15+ Short Motivational Story in Hindi for Success | Motivational Stories
जीवन मे सही राह दिखाने वाली Motivational Story in Hindi जिनसे आपको प्रेरणादायक सीख मिलेंगी, जिन्हें आपने अपने जीवन मे निवेश करके सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
प्रेरक घटनाओं से भरी हुई Motivational Stories in Hindi जिन्हें पढ़कर आप जीवन मे चल रही परेशानियों से लड़ने की प्रेरणाएं पॉय सकते हैं, तो चलिए शुरू करते हैं।
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Motivational Story in Hindi
” मकड़ी की सीख “
बहुत समय पहले, शिवगढ़ नामक रियासत में एक राजा का शासन था। राजा बहुत ही अच्छा शासक था। लेकिन उसके पास सेना कम थी।
एक बार शिवगढ़ के पड़ोसी राज्य के राजा ने शिवगढ़ पर हमला कर दिया।
अचानक हमला होने के कारण शिवगढ़ के राजा परास्त हो गए। क्योंकि उनकी सैन्य क्षमता कम थी और वे थोड़ा डर भी गए थे।
राजा भाग कर किसी गुफा में जाकर छिप गए।
दुश्मन राज्य के सैनिक उनके पीछे पड़ गए थे। अतः वे उसी गुफा में छिपे रहे कुछ दिनों तक।
एक दिन राजा गुफा में इधर उधर टहल रहे थे। तभी उन्हें एक मकड़ी दीवार पर चढ़ती हुई दिखाई दी। वे थोड़े देर तक उस मकड़ी को दीवार पर चढ़ते हुए देखते रहे।
मकड़ी दीवार के ऊपर जाकर, ऊपर कोने में वह अपना घर बनाने मे व्यस्त थी। वह आपने लिए और अपने बच्चों के लिए जाल बुन रही थी। जाल बुनने में वह कई बार नीचे गिर रही थी।
लेकिन वह फिर से सम्भलकर दीवार में चढ़ रही थी। बार-बार वह मकड़ी गिरती,और फिर अपना जाल बुनने ऊपर चढ़ती। वह ऐसा इसलिए कर रही थी, क्योंकि उस पर अपनी और अपने बच्चों की जिम्मेदारी थी।
उसको, उनके लिए घर का इंतजाम करना ही था।
राजा उसको देख कर बहुत लज्जित हुआ और उसने सोचा, यह एक छोटी सी मकड़ी होकर जब हार नही मानती है। तो मैं एक राजा होकर कैसे हार मान सकता हूँ!
राजा उस दिन बहुत प्रेरित हुए और गुफा से बाहर अपने राज्य शिवगढ़ आ गए। उन्होंने अपने राज्य में जाकर लोगों को प्रेरित किया और राज्य के लोगो को लेकर अपनी एक नई फौज बनाई ।
फिर उन्होंने अपने राज्य को बचाने के लिए फिर एक युद्ध लड़ा औऱ इस बार उनकी विजय हुई।
और इस प्रकार उनको अपना राज्य पुनः प्राप्त हुआ।
◆ सीख | Motivational Story in Hindi : असफलताओं से लड़ने वालों को एक न एक दिन सफलता अवश्य मिल जाती है।
” पत्थर की मूरत “
एक राज्य था, हस्तिनापुर। वहां एक राजा थे, जिनका नाम था, राजा भूपेंद्र सिंह। राजा बहुत ही तपस्वी और ज्ञानी थे।
एक बार राजा हिमालय पर तपस्या करने के लिए गए। उन्होंने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या शुरू की। उन्हें तपस्या करते करते बहुत समय हो गया।
ब्रह्मा जी राजा से बहुत खुश हुए, और राजा को दर्शन दिए।
ब्रह्मा जी ने राजा से कहा- मांगो पुत्र ! तुम हमसे क्या मांगना चाहते हो?
