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17+ Special Hindi Kahaniyan with Images | प्रेरणादायक हिन्दी कहानियाँ

प्रेरणादायक सीख और मनोरंजन से भरी Hindi Kahaniyan. जिन हिन्दी रोचक कहानियाँ को पढ़कर आपको इंटरटेनमेंट के साथ साथ बहुत कुछ सींखने को मिलेगा।

Hindi Kahani आशा करते हैं, आपको आज की हमारी यह कहानियां पसन्द आएंगी, चलिये शुरू करते हैं।


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” भेड़िया और बांसुरी “

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 एक चरवाहा अपनी सभी भेड़ बकरियों को एक दिन जंगल में चराने के लिए ले गया। सभी अच्छी तरह से चर रहे थे। इतने में एक भेड़िये की नजर उन सभी पर पड़ी।

वह बहुत खुश हुआ। वहीं पास में एक मेमना भी चर रहा था। उसका ताजा ताजा मांस देखकर भेड़िये के मुंह में पानी आने लगा। भेड़िया मेमने की तरफ लपका और मेमने को उठाकर वहां से भाग गया।

सभी देखते ही रह गए। मेमने की मां का रो रो कर बुरा हाल हो गया था।

उसे कैसे भी कर के अपना बच्चा वापस चाहिए था। लेकिन उसकी सहेलियों ने समझाया कि धैर्य रखो अब वह कभी भी शिकारी के चंगुल से जिंदा वापस नहीं आ सकता।

वह और जोर जोर से रोने लगी।

दूसरी ओर, भेड़िये ने मेमने को अपने अड्डे पर रख दिया। मेमना चालाक था, उसकी मां ने उसको सभी के बारे में जानकारी दी थी। वह अपने कोमल स्वर में बोला,

” भेड़िये चाचा! मुझे पता है कि आज आप मुझे मार डालोगे! लेकिन मेरी आपसे एक विनती है। क्या आप मुझे बांसुरी की आवाज सूना सकते हैं। मैंने सुना है कि आप बहुत ही मधुर बांसुरी बजाते हैं।

मेरी यह आखरी इच्छा पूरी कर दीजिए।”

  अपनी तारीफें सुनकर भेड़िया बेहद खुश हुआ, उसे सच में लग रहा था कि उसकी आवाज बहुत ही मधुर है। उसने मेमने की बात मान ली।

अब वह जोर जोर से अपनी गन्दी सी आवाज में गाने लगा। उसकी सड़ी हुई आवाज बहुत दूर तक जा रही थी। उज़की आवाज उस चरवाहे ने सुन ली,

अब वह अपने 2-3 और चरवाहे दोस्तों की सहायता से उस भेड़िये के अड्डे तक पहुंच गया। सबने एकसाथ मिलकर भेड़िये पर हमला कर दिया। भेड़िया डंडों के प्रहार से वहीं मर गया और मेमना बच गया।

चरवाहा मेमने को उसकी मां के पास ले गया।अपने बच्चे को जीवित पाकर वह बहुत खुश हुई। और सब अब खुशी खुशी अपने घर वापस चले गए।


सीख | Hindi Kahaniyan : ” कठिनाई का सामना सदैव बल और बुद्धि के प्रयोग से करना चाहिए।”


” स्वर्ग का आदेश “

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एक बार एक लोमड़ी जंगल मे घूम कर रही थी। उसे एक पेड़ के पास एक मुर्गी दिखाई दी। उसे देखते ही लोमड़ी के मन में लालच उतपन्न होने लगा वह सोच रही थी,

कि आज तो मेरे खाने का बंदोबस्त हो ही गया।  लोमड़ी जैसे ही मुर्गी के पास पहुंची, मुर्गी झट से पेड़ के ऊपर उड़कर चढ़ गई।

लोमड़ी मुर्गी से बोली, ” अरे तुम मुझसे डर क्यों रही हो, मैं तो तुम्हें यहाँ पर एक बात बताने आई हूं।”

मुर्गी बोली, ” बात? कौन सी बात! जो भी बात है,

वहीं नीचे से खड़े हुए ही बताओ। मैं नीचे नहीं आने वाली हूँ।’

उस की बातें सुनकर लोमड़ी अब चक्कर में पड़ गयी, की इसे कैसे भी कर के मुझे नीचे लाना होगा। तब थोड़ी देर सोच कर मुर्गी फिर से बोली, ” सुनो! मैं सभी को यह बात बता रही हूं,

तुम यहाँ दिखी तो मैंने सोचा, तुम्हें भी यह बात बता दूं।”

   ” स्वर्ग से एक आदेश आया है कि, सभी पशु पक्षी अब मिलकर रहेंगे। स्वर्ग से ही उनके लिए भोजन की व्यवस्था कर दी जाएगी और किसी भी मुर्गे-मुर्गी को अब भेड़ियों से भी डरने की जरूरत नहीं है।

अब तुम बिना किसी संकोच के नीचे आ सकती हो।”

मुर्गी चालाक थी, उसे यह सब कहानी थोड़ा ठीक नहीं लगी फिर वह बोली, ” अरे मैं यहां ऊंचाई से देख सकती हूं कि कुछ शिकारी कुत्ते इधर ही चले आ रहे हैं।”

इतना सुनकर लोमड़ी भागने की तैयारी करने लगी। तब मुर्गी बोली, ” क्या हुआ? स्वर्ग से तो आदेश आया हुआ है न?”

तब लोमड़ी बोली, ” शायद कुत्तों को इस विषय के बारे में नहीं पता और यदि मैं बताने भी जाऊं तो वे मुझे पहले ही मार डालेंगे। अतः अब मैं चलती हूँ। तुमसे बाद में मिलूंगी।” इतना कहकर लोमड़ी वहां से रफ्फूचक्कर  हो गयी। अपनी होशियारी की वजह से मुर्गी ने अपनी जान बचा ली।


सीख | Hindi Kahaniyan: ” जब तक स्वयं किसी बात की पुष्टि न कर लो, तब तक दूसरों की कही सुनी बातों पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए।”

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” एकता की शक्ति ”

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  एक किसान था। उसके चार पुत्र थे। चारों ही अपने आपको सर्वश्रेष्ठ समझते थे। उनमें बल व विवेक की कोई भी कमी नहीं थी, लेकिन वे सभी अपने को श्रेष्ठ और अपने ही अन्य भाइयों को तुच्छ साबित करने का प्रयास करते रहते थे।

   किसान अपने सभी पुत्रों से बहुत ही परेशान था। वह सोचता था कि किसी न किसी प्रकार से यदि इनमें एकता कायम हो गयी तो मैं भी शांति से स्वर्ग सिधार सकूंगा।

किसान ने अपने सभी पुत्रों को मुह से बोलकर बहुत समझाया लेकिन कोई भी समझने को तैयार नहीं था।

उसने सोचा, यदि बातों से समझाने बाली बात होती तो ये सब  कबका समझ चुके होते लेकिन यह बात तो अब एक कुटिल रास्ते पर चलकर ही सुलझानी होगी। अब उसने एक युक्ति सोची।

   युक्ति के अनुसार, एक दिन उसने अपने सभी पुत्रों को आंगन में बुलाया। आंगन में एक बहुत बड़ा लकड़ी का गट्ठा रखा हुआ था। किसान बोला, ” सभी अपने लिए 2-2 लकड़ी को इस गट्ठे से निकाल लो।

पिता की आज्ञा मान कर सभी ने दो लकड़ीयों को चुन लिया। अब किसान बोला , ” चलो इन दो लकड़ियों में से सब एक एक लकड़ी को तोड़कर दिखाओ। ” सबको थोड़ा अजीब लग रहा था ,

