेर रहता था। शेर एक ऊंचे पत्थर पर चढकर ऊंटों को देखता रहता था। उसे एक ऊंट और ऊंटों से अलग-थलग रहता नजर आया।
जब शेर किसी जानवर के झुंड पर आक्रमण करता हैं तो किसी अलग-थलग पडे को ही चुनता हैं। घंटीधारी की आवाज के कारण यह काम भी सरल हो गया था।
बिना आंखों देखे वह घंटी की आवाज पर घात लगा सकता था।
दूसरे दिन जब ऊंटों का दल चरकर लौट रहा था तब घंटीधारी बाकी ऊंटों से बीस कदम पीछे चल रहा था। शेर तो घात लगाए बैठा ही था।
घंटी की आवाज को निशाना बनाकर वह दौडा और उसे मारकर जंगल में खींच ले गया। ऐसे उसका घमण्ड हमेशा के लिए उस घण्टी की ही तरह शांत हो गया।
सीख | Kahani Lekhan Hindi : ” दुसरो से ईर्ष्या और स्वयं पर घमण्ड करने का परिणाम घातक ही होता है।”
कहानी-लेखन
” चूहा औऱ ऋषि “
एक वन में एक ऋषि अपनी कुटिया में रहते थे। वे बहुत ही ज्ञानी थे। उन्होंने कई वर्षों तक हिमालय की बर्फीले शिखर पर तपस्या कर बहुत सी शक्तियां अर्जित की हुई थी।
उनकी कुटिया पर बहुत दिनों से एक चूहा भी रहता आ रहा था। चूहा ऋषि से बहुत प्रेम किया करता था। जब वे तपस्या में मग्न होते तो वह बड़े आनंद से उनके पास बैठा भजन सुनता रहता।
यहाँ तक कि वह स्वयं भी ईश्वर की उपासना करने लगा। लेकिन कुत्ते, बिल्ली और चील, कौवे आदि से वह सदा डरा-डरा और सहमा हुआ सा रहता था।
उसे डर था कि कहीं किसी दिन ये उसे खा न जाएं।
एक बार ऋषि के मन में उस चूहे के प्रति बहुत दया आ गयी। वे सोचने लगे कि यह बेचारा चूहा हर समय डरा सा रहता है, क्यों न इसे शेर बना दिया जाए।
ताकि इस बेचारे का डर समाप्त हो जाए और यह बेधड़क और बिना किसी डर के हर स्थान पर घूम सके। ऋषि बहुत बड़ी दैवीय शक्ति के स्वामी थे।
उन्होंने अपनी तपस्या से कई शक्तियां हांसिल की हुई थी। उन्होंने अपनी शक्ति के बल पर उस चूहे को शेर बना दिया और सोचने लगे की अब यह चूहा किसी भी जानवर से न डरेगा और निर्भय होकर पूरे जंगल में घूम सकेगा।
लेकिन चूहे से शेर बनते ही चूहे की सारी सोच बदल गई। वह सारे वन में बेधड़क घूमता. उससे अब सारे जानवर डरने लगे और प्रणाम करने लगे. उसकी जय जयकार होने लगी।
Kahani Lekhan in hindi with points Moral Part : किन्तु ऋषि यह बात जानते थे कि यह मात्र एक चूहा है. वास्तव में शेर नहीं है।
अतः ऋषि उससे चूहा समझकर ही व्यवहार करते। यह बात चूहे को पसंद नहीं आई की कोई भी उसे चूहा समझ कर ही व्यवहार करे। वह सोचने लगा,
की ऐसे में तो दूसरे जानवरों पर भी बुरा असर पड़ेगा. लोग उसका जितना मान करते है, उससे अधिक घृणा और अनादर करना आरम्भ कर देंगे।
अतः चूहे ने सोचा कि क्यों न मैं इस ऋषि को ही मार डालूं, फिर न रहेगा बाँस, न बजेगी बांसुरी। यही सोचकर वह ऋषि को मारने के लिए चल पड़ा।
ऋषि ने जैसे ही क्रोध से भरे शेर को अपनी ओर आते देखा तो वे उसके मन की बात समझ गये।उनको शेर पर बड़ा क्रोध आ गया। अतः उसका घमंड तोड़ने के लिए ऋषि ने अपनी दैवीय शक्ति से उसे एक बार फिर चूहा बना दिया।
सीख | Kahani Lekhan in Hindi : ” अपनी स्थितियों के सुधर जाने पर, या फिर अपना विकास होने पर भी अपने पुराने दिन नहीं भूलने चाहिए। और सभी के साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार रखना चाहिए।”
” बिल्ली और पंजा “
कहानी-लेखन- किसी नदी के किनारे एक गाँव बसा हुआ था। उस गाँव में अनेक तरह के काम धंधे करने वाले लोग रहते थे। उस गाँव में चार बहुत ही अच्छे मित्र रहते थे,
उनका नाम अशोक, विमल, सुरेश और दीपक था। वे रुई का व्यापार करते थे।
एक बार उनके गोदामों में बहुत सारे चूहे हो गए। वे प्रतिदिन बहुत सारा रुआ खराब कर देते थे। उन्हें रोज चूहो की वजह से रुई का बहुत नुकसान हो रहा था।
एक दिन वे इसका कुछ उपाय ढूंढने के लिये सलाह करने आये।
अशोक बोला, “मित्रों!चूहों ने हमारा बहुत नुकसान किया हैं। हमें इसका कोई उपाय सोचना चाहिये।”
विमल ने कहा,” हाँ! यह सही बात हैं। मैं तो कहता हूँ कि चलो चूहों को पकड़ने वाला एक पिंजरा खरीद लेते हैं।”
सुरेश बोला, “पिंजरा? एक पिंजरे में केवल एक ही चूहा आएगा। और यहां चूहे बहुत सारे हैं। चूहों को मारने की दवाई ही खरीद लेते हैं। उससे चूहे मर जाएँगे।”
दीपक ने कहा, “दोस्तों, जब चूहों को मारना ही हैं तो सबसे अच्छा हमें एक बिल्ली पाल लेनी चाहिये। बिल्ली चूहों को मार कर खा भी जायेगी और हमें कुछ खरीदना भी नहीं पड़ेगा।”
Story Writing in Hindi Moral Part: बिल्ली पालने की बात सबको बहुत अच्छी लगी, उन्होंने एक बिल्ली पाल ली और लेकिन बिल्ली सबकी जिम्मेदारी थी।
अतः उसका एक-एक पंजा देखभाल के लिए सबने आपस में बांट लिया।
अशोक ने आगे का दायाँ पंजा लिया। विमल ने आगे का बायाँ पंजा लिया। पीछे का दायाँ पंजा सुरेश और, बायाँ पंजा दीपक ने लिया।
अब चारों बिल्ली के एक-एक पंजे की देखभाल करने लगे। बिल्ली रोज चूहों को खाने लगी। उनके गोदामों में चूहों की संख्या कम होने लगी, यह देख चारों मित्र बहुत खुश थे।
एक दिन बिल्ली के आगे के दायाँ पैर में कुछ चोट लग गयी, उस पैर की देखभाल अशोक कर रहा था। उसने बिल्ली के पैर में थोड़ा तेल लगाकर एक कपड़े से बांध दिया। बिल्ली को कुछ आराम हुआ,
वह फिर लंगड़ाकर चलने लगी।
रात के समय बिल्ली गोदामों में चूहे की तलाश कर रही थी, उसकी नजर एक चूहे पर गयी। बिल्ली ने उसे झपट्टा मारा, लेकिन वह चूहा भाग गया। अब बिल्ली उसका पीछा करने लगी,
चूहा भागते – भागते एक जलते हुये दीपक के पास से गुजरा, बिल्ली भी उसका पीछा कर रही थी।जैसे ही बिल्ली उस दीपक के पास से गुजरी तभी बिल्ली के पैर में जहाँ तेल और कपड़ा बंधा हुआ था,
वहाँ पर दीपक से, आग पकड़ गयी। अब बिल्ली आग से छटपटा कर भागने लगी, वह घबराकर इधर से उधर भाग रही थी। उसके पैर से अब सभी रुई में आग फैलने लगी।
बिल्ली के भागने से पूरे गोदाम में आग लग गयी।
Kahani Lekhan in Hindi with Points Moral Part : उसी समय अशोक को यह बात पता चली- उसने तुरंत बिल्ली को बचा लिया,
लेकिन गोदाम में रखी सारी रुई जल गयी। अब तीनों दोस्त आशोक पर आरोप लगाने लगे। उनका कहना था,
कि बिल्ली के जिस पंजे से आग लगी हैं वह अशोक का हैं। इसलिए अशोक ही अपराधी हैं, उसे ही नुकसान की भरपाई करनी चाहिये। लेकिन अशोक ने इनकी बात मानने से मना कर दिया,
अब चारों शिकायत लेकर गाँव के पंचायत पहुँचे।
