15+ Special Short Moral Stories in Hindi for Class 7 with Pictures
ताजगी से भरी Moral Stories in Hindi for Class 7, जिन्हे पढ़कर आपको बहुत कुछ सिखने को मिलेगा, जिन्हे आप अपने जीवन में निवेश करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
आज हम आपके लिए लेकर उपस्थित हैं Short Moral Stories in Hindi for Class 7 बेस्ट मोरल कहानियाँ, तो चलिए बिना किसी देरी के पढ़ते हैं।
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Moral Stories in Hindi for Class 7
” सुगन्ध और खनखनाहट “
एक बार दो मित्र, चिंटू और शंकर अपने विद्यालय से घर को जा रहे थे।
उन दोनों में से एक मित्र, शंकर बहुत ही बुद्धिमान था। वह किसी भी प्रकार के कार्य में अपने मित्र की साहयता किया करता था।
जब वे दोनों, विद्यालय से घर जा रहे थे तो, रास्ते में एक मिठाई की दुकान थी। चिंटू को दूर से मिठाई की बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी। उस से रुका नही गया,
वह खुशबू की ओर खींचा, दुकान की ओर चल दिया। उसको रोकते हुए उसका दोस्त भी उसके पीछे पीछे चल दिया।
चिंटू थोड़ा गरीब था, उसके पास 2-3 चिल्लर ही थे जेब मे, इसलिए उसने केवल खुशबू से ही काम चलाया। वह दुकान से जाने लगा। तब दुकानदार ने कहा, ” ओए बच्चे, पैसे निकाल पैसे!”
तब चिंटू बोला, ” काहे के पैसे ? मैंने तो मिठाई ली ही नहीं।”
दुकानदार बोला, “ये मिठाई है, इसकी सुगन्ध के भी रुपये लगते है। रुपये तो तुझे देने ही होंगे।”
चिंटू घबरा गया, उसके पास रुपये नहीं थे। तभी शंकर ने अपने दोस्त के कान में कुछ कहा। चिंटू का चेहरा खिलखिला उठा। वह दुकानदार के पास गया,
और अपने जेब के रुपये उस दुकानदार के सामने खनका दिए। फिर वह दुकान से जाने लगा। तब दुकानदार ने फिर से चिंटू को रोक, ” बेटा पैसे तो दे कर जा” दुकानदार बोला।
चिंटू ने कहा, ” जिस प्रकार मिठाई को सूंघना मिठाई खाने के बराबर है, उसी प्रकार रुपये की खनखनाहट भी रुपये लेने के ही बराबर है।”
सब हंसने लगे गए, और दोनों दोस्त ख़ुशी-ख़ुशी वहां से चले गए।
★ सीख | Moral Stories in Hindi for Class 7 : ” कभी भी भोले लोगों, और अपने से कम सामर्थ्यवान लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए।”
Short Moral Stories in Hindi for Class 7
” चमगादड़ों की कथा “
एक बार जंगल में पशुओं तथा पक्षियों में युद्ध की स्थिति बन आई। चमगादड़ भी जंगल में ही रहते थे, अतः उन्हें भी अब इस युद्ध में शामिल होना ही था।
नहीं तो वे जीतने वाले पक्ष द्वारा जंगल से निकाल दिये जाते।
अब चमगादड़ों ने सोचा, कि हम पक्षियों की तरह उड़ भी सकते हैं, तथा हमारे जानवरों के जैसे बच्चे जन्म लेते हैं। हम किसी के भी समुदाय में शामिल हो सकते हैं।
लेकिन उन्होंने सोचा कि वे जीतने वाले पक्ष की सहायता करेंगे जिससे कि भविष्य में उन्हें कोई परेशानी न हो। युध्द प्रारंभ हुआ। लेकिन चमगादड़ अभी किसी के पक्ष मे नहीं गए।
फिर एक समय आया कि, पशुओं की जीत होना पक्की हो गयी। तभी चमगादड़ों ने न आव देखा न ताव , वे,सभी जानवरों में शामिल हो गए।
लेकिन थोड़ी ही देर में पूरा खेल पलट गया। अब पक्षियों का जीतना तय हो गया। चमगादड़ फिर पक्षियों के झुंड में शामिल हो गए।
लेकिन अंत में पक्षियों और पशुओं की संधि हो गयी। दोनों पक्षों ने उन चमगादड़ों को अपने समूह से निकाल फेंका।
माना जाता है, तब से ही चमगादड़ काली काली कोठरियों में रहने लगे और आज कल भी ऐसी ही जगहों पर पाए जाते हैं।
★ सीख | | Moral Stories in Hindi for Class 7 with Pictures : ” अपना फायदा कभी-कभी, कहीं का नहीं छोड़ता।”
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Intrusting Moral Story
” जन्मदिन की दावत “
एक बार जंगल में सारस और लोमड़ी में बहुत ही पक्की मित्रता थी। सारस, लोमड़ी को बहुत ही अच्छा मानता था। पतन्तु लोमड़ी सारस को थोड़ा कम ही पसन्द करती थी।
लोमड़ी बहुत चालक भी थी।
एक दिन सारस का जन्मदिन था। उसने अपने घर पर अपने जन्मदिन की दावत रखी। उसने अपनी प्रिय मित्र लोमड़ी को बुलाया। लोमड़ी दिन में ही सारस के घर आ गयी।
सारस ने भिन्न भिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए थे। सारस ने लोमड़ी का अभिनंदन किया। खाने का समय हुआ दोनो खाने के लिए बैठे।
तभी अचानक खाना खाते समय लोमड़ी के गले में एक हड्डी फंस गयी। लोमड़ी बे स्वयं से वह हड्डी निकालने की बहुत कोशिश की, परन्तु वह हड्डी निकाल ही नहीं पा रही थी।
तब उसने सोचा,कि कहीं ये हड्डी मेरे गले से नहीं निकली तो मैं तो कभी भी कुछ भी खा ही नहीं पाऊंगी। फिर मैं भूख प्यास से वैसे ही मर जाऊँगी। इस सारस का जन्मदिन मेरा मरन-दिन बन जाएगा।
फिर उसने कुछ सोचकर सारस से कहा, ” सारस तुम्हारी चोंच थोड़ा लंबी है, क्या तुम मेरे गले में फंसी हुई हड्डी को निकाल सकते हो? कृपया कर मेरी मदद कर दो, मैं तुम्हारे लिए एक उपहार भी लाई हूँ।
यदि तुमने मेरे गले की हड्डी निकाल दी तो वह उपहार मैं तुम्हें अभी दे दूँगी।”
सारस ने हामी भरी। लोमड़ी ने मुँह फैलाया , सारस ने अपनी लम्बी चोंच को उसके मुंह में डालकर उसके गले में फँसी हड्डी निकाल दी।
फिर सारस बोला, ” लाओ मेरा तोहफा अब!”