राजा बोले- ब्रह्मा जी, मैं आपका बहुत बड़ा भक्त हूँ। आपने मुझे अपने दर्शन दिए, मैं तो उसी से धन्य हो गया, कृपया आप मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें।
ब्रह्मा जी ने राजा को अपने आशीर्वाद स्वरूप एक बड़ा सा पत्थर दिया, और कहा- जब तक तुम इस पत्थर को सम्हाल के अपने पास रखोगे, मेरा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ रहेगा।
राजा अपने महल में वापस आये, और उन्होंने उस पत्थर को ब्रह्मा जी की मूर्ति में बदलकर अपने महल के मंदिर में रखने के बारे में सोचा।
उन्होंने तुरंत अपने राज्य के सबसे अच्छे मूर्तिकार को मूर्ति बनाने के लिए महल बुलवाया। मूर्तिकार ने मूर्ति बनाने के लिए हां कर दी।
अगले दिन मूर्तिकार मूर्ति बनाने के लिए अपने साथ औजार लेकर महल आया।
और मूर्ति बनाने के लिए पत्थर तोड़ने लगा, उसने कई बार पत्थर तोड़ने के लिए पत्थर पर हथोड़े से मारा, परन्तु पत्थर नहीं टूटा।
आखिर में वह थककर महाराज से बोला, महाराज यह पत्थर टूट ही नहीं सकता, आप कृपया यह काम किसी और से करवा लें।
महाराज ने मूर्तिकार की समस्या समझकर उसे जाने दिया, और एक दूसरा मूर्तिकार बुलाया।
दूसरे मूर्तिकार ने जैसे ही पत्थर में एक वार किया, पत्थर के कई टुकड़े हो गए। और उसने मूर्ति बनानी प्रारम्भ की।
तब महाराज मन ही मन सोचने लगे, काश पहला मूर्तिकार इसमें एक बार और बार तोड़ने का प्रयास करता तो यह टूट जाता, उसने पहले ही हार मान ली।
सीख | Motivational Stories in Hindi- हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचने से पहले कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।
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” दो बंदरों की प्रेरक कहानी “
बहुत समय पहले की बात है, यमुना नदी के किनारे दो बंदर रहते थे। जिनका नाम सोनू और मोनू था। वह दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे।
वह हर काम मे एक दूसरे की मदद करते, और कोई भी कठिनाई आने पर उससे एक साथ निपटते।
वह हर दिन नदी किनारे खेलने जाया करते थे।
कुछ दिनों से नदी के किनारे एक छोटा बांध बनने का कार्य चल रहा था, और सोनू, मोनू को उस बांध के बारे में पता नहीं था।
बांध बनाने के लिए लोगों ने नदी के किनारे कई बड़े बड़े गड्डे कर दिए थे। और उन पर पानी न भर जाए, इसलिए उनके ऊपर घांस डाली हुई थी।
एक दिन सोनू और मोनू रोज की तरह खेलने के लिए नदी के किनारे जा रहे थे, कि अचानक सोनू का पैर घांस पर पढ़ा, और वह सीधे गड्ढे में जा गिरा।
सोनू ने मोनू से बाहर निकलने के लिए मदद मांगी। मोनू ने भी सोनू को निकालने की बहूत कोशिश की, पर वह नाकाम रहा।
और सोनू से बोला- भाई मेने तुमको निकालने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, पर मैं नाकाम रहा।
अब शायद तुम उपर नहीं आ सकते। में तुम्हे नीचे तड़पता हुआ नहीं देख सकता, मैं तुम्हारे ऊपर मिट्टी डाल देता हूँ। जिससे तुम तड़पोगे नहीं और तुम्हारी मृत्यु भी आसान और जल्दी हो जाएगी।
मोनू ने सोनू के ऊपर कुछ मिट्टी डाली, और वह घर को चला गया।
रात हो गयी। मोनू खाना खाकर सो गया।
लेकिन सोनू ने हार नहीं मानी। सोनू मिट्टी को सीढ़ी बनाकर उपर आने की कोशिश कर रहा था। और आखिरकार वह उपर चढ़ने लायक सीढ़ी बनाने में कामयाब हो ही गया।
और चढ़कर उपर आ गया।
सोनू अपने घर में जैसे ही पहुँचा, मोनू उसे जिंदा देखकर हैरान हो गया। और सोनू से माफी मांगने लगा।
सीख | Motivational Story in Hindi for Success- चाहे जीवन मे कितनी भी परेशानी आ जाये, हमे उससे घबराना नहीं चाहिए, उस परेशानी का डटकर सामना करना चाहिए।
परेशानियां हमे बर्बाद करने नहीं बल्कि हमे कोयले से हीरे की तरह तराशने आती हैं।जो अपनी परेशानियों का डटकर सामना करता है, वह सफल हो जाता है।
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” प्रकाश “
एक किसान था उसके तीन पुत्र थे। किसान एक बहुत ही मेहनती और ईमानदार व्यक्ति था। वह अपने तीनो बच्चों से बहुत अधिक प्रेम करता था।
लेकिन उसके बच्चों का बचपन से ही किसी भी दुनियादारी के कार्यों में मन नहीं लगता था। अतः वह अपने बच्चो को दुनियादारी सिखाना चाहता था।
उसने बहुत से तरीके आजमाकर देखे लेकिन किसी से भी काम नहीं बना।
एक दिन उसने अपने तीनों बेटों को पास बुलाया और उन तीनों को 100-100 रुपये दे दिए और कहा, ” मैं ने तुम तीनों को बहुत समझा कर देख लिया।
परन्तु तुम तीनो मेरी बात समझने के लिए तैयार ही नहीं थे।
अब तुम तीनों को इन रुपये का सदुपयोग करके ऐसी चीज लेकर आनी है, जिससे कि पूरा घर भर जाए। यह तुम तीनों की बुध्दिमानी की परीक्षा है।
देखते हैं तुम तीनों इस परीक्षा में सफल होते हो या नहीं।”
इतना कहकर उसने अपनी बात को समाप्त किया और वहां से चला गया।
तीनो भाई आपस में सोच रहे थे कि इन रुपयों का ऐसा क्या लें कि जिससे पूरा घर भर सके। तीनों को कुछ सूझ नही रहा था। फिर भी तीनो अलग-अलग कुछ सामान के बारे में सोचते हुए बाजार को चल दिये।
पहला बेटा जब बाजार गया तो उसने देखा कि एक दुकान पर एक व्यक्ति गायों के चारे के लिए भूसा बेच रहा था। उसके समझ में और तो कुछ आ नहीं रहा था, तो उसने भूसा ले लिया और घर आ गया।
उसके पिताजी घर पर ही थे, उन्होंने देखा कि उनका एक बेटा अपने साथ 100 रुपये का भूसा लेकर आया है, उस भूसे से घर का एक कमरा भी नहीं भरा।
तभी घर में दूसरे बेटे ने भी प्रवेश किया वह अपने साथ 100 रुपये की रुई ले आया रुई काफी थी लेकिन वह भी घर को नहीं भर पाई।
उनके पिता यह सब देख कर फिर से बहुत निराश हुए। अब उन्हें लगा कि इन सबको समझाना बहुत कठिन है, अब मुझे हार मान लेनी चाहिए।
शाम हो गयी थी। तीसरा बेटा अभी तक घर नहीं आया था। लेकिन जैसे ही वे सभी अपने अपने कार्यों में व्यस्त हुए वैसे ही तीसरे बेटे ने घर में प्रवेश किया।
उसके हाथ में केवल एक थैली थी जिसके अंदर थोड़ा सा ही सामान था। उसके दोनों भाई उसे देखकर हंसने लगें। उन दोनों ने आपस मे कहा, कि हम तो कम से कम 1 कमरे को भरने तक का समान लाए।
पतन्तु यह तो 1 थैली भर कर भी कुछ नहीं लाया।
तीसरे बेटे ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया औऱ कमरे के अंदर गया। वह उस थैले में बहुत सारी मोमबत्तियां और अगरबत्तियां लेकर आया था। उसने मोमबत्तियां और अगरबत्तियाँ जला दी।
पूरा घर और घर का एक एक कोना प्रकाशित हो गया और कुछ ही देर में पूरा घर, अगरबत्ती की सुगंध से महक उठा।
अब उसने अपने पिता से कहा, ” पिताजी मैं यह लेकर आया था। देखिये पूरा घर भर गया है। और मैं 50 रुपये बचा भी लाया हूं।”
उसके पिताजी बहुत खुश हुए। और उस दिन अपने पुत्र को बहुत शाबाशी भी दी। अन्य दोनो बेटे भी बहुत शर्मिंदा हुए उन दोनों ने अपनी कही गयी बात के लिए अपने भाई से माफी भी मांगी।
◆ सीख | Short Motivational Stories in Hindi with Moral : ” किसी भी कार्य को सोच-समझकर करना चाहिए।”
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” हार नहीं मानूँगी “
यह प्रेरक कहानी है, आज की मशहूर टेलीविजन अभीनेत्री और नृत्यांगना सुधा चंद्रन की।
सुधा बचपन से ही एक विलक्षण प्रतिभाशाली बच्ची थी। वह जब भी कोई गाना सुनती थी तो उसके पैर स्वतः ही थिरकने लग जाते थे। बचपन से ही उसकी रुचि नृत्य में थी।
ऐसा लगता था कि वह अपनी मां के गर्भ से ही नृत्य की कला सीख कर आई हो।
शीघ्र ही उसने बहुत ही अच्छा नृत्य करना सीख लिया। वह बड़े बड़े मंचों पर अपनी प्रस्तुति भी देने लगी थी। बचपन में ही उसकी ख्याति पूरे देश में फैल गयी।
एक दिन वह गाड़ी से कहीं जा रही थी तो, अचानक उसकी गाड़ी की दुर्घटना हो गयी। सुधा भाग्यशाली थी, क्योंकि वह इस दुर्घटना में बच गयी थी।
लेकिन दुर्भाग्यवश उसकी एक टांग दुर्घटना में बुरी तरह से खराब हो गयी जिस कारण सर्जरी द्वारा चिकित्सकों को उसका एक पैर उसके शरीर से अलग करना पड़ा। सुधा बहुत ही दुखी हुई और तनाव में आ गयी।
उसके पैर से ही तो उसकी पहचान थी। अब वह अपने पैरों के बिना कैसे नाचती!
फिर एक दिन उसने अपने पैरों के बिन ही नाचने की कोशिश की । वह बहुत बार गिरी लेकिन फिर 1 बार वह थोड़ा सफल हुई और सब अपना प्रयत्न जारी रखा। उसने अपने पैर के स्थान पर एक नकली पैर लगा लिया,
उसको लगाकर नृत्य करने से शुरू में बहुत परेशानी हुई कभी कभी खून भी निकलने लग गया था। चिकित्सको ने उसको नृत्य करने से बिल्कुल मना कर दिया था।
सुधा ने फिर भी अपना प्रयास किया। और मन ही मन ठान लिया कि मैं हार नहीं मानूँगी, और वह अपने प्रयासों में सफल भी हुईं। आज वर्तमान में वह जानी मानी टेलीविजन की अभिनेत्रियों में से एक हैं।
अपने नृत्य से भी उन्होंने कई मंचो को सुशोभित किया।
◆सीख | | Motivational Story in Hindi : ” कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।”
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” आलस का परित्याग “
एक राज्य में मोहन और राम नामक दो भाई रहते थे। दोनों भाई बहुत ही आलसी रहते थे। जैसे जैसे वे बड़े हो रहे थे, वैसे वैसे उनका आलस भी बढ़ता जा रहा था।
उन दोनों की मां, उनके आलस से बहुत ही परेशान थी।
एक दिन दोनों एक सेब के पेड़ नीचे बैठे थे। दोनों वहां बैठे बैठे सो गए। तभी सेब के पेड़ से एक सेब नीचे गिर गया। गिरने की आवाज से उन दोनों की नींद खुल गयी।
लेकिन उन दोनों को इतना आलस आ रहा था कि दोनों ही, उस सेब को देख ही रहे थे, कोई भी उसे उठाना नहीं चाहता था।
तभी पास से उस राज्य के एक मंत्री जा रहे थे। मोहन ने मंत्री को आवाज लगाई।
” मंत्री जी! कृपया ये सब उठाकर हमें दे दीजिए।”
मंत्री बोला, ” तुम्हारे पास ही तो है। तुम खुद ही उठा लो।”
मोहन बोला, ” इस कार्य में बहुत मेहनत है। कृपया आप ही उठा दीजिए।”
मंत्री को बहुत गुस्सा आया और वे बिना उनको फल दिया वहां से चले गए। मंत्री सीधे मोहन और राम के घर गया। मंत्री ने दोंनो की करतूत उन दोनों की मां को बताई।
उनकी मां ने कहा, ” मंत्री जी मैं तो कब से परेशान हूँ। इन दोनों को लेकर ये दोनो भाई जैसे जैसे बड़े हो रहे हैं और अधिक आलसी होते जा रहे हैं।”
मंत्री बोले, ” आपने यह समस्या पहले मुझे या महाराज को क्यों नहीं बताई ! यदि मुझे पता होता इन दोनों के बारे में तो मैं इन्हें पहले ही सीधा कर चुका होता।
” फिर मंत्री ने कुछ सोचकर कहा, ” आप इन दोनों को सुबह महल में भेज देना। बाकी हम देख लेंगे।”
अगले दिन, मोहन और राम मंत्री के वचनानुसार महल पहुंच जाते हैं। मंत्री ने पहले से ही सारी योजना बना ली होती है, महाराज योजनानुसार उन दोनों को राजकोष की पहरेदारी का कार्य सौंप देते हैं।
दोनों भाई मरे मन से राजकोष के बाहर पहरेदार बनकर खड़े हो गए। लेकिन दोनों अपनी आदत से लाचार थोड़ी ही देर में आलस से वहीं पर सो गए।
उस ही दिन, महल के राजकोष से चोरी हो गयी। सुबह जब उन दोनों को पता चला कि महल में चोरी हो गयी है, उन दोनों ने जाकर मंत्री को बताया। फिर यह बात महाराज को पता चली।
महाराज को बहुत क्रोध आया उन्होंने एक शेर बुलवाया मोहन और राम को दंडित करने के लिए। दोनों बहुत डर गए। मृत्यु को सामने देख कर उन दोनों को अपनी मूर्खता का आभास हुआ।
दोनों ने महाराज से क्षमा याचना की। और वचन दिया, ” महाराज! आज से हम आलस्य त्याग कर अपने कार्य को पूरी मेहनत और लगन के साथ करेंगे।”
महाराज ने उन दोनों को माफ कर दिया। मंत्री की योजना सफल हुई।
◆ शिक्षा | Motivational Stories in Hindi :- आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है, इसे त्याग कर ही जीवन में कुछ हासिल किया जा सकता है।
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Motivational Story in Hindi for Success
” पहला वार “
एक बार एक मूर्तिकार मूर्तियां बनाने के लिये बाहर से पत्थर चुनने गया। उसे एक सुंदर सी भगवान की मूर्ति बनानी थी। उस मूर्ति की स्थापना कुछ दिन बाद पास के मंदिर में होने वाली थी।
उसे दो-तीन अच्छे पत्थर मिले। वह उन पत्थरों को लेकर अपने घर गया।
उसने पत्थर , हथौड़ी आदि सारा मूर्ति बनाने का सामान एक साथ रखा और घर आते ही वह लग गया अपने कार्य में।
सबसे पहले उसने पत्थरों को जांचा परखा। फिर उसने एक सबसे अच्छे पत्थर का चयन किया जिससे वह मूर्ति बनाने वाला था। वह हथौड़ी, हाथ में लेकर पत्थर को ठोकने लगा,
उसने सुना कि पत्थर में से कुछ रोने जैसी आवाज आ रही है, लेकिन उसने इस बात को नजरअंदाज कर दिया। थोड़ी देर बाद वह आवाज बहुत तीव्र हो गयी। मूर्तिकार रुक गया। मूर्तिकार ने जब गौर से देखा तो,
वह आवाज किसी और कि नहीं बल्कि पत्थर की ही थी। पत्थर स्वयं पर हो रहे प्रहार के कारण बहुतरो रहा था।
मूर्तिकार ने पत्थर से कहा, ” क्यों रो रहे हो तुम?”
पत्थर बोला , ” मुझे अपने ऊपर हो रहे प्रहार से बहुत डर लगता है। और मुझे बहुत पीड़ा भी हो रही है। कृपया आप मुझे छोड़ दीजिए।”
मूर्तिकार ने उसे छोड़ दिया। और वहीं पर पड़े एक दूसरे पत्थर को उठाया और उस पर पहला प्रहार और कारीगरी कर बहुत ही सुंदर भगवान गणेश की प्रतिमा बना दी। मूर्ति बहुत ही सुंदर बनी।
दो दिन बाद मूर्ति को लेने के लिए गांव के कुछ लोग आ गए। उन्होंने मूर्ति को उठाया औऱ मन्दिर में ले जाने लगे तभी एक व्यक्ति ने सोचा,
भगवान के आगे नारियल को फोड़ने के लिए भी तो किसी पत्थर की जरूरत पड़ेगी!
तभी उसने वही पर पड़े एक पत्थर को उठा लिया। यह वही पत्थर था जो अपने ऊपर के प्रहारों से डर के रोने लगा था। सभी लोग मन्दिर चल पड़े।
मन्दिर में मूर्ति बने पत्थर का अभिषेक हुआ। उसकी पूजा होने लगी लेकिन उसके सामने रखे उस रोने वाले पत्थर के ऊपर सब नारियल फोड़ने लगे। अब उसको पहले से भी अधिक पीड़ा होने लगी।
तभी मूर्ति बने पत्थर ने उस दूसरे पत्थर को समझाया, ” तुम यदि उस दिन अपने ऊपर हुए पहले प्रहार को सह लेते तो, आज यहां मेरी जगह तुम होते और, आज तुम्हारी पूजा हो रही होती।”
तभी वह पत्थर बोला, ” हां तुम सही कह रहे हो। मैंने उस समय अपने कर्तव्य से मुह मोड़ लिया और अब मुझे अपने इन ही कर्मो के साथ जीना होगा। लेकिन मैं अब समझ गया हूँ।
अब मैं अपने ऊपर हो रहे प्रहारों को भगवान का नाम लेकर अपनी नियति बनकर सहूँगा।”
◆ सीख | Motivational Story in Hindi for Success : जीवन में अवसर मिलने पर जो उनका सदुपयोग नहीं करते वे हमेशा दुसरों से ,जीवन की दौड़ में पीछे रह जाते हैं।
” आदर सत्कार “
पराधीनता के समय की बात है, किसी आंदोलन के दौरान, महात्मा गांधी जी को जेल में डाल दिया गया। खान अब्दुल गफ्फार खान भी उसी जेल में थे।
खान अब्दुल गफ्फार खान , गांधी जी के अनुयायियों में से एक थे। इतना ही नहीं खान अब्दुल गफ्फार खान को स्थानीय गांधी कहकर भी पुकारा जाता था।
खान अब्दुल गफ्फार खान गांधी जी के साथ ही रहा करते थे। वे रोज देखते थे कि, गांधी जी जेल के जेलर लोगों की बहुत ही इज्जत किया करते थे। जब भी जेलर लोग उनके बैरक का चक्कर लगाने आते थे तो,
गांधी जी उनके आदर और सम्मान में खड़े हो जाते थे। लेकिन यह बात खान अब्दुल गफ्फार खान को बिलकुल भी पसन्द नहीं थी।
एक दिन इस बात को लेकर गांधी जी से खान अब्दुल गफ्फार खान ने बहस कर डाली। उन्होंने गान्धी जी से कहा, ” हमारे पूरे देश को इन लोगों ने अपने कब्जे में ले रखा है।
और हम सबको बिन बात के अपनी कैद में रख रखा है! फिर भी आप इनकी इतनी ज्यादा इज्जत करते हैं। मैं पूछता हूँ क्यो? इसकी क्या जरुरत है आखिर।”
Moral part of this short motivational story in hindi for success- फिर वह रुककर बोले, ” मुझे पता है वास्तव में आप उनका समन इसलिए नहीं करते क्योकि वे एक जेलर हैं,
बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि जेलर लोग आपको बहुत सी सुविधाओं का लाभ उठाने देते हैं।
जैसे कि यह अखबार। हम सभी के लिए यह अखबार केवल हिंदी अथवा अंग्रेजी में आता है, जबकि आपके लिए ये लोग गुजराती भाषा के अखबार का इंतजाम करते हैं।”
खान अब्दुल गफ्फार खान को यह बात बिल्कुल भी नहीं भाई और वे थोडे दिन तक गांधी जी से गुस्सा हो गए।
लेकिन इन बातों का गांधी जी ने कोई जवाब नाही दिया। लेकिन कुछ दिनों तक गांधी जी ने अब केवल अंग्रेजी और हिंदी अखबार पढ़ा। खान अब्दुल गफ्फार खान अब समझ गए,
जो कि गांधी जी उनको समझाना चाहते थे।
और उस दिन से खान अब्दुल गफ्फार खान भी उन जेलरों का आदर सत्कार करने लग गया।
सीख | Short Motivational story in Hindi for Success : अपनी गलतियों को समेटना कितना मुश्किल है लेकिन उनका एहसास हो जाना ही पश्चाताप का पहली सीढ़ी है।
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Short Motivational Stories in Hindi with Moral
” गुरुकुल का आखिरी दिन “
एक जंगल के बीचोबीच एक आश्रम था। उस आश्रम में बहुत से बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। उस गुरुकुल के सभी गुरु बहुत ही ज्ञानी थे।
उस गुरुकुल में घनश्याम और मुरली नामक दो बालक अपनी शिक्षा ग्रहण करते थे।दोनो पक्के मित्र थे। दिन बीते और उनकी शिक्षा समाप्त हो गयी। अब उनके गुरुकