प्यासे कौवे की कहानी | The Thirsty Crow | प्यासा कौवा | Pyasa Kauwa Ki Kahani
आज आप पढ़ेंगे प्यासा कौवा मोरल कहानी (The Thirsty Crow), जिसमे आप सीखेंगे किस तरह एक प्यासे कौवे ने अपने विवेक का प्रयोग कर पानी की व्यवस्था की। तब चलिये पढ़ते हैं, प्यासा कौवा कहानी (Pyasa Kauwa Ki Kahani)–
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प्यासा कौवा
मध्यपूर गांव के पास के एक जंगल मे एक कौवा रहता था, वह खाने के जंगल मे इधर उधर खाना ढूंढता,और जो भी खाना मिलता, उसे खाकर खुश रहता। जंगल के ही बीचों बीच एक नदी बहती थी, जिससे सभी पशु पक्षी पानी पीते थे।
साल के मध्य तक ऐसा ही चला, उसके बाद ग्रीष्म ऋतु आ गयी। अक्सर ग्रीष्म में जंगल में पानी की बहुत कमी हो जाती थी। इस बार भी ऐसा ही हुआ। लेकिन इस बार ऐसी गर्मी पड़ी, की पानी के सभी सहारे सुख गए।
यह देखकर सभी जानवर परेशान हो गए, और कौवा भी उनमें से एक था, कुछ दिन तक तो कौवे ने जैसे तैसे अपना गुजारा किया, पर जब एक दिन वह पानी की तलाश में बाहर पानी ढूंढने के लिए निकला, तब उसे पूरे जंगल मे कहीं भी पानी नहीं मिला।
जिस कारण वह पानी ढूंढने गाँव की तरफ आ गया, बहुत देर ढूंढने के बाद उसे एक छोटा सा घड़ा दिखाई दिया, कौवे ने घड़े को देखकर चैन की सांस ली। ओर घड़े के पास गया।
घड़े के पास जाकर जन कौवे ने घड़े के अंदर झांका, तब वह फिर से निराश हो गया, क्योकि पानी का स्तर घड़े ने बहुत कम और नीचे था, कौवे ने अपनी चोंच घड़े में डालकर पानी पीने की बहुत कोशिश की, पर वह सफल नहीं हो पाया।
बहुत देर सोचने के बाद कौवे को घड़े से पानी निकालने का एक सुझाव आया, घड़े के ही थोड़ी सी दूरी पर बहुत सारे कंकड़ पड़े हुए थे, उसने उन कंकडों को लेकर घड़े में डालना शुरू कर दिया। ऐसे में घड़े में कुछ देर में पानी ऊपर आ गया, और कौवे ने अपनी प्यास मिटा दी।
इस प्रकार कौवे ने अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए अपनी प्यास बुझाई।
प्यासे कौवे की कहानी सीख-
प्यासा कौवा कहानी (Pyasa Kauwa Ki Kahani) | किसी भी बुरे या अच्छे समय मे हर काम अपने विवेक से करना चाहिए।