लोमड़ी बोली, ” कैसा तोहफा! मैं तो तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं लाई।” इतना कहकर वह हंसने लगी। और खाना खा कर वहां से चले गयी।
सारस को बहुत बुरा लगा।।
★ सीख | Short Moral Stories in Hindi for Class 7 : ” मतलबी मित्रों से बेहतर शत्रुता होती है।”
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Small Story in Hindi
” मालिक का स्वागत “
एक बार एक व्यापारी के पास एक कुत्ता और एक गधा था। उसने उन दोनों को अपने कार्य के लिए पाल रखा था। कुत्ता घर की रखवाली किया करता था,
और गधा, अपने मालिक का बोझ बाहर इधर से उधर, ले जाया करता था। वास्तव में गधे का कार्य थोड़ा कठिन था, किन्तु कुत्ते का भी सरल नहीं था।
लेकिन गधे को लगता था की उसके साथ भेदभाव हो रहा है, इसलिये वह कुत्ते से ईर्ष्या करने लग गया।
एक दिन गधे ने सोचा, ” कुत्ते को तो घर से बाहर ही नहीं जाना पड़ता , घर में ही रहता है। कितने मजे है उसके।
ऊपर से एक मैं हूं, जो दिन भर मालिक की डंडी से मार खा खाकर भी इधर उधर मालिक का सामान पहुंचाता हूँ। फिर भी मालिक उसी को प्यार करते हैं। मेरी तो कोई परवाह ही नहीं है उनको।”
कुछ देर बाद उसने और सोचा, ” जब मालिक थके हुए आते हैं तो कुत्ता उनको देखकर प्यार से भौंकता है, पूंछ हिलाता है, और खड़ा भी हो जाता है।
शायद तभी मालिक खुश होते हैं और उसे प्यार करने लग जाते हैं। अब से मैं भी ऐसा ही करूँगा तब मालिक मुझसे भी प्रसन्न रहेंगे और मुझे भी प्यार करेंगे।”
शाम को व्यापारी घर आया। जैसे ही गधे को पता लगा कि, मालिक घर आ गया है, वह उसके पास गया, वह अपनी आवाज में ढेंचू- ढेंचू करने लगा , फिर सब अपने मालिक को देखकर पूंछ हिलाई और फिर खड़ा भी हो गया।
व्यापारी को यह सब देखकर आश्चर्य हुआ और उसने सोचा कि, आज मेरा गधा पागल हो गया है, उसने अपनी छड़ी उठाई और उसकी खूब पिटाई की।
गधा तो खुश करने गया था और पिट कर आ गया।
★ सीख | Moral Stories in Hindi for Class 7 : ” किसी से भी बैरभाव या ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।
Hindi Moral Story
” घमण्डी नाग “
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एक बार जंगल में एक नाग था। वह अकेला ही था। वह बहुत जल्द बड़ा हो रहा था। वह चींटियों के अंडों, कीड़े मकोड़ों, और अन्य छोटे छोटे जीवों को खाकर अपना पेट भर करता था।
वह इन सब चीजों को खाकर बहुत हट्टा कट्टा और जहरीला हो गया। वह अपने आपको बहुत अधिक बलशाली समझने लगा। अब उसे यह लगने लगा, कि वही जंगल का राजा है।
उसे ही जंगल का राजा बनना चाहिए। वैसे भी जंगल के सभी बड़े बड़े जानवर उससे डरते थे। सभी पशु-पक्षियों में उसका खौफ देखते ही बनता था।
एक दिन उसे लगा कि, मैं जंगल का राजा हूँ, मुझे रहने के लिए अच्छी जगह पसन्द करनी चाहिए। फिर वह रेंगता हुआ निकल पड़ा, अपने नए घर की खोज में।
कुछ ही देर में उसकी खोज समाप्त हुई और उसे एक बड़ा सा पेड़ दिख, उसने सोचा यहीं पेड़ के नीचे मैं अपना घर बनाऊंगा ।
लेकिन यह क्या!!
उसने देखा कि वहां पेड़ के नीचे तो पहले से ही चींटियों का घर था। उसने गुस्से से अपनी पूंछ से चींटियों का घर तोड़ डाला। सभी चींटियों को बहुत गुस्सा आया और वे बाहर आ गयी।
नाग ने कहा, “चली जाओ यहां से सब , यहाँ मैं रहूंगा।”
चीटियां उससे डरने की बजाय और क्रोधित हो गई। अब हजारों की संख्या में चीटियां सांप के ऊपर चढ़ गई। नाग को भी सुई चुभने जैसी पीड़ा पूरे शरीर में होने लगी।
वह कुछ नहीं कर सका। थोड़े ही देर में वह तड़प तड़प कर मर गया।
चींटियों ने वापस कड़ी मेहनत से अपना घर बनाया। और वहां रहने लगीं।
★ सीख : ” स्वयं को महान औऱ दूसरों कप तुच्छ समझने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए।”
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Moral Stories in Hindi for Class 7 with Pictures
” मूर्ति की माया ”
एक बार एक मूर्तिकार ने भगवान कृष्ण के बालपन की एक बहुत ही सुंदर मूर्ति बनाई। उसे मूर्ति को जल्द ही मूर्ति को उसके निश्चित स्थान पर पहुंचाना था।
उसके पास मूर्ति को पहुंचाने का कोई साधन नहीं था, और कोई भी साधन उसे इधर उधर से कई प्रयासों के बाद भी नहीं मिला।
अतः वह मूर्ति को एक कपड़े से ही ढककर अपने हाथ में ही पकड़कर चल पड़ा।
रस्ते में चलते चलते हवा के कारण वह कपड़ा जो कि मूर्ति के ऊपर ढका हुआ था वह खिसक-खिसक कर गिर गया। अब रास्ते में चलते हुए सभी लोगों को वह सुंदर मूर्ति साफ दिख रही थी।
सब उस मूर्ति को देखकर उसको प्रणाम करने लग गए। मूर्तिकार ने सोचा, सब उसे प्रणाम कर रहे हैं, उसमें थोड़ा घमण्ड आ गया।
वह अब उसको प्रणाम करते हुए लोगों को देखकर चलने लगा। तभी रस्ते में एक पत्थर आया, मूर्तिकार उसको नही देख सका और ठोकर लगने की वजह से वह गिर गया।
उसकी मूर्ति के टुकड़े टुकड़े हो गए। अब उसको बहुत पछतावा हुआ।
★ सीख | Short Moral Stories in Hindi for Class 7 : ” घमण्ड कभी भी लाभप्रद नहीं होता।”
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” पूंछ और गुल्ली “
एक बार एक लकडहारा जंगल से लकड़ियों को काटकर एक मैदान में ले गया। लकड़ियां बहुत बड़ी बड़ी थीं।
अतः वह अपनी सहजता के लिए वहां जाकर उन लकड़ियों को चीरने लगा, तांकि घर तक ले जाने में उसे आसानी हो। उसने थोड़ी लकड़ी की बल्लियां चीर डाली,
और फिर आई एक बड़ी सी बल्ली की बारी। वह लकड़ी की बल्ली बहुत ही मोटी और बड़ी थी।
लकड़हारे को उसे चीरने में बड़ी कठिनाई हो रही थी। अभी बल्ली आधी ही चिरी थी कि, लकड़हारे को याद आया कि , उसकी एक कुल्हाड़ी जंगल में ही छूट गयी है।
वह आधी चिरी हुई लकड़ी में एक छोटी सी गुल्ली फंसा कर जंगल चला गया अपनी कुल्हाड़ी लेने के लिये।
मैदान के पास में एक पेड़ था,पेड़ में एक बन्दर बैठा हुआ था। वह बहुत देर से लकड़हारे को लकड़ियां चीरते हुए देख रहा था। उसको उस लकड़ी की छोटी सी गुल्ली में बहुत ही दिलचस्पी थी।
जब लकडहारा जंगल की ओर चल दिया, तब वह बन्दर पेड़ से उस लकड़ी के पास चला आया और ध्यान से उस लकड़ी की गुल्ली को देखने लगा।
कुछ देर देखने के बाद उसने उस लकड़ी की गुल्ली को हाथ लगाया। उसे वह बहुत पसंद आई। वह उसे निकालने की कोशिश करने लगा।
इतने में उड़की पूछ लकड़ी के चीरे हुए भाग में चले गई। बन्दर ने जोर लगा कर उस गुल्ली को निकाल लिया।
जैसे ही गुल्ली निकली वैसे ही उसकी पूंछ लकड़ी के दोनों भागों के बीच फंस गईं बन्दर को बहुत दर्द हो रहा था। उसने अपनी पूंछ को बहुत निकालने का प्रयास किया परन्तु पूंछ नहीं निकली।
उसने अब जोर लगाया तो उसकी पूंछ का दबा हुआ हिस्सा वही लकड़ी के बीच में ही रह गया। उसकी पूंछ अब कट चुकी थी वहां की जगह पूंछ कटने से लहूलुहान हो गयी।
बन्दर जल्दी अपनी वैसी ही हालत में वहां से भाग निकला।
★ सीख | Moral Stories in Hindi for Class 7 : ” जिन चीजों के बारे में जानकारी न हो उन्हें किसी के परामर्श के बिना नहीं छूना चाहिए।”
Moral Stories in Hindi for Class 7
” फूटा हुआ , अनमोल घड़ा “
एक किसान था, वह दिन भर अपने खेत में व्यस्त रहता था, और शाम को घर जाकर अपने मिट्टी के घड़े का शीतल और निर्मल जल पीता था। जिससे उसकी पूरे दिन की थकान मिट जाती थी।
वह सुबह उठकर उस घड़े को नदी से भर लाता था, शाम तक उसका वह पानी चल जाता था।
एक दिन उसका मटका गलती से दरवाजे के कोने से टकराकर टूट गया। वह परेशान हुआ। फिर उसने सोचा कि एक नया घड़ा बाजार से ले आता हूँ। वह बाजार घड़े की दुकान में गया।
वह घर ले जाने के लिए घड़े देख ही रहा था कि उसे दो सुंदर घड़े दिखे। उसको एक ही घड़ा लेना था परन्तु घड़ों की सुंदरता देख वह दोनो ही घड़े घर ले आया।
वह नदी से दोनों घड़े भर लाया और पुराने घड़े के स्थान पर रख दिया। लेकिन उसने देखा कि एक घड़े में तो आधा ही पानी था, उसने मटके को अच्छे से देखा, तो पीछे से एक जगह से वह फूटा हुआ था।
उसने कुछ सोचा और वह बाहर चला गया। अब वह रोज उन दोनों घड़ों में पानी लाने लगा।
फूटा घड़ा बहुत अचंभित था उसने रोते रोते एक दिन अच्छे घड़े से बोला, ” देखो न हमारे मालिक कितने अच्छे हैं,मैं फूटा हुआ हूं लेकिन फिर भी वे मुझे भी अपने उपयोग में लाते हैं। मैं सच मे किसी के लायक नहीं हूं।”
अच्छा घड़ा बोला, ” ऐसा मत सोचो। लेकिन हां यह तो सत्य ही है, की मैं पूरा पानी घर तक लाता हूँ और तुम पानी बर्बाद कर देते हो, ऐसे हमारे मालिक की मेहनत भी बर्बाद होती है।”
फूटा घड़ा और जोर जोर से रोने लगा। शाम भी हो गयी थी। किसान घर आया। उसने फूटे घड़े की रोने की आवाज सुनी, तो वह उसके पास गया और उससे रोने का कारण पूछा,
तब फूटा घड़ा बोला, ” मालिक मैं आपके किसी भी कम का नही हूँ, कृपया आप मेरी जगह एक अच्छा घड़ा दुकान से ले आइए।”
किसान बोला, “मुझे उस दिन ही इस बात का पता चल गया था, जिस दिन मैं तुम्हें लेकर आया था, लेकिन मैं ने तुम्हें इसलिए नहीं बदल, क्योंकि तुम्हारी वजह से आज एक बहुत अच्छा काम हुआ है,
जब मैं तुम्हें भरकर लाता था तो तुम्हारा पानी उस बेजान रास्ते पर पड़ता था, अतः मैं ने वहां बहुत सारे फूल के पौधों लगा दिए थे, तुम अनजाने में उन पौधों की रोज सिंचाई कर देते थे।
आज वह पौधे बहुत बड़े और सुंदर भी हो गए हैं। फूलों को तो मैं बेचकर अपने लिए पैसे भी जुटाने लग गया हूँ। इस प्रकार तुमने मेरी आमदनी को और अधिक बड़ा दिया है।
तुम्हें यकीन नही है तो कल सुबह जब हम पानी भरने जाएंगे तब देख लेना।”
फूटे घड़े ने रोना बन्द कर दिया। अगली सुबह जब वे पानी भरने जा रहे थे, तो फूटे घड़े ने रस्ते के पौधों और उनमें उगे फूलों को देखा। वह बहुत खुश हुआ।
तब से उसने भी अपनी कमजोरी को नजरअंदाज कर दिया। और वह भी खुश रहने लगा।
★ सीख | Moral Stories in Hindi for Class 7 with Pictures : ” अपने गुणों को इतना विकसित करिए कि आपकी कमियों को लोग नजरअंदाज कर सकें।
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Small Story in Hindi
” खूबसूरत सींग, मुसीबत की जड़ “
एक जंगल में एक बारहसिंघा रहता था। वह बहुत ही सुंदर था। उसे अपने सींग बहुत ही प्रिय थे। परन्तु जब वह अपने पैरों को देखता था तो, उसे बहुत बुरा लगता था।
क्योंकि उसके पैर पतले दुबले और बदसूरत थे। कभी कभी वह खुद को कोसते हुए भगवान से प्रश्न करता था कि उसको ऐसे बदसूरत पैर क्यों दिए!
एक दिन वह जंगल में घास चर रहा था, तब एक शेर ने उसे देख लिया, वह छिप कर बारहसिंघा को देख ही रहा था कि, बारहसिंघा को शेर के उसके आस-पास होने की भनक लग गयी।
उसने मन में सोचा कि आज तो बच पाना नामुमकिन है। परन्तु वह अपनी जी-जान लगाकर वहां से भाग निकला।
बारहसिंघा को भागते देख शेर भी उसके पीछे, उसे पकड़ने लपका। आगे एक पेड़ था। बारहसिंघा के सींग उस पेड़ की डालियों में उलझ गए, उसने बहुत कोशिश की परन्तु उसके सींग निकल ही नहीं पाए।
शेर उसकी ओर पहुंचने ही वाला था कि उसने अपने पैरों की मदद से खड़े होकर अपने सींगों को हिलाया। उसके सींग डालियों से निकल गए।
वह फिर से पूरी ताकत लगा कर भागा , और शेर की पहुंच से बहुत दूर निकल गया।
शेर हाथ मलता रह गया। और बारहसिंघा भाग गया।
अपने घर जाकर बारहसिंघा सोचने लगा, जिन सीगों पर मुझे अभिमान था। वे ही आज मेरी मृत्यु का कारण बन रहे थे, और जिन पैरों को मैं बिल्कुल भी पसन्द नहीं करता था, उन्होंने मुझे आज एक नया जीवन दिया।
तबसे वह कभी भी अपने पैरों को नहीं कोसता।
★ सीख | Short Moral Stories in Hindi for Class 7 : ” कभी कभी जिन चीजो को हम पसन्द नहीं करते, वहीं हमारे प्राणों की रक्षा करती हैं।”
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Story for Class 7 with Pictures
” डरपोक गिलहरी “
एक जंगल में एक गिलहरी रहती थी। वह बहुत ही डरपोक थी।जंगल में कुछ भी घटित होता था तो, वह बहुत ही घबरा जाती थी। उसको थोड़ी सी आवाज से भी बहुत डर लगता था।
एक बार वह एक पेड़ पर बैठी इधर-उधर देख रही थी। शायद वह कुछ सोच रही थी। तभी पेड़ का एक पत्ता उस पर गिर गया। वह बहुत ही ज्यादा घबरा गई।
उसने सोचा कि आसमान उसके ऊपर गिर रहा है। वह झटपट पेड़ से नीचे उतरी और चिल्ला चिल्लाकर भागने लगी, ” भागो सब , आसमान गिर रहा है।….भागो…..!”
तभी उसकी आवाज एक खरगोश ने सुनी, खरगोश भी बहुत डरपोक था। उसने आव देखा न ताव वह भी उसके पीछे भागने लगा।
तभी जंगल के हिरन, लोमड़ी, चूहा और हाथी, सब एक धुन में ही गिलहरी की बातों में आकर भागने लगे। सब एक साथ बोल रहे थे, ” आसमान गिर रहा है, भागो….. भागो…….!”
वे सब हल्ला करते हुए शेर की गुफा के समीप चले गए। शेर खाना खाकर अपनी गुफा में सोया हुआ था। कोलाहल से उसकी नींद खुल गयी।
उसको थोड़ा गुस्सा आया और वह मामले को देखने के लिए बाहर आया। उसने अपनी एक दहाड़ लगाई और सभी जानवर रुक गए। उसने पूछा, ” क्या बात है, तुम सब भाग क्यों रहे हो?”
तभी चूहा बोला, ” महाराज! आसमान गिर रहा है। आप भी हमारे साथ किसी सुरक्षित स्थान पर चलिए।”
आसमान के गिरने की बात सुनकर शेर को बहुत हंसी आई। शेर बोला, ” दिखाओ मुझे कहाँ गिर रहा है आसमान, और तुमसे यह कहा किसने कि आसमान गिर रहा है।”
सबने एक-दूसरे का मुह देखा, तब सबकी नजर जाकर गिलहरी पर रुकी, फिर वह बोली, ” महाराज मैं झूठ नहीं बोल रही हूँ। आप चलिये मेरे साथ। वहीं पेड़ में जब मैं बैठी थी,
तो , तब मेरे ऊपर आसमान का थोड़ा सा टुकड़ा गिरा, वह अभी वहीं होगा, चलिये मेरे साथ।”
सभी जानवर और शेर गिलहरी के साथ उस जगह चल दिये। सब वहां पहुंच गए सबने इधर उधर देखा। कहीं कुछ भी नही था। पेड़ के नीचे बस कुछ पत्ते गिरे थे।
शेर ने कहा, ” यहां तो कहीं आसमान का टुकड़ा नहीं है। बस ये पत्ते जरूर है।”
सब समझ गए कि गिलहरी ने पत्ते को ही आसमान का टुकड़ा समझ लिया। सभी जानवर अपनी मूर्खता पर शर्मिंदा हुए। और शेर हंसने लगा। अब सभी जानवर अपने अपने घर चले गए।
★ सीख | Moral Stories in Hindi for Class 7 : “सुनी-सुनाई बातों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए।”
Short Moral Stories in Hindi
” मां का प्यार “
एक जंगल में बहुत सारे पशु-पक्षी अपने अपने परिवार के साथ रहते थे। वे सभी खुशी खुशी जंगल में रहते थे।
एक दिन जंगल के जानवरों के बीच प्रतियोगिता की घोषणा हुई कि जिस पशु अथवा पक्षी का बच्चा सबसे अच्छा होगा, उसको इनांम देकर सम्मानित किया जाएगा।
सभी अपने अपने बच्चों को लेकर उस निश्चित प्रतियोगिता वाले दिन प्रतियोगिता वाले स्थान पर पहुंच गए । सब एक एक कर कतार में लग गए। सबके बच्चों की जांच होने लगी, कि कौनसा बच्चा सभी में से सुंदर है!
तभी एक बन्दरिया की बारी आ गयी। बन्दरिया की नाक देखकर जांच करने वाला बोला, ” छी कितनी बदसूरत है यह! इसको कौन लेकर आया प्रतियोगिता में?”
बन्दरिया को बहुत बुरा लगा। वह रोते हुए दौड़कर अपनी मां के पास चले गई। उसने अपनी मां को बताया कि, उन दूसरे जानवरों ने मेरे बारे में भला बुरा कहा।
तभी उसकी मां ने उसे पुचकारा और उससे कहा, ” ये लोग तुझे क्या पहचानेंगे मुझे पता है ना तू कितनी सुंदर है, मेरे लिए मेरी बच्ची ही संसार की सबसे सुंदर और सबसे अच्छी बच्ची है।
तुझे किसी प्रतियोगिता की जरूरत नहीं है ।” उसने अपनी बेटी को गले से लगा लिया।
पास में खड़े प्रतियोगिता में आए हुए सभी जानवर उसको देख रहे थे। सब उनकी बात सुनकर बहुत भावुक हो गए और उनके लिए ताली बजाने लगे।
★ सीख | Small Story in Hindi : ” केवल सूरत ही सुंदरता का प्रमाण देने के लिये पर्याप्त नहीं है। सुंदरता तो सीरत, कार्यो और गुणों से ही सिद्ध होती है।”
Moral Stories in Hindi for Class 7 with Pictures
” बिल्ली के गले में घंटी कौन बंधेगा “
एक बार एक गांव में एक पनवाड़ी रहता था। उसकी पैन की दुकान थी। साथ ही उसने सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान भी रखी थी। वह दोनो दुकानों को खूब चलाता था। उसकी दुकान अनाज से भरी रहती थी।
एक बार हुआ यूं कि उसकी दुकान में बहुत सारे चूहे उतपन्न हो गए। अब उसे बहुत चिंता होने लगी। तभी वह कुछ दिनों बाद ही कहीं से 1 बिल्ली को ले आया। उसने बिल्ली को दुकान में ही छोड़ दिया।
बिल्ली ने थोड़े ही दिनों, में बहुत से चूहों को खत्म कर दिया। वह जब भी दुकान मे इधर उधर घूमती, उसे कोई न कोई चूहा अवश्य ही मिल जाता। चूहों की संख्या अब दुकान में बहुत ही कम हो चुकी थी।
चूहों को चिंता होने लगी के, यदि इसी प्रकार चलता रहा तो एक दिन वे सब समाप्त हो जाएंगे। समस्या का समाधान निकालने के लिए उन सभी ने एक सभा करने की सोची।
सभा हुई। सभा में सभी बचे हुए चूहे एकत्रित हुए। चूहों के सरदार ने चूहों को बचाने के संदर्भ में सभी से उनकी राय लेनी चाही।
किसी को कोई मुख्य उपाय नहीं सूझ पा रहा था। किसी ने कुछ उपाय बताया किसी ने कुछ। लेकिन कोई भी सात्विक समाधान नहीं बता पाया।
चूहों के सरदार को तो बहुत चिंता होने लगी, कि अब क्या होगा! क्योंकि सभा से भी कुछ समाधान नही निकल पा रहा था।
तभी सभा में से एक चूहा उठा, और बोला, सरदार जी! मेरी बात सुनिए, इस समस्या का कोई बेहतर सुझाव ढूंढना ही हमारी जान को बचा सकता है, क्योंकि बिल्लियां बहुत ही चालाक और फुर्तीली होती हैं।
कहीं चूहा दिखा नहीं, वे लपक कर उसका शिकार कर लेती है। मुझे ऐसा लगता है कि, हम सबको मिलकर उसके गले मे घण्टी बांध देनी चहिए।
जिससे कि जब बिल्ली हमको पकड़ने आएगी तब वह घण्टी बजेगी और जैसे ही घण्टी बजेगी हम सतर्क हो जाएंगे और उस जगह से भाग जाएंगे।”
यह सुझाव सभा में अब तक का सबसे बेहतरीन सुझाव था। लेकिन अब समस्या यह थी कि ,” बिल्ली के गले में घण्टी बांधेगा कौन!”
एक समस्या से निकले तो वे लोग दूसरी समस्या में गिर गए।
थोड़े ही दिनों में बिल्ली ने उन बचे हुए चूहों को भी अपना शिकार बना लिया।
★ सीख | Moral Stories in Hindi for Class 7 with Pictures :” जिस चीज पर अमल न किया जा सके ऐसे सुझावों से दूर रहना ही ठीक रहता है।”
” मां की जीत “
एक बार रस्ते में दो महिलाएं एक बच्चे के लिए बहुत झगड़ा कर रहीं थी, एक महिला बोली, यह बच्चा मेरा, है। दूसरी महिला बोली, यह बच्चा मेरा है। इस तरह दोनों महिलाएं अपना अपना हक उस पर जताने लगीं।
आते जाते सभी लोग उन दोनों को देखकर बहुत हैरान हो रहे थे। तभी एक इंसान ने उन दोनों को न्यायाधीश के पास पहुंचा दिया।
दोनो महिलाओं ने बच्चे के लिए अपनी ममता दिखाई। और दोनों ने अपना अपना पक्ष रखा।
न्यायाधीश को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वे किस के पक्ष में फैसला लें। तभी उन्हें एक युक्ति सूझी।
उन्होंने दोनों महिलाओं से कहा, ” आप दोनो थोड़ा सब्र रखिए मैं किसी को भी निराश नहीं होने दूंगा।”
इतना कहकर उन्होंने एक व्यक्ति को ख़ंजर लेकर बुलवाया। व्यक्ति ख़ंजर लेकर उनके पास पहुंच गया। अब न्यायाधीश बोले, ” इस बच्चे के बीचोबीच से दो टुकड़े कर दो।
आधा हिस्सा इस महिला को दे देंगे और बचा हुआ आधा हिस्सा दूसरी महिला को दे देंगे।”
दोनों महिलाओं ने भी यह बात सुन ली। उनमे से एक महिला यह बात सुनकर जोर जोर से रोने लगी। वह रोते रोते बोली, ” दया करें साहब !
कृपया करके आप मेरे लाल को न मारें भले ही आप मेरे बच्चे को इन्हें सौंप दीजिए मैं कुछ नहीं कहूंगी। बस आप इसको मारें नहीं। बस इतना ही चाहती हूँ मैं।”
जबकि दुसरी महिला चुप रही और बच्चा मिलने की बात से बहुत खुश हुई।
न्यायाधीश की युक्ति सफल हुई। उन्होंने बच्चे को मारने की बात से विचलित हुई महिला को बच्चा सौंपने का फैसला किया। क्योंकि एक मां अपने बच्चे को किसी दूसरे व्यक्ति को देने के लिए तैयार हो जाती है,
परन्तु वह अपने बच्चे को कभी मरता हुआ नहीं देख सकती।
महिला बच्चा पाकर बहुत खुश हुई। दूसरी महिला को बच्चे को चोरी करने के जुर्म में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया।
★ सीख | Moral Stories in Hindi for Class 7 : ” सच बोलने से कभी नही घबराना चाहिए। क्योंकि अंत में जीत सच्चाई की ही होती है।
Hindi Short Stories with Moral
” बच्चे की दाढ़ी “
सोहन नाम का एक बहुत ही शरारती बच्चा था। वह अकसर गांव में बहुत ही शरारत किया करता था। वह बुद्धिमान भी था।
लेकिन गांव में सब उसकी शरारतों से बहुत परेशान थे। सबको उसकी शरारतों के बारे अच्छे से मालूम था। वह किसी के घर भी जाता था,
तो, उस घर के लोग पहले से ही सतर्क हो जाते थे कि यह कोई शैतानी न कर दे।
एक दिन सोहन किसी नाई की दुकान के बाहर से गुजर रहा था, तब उसने सोचा कि यह नाइ का काम कितना मजेदार है, इसको देखने में मुझे बड़ा मजा आता है। क्यों न मैं इसे अंदर जाकर देखूँ!
वह अंदर चला गया। कोई नाई के पास बाल की कटिंग करवाने आया था कोई दाड़ी बनवाने।
नाई की कैंची खच खच चलती और बाल झट से कट जाते। इसी प्रकार दाड़ी का भी था। अब सोहन ने अपनी शैतानी शुरू कर दी, वह नाई के समान के साथ छेड़छाड़ करने लग गया।
नाई ने जब यह सब देखा तो उसने सोहन से पुछा, ” ओ छोटू, तुम्हें भी बाल कटवाने हैं क्या?”
सोहन छेड़छाड़ में व्यस्त था अचानक से नाई की आवाज को सुनने पर वह डर गया। और उसके हाथ से कैंची नीचे गिर गयी। उसने सोचा कि कैंची गिरकर टूट गयी होगी अतः वह झट से वहां से भाग निकला।
अगले दिन सुबह को वह फिर से नाई की दुकान में आया। वह बाहर से ही खड़ा होकर अंदर झांकने लगा, फिर उसने देखा कि, कैंची तो सही सलामत ही है।
तब वह थोड़ी हिम्मत जुटाकर नाई के पास आया। उसने कहा, ” नाई चाचा, मुझे भी अपनी दाड़ी बनवानी है।”
नाई थोड़ा हंसा उसे समझ आ गया कि यह शरारती लड़का है, इसे सीधे सीधे समझाया तो इसको समझ नहीं आएगा। अतः नाई ने कहा, “ठीक है। बैठ जाओ कुर्सी पर।”
नाई ने सोहन को कुरसी पर बैठा दिया। उसने सोहन के गले में तौलिया लपेट दिया और उसके मुह में दाड़ी को निकालने वाला शेविंग फॉम लगा दिया। फिर उसको ऐसे ही बैठे रहने दिया और अपने अन्य कार्य करने लग गया।
बहुत देर हो गयी थी, सोहन ने सोचा, इतनी देर हो गयी औऱ यह तो मेरी दाढ़ी बना ही नही रहे खाली एक जगह पर बैठा दिया है। तब उसने तंग आकर नाई से कहा, ” मेरी भी तो दाड़ी बनाइए।”
नाई ने कहा, ” बेटा मुझे पता है। लेकिन मैं तुम्हारी दाढ़ी उगने का इंतजार कर रहा हूं । हा हा हा..” वह हंसने लगा। और उसकी दुकान में उस समय जितने भी ग्राहक थे सब हंसने लगे।
सोहन को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और वह शर्मिंदा होकर वहां से चला गया।
★ सीख | Moral Stories in Hindi for Class 7 with Pictures : ” दूसरों को परेशान करने वाले एक दिन स्वयं हँसी का पात्र बन जाते हैं।”
” सफेद खाल का भेड़िया “
एक बार जंगल मे एक भेड़िया टहल रहे था, तो टहलते हुए उसे एक भेड़ की सफेद खाल मिल गई। भेड़िया बहुत खुश हुआ। उसने इस खाल के जरिए भेड़ो के झुंड में जाने की योजना बनाई।
भेड़िये ने भेड़ की खाल पहन ली। अब उसे कोई भी नहीं पहचान सकता था कि वह भेड़िया है या फिर भेड़। उस दिन एक चरवाहा भेड़ो को लेकर जंगल मे चराने के लिए आया।
वह भेड़ो को देखकर बहुत ही खुश हुआ। वह जल्द से भेड़ो के झुंड में शामिल हो गया और घांस चरने का नाटक करने लगा।
तभी भेड़िये ने मन में सोचा, ” जब ये चरवाहा मुझे भेड़ों के साथ उनके तबेले में बंद कर देगा, तभी अंधेरा होने पर मैं एक भेड़ पकडूँगा और फुर्र हो जाऊँगा किसी को पता भी नहीं चलेगा कि, यह काम मैंने किया है।
यह खाना तो मेरा, कई दिनों तक चल जाएगा। फिर जब मेरा खाना खत्म होगा तो यह भेड़ की खाल तो है ही मेरे पास, फिर से किसी अन्य भेड़ो के झुंड में शामिल होकर मैं एक और भेड़ का शिकार करूँगा।
मेरा जीवन तो धन्य हो गया है, भेड़ की खाल को पाकर।”
सभी भेड़ो ने पेट भर घांस चर ली। अब शाम हो चुकी थी, चरवाहा भेड़ो को लेकर घर को चल दिया। घर मे आने के बाद वह भेड़ो को वहीं तबेले मे बांध कर अपने कमरे की ओर चल दिया। रात होने ही वाली थी ।
यहां तक तो भेड़िये की योजना ने काम करा, लेकिन इसके बाद कुछ यूं हुआ कि भेड़िये की सारी भविष्य की योजना धरी की धरी रह गयी।
उस ही दिन चरवाहे के घर पर बहुत से मेहमान आ गए। अब उतनी रात को वह क्या खाने पीने का इंतजाम कर पाता, अतः उसने सोचा कि एक भेड़ को ही काट देता हूँ मेहमान भी खुश हो जाएंगे।
वह तबेले में गया और सबसे मोटी भेड़ देखकर ले आया। रात में कुछ अच्छे से दिख नहीं रहा था, चरवाहा पहचान नहीं सका और उसको हलाल कर दिया।
असल मे वह मोटी भेड़ और कोई नहीं भेड़ की खाल ओढे भेड़िया ही था।
भेड़िये का पूरा प्लान असफल हो गया और उस दिन वह चरवाहे के मेहमानों का भोजन बन गया।
★ सीख | Hindi Short Stories with Moral : “बुराई का अंत भी बुरा ही होता है।”
” संगीतमयी गधा “
एक धोबी के पास एक गधा था। धोबी उससे दिन भर मजदूरी करवाता था, और उसे पेट भर भोजन भी नहीं देता था। धोबी बहुत ही निर्दयी और कंजूस था। वह रात को उसे खुला छोड़ देता था करने के लिए।
वहां कोई अच्छी घांस की जगह भी नहीं थी, जहां जाकर वह कर सके। गधा बहुत ही कमजोर ,दुबला पतला हो गया।
एक दिन गधा रात में चर ही रहा था कि उसकी मुलाकात एक गीदड़ से हो गयी। गीदड़ बहुत ही मोटा खासा हट्टा कट्टा था। ऐसा लगता था कि वह दुनिया का सबसे सुखी जानवर है।
गधा गीदड़ के पास गया। दोनो ने बातचीत शुरू की। दोनों की बातें ही ही रही थी कि गीदड़ ने गधे से पूछा, ” क्या बात है गधे दोस्त तुम तो काफी दुबले पतले हो, तुम खाना नहीं खाते हो क्या?
मैं ने आज तक तुम्हारे जितना दुबला पतला जानवर कहीं भी नहीं देखा।”
गधा उसकी बात सुनकर रोने लगा, और गीदड़ से बोला, ” क्या बताऊँ दोस्त ! आज तुम पहले ऐसे हो जिसने मुझसे इतने प्यार से बात की है और मुझे मेरे पतले होने के बारे में चिंता व्यक्त की है,
तुम ही मेरे सबसे अच्छे मित्र हो, परिवार के नहीं हुए तो क्या हुआ, मैं तुम्हें आज से अपना परिवार ही मानता हूं। मैं तुम्हें मेरे बारे में बताता हूं। “
थोड़ा रुककर वह फिर बोला, ” मैं एक धोबी के वहाँ काम करता हूं वह बहुत ही निर्दयी है। वह मुझसे दिन भर मजदूरी करता है, कभी इधर कभी उधर ले जाता है, वो भी भारी भरकम बोझ के साथ।
मुझे तो वह खाना भी नहीं देता और रात में चरने के लिए छोड़ देता है, देखो न यहां तो चरने के लिए मैदान भी नहीं है तुम ही सोचो क्या खाऊं मैं ?..तभी मेरी हालत ऐसी ही हैं।
यदि मुझे वह काम के बदले थोड़ा भी खाना देता तो मुझे इधर उधर भटकना नहीं पड़ता। और न ही मेरी ऐसी हालत होती।”
गधा अब जोर जोर से रोने लगा।
गीदड़ ने उसे चुप कराया और कहा, ” देखो तुमने मुझे अपना परिवार माना है ना, और मुझे अपनी सारी परेशानी भी बताई है। मैं भी अबसे तुम्हें अपना परिवार ही मानता हूं,
और तुम्हारी समस्या मेरी समस्या है। मैं तुम्हारी समस्या का समाधान करूँगा।”
वह बोला, ” मेरी हालत देखो, मैं भी पहले तुम्हारे जैसा ही दुबला पतला था। फिर मुझे एक बाग का पता लगा, वहां हमेशा ही फल और सब्जियां लगी रहती हैं, ककड़ियाँ, तरबूज , तोरई, लौकी और बैंगन तो सदाबहार ही हैं।
उस बाग में बड़ी ही तीव्र सुरक्षा है, लेकिन मैं ने एक गुप्त रास्ता बना रखा है, जिसमें से होकर मैं वहां जाता हूँ और पेट भर खाना खाकर वहां से चला आता हूँ। तूम अब मेरे साथ चलो।
तुम्हारी आत्मतृप्ति आज मैं ने नहीं कराई तो मैं भी तुम्हारा दोस्त नहीं।”
गधा , गीदड़ के साथ चल दिया। दोनो उस बाग में पहुंचे। जब गधे ने उतनी सारी, फल और सब्जियां देखी तो वह दंग रह गया। उसने झटपट खाना प्रारंभ किया। कुछ देर बाद उसका पेट भर गया।
उसने गीदड़ को धन्यवाद दिया और कहा कि अपने जीवन में आज उसने पहली बार इतना अच्छा भोजन पेट भर कर खाया है ।
दोनो वापस चले गए। अब वे दोनों रोज वहां एक साथ आते और भोजन करते फिर वहां से चले जाते।
गधा थोड़े ही दिनों में मोटा हो गया।
एक दिन जब उन दोनो ने भोजन कर लिया तब गधा कहने लगा, ” दोस्त मैने आज बहुत खा लिया है, मेरा पेट भर गया है। तुम खाओ, तब तक मैं गाना गाता हूँ । आज मैं बहुत खुश हूँ और मेरा मन गाने का हो रहा है।
गीदड़ ने उसकी बात सुनकर खाना छोड़ दिया । और उसे समझाया कि, इस बाग के चारों ओर पहरेदार हैं, वे तुम्हारी आवाज सुनकर यहाँ आ जाएंगे और हमे खूब मारेंगे। तो तुम अपना गाना मत गाओ।
गधे को लगा कि उसका दोस्त उससे जल रहा है, क्योंकि उसे गाना नहीं आता। उसने उसकी बात नहीं सुनी और गाने की जिद पर अड़ा रहा। गीदड़ ने सोचा, यह ऐसे नहीं मानेगा।
गीदड़ बोला, ”अच्छा ठीक है, मैं ना तुम्हारे लिये कुछ इनाम ले आता हूँ तुम मेरे जाने के 10 मिनट बाद गाना शुरू करना।”
गीदड़ वहां से भाग गया । 10 मिनट बाद गधे ने गाना शुरू किया। उसकी आवाज सुनकर खेत के पहरेदार वहां आ गए और गधे को देख लिया उन्होंने सोचा कि यह वही है,
जो रोज उनकी खेती का नुकसान करता था। उन्होंने उसे खूब पीटा।
गधा मौका मिलते ही वहां से भाग आया। लेकिन वह बहुत तकलीफ में था। और पछता भी रहा था,कि उसने अपने मित्र की बात क्यो नहीं सुनी ।
★सीख | Stories for Students in Hindi : ” अपने हितैषियों की सलाह न मानने का नतीजा बुरा ही होता है।”
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Conclusion
आज आपने पढ़ी Moral Stories in Hindi for Class 7 .आपको यह कैसी लगी, बताइये हमें कमैंट्स में।
और ऐसी ही अन्य रोचक कहानियां पढ़ने के लिए बने रहिये sarkaariexam के साथ।