पंचायत के लोगों ने इनकी बात सुनी, और फिर कहा- देखो, अशोक के हिस्से का जो पंजा था आग उसमें लगी थी। लेकिन अकेला पंजा तो नहीं चल सकता हैं।
तुम तीनों के हिस्से के पंजे ने ही अशोक के हिस्से के पंजे को चलाया इसलिये नुकसान की भरपाई अकेले अशोक नहीं करेगा। वह अपराधी नहीं हैं। गलती तुम चारों की हैं।
इसलिए नुकसान की भरपाई भी तुम चारों मिलकर करोगे। पंचायत का फ़ैसला सभी ने माना। अब सब सन्तुष्ट हो गए।
सीख | Hindi Kahani Lekhan : ” कठिनाई के समय सभी को मिलकर कार्य करना चाहिए। न कि एक दुसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करना चाहिए।”
Story Writing in Hindi
” ढोंगी शियार “
कहानी-लेखन- बहुत समय पहले एक सियार एक घने जंगल मे रहता था। वह बहुत आलसी था। पेट भरने के लिए खरगोशों व चूहों का पीछा करना व उनका शिकार करना उसे बडा भारी लगता था।
शिकार करने में परिश्रम तो करना ही पडता हैं न।
दिमाग उसका शैतानी था। अपनी बुद्धि का प्रयोग करके वह ऐसी ही योजना बनाता रहता कि कैसे ऐसी युक्ति लडाई जाए जिससे बिना हाथ-पैर हिलाए भोजन मिलता रहे।
एक दिन उसी सोच में डूबा वह सियार एक झाडी में दुबका बैठा था।
बाहर चूहों की टोली उछल-कूद व भाग-दौड करने में लगी थी। उनमें एक मोटा-सा चूह था, जिसे दूसरे चूहे ‘सरदार’ कहकर पुकार रहे थे और उसका आदेश मान रहे थे।
सियार उन्हें देखता रहा। उसके मुंह से लार टपकती रही। फिर उसके दिमाग में एक तरकीब आई।
जब चूहे वहां से गए तो उसने दबे पांव उनका पीछा किया। कुछ ही दूर उन चूहों के बिल थे।सियार ने उनका बिल देख लिया। अब सियार वापस लौटा।
दूसरे दिन प्रातः ही वह उन चूहों के बिल के पास जाकर एक टांग पर ख्डा हो गया। उसका मुंह उगते सूरज की ओर था। आंखे बंद थी।
चूहे बोलों से निकले तो सियार को उस अनोखी मुद्रा में खडे देखकर वे बहुत चकित हुए। एक चूहे ने जरा सियार के निकट जाकर पूछा “सियार मामा, तुम इस प्रकार एक टांग पर क्यों खडे हो?”
सियार ने एक आंख खोलकर बोला “मूर्ख, तुने मेरे बारे में नहीं सुना कभी? मैं चारों टांगें नीचे टिका दूंगा तो धरती मेरा बोझ नहीं सम्भाल पाएगी। यह डोल जाएगी।
साथ ही तुम सब नष्ट हो जाओगे। तुमहारे ही कल्याण के लिए मुझे एक टांग पर खडे रहना पडता हैं।”
चूहों में कुछ बातचीत हुई। वे सियार के निकट आकर खडे हो गए। चूहों के सरदार ने कहा “हे महान सियार, हमें अपने बारे में कुछ बताइए।”
सियार ने अपनी मनघड़ंत कहानी बोली “मैने सैकडों वर्ष हिमालय पर्वत पर एक टांग पर खडे होकर तपस्या की। मेरी तपस्या समाप्त होने तक एक टांग पर खडे होकर तपस्या की।
मेरी तपस्या समाप्त होने पर सभी देवताओं ने मुझ पर फूलों की वर्षा की। भगवान ने प्रकट होकर कहा कि मेरे तप से मेरा भार इतना हो गया हैं कि मैं चारों पैर धरती पर रखूं तो धरती फट जाएगी।
धरती मेरी कॄपा पर ही टिकी रहेगी। तबसे मैं एक टांग पर ही खडा हूं। मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण दूसरे जीवों को कष्ट हो।”
सारे चूहों का समूह महातपस्वी सियार के सामने हाथ जोडकर खडा हो गया। एक चूहे ने पूछा “तपस्वी मामा, आपने अपना मुंह सूरज की ओर क्यों कर रखा हैं?”
सियार ने उत्तर दिया “सूर्य की पूजा के लिए।”
“और आपका मुंह क्यों खुला हैं?” दूसरे चूहे ने कहा।
“हवा खाने के लिए! मैं केवल हवा खाकर जिंदा रहता हूं। मुझे खाना खाने की जरुरत नहीं पडती। मेरे तप का बल हवा को ही पेट में भांति-भांति के पकवानों में बदल देता हैं।” सियार बोला।
उसकी इस बात को सुनकर चूहों पर जबरदस्त प्रभाव पडा। अब सियार की ओर से उनका सारा भय जाता रहा। वे उसके और निकट आ गए।
अपनी बात का असर चूहों पर होता देख ढोंगी सियार मन ही मन में खूब हंसा। अब चूहे महातपस्वी सियार के भक्त बन गए। सियार एक टांग पर खडा रहता और चूहे उसके चारों ओर बैठकर ढोलक, मजीरे,लेकर उसके भजन गाते।
भजन किर्तन समाप्त होने के बाद चूहों की टोलियां भक्ति रस में डूबकर अपने बिलों में घुसने लगती तो सियार सबसे बाद के तीन-चार चूहों को दबोचकर खा जाता। फिर रात भर आराम करता।
सुबह होते ही फिर वह चूहों के बिलों के पास आकर एक टांग पर खडा हो जाता और अपना नाटक जारी रखता। धीरे धीरे चूहों की संख्या कम होने लगी।
Story Writing in Hindi Moral Part: चूहों के सरदार की नजर से यह बात छिपी नहीं रही। एक दिन सरदार ने सियार से पूछ ही लिया “हे महात्मा सियार,
मेरी टोली के चूहे मुझे कम होते नजर आ रहे हैं। ऐसा क्यों हो रहा हैं?”
सियार ने आर्शीवाद की मुद्रा में हाथ उठाया “हे चतुर मूषक, यह तो होना ही था। जो सच्चे मन से मेरी भक्ति लरेगा, वह सशरीर बैकुण्ठ को जाएगा। बहुत से चूहे भक्ति का फल पा रहे हैं।”
चूहो के सरदार ने देखा कि सियार मोटा हो गया हैं। कहीं उसका पेट ही तो वह बैकुण्ठ नहीं हैं, जहां चूहे जा रहे हैं?
चूहों के सरदार ने बाकी बचे चूहों को चेताया और स्वयं उसने दूसरे दिन सबसे बाद में बिल में घुसने का निश्चय किया। भजन समाप्त होने के बाद चूहे बिलों में घुसे। सियार ने सबसे अंत के चूहे को दबोचना चाहा।
चूहों का सरदार पहले ही चौकन्ना था। असलियत का पता चलते ही वह उछलकर सियार की गर्दन पर चढ गया और उसने बाकी चूहों को हमला करने के लिए कहा। साथ ही उसने अपने नुकीले दांत सियार की गर्दन में गढा दिए। बाकी चूहे भी सियार पर झपटे और सबने कुछ ही देर में महात्मा सियार को कंकाल सियार बना दिया। केवल उसकी हड्डियों का पिंजर बचा रह गया। अब सियार भी बैकुंठ सिधार गया।
सीख | Kahani Lekhan Hindi : ” किसी का भी किसी भी प्रकार का ढोंग अधिक नही चलता। अतः ढोंग से बचकर ही रहना चाहिए तथा ढोंगियों से भी।”
” लोमड़ी और बकरी “
कहानी-लेखन- बहुत समय पहले की बात है, एक लोमड़ी जंगल मे घूमते-घूमते एक कुएं के पास पहुंच गई। लोमड़ी ने कुएं की ओर ध्यान नहीं दिया। परिणाम हुआ कि बेचारी लोमड़ी कुएं में गिर गई।
कुआं अधिक गहरा तो नहीं था, परंतु फिर भी लोमड़ी के लिए उससे बाहर स्वंय निकल पाना सम्भव नहीं था। लोमड़ी अपनी पूरी शक्ति लगाकर कुएं से बाहर आने के लिए बार बार उछल रही थी,
परंतु उसे सफलता नहीं मिल रही थी। अंत में लोमड़ी थक गई और निराश होकर ऊपर की ओर देखने लगी कि शायद उसे कोई सहायता मिल जाए। लोमड़ी का भाग्य अच्छा था,
तभी कुएं के पास से एक बकरी गुजरी। उसने कुएं के भीतर झांका तो लोमड़ी को वहां देखकर हैरान रह गई। बकरी बोली ” आप इस कुएं में क्या कर रही हो?”
लोमड़ी ने आदर से उत्तर दिया- “नमस्ते, बकरी जी! मुझे यहां कुएं में बहुत मजा आ रहा है।”
बकरी बोली, “अच्छा! बहुत प्रसन्नता हुई यह जानकर।”
लोमड़ी बड़ी चतुराई से बोली- “यहां की घास अत्यन्त स्वादिष्ट है।”
Story Writing in Hindi Moral Part: बकरी आश्चर्य से बोली- “मगर तुम कब से घास खाने लगी हो?”
लोमड़ी बोली, ”तुम्हारा कहना ठीक है। मैं घास नहीं खाती, मगर यहां की घास इतनी स्वादिष्ट है कि एक बार खा लेने के बाद बार बार घास ही खाने को जी कर रहा है। तुम भी क्यों नहीं आ जाती हो यहां?“
बकरी के मुंह में पानी भर आया, और लालच भी, वह बोली, ” धन्यवाद! मैं भी थोड़ी घास खाऊंगी।“
अगले ही क्षण बकरी कुएं में कूद गई। मगर जैसे ही बकरी कुएं के भीतर पहुंची लोमड़ी बकरी की पीठ पर चढ़कर ऊपर उछली और कुएं से बाहर निकल गई।
”वाह! बकरी जी। अब आप जी भर कर घास खाइए, मैं तो चली।“
इस प्रकार वह चतुर लोमड़ी बकरी का सहारा लेकर खुद तो कुएं से बाहर आ गई लेकिन बकरी को कुएं में छोड़ दिया। बकरी को बहुत दुःख हुआ।
सीख | Kahani Lekhan in Hindi : ” किसी की बातों पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए।”
Stories Writing
” समझदार गधा “
कहानी-लेखन- एक बार एक लकडहारा अपने गधे को लेकर जंगल मे लकड़ियां काटने के लिए गया था। लकड़ियों को काटने के लिए वह जंगल के अंदर चला गया। और अपने गधे को जंगल के प्रवेश पर ही किसी पेड़ से बांध दिया।
गधे की रस्सी ढीली बंधी हुई थी। जब उसने इधर उधर घूमने की कोशिश की तो, गधे के जोर लगाने से वह ढीली रस्सी खुल गयी। रस्सी के खुलते ही, गधा आजाद हो चुका था।
अब वह कहीं भी अपनी मर्जी से घूमने के लिए स्वतंत्र था।
जब वह जंगल के अंदर की ओर जा रहा था तो, किन्हीं शिकारियों ने जंगली जानवरों को पकड़ने के लिए वहां एक गड्ढा बनाया हुआ था, जिसको पत्तों से ढका था।
गधे को इस बात का पता नहीं चला। गधे ने उन पत्तो पर पैर रख दिया और वह गड्ढे में जा गिरा। उसने वहां से निकलने की बहुत कोशिश की लेकिन, वह उस गड्ढे से नहीं निकल पाया। अब वह चिल्लाने लगा।
Story Writing in Hindi Moral Part: बहुत देर हो चुकी थी। अब लकडहारा भी, लकड़ियों को काटकर वापस आ गया। जब वह उस जगह पहुंचा जहाँ उसने गधे को बांधा हुआ था, उसे वहाँ पर अपना गधा नहीं मिला,
बस रस्सी वहां पर पड़ी हुई थी। अब वह जंगल मे गधे को ढूंढते हुए ही जंगल मे घूमने लगा। तभी उसको गधे की आवाज सुनाई दी। वह आगे गया। वह इस गड्ढे के पास पहुंचा। उसने देखा कि गधा गड्ढे में गिरा हुआ है।
लकड़हारे ने गधे को निकालने की बहुत कोशिश की। लेकिन वह गधे को वहां से नहीं निकाल सका। फिर उसने सोचा, यह गधा तो वैसे भी मेरे किसी काम का नहीं है। इसे यहीं छोड़ देता हूँ।
अब वह गधे के ऊपर मिट्टी डालने लगा।
गधा अपने ऊपर आई मिट्टी को अपने ऊपर से नीचे गिराता जा रहा था। जिससे कि गड्ढा भर रहा था। लकडहारा तो मिट्टी डालकर चला गया।
और मिट्टी के गड्ढे में भर जाने से गड्ढा छोटा होता जा रहा था। गधा अब छोटे गड्ढे से बाहर निकल आया। वह बहुत खुश हुआ। अब वह स्वतंत्र भी हो गया।
सीख | Hindi Kahani Lekhan : ” बुद्धिमानी द्वारा किया गया एक कार्य मूर्ख को भी मुसीबत से बचा लेता है।”
” मित्रता “
कहानी-लेखन- एक बहुत ही घना जंगल था। उस जंगल मे बहुत सारे जंगली जानवर रहा करते थे। उस ही जंगल में हिरन, कौआ, कछुआ और चूहे के मध्य बहुत ही अछि और पक्की मित्रता थी।
वे सभी एक साथ बहुत प्रेम से रहते थे और कोई भी कार्य हो उसे मिलजुलकर और प्रेम पूर्वक किया करते थे।
एकबार जंगल में शिकारी आ गया। उस शिकारी ने जंगल मे जानवर को पकड़ने के लिए एक जाल बिछा दिया। शिकारी को हिरन चाहिए था। और उन दोस्तों के समूह में जो हिरन था,
शिकारी की नजर उस पर पड़ी और उसने इस प्रकार जाल बिछा दिया कि केवल हिरन ही उस जाल में फंसे। जीवित हिरन की कीमत बाजार में बहुत अधिक थी। अतः वह हिरन को जीवित पकड़ना चाहता था।
जब हिरन अपने दोस्तों से मिलने जा है था तो, उसका पैर जाल में फंस गया और हिरन जाल में फंस गया। अब बेचारा हिरन असहाय सा जाल में फंसा था उसे लगा कि आज मेरी मृत्यु निश्चित है।
इस डर से वह घबराने लगा। तभी उसके मित्र कौए ने ये सब देख लिया। वह फटाफट कछुए और चूहे के पास गया और उसने कछुआ और चूहे को भी हिरन की सहायता के लिए बुला लिया।
Story Writing in Hindi Moral Part: तीनो ने एक योजना बनाई और योजना के अनुसार कौए ने जाल में फंसे हिरन पर इस तरह चोंच मारना शुरू कर दिया जैसे पक्षी किसी मृत जानवर की लाश को नोंचकर खाते हैं|
अब शिकारी को लगा कि कहीं यह हिरन मर तो नहीं गया।वह निराश हो गया। उसने सोचा अब यह हिरन मेरे किसी काम का नही है।
तभी कछुआ उसके आगे से गुजरा। शिकारी ने सोचा हिरन तो मर गया इस कछुए को ही पकड़ लेता हूँ। यही सोचकर वह कछुए के पीछे पीछे चल दिया।
इधर मौका पाते ही चूहे ने हिरन का सारा जाल काट डाला और उसे आजाद कर दिया।
शिकारी कछुए के पीछे पीछे जा ही रहा था कि तभी कौआ उड़ता हुआ आया और कछुए को अपनी चौंच में दबाकर उड़ाकर ले गया। इस तरह सभी मित्रों ने एकसाथ मिलकर एक दूसरे की जान बचायी।
सीख | Kahani Lekhan Hindi : ” एकसाथ समूह में किया गया कार्य कभी भी विफल नहीं होता। और किसी की सहायता करना तो हमारा धर्म ही है। अतः परोपकार करते रहें।
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Conclusion | Kahani Lekhan
आज आपने पढी Kahani Lekhan in Hindi.आशा करते हैं आपको आज की हमारी पोस्ट Hindi Kahani Lekhan पसन्द आयी, कहानी-लेखन ऐसी ही अन्य रोचक पोस्ट पढ़ने के लिए बने रहे के साथ।