लेकिन सबने अपनी दो लकड़ियों में से 1 को तोड़ दिया। लकड़ी आसानी से टूट गयी। सभी यह कर पाए। अब किसान ने बोला, ” जो तुम्हारे पास 1-1 लकड़ी बची हुई है, उसको इकट्ठा करो और तोड़कर दिखाओ।

सबने कोशिश की लेकिन कोई भी उन चार लकड़ियों को इकट्ठा नहीं तोड़ पाया।

   अब किसान बोला, ” बच्चों देखो तुम सभी भी तो इन लकड़ियों के ही समान हो! यदि तुम सभी इसी प्रकार अलग रहे तो, उनको न केवल लोग इस्तेमाल करेंगे बल्कि भाई को भाई से ही लड़वा देंगे।

जो कि तुम सभी के लिए बहुत शर्मनाक बात होगी। इसलिये इन चारों इकट्ठी लकड़ियों की तरह रहो, इससे तुम्हारे ऊपर कोई बाधा भी नहीं आएंगे।

   पिताजी की बातें सुनकर सभी भाई सोच में पड़ गए। उनको अपने पिता की बात सच लगी और सभी ने उस दिन से प्रण लिया कि वे अब हमेशा ही साथ मे रहेंगे।

किसान बहुत खुश हुआ और अपने सभी बच्चों को अपने गले से लगा लिया।


सीख | Hindi Kahani : ” एकता कभी भी किसी पर भी किसी भी प्रकार की विपदा में नबीन पूछ सकती।


” चींटी की सीख “

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बहुत समय पहले की बात है, विजयगढ़ नामक राज्य था, वहां पर एक बहुत ही महान और प्रतापी राजा का शासन था। राजा अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करते थे,

तथा उनकी प्रजा भी उनसे बहुत ही प्रेम करती थी। सभी सन्तुष्ट थे।

    फिर एक दिन उस राज्य में एक दुसरे राज्य के राजा ने आक्रमण कर दिया। उसकी सेना बहुत अधिक थी। विजयगढ़ के राजा को उन लोगों ने हरा दिया, सैनिक भी सभी मारे गए।

राजा बन्दी बनने के डर से वहां से भाग निकला। अब विजयगढ़ गुलाम हो चुका था।

    विजयगढ़ के राजा भागते भागते एक गुफा में पहुंच गए। उनके पीछे सैनिक लगे हुए थे। सैनिकों से बचने के लिए ही उन्होंने यहां छिपने का निर्णय लिया। बहुत दिन हो गए, राजा उसी गुफा में ठहरे हुए थे।

राजा इधर उधर टहलते और रात होते ही सो जाते।

  एक दिन अचानक उनकी नजर जमीन पर पड़ी। वहां कुछ चींटियां थी। उन्होंने देखा कि एक चींटी अपना दाना लेकर ऊपर चढ़ रही थी। जब भी वह ऊपर चढ़ने की कोशिश करती कभी वह चढ़ते ही गिर जाती,

और कभी थोड़ा ऊपर चढ़ती फिर नीचे गिर जाती। अब राजा उस चींटी को ध्यान से देखने लगे गए।

    चींटी का बार बार गिरकर चढ़ना उसके लिए फलदायी साबित हुआ और उसने इसी तरह अपनी हिम्मत और अनेकों कोशिशों से अपनी मंजिल को पा ही लिया।

राजा ने सोचा, जब इतनी छोटी सी चींटी ने अपनी मंजिल पाने के लिए हार नहीं मानी तो मैं तो इतने बड़े राज्य का राजा हूँ मैं कैसे हार मान सकता हूँ।

   राजा ने कोशिश करनी शुरू कर दी। वह अपने राज्य में गया। लोगों को जागरूक किया फिर से अपनी एक छोटी सी सेना बनाई और फिर उसी सेना के बल पर राजा ने दुश्मन से युद्ध किया,

इस बार राजा ने अपनी पूरी ताकत और कोशिशों को लगा दिया। उसने हिम्मत नहीं हारी और अपनी इसी क्षमताओं के बल पर वह जीत गया और उसने अपने राज्य को दुबारा हांसिल कर लिया।

इस प्रकार एक छोटीसी चींटी के सबक पर राजा ने स्वयं को साबित कर दिखाया।


सीख | Hindi Kahaniyan : ” कभी भी हिम्मत नहीं हरणी चाहिए अपने सामने आई मुसीबतों का डटकर सामना करना चाहिए।”

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” मित्रता “

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Hindi Kahaniyan- एक बार एक लोमड़ी और एक सारस में बहुत ही गहरी मित्रता हो गयी। लोमड़ी और सारस बहुत अच्छे मित्र बन चुके थे।

   अब एक दूसरे के घर उन दोनों का आना-जाना लगा रहता था। लोमड़ी थोड़ी घमंडी थी, वह अपने आप को सारस से श्रेष्ठ समझती थी।

अतः सारस को नीचा दिखाने के लिए एक दिन लोमड़ी ने सारस को अपने घर पर भोजन करने के लिए आमंत्रित किया। सारस भी बहुत खुशी खुशी, लोमड़ी के घर पर पहुंच गया। लोमड़ी ने सारस के लिए सूप बनाया था।

सूप की खुशबू पूरे घर में फैली हुई थी। जब सारस वहां पहुंचा तो उसने वह स्वादिष्ट सूप की खुशबू सूंघी। उसे बहुत ही खुशी हुई, यह सोचकर कि उसके लिए उसकी मित्र ने इतना अच्छा भोजन बनाया है।

   दोपहर भी हो गयी थी और खाने का समय भी हो रहा था। लोमड़ी ने सारस को खाने के लिए निचे बिठाया, पर यह क्या! लोमड़ी तो दोनों के लिए ही, बिलकुल सपाट बर्तन में सूप लेकर आई,

लोमड़ी अपना सूप फटाफट चट कर गई लेकिन सारस अपनी नुकीली चोंच की वजह से सूप का स्वाद भी न ले पाया। लोमड़ी ने बड़े मजे से सारा सूप पी लिया। और सारस से बोली, ” आज के सूप में तो मजा ही आ गया। है न?”

सारस कुछ भी नहीं बोला। सारस चुपचाप उठकर अपने घर चला गया। उसे अपने साथ हुए अपमान का बहुत ही बुरा लग रहा था। अब उसने सोचा, लोमड़ी को एहसास तो कराना ही होगा कि आज उसने किया क्या है!

नहीं तो फिर वो यही किसी और के साथ भी कर सकती है। यह सोचते हुए उसने एक योजना बनाई और योजना के अनुसार लोमड़ी को भी अपने घर पर खाने के लिए ही आमंत्रित किया।

    लोमड़ी भी सारस के घर आई। सारस ने लोमड़ी से भी अच्छा सूप बनाया हुआ था। लोमड़ी वही मौजूद थी। उसके सामने ही सारस ने वह स्वादिष्ट सूप तैयार किया। लोमड़ी खाने की जगह पर बैठ गयी।

सारस सूप लेकर आया। लेकिन लोमड़ी सूप के बर्तनों को देखकर हैरान हो गयी। लोमड़ी ने देखा कि सारस सुराही में भरकर उन दोनों के लिए सूप ला रहा है।

   सारस ने लोमड़ी को सूप की सुराही दी। वह खुद भी सूप पीने लगा।  थोड़ी देर बाद, जब सारस सूप की तारीफ कर रहा था तब लोमड़ी बोली, ” सारस यह कैसा मजाक है,

मेरा तो मुँह इस बर्तन के अंदर जा ही नहीं रहा है तो मैं सुप कैसे पियूँ? और तुम इसकी मेरे सामने तारीफे करते जा रहे हो!!”

   सारस बोला, ” दोस्त ! याद करो जब मैं तुम्हारे घर पर आया था तो तुमने भी तो ऐसा ही किया था। मैं बस तुम्हें आईना दिखा रहा था तांकि तुम अगली बार से इस प्रकार की कोई गलती न करो।”

सारस की बातों को सुनकर लोमड़ी को पछतावा होने लगा। उसने सारस से माफी मांगी। सारस ने भी उसको उसकी गलती पर पछतावा होने पर माफ कर दिया।

अब वे दोनों पहले से भी ज्यादा पक्के मित्र बन गए। सारस फिर जाकर लोमड़ी के लिये एक सपाट बर्तन में सूप लाया। और दोनो ने वह स्वादिष्ट सूप मजे ले लेकर पिया।


सीख | Moral Hindi Kahani : ” हमें कभी भी किसी का अनादर नहीं करना चाहिए। जैसे व्यवहार हम अपने साथ किया जाना पसंद करते हैं हमें भी दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए।”


” बातूनी कछुआ “


Hindi Kahaniyan– एक बार एक जंगल मे एक तालाब के किनारे, एक कछुआ रहता था। उसके दो सारस मित्र थे।वे सभी जंगल में बहुत ही प्रेम और भाईचारे के साथ रहते थे।

   एक बार जंगल मे सूखा पड़ने वाला था, जिसकी खबर जानवरों को पहले से ही लग गई। सभी जानवर अब अपने लिए कोई नई जगह खोजने लगे। उस जंगल के लिए पानी का स्रोत केवल वही तालाब था।

  इस विषय के बारे इन जब एक दिन कछुआ और दोनो सारस आपस में बात कर रहे थे तब उन्होंने यह बात भी उठाई कि, अब उन्हें भी इस जगह को छोड़कर किसी नए स्थान में अपना बसेरा कर लेना चाहिए।

नहीं तो, अगर एक बार सूखा पड़ गया तो उनके मरने के दिन नजदीक आ जाएंगे। तीनो मित्र इस बात पर सहमत हुए। जिस प्रकार तीनों मित्र इस जंगल मे एक साथ रहा करते थे,

उन्होंने सोचा कि नई जगह पर भी वे ऐसे एकसाथ ही रहेंगे।

    कछुआ बहुत ही धीरे धीरे चलता था, तो उसके दोस्तों ने कहा कि हम ही चले जाते हैं नई जगह ढूंढने, तुम यहीं रहो। कछुआ मान गया।

बहुत दिन बीत गए थे, दोनों ही सारस अभी तक कछुए के पास नही पहुंचे। कछुए को थोड़ी चिंता हुई। लेकिन वह हिम्मत नहीं हारा, उसने अपने मित्रों की कामना की और उनके आने का इंतजार करने लगा।

  अब एक दिन अचानक कछुए के दोनों मित्र सारस कछुए के पास उड़ते हुए पहुंच गए। कछुआ बहुत खुश हुआ, पहला सारस बोला, ” मित्र एक खुशखबरी है,

हमें हमारे रहने के लिए एक अच्छी और सुरक्षित जगह मिल चुकी है। अब हम तुम्हें अपने साथ ले जाने के लिए ही यहां आए हैं।”

तब दूसरा सारस बोला, “उतनी दूर हम सब साथ कैसे जा सकेंगे! कछुआ दोस्त तो बहुत धीमी गति से चलता है।हमेकुच और उपाय सोचना होगा।”

Hindi Kahani Interesting Part- दूसरे सारस को पास में एक डंडी दिखी उसको देखकर उसके मन में एक विचार आया, उस विचार को उसने अपने दोनों मित्रों के साथ साझा किया।

सभी को यह युक्ति बहुत पसंद आई।

   युक्ति के अनुसार, डंडी के दोनों ओर से सारस उस लकड़ी को मुह से पकड़ेंगे और कछुआ उसके बीच से उसे पकड़कर सारसों के साथ उड़ेगा और इस तरह से वे लोग नई जगह पर पहुंच जाएंगे।

  लेकिन कछुए को यह बताते समय चेताया गया कि वह चलते समय कुछ भी नहीं बोलेगा।

  अब वे लोग चल पड़े। रास्ते मे कुछ बच्चे आसमान की तरह उन लोगो को देखकर कहने लगे, “देखो देखो! कछुआ उड़ रहा है। हा हा हा..”

कछुए को अपनी मजाक बिल्कुल भी पसन्द नहीं थी, उनकी बात सुनकर कछुए से रहा नहीं गया और जैसे ही उसने बोलने के लिए अपना मुंह खोला,

तो वह आसमान की ऊंचाई से जमीन पर धम्म से आ गिरा। गिरते ही उसकी मृत्यु हो गयी। उसके दोनो मित्रों को उसकी मौत का बहुत दुख हुआ।


सीख | प्रेरणादायक हिन्दी कहानियाँ : ” अपने ऊपर संयम रखना ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति और हमारी स्वयं पर विजय है।”

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Hindi Kahaniyan


” नकली मां “


Hindi Kahaniyan- एक बार एक महिला, अपने बच्चे को लेकर बाजार में समान लेने के लिये गयी थी। महिला समान ले ही रही थी कि, एक बच्चा चोर महिला वहां आई और उसने उस स्त्री का बच्चा चुरा लिया।

लेकिन जब वह बच्चा चोरी कर के ले जा रही थी तो, बच्चे की मां ने देख लिया।

   अब उसने अपना बच्चा वापस करने के लिए कहा, लेकिन उस महिला ने मना कर दिया। वह कहने लगी कि यह बच्चा मेरा है। दोनो की इस झड़प में बच्चा जोर जोर से रोने लगा। वहां बहुत सी भीड़ इकट्ठा हो गयी।

दोनो महिलाएं रोने लगीं । भीड़ में खड़े लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी उनमे से एक व्यक्ति बोला, हम सभी को इस बच्चे को लेकर न्यायालय चलना चाहिए।

अब न्यायाधीश ही फैसला करेंगे कि यह बच्चा किसका है। सभी इस बात के लिए राजी हो गए।

Hindi Kahani Interesting Part- दोनो महिलाए कटघरे में खड़ी हुई। दोनो से बच्चे के बारे में पूछा गया। न्यायाधीश ने दोनों महिलाओं की दलीलें सुनी लेकिन वह किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे थे।

कुछ देर सोचने के के बाद न्यायाधीश को एक युक्ति सूझी।

   न्यायाधीश ने एक आदेश पारित किया, उन्होंने आदेश दिया कि इस बच्चे को बीच से आधा आधा काटकर, इन दोनों महिलाओं को दे दिया जाए। अब एक महिला जोर जोर से रोकर बोली,

” न्यायाधीश कृपया न्याय करिए! मेरे लाल को इस तरह से मत मारिये मैं तो जीते जी मर जाऊंगी। आप चाहें तो, इसको उस दूसरी महिला को दे दीजिए। मैं कभी भी अपने बच्चे की शक्ल तक नहीं देखूंगी।

लेकिन इस पर से अपना फैसला वापस ले लीजिए। मुझ पर दया कीजिए।”

जबकि दूसरी महिला वहाँ चुपचाप खड़ी हुई थी।

  न्यायाधीश की युक्ति सफल हो गयी। उन्हें उस बच्चे की असली मां मिल गयी। उन्होंने उस महिला को बच्चा सौंप दिया जो कि बच्चे के जीवनदान के लिए मिन्नतें कर रही थी। और दूसरी महिला को कारावास में जाने का आदेश दे दिया।

  बच्चे की असली मां बच्चे को पाकर बहुत खुश हुई। इस तरह सच्चाई की जीत हुई।


सीख | Hindi Kahaniyan : ” सत्य को कितना ही छुपा लिया जाए लेकिन वह किसी न किसी तरह बाहर आ ही जाता है।”


” गधे की परछाई “


Hindi Kahaniyan- एक बार एक व्यापारी, गांव से शहर अपना कयच्छ सामान निर्यात करने के लिए जा रहा था। बाजार से गांव की दूरी काफी थी। वहां जाने के लिए कोई तांग या फिर बैलगाड़ी की कोई व्यवस्था नहीं थी।

अतः व्यापारी को पैदल ही वहां तक समान लेकर जाना था।

    कड़ी धूप में चलते चलेते उसकी हालत खराब हो गयी। उसके पीछे से एक गधे वाला आ रहा था। उनके पास एक ही गधा था।व्यापारी ने उस गधे को देख लिया।

अब उसने गधे वाले से 1 दिन के लिए गधा किराये पर मांग लिया। अच्छे रुपये मिलने की वजह से उस व्यक्ति ने गधे को एक दिन के लिए प्यापारी को किराए पर दे दिया।

    अब व्यपारी गधे के ऊपर अपना सामान रख कर उसके ही साथ चल रहा था। गधे का मालिक भी पीछे पिककगे चला आ रहा था। दोपहर हो गयी थी। दोनों ने आपस मे बात की और अब एक साथ चलने का फैसला किया।

अब सबको थकान लग गयी थी। आस पास कोई पेड़ भी नहीं था जिसके नीचे बैठकर सब आराम कर सकें।

Hindi Kahani Interesting Part- अब व्यापारी ने एक जगह उस गधे को खड़ा किया। और स्वयं उसकी छाया में बैठ गया। लेकिन यह देखकर गधे का मालिक बहुत रुष्ठ हुआ और बोला, यह गधा मैं ने तुम्हें किराए पर दिया है।

इसकी परछाई नहीं इसकी परछाई अभी बीबी मेरी है। हटो यहां से और मुझे यहां बैठने दो ।

    तब व्यापारी बोला, ” मैं ने गधा किराए पर लिया है तो उसकी परछाई बभी तो मेरी ही हुई। तुम मुझसे ज्यादा बहस मत करो।”

बस अब दोनो के बीच कहा सुनी शुरू हो गए इतना ही नहीं बात हाथापाई यक बढ़ गयी। गधा दोनो के झगड़े से बहुत परेशान हुआ। वह वहां से भाग निकला। व्यापारी का सामान भी गधे के ऊपर ही था।

   गधे वाले का गधा तो गया ही गया साथ में व्यापारी का नुकसान भी हो गया।

  बाद में दोनो के पास पछताने के अलावा कुछ भी नहीं बचा।


सीख | Hindi Kahani : ” दो लोगों के झगड़े का कोई तीसरा ही फायदा उठाता है। अतः स्वयं को हमेशा लड़ाई झगड़ों से बचाकर रखना चाहिए। “

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” चमगादड़ों की कहानी “


Hindi Kahaniyan- चमगादड़ भी पहले, पशु और पक्षियों के साथ जंगल में ही रहते थे।

  बहुत समय पहले की बात है। किसी बात को लेकर एक बार, जानवरों और पक्षियों में बहस छिड़ गयउ। बात तो यहां तक आ पहुंची कि युद्ध की स्थिति बन गयी।

   युद्ध का दिन-तारीख सब तय हो चुका था। सभी पक्षी एक तरफ और सभी जानवर एक तरफ हो गए।

  अब आई चमगादड़ों की बारी। चमगादड़ों के सरदार ने अपने साथियों से कहा, हम चमगादड़ पक्षियों के समान उड़ सकते हैं। और जानवरों के समान बच्चे भी पैदा करते हैं।

हम चाहें तो किसी भी दल में शामिल हो सकते हैं। लेकिन हमें उस ही प्रकार अपनी रणनीति बनानी होगी जिस प्रकार से हम जीत सके। अब सभी मेरी बात को ध्यान से सुनो।

” अभी हम किसी भी दल में शामिल नहीं होंगे। जब हमें लगेगा कि कोई दल जीत रहा है, हम जाकर उस ही दल में शामिल हो जाएंगे।”

    सभी चमगादड़ अपने सरदार की बात से सहमत हो गए।

Kahaani Interesting Part- युद्ध का दिन आ गया। चमगादड़ों ने पशु और पक्षियों सभी से बात कर के रखी थी। अतः वे लोग अलग ही खड़े हुए । पशु और पक्षी युद्ध के मैदान में सामने आए।

दोनो पक्षों में झड़प शुरू हो गयी। अब पशुओं के जितने का समय आ गया।

   तभी चमगादड़ों के सरदार ने इशारा किया। और सभी चमगादड़ जानवरों के दल में शामिल हो गए।

लेकिन कैसे ही चमगादड़ जानवरों में शामिल हुए, वैसे ही पक्षी जीतने लग गए । अब चमगादड़ों को बहुत बुरा लगा उन्होंने सोचा अब तो हम गए। अब चमगादड़ों ने फैसला किया कि वे पक्षियों के झुंड में शामिल होंगे।

  अपने सरदार के आदेश पर वे सभी पक्षियों के झुंड में शामिल हो गए। लेकिन बाद में दोनो पक्षों ने समझौता कर लिया और सब एक साथ जंगल मे ही खुशी खुशी रहने लगे गए।

लेकिन उन्हें चमगादड़ों का दोगलापन बिल्कुल भी पसन्द नहीं आया। पशु और पक्षियों ने मिलकर उन्हें अपने अपने झुंड से निकाल दिया और जंगल में रहने के लिए भी साफ मना कर दिया।

  तब जंगल से भाग कर चमगादड़ अंधेरी गुफाओं और कोटरों में छिप गए और तभी से चमगादड़ ऐसी अंधेरी और सुनसान जगहो पर रहने लगे।


सीख | प्रेरणादायक हिन्दी कहानियाँ : ” दोगले लोगों को कोई भी पसंद नहीं करता अतः अपना व्यक्तित्व हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए। “


“​ सोने के गेंहू के खेत “


Hindi Kahaniyan- ​बादशाह अकबर की पत्नी एक दिन पति के साथ समय बिताने के लिए उनका इंतजार कर के अपने कक्ष में टहल रहे थे।

अचानक उनका हाथ एक फूलदान में लगा और वह गिरकर टूट गया।

वह बादशाह का प्रिय फूलदान था। अब रानी को बहुत ही डर लग रही थी उन्होंने सोचा कि मैं इस फूलदान के बारे में राजा को कैसे बताऊंगी।

​  रानी ने सोचा, ​मैं उन्हें यह नहीं बता सकती कि फूलदान टूट गया है वरना वह बहुत क्रोधित होंगे। वह  बहुत जोर से चिल्लाई। कुछ समय बाद बादशाह ने कक्ष में प्रवेश किया।

उनको अपने कक्ष में कुछ कमी महसूस हुई, पर वह समझ नहीं पाए कि कक्ष में कमी किस चीज की है। याद करने पर उन्हें पता लगा कि उनका प्रिय फूलदान कक्ष में नहीं है।

​उन्होंने रानी से पूछा, वह फूलदान कहाँ है, जो मुझे एक चीनी यात्री ने तोहफे में दिया था?”

​रानी बोली, “महाराज, नौकर उसकी धूल साफ करने के लिए ले गया है।” रानी ने झूठ बोलकर अपने आपको बादशाह के क्रोध से बचा लिया। अगली सुबह जब बादशाह सोकर उठे,

तो उन्हें तरोताजा देखकर रानी ने अपना दोष स्वीकार करते हुए कहा “महाराज मैंने आपसे फूलदान के विषय में झूठ बोला था। ​गलती से मेरा हाथ लग जाने के कारण वह गिरकर टूट गया।”

​‘पर तुमने तो कहा था कि नौकर उसे साफ करने के लिए ले गया है। बादशाह अकबर की रानी होते हुए भी तुमने मेरे सामने झूठ बोलने की हिम्मत की। मैं तुम्हें फूलदान तोड़ने के लिए क्षमा करता हूँ,

परंतु झूठ बोलने के लिए मैं तुम्हें क्षमा नहीं करूंगा।”

​अकबर ने क्रोधित होकर कहा “इसके दंड स्वरूप मैं तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम तुरंत राजमहल को छोड़कर चली जाओ।”

​माफी माँगने के बाद भी बादशाह को रानी पर दया नहीं आई। वह राजमहल को छोड़कर आगरा से बाहर चली गई। शीघ्र ही यह खबर चारों तरफ फैल गई कि रानी ने राजमहल छोड़ दिया है।

​अगली सुबह बादशाह ने दरबार में पूछा “क्या कभी किसी ने झूठ बोला है?” सभी दरबारियों ने अपने जीवन के भय के कारण यह जवाब दिया कि उन्होंने हमेशा सच बोला है। उसी समय दरबार में बीरबल ने प्रवेश किया।

वह आगरा से बाहर गया हुआ था और सुबह ही वापस आया था। उसके सामने भी वही प्रश्न रखा गया।

​बीरबल ने उत्तर दिया- “मैंने हमेशा ईमानदारी से काम करने की कोशिश की है, परंतु कभी-कभी ऐसा समय भी आता है कि व्यक्ति को झूठ का सहारा भी लेना पड़ता है।”

​अकबर ने कहा- “यानि तुम यह कहना चाहते हो कि तुम बेईमान हो। परंतु बाकी सभी उपस्थित दरबारियों ने तो अपने जीवन में कभी भी झूठ नहीं बोला।

​बीरबर को पता था कि दरबार मे सभी झूठ बोल रहे हैं।

​अकबर बोले “बीरबल, मैं नहीं चाहता कि मेरे दरबार में कोई झूठा मंत्री रहे। मैं तुम्हें आदेश देता हूँ कि तुम तुरंत आगरा छोड़ दो।” रानी को राजमहल छोड़ देने का आदेश पहले ही मिल चुका था।

इस समय वह आगरा की सीमा पर बने एक महल में रह रही थीं।

​जब रानी को पता चला कि बादशाह सलामत ने बीरबल को भी आगरा छोड़ने का आदेश दे दिया है, तो उसने अपनी विश्वासपात्र नौकरानी से बीरबल को बुलाने के लिए कहा,

क्योंकि रानी को पूरा विश्वास था कि बादशाह के आदेश का समाधान सिर्फ बीरबल को पास ही हो सकता है। जब बीरबल और रानी मिले, तो रानी ने पूरी घटना उसे सुनाई। बीरबल ने रानी की मदद करने का आश्वासन दिया।

​रानी से विदा लेकर बीरबल शहर के सबसे अच्छे जौहरी के पास गया।

​​उसने जौहरी को गेहूँ का एक दाना दिखाया और कहा-“मैं चाहता हूँ कि तुम इसी प्रकार के सोने के दाने बनाओ जो बिल्कुल असली लगते हों।” कुछ ही दिनों में गेहूँ के सोने के दाने तैयार हो गए।

बीरबल उन्हें लेकर बादशाह अकबर के दरबार में पहुँचा। दरबार में उपस्थित होने की इजाजत लेने के बाद वह बादशाह अकबर के सामने खड़ा हो गया|

​बीरबल बोला “महाराज! आपके आदेश के मुताबिक मुझे आगरा की सीमा में पैर नहीं रखने चाहिए थे, परंतु एक आश्चर्यजनक घटना ने मुझे आपके आदेश का उल्लंघन करने पर विवश कर दिया।

मैं शहर के बाहर आवश्यक कार्य से कहीं जा रहा था, तो मार्ग में मुझे एक यात्री मिला, जिसने मुझे गेहूँ के यह अतिविशिष्ट दाने दिए। यदि इन्हें बो दिया जाए, तो हमारे पास सोने की अच्छी पैदावार हो सकती है?”

​अकबर गेहूँ के दानों को देखकर आश्चर्यचकित हो गया और बोला “क्या यह सचमुच संभव है?”

​बीरबल बोले, “महाराज, यह मैं निश्चित रूप से तो नहीं कह सकता, पर हम कोशिश करके तो देख ही सकते हैं। जिसने मुझे यह बीज दिये हैं, उसने मुझे इन्हें उपजाने की सारी प्रक्रिया समझा दी है।

मेरे पास थोड़ी-सी उपजाऊ भूमि है।​यदि आप इच्छुक हों, तो अगले सप्ताह पूर्णमासी की रात को हम इन दानों को बो दें।” बादशाह बड़ी प्रसन्नता के साथ सहमत हो गया।

शीघ्र ही यह खबर चारों ओर फैल गई और सभी लोग निर्धारित दिन, निर्धारित स्थान पर एकत्रित हो गए।

​​बादशाह ने कहा “बीरबल अब सोने के दानों को बोना शुरू करो।”

​‘अरे नहीं, महाराज! मैं इन्हें नहीं बो सकता, क्योंकि मैंने अपने जीवन में छोटे-बड़े बहुत झूठ बोले हैं। इन दानों को केवल वही व्यक्ति बो सकता है जिसने कभी पाप न किया हो, जो पूरी तरह पवित्र हो,

Kahaani Interesting Part- और जिसने कभी, छोटी-बड़ा किसी प्रकार का झूठ न बोला हो। लेकिन महाराज, आप चिंतित न हों, केवल मैं ही तो इन्हें नहीं बो सकता, परंतु आप विश्वास कीजिए आपके अन्य सभी दरबारी इन्हें बो सकते हैं।​

आप जिससे चाहें उससे इसकी बुआई करवा सकते हैं।”

​बीरबल की बात सुनते ही सभी दरबारी सिर झुकाकर पीछे हट गए। वे जानते थे कि वे झूठे हैं और उनके बोए हुए दानों से अंकुर नहीं निकलेगा उन्हें शर्मिदा महसूस होते देखकर…..

​बीरबल,अकबर से बोला “महाराज, अकेले आप ही आप ही इन दानों को बो सकते हैं।” “बीरबल, इन दानों को मैं भी नहीं बो सकता, क्योंकि बचपन में मैंने भी कई बार झूठ बोला है।

​मुझे डर है कि शायद हमें कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं मिल पाएगा, जिसने अपने जीवन में झूठ न बोला हो।” तब बादशाह अकबर ने अपनी कही बात के महत्व को स्वयं महसूस किया।

उन्होंने बीरबल और रानी को माफ कर दिया और दोनों को अपने साथ वापस आगरा चलने का आदेश दिया।


सीख | Hindi Kahaniyan : ” अपनी गलतियों को स्वीकार करने से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए।”


Kahaniyan in Hindi


” कछुए की चालाकी “


Hindi Kahaniyan- जंगल में एक पेड़ था, उस पर बहुत से बगुले रहते थे। उस ही पेड़ के नीचे एक कोटर में एक जहरीला नाग भी रहता था।

    बगुले पेड़ पर ही अपने अंडे दिया करते थे, जिसकी गन्ध नाग तक पहुंच जाती, और जब बगुले अपने लिए खाना ढूंढ़ने गए होते, जब वह जहरीला नाग पेड़ पर जाकर सारे अंडे कहा देता था।

  बगुलों को सांप के विषय में नहीं पता था, फिर एक दिन बगुलों ने जब अंडे दिए तो वे दाना ढूंढने नहीं गए बल्कि पास के एक पेड़ में सच का पता लगाने के लिए रुक गए।

अब सांप अपने बिल से बाहर निकला पेड़ में चढ़ा और सभी अंडे खा गया। बगुलों कप बहुत ही दुख हुआ। सभी बगुले रोने लगे, तभी एक कछुआ वहां से गुजर रहा था,

उसने पेड़ पर कुछ बगुलों के रोने की आवाज सुनी। कछुआ और बगुलों में घनिष्ठ बैर था। तो कछुआ बगुलों की परेशानी जानकर उसका फायदा उठाना चाहता था।

    कछुए ने रुककर बगुलों का हाल-चाल पूछा। तब एक बगुले ने सारी बात उसे बता दी। तब थोड़ा सोचकर कछुआ फिर बोला, ” मेरा एक मित्र है नेवला ,

नेवले और सांप में दुश्मनी होती है, यदि तुम सब इस नाग के बारे में उसे बता दो, तो वह स्वयं ही सांप को मार डालेगा।”

Kahaani Interesting Part- तब एक बगुला बोला, ” नेवला तो हमारा भी बैरी होता है, हम उसके पास मदद के लिए नहीं जा सकते कृपया तुम ही हमारी सहायता कर दो!

कछुआ खुश हुआ और मान गया। उसने सोचा कि मेरे इस एक तीर से दो निशाने हो जाएंगे। वह नेवले के घर के पास गया औऱ वहां से पेड़ के मार्ग तक मछलियों को बिछा दिया।

मछलियों की गंध को सूंघकर नेवला बिल तक पहुंच गया। उसने सांप को भी मार डाला। लेकिन अब वह उस कोटर में ही बस गया। क्योंकि उसे अपने रोज के भोजन के लिए बगुलों की गंध भी उस पेड़ से आने लगी थी।

  इस प्रकार नेवला, सांप के साथ , रोज एक-एक बगुले को मारकर खा गया। और सभी बगुले भी खत्म हो गए।

बाद में यह सब देखकर कछुआ बहुत खुश हुआ।


सीख | Hindi Kahani : ” दुश्मन की सहायता कभी नहीं लेनी चाहिए क्योंकि उनकी सहायता में भी स्वार्थ छिपा होता है।”


” एकता की शक्ति “


Hindi Kahaniyan- एक बार एक कबूतरों का झुंड पलायन कर रहा था। क्योंकि जिस क्षेत्र में पहले वो रहा करते थे, वहां पर खाने का बहुत भयंकर अकाल पड़ गया। यही उनके वहां से पलायन की असली वजह थी।

    कबूतरों का झुंड एक ऐसी जगह पर जाना चाहता था, जहां पर उन्हें कोई खाने की दिक्कत न हो। लेकिन वे सभी उड़ते भी तो कितना! उड़ते उड़ते सभी कबूतर थक चुके थे। उन सभी का सब्र का बांध टूट चुका था।

लेकिन उस समय जिस क्षेत्र से वे सभी गुजर रहे थे, वह क्षेत्र भी भयंकर अकालग्रस्त था। कबूतरों के मुखिया ने सोचा, अगर ऐसा ही रहा तो, सभी कबूतर भूख और थकान से ही मर जाएंगे।

इनकी हिम्मत को मैं और अधिक देर तक नहीं बांध सकता। यदि जल्द ही कुछ खाने को नहीं मिला तो, ये सभी मेरी वजह से मौत के मुह में चले जाएंगे। मैं ऐसा नहीं होने दूँगा।

   कबूतर ने सभी को हिम्मत से काम लेने को कहा, और सभी को बताया कि लक्ष्य अब नजदीक है। मुखिया ने तो अपने मन से कहा कि लक्ष्य अब करीब है, लेकिन कुछ ही क्षणों में सभी एक हरे-भरे क्षेत्र में पहुंच गए।

उन सभी की तलाश एक खेत में जाकर खत्म हुई। वे सभी उस खेत में उतर आए। खेत में बहुत सारा अनाज था।

  लेकिन वह अनाज तो केवल दिखावा था।असल में एक बहेलिए ने वहां पेड़ से खेत पर एक जाल छिपा रखा था। जैसे ही सभी कबूतर नीचे उतरे जाल पेड़ से नीचे गिर गया। अब सभी कबूतर उसमे फंस गए।

Kahaani Interesting Part- कबूतर का मुखिया बहुत दुखी हुआ। लेकिन वह हिम्मत नहीं हारा और सभी कबूतरों से कहा, ” भले ही आज हम इस स्थिति में फंस चुके हैं लेकिन हर मुश्किल का एक न एक समाधान जरूर होता है।

हम सभी के पास शक्ति की कमी नहीं है। बस मन से यह डर निकाल दो कि तुमसे कुछ नहीं हो सकता। अब मेरी बात ध्यान से सुनो, जब मैं इशारा करूँ तो सब अपनी पूरी ताकत लगा देना और जाल सहित आकाश में उड़ जाना “

   सभी कबूतर अपने मुखिया की बात से सहमत हुए। लेकिन थोड़ी ही देर में वहां बहेलिया आ पहुंचा। उसने देखा कि मेरे जाल में तो बहुत से कबूतर फंसे हुए हैं। अब कबूतरों के पास समय नहीं था।

तो कबूतरों के मुखिया ने उसी समय कबूतरों को इशारा कर दिया। सभी कबूतर एक साथ जाल को लेकर आकाश की ओर उड़ चले। बहेलिया यह सब देखकर दंग रह गया।

  अब सभी कबूतर सुरक्षित थे, आकाश में उड़ते उड़ते, जाल के जो बीच में कबूतर थे उन्होंने पहले जाल को छोड़ा औऱ वे बाहर आ गए । फिर एक साथ किनारे के कबूतरों ने भी जाल को छोड़ दिया और सुरक्षित बाहर आ निकले।

अब सब एक अच्छी सुरक्षित जगह को निवास के लिए ढूंढने फिर से निकल पड़े।


सीख | प्रेरणादायक हिन्दी कहानियाँ : ” एकता में बहुत शक्ति होती है, यदि कोई भी कार्य एकता से किया जाए तो वह अवश्य ही सफल हो जाता है।


रोचक कहानियाँ


” ऊंट को सबक “


Hindi Kahaniyan- बहुत समय पहले की बात है, ऊंट तब बहुत ही सुंदर हुआ करते थे।ऊंटों को संसार का सबसे सुंदर पशु भी माना जाता था।

   लेकिन ऊंट अपनी सुंदरता के कारण स्वयं पर बहुत ही घमण्ड करते थे। दूसरों के स्वरूप की खिल्ली उड़ाना तो जैसे उनका पेशा सा बन गया था।

   एक ऊंट जंगल में अन्य जानवरों के साथ रहता था। वह भी बहुत ही घमंडी और नकचढ़ा था। वह अपने सभी साथी जानवरों की खिल्ली उड़ाने से बाज नहीं आता था।

  वह गाय से कहता, ” हा हा हा… ईश्वर ने तुम्हारे साथ बड़ा ही अजीब सा मजाक किया है, इतना बड़ा मुह दिया है लेकिन मांस बिल्कुल भी नहीं। ऐसा लग रहा है,

जैसे कि तुम्हारे शरीर से हड्डियां अभी निकल कर बाहर आ जाएंगी। हा हा हा।”

   भैंस से कहता, ” कितनी काली-कलूटी हो तुम! जरा सिंग देखों अपने कितने टेढ़े मेढे है। तुम तो किसी पर प्रहार भी नहीं कर सकती इन से, और प्रहार करोगी भी कैसे जब बुध्दि होगी तब न! भगवान जब बुद्धि दे रहे थे तो,

पता नहीं तुम किस कार्य में व्यस्त थी। भुगतो अब”

हाथी को वह चिढ़ाता हुआ कहता, ” तुम तो मुझ जैसे 10 जानवरों के बराबर हो। इतना मोटा शरीर, और उस पर से ये सूंड़। ऐसा लगता है तुम्हारी एक छोटी पूंछ पीछे है, और एक आगे।

हा हा हा हा…! तुम्हारे कान इतने भद्दे हैं, और शरीर भी बिल्कुल गोल-मटोल ।पता नही तुमसे कोई दोस्ती करना भी चाहता होगा या नहीं। मुझे तो सन्देह होता है।”

   इस प्रकार वह अपने साथ के सभी छोटे बड़े जानवरों की खिल्ली उड़ाता फिरता था। और कोई भी जानवर उससे कुछ भी नहीं कह पाता था।

  लेकिन एक दिन वह जब जंगल में टहल रहे था तो उसे सामने एक लोमड़ी दिखी, उसने सोचा आज तो मैं इस को ही सबक सिखाऊंगा। जंगल में सबसे होशियार बनी फिरती है।

Kahaani Interesting Part- ऊंट लोमड़ी के पास गया और लोमड़ी के सामने, उसकी खूब बुराई करने लगा। वहां जंगल से एक ऋषि गुजर रहे थे,

उन्होंने यह सब देख लिया अब उन्हें ऊंट के ऊपर बहुत गुस्सा आया।

   वे ऊंट और लोमड़ी के बीच में आ गए। और अपने कमंडल से जल निकालकर ऊंट को श्राप दे दिया। ऊंट श्राप पाते ही बहुत बदसूरत हो गया। उसका मुंह लम्बा हो गया और उसके शरीर पर एक भद्दा सा कूबड़ भी आ गया।

जब ऊंट ने यह परिवर्तन महसूस किया तो उसे बहुत ही दुख हुआ उसने ऋषि से माफी भी मांगी।

   लेकिन ऋषि अब उस श्राप को वापस नहीं ले सकते थे अतः उन्होंने कहा, ” यह भद्दा सा कूबड़ तुम्हारी कठिन स्थितियों में सहायक होगा।”

  अब ऊंट को थोड़ा तसल्ली हुई उसने ऋषि का धन्यवाद दिया और प्रण भी लिया कि अब से वह किसी को भी कुछ नहीं कहेगा। और सबके साथ मिलजुलकर रहेगा।


सीख | Hindi Kahaniyan : ” किसी की शारिरिक कमजोरियों का मजाक बनाना महानता नहीं है। स्वयं के समय और मस्तिष्क को हमेशा अच्छे कार्यों में लगाना चाहिए।”


” अड़ियल बैल “


Hindi Kahaniyan- एक बार एक गांव में एक पेड़ के नीचे बैठकर एक बैल आराम कर रहा था। बैल बहुत ही ताकतवर था। थकान की वजह से पेड़ के नीचे बैठे बैठे उसे कब नींद आ गयी उसे पता ही नहीं चला।

  तभी  एक चूहा वहां खेलते खेलते पहुंच गया। उसे बड़े जानवरों से बहुत डर लगता था। उसे नहीं पता था कि उसका सामना एक बैल से होने वाला है। वह खेलते हुए बैल के पास जा पहुंचा।

बैल का शरीर बहुत बड़ा था। चूहा समझ ही नहीं सका कि यह आखिर क्या है। वह समझ रहा था कि एक अजीब सा पत्थर पेड़ के नीचे रखा हुआ है वह तो अपनी ही मस्ती में मगन था।

तब उसने बैल को पत्थर समझ कर उसकी नाक जो कि सोते हुए जमीन से लग रही थी, में टक्कर मार कर अपनी चोंच से काट लिया।

   बैल को समझ मे ही नही आया कि आखिर उसके साथ हुआ क्या! बैल हड़बड़ी में उठा और चिल्लाने लगा। बैल को उठता है देख कर छोटा सा चूहा हक्का बक्का रह गया। जिसे वह पत्थर समझ रहा था,

वास्तव में वह बहुत विशालकाय बैल था। अब चूहे के पसीने छूटने लगे। वह डर के मारे इधर उधर दौड़ने लगा।

Kahaani Interesting Part- चूहे को इधर -उधर दौड़ता हुआ देखकर बैल को मालूम चल गया कि मेरे साथ इसी ने कुछ किया है। वह बोला ,” ठहर जा! धूर्त चूहे, तूने मेरे साथ जो किया है, उसकी सजा तो मैं तुझे देकर ही रहूँगा।”

वह तेजी से चुहे की ओर सिंग उठाए दौड़ा लेकिन चूहा भी चालाक था वह झट से दीवार में बने एक छोटे से बिल में घुस गया। बैल ने उस दीवार को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन वह दीवार नहीं तोड़ पाया।

उल्टा उसे ही बहुत चोट आ गयी। अब धीरे धीरे बैल का जोश कम हुआ औऱ वह वापस लौट आया। तब नीचे से चूहा बोला, ” स्वयं को ताकतवर समझने वाले बैल! देख आज तू एक चूहे से हार गया।”

   यह सुनकर बैल बहुत दुखी हुआ। चूहे के यही शब्द अब बार बार उसकी कानों में गर्जना करने लगे।


सीख | Hindi Kahani : ” ताकतवर लोग भी बुध्दि के अभाव में अपना सर्वस्व खो देते हैं। अतः शारिरिक बल के साथ साथ बुद्धि का भी बल आवश्यक होता है।”


हिन्दी कहानियाँ


” दो घड़े “


Hindi Kahaniyan- एक बार एक महिला, नदी के किनारे अपने बहुत से घड़े भरने के लिए आई। फिर वह दो-दो करके उन घड़ों को भरकर ले जाने लगी। आखिर में एक मिट्टी का घड़ा तथा एक पीतल का घड़ा नदी के किनारे पर बच गया।

   लेकिन उन घड़ों को भरने से पहले ही नदी में बाढ़ आ गयी। बाढ़ में नदी की लहरें उफान पर थी। अब कुछ लहरे नदी के तट पर आईं और सब कुछ बहा कर ले गईं। उस लहर में मिट्टी का घड़ा और पीतल के घड़ा भी बह कर चले गए।

Hindi Kahaniyan Interesting Part- पीतल का घड़ा, मिट्टी के घड़े से अलग अलग बह रहा था। क्योंकि उसे अपने फूटे जाने का डर सता रहा था। अब पीतल का घड़ा मिट्टी के घड़े से बोला, ” तुम चिंता मत करो साथी।

मैं तुम्हें धक्का नहीं लगाऊंगा। बल्कि मैं तो तुम्हारी सहायता करना चाहता हूं। जब लहरे बढ़ेंगी तो मैं तुम्हें सहारा देकर तुम्हारी रक्षा करूँगा ताकि तुम्हे किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े।”

तब मिट्टी का घड़ा पीतल के घड़े से बोला, ” माफ करना दोस्त, मुझे अपने फूटे जाने का बहुत डर है। यदि मैं मिट्टी का नहीं होता तो शायद मुझे डर भी नहीं होता।

लेकिन यदि मैं सभी से निश्चित दूरी बनाए रखूंगा तो मैं स्वयं की जान को कुछ हद तक बचाकर रख सकता हूँ। मेरी सुरक्षा मेरे ही हाथों में है। अतः तुम मुझसे दूरी बनाकर चलो।

मैं यह कोई बैर वश तुमसे नहीं कह रहा हूँ। मैं तुम्हारा दुश्मन भी नहीं हूं। तुम मुझसे दूरी बनाकर रखोगे तो, यही हम दोनों के लिए बेहतर रहेगा।”

   इस प्रकार मिट्टी के घड़े ने स्वयं को सभी से दूर रखकर अपनी जान बचा ली।


सीख | प्रेरणादायक हिन्दी कहानियाँ : ” अपनी सुरक्षा अपने ही हाथ मे होती है। “


“अफलातून की सीख “


Hindi Kahaniyan- अफलातून, एक यूनानी दार्शनिक थे। वे बहुत ही ज्ञानी थे, लेकिन स्वयं को कभी भी ज्ञानी नहीं समझते थे। उनमें हमेशा ही कुछ न कुछ नया सीखने की ललक लगी रहती थी। वे बहुत ही ज्ञानी थे,

और उनके पास सदा ही उनके अनेक अनुयायियों का जमावड़ा लगा रहता था। उनका मानना यह था कि कोई भी इंसान उस धरती पर कुछ न कुछ पूरे जीवन में सीखता ही रहता है।

    एक दिन उनसे मिलने उनके एक मित्र आए। उन्होंने अफ़लातून को कुछ पढ़ता देख पूछा, ” दुनियाभर के विद्वान से विद्वान लोग आपके पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं।

और आपके सानिध्य में अपने आप का जीवन धन्य पाते हैं। मुझे आज तक आपकी एक बात समझ में नहीं आती। “

इस पर अफलातून बोले, ” क्या शंका है तुम्हारी कृपया कर अपनी शंका सबके सामने जाहिर करो।”

तब उनके मित्र बोले, ” आप स्वयं इतने बडे ज्ञानी हो और देश-विदेश से लोग आपके ज्ञान को अर्जित करने  लिए आते हैं। लेकिन इतने विद्वान होते हुए भी आप में हर समय कुछ न कुछ सीखने की इच्छा रहती ही है।

इतना ही नहीं आप को अपने से छोटो से सीखने में भी कोई परेशानी नहीं होती। कहीं आप दूसरों से सीखने का दिखावा तो नहीं करते?”

Hindi Kahaniyan Interesting Part- अफलातून को अपने मित्र की बात का बिलकुल भी बुरा नहीं लगा बल्कि उन्होंने शांति और शालीनता से उत्तर दिया,

” मनुष्य अपने पूरे जीवनकाल में भी संसार की सभी बातें नहीं सीख पाता।

और सब कुछ ग्रहण नहीं कर पाता। कुछ न कुछ तो हमेशा ही उसे सीखना रह ही जाता है। लेकिन प्रत्येक इंसान के पास ऐसा कुछ न कुछ अवश्य होता है जो कि वह दूसरों को ज्ञान के रूप में दे सके।

तभी मैं किसी से भी, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, ज्ञान लेने में कोई संकोच नहीं करता। वास्तविकता में रहकर दूसरों से सीखते रहना ही जीवन का सार है।”


सीख | Hindi Kahaniyan : ” जो महान होते हए भी स्वयं को महान नहीं समझता और दुसरो के साथ नम्र व्यवहार करता है। असल मे वही सच्चा व्यक्ति और ज्ञानी होता है।”


प्रेरणादायक बाल कहानियाँ


” लालच का फल “


Hindi Kahaniyan- एक व्यापारी के घर मे एक कबूतर अपने घोंसले में रहता था। वह बहुत ही अच्छा और सेवानिष्ठ था। वह दिन भर अपने लिए दाना ढूंढने के लिए घर से बाहर रहा करता था,

और शाम होने पर ही अपने घर पर आता था।

   व्यापारी एक दिन बहुत बड़ी मछली लेकर आया। उनके घर में मेहमान आने वाले थे। अतः व्यापारी की पत्नी में उन मछलियों को रात के खाने में के लिए रखा था।

   तभी उसी समय एक कौआ, उस व्यापारी के घर से गुजर रहा था। उसने देखा कि व्यापारी के घर से मछली की बहुत बढ़िया सुगन्ध आ रही थी। उसके मन में लड्डू फूटने लगे।

उसने मन ही मन निश्चय कर लिया कि आज तो मैं इसी मछली को अपना भोजन बनाऊंगा। उसने देखा कि उस घर मे एक कबूतर रहता है, उसने सोचा, यदि मेरी दोस्ती उस कबूतर से हो गयी,

तो मैं उसके घोंसले में रहने का फायदा उठाकर उस मछली को खा सकता हूँ।

  जब कबूतर सुबह के समय अपने लिए दाना ढूंढ़ने के लिए निकला तो उसके पीछे पीछे कौए ने भी उसका पीछा किया। कबूतर को एहसास हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है।

उसने पीछे मुड़ कर देखा तो उसको एक कौआ दिखा। उसने कौए से पूछा, ” कौन हो तुम मैं तो तुम्हें नहीं जानता, तो तुम मेरा पीछा क्यो कर रहे हो।”

  तब कौए ने एक मनघडंत कहानी बनाई, और कबूतर से बोला, ” मैं तुम्हारा दोस्त ही हूँ, मुझे अपना दोस्त समझो! मुझे तुम पसन्द हो। मैं तुम्हें बहुत दिनों से देख रहा हूँ। मेरे पास घर नही है।

क्या तुम मुझसे दोस्ती कर मुझे अपने साथ रखना चाहोगे?”

तब कबूतर बोला, ” भला कौए और कबूतर की भी कभी दोस्ती हुई है? तुम कीट खाते हो और मैं दाना। ऐसा नहीं हो सकता।”

कौआ कबूतर की बातों को सुनकर झूट मुठ के आंसू बहकर रोने लगा, और वहां से जाने लगा।

तब कबूतर को कौए के ऊपर बहुत दया आई और उसने कौए को रोक लिया। कबूतर ने कौए से कहा, ” ठीक है आज से हम दोस्त बन जाते हैं। जब खाना ढूंढने निकलेंगे तो तुम अलग चले जाना और मैं अलग।

लेकिन रहेंगे एक साथ! चलो मैं तुम्हें हमारा घोंसला दिखा देता हूँ।”

Hindi Kahaniyan Interesting Part- कौआ और कबूतर दोनो व्यापारी के घर पर आ पहुंचे। कबूतर ने कौए को उसका घोंसला दिखाया। कौआ बहुत खुश हुआ।

दिन हो चुका था। अब कौए ने बहाना बनाया की उसकी तबियत खराब हो गयी है।

कबूतर ने कहा, ‘ तुम आराम करो आज यहीं। लेकिन मैं जाता हूँ खाना ढूंढने।”

कबूतर चला गया। कौए की योजना सफल हो गयी। अब कौए की नजर केवल और केवल उस मछली के बर्तन में थी। उसने मौके का इंतज़ार किया और जब रसोईघर में कोई नहीं था तो वह रसोई में चल गया।

उसने मछली की ढकी हुई पूरी थाली नीचे गिरा दी और आराम से बैठकर मछली खाने लगा।

   आवाज सुनकर व्यापारी की पत्नी अंदर आई और कौए को देखकर उसे बहुत क्रोध आया। उसने कौए को पकड़ा औए उसकी गर्दन मरोड़ दी। कौए की कहानी अब हमेशा के लिए खत्म हो गयी।


सीख | Hindi Kahani : ” लालच हमेशा कठिनाई में डाल देता है। इसलिए लालच कभी भी नहीं करना चाहिए।”


Conclusion | Hindi Kahaniyan


आज आपने पढ़ी Hindi Kahaniyan. आशा करते हैं, आपको आज की यह प्रेरणादायक हिन्दी कहानियाँ पसन्द आईं, और इन Hindi Kahani से बहुत कुछ सींखने को भी मिला।

ऐसी ही अन्य रोचक कहानियां पढ़ने के लिए बने रहे sarkaariexam के साथ।

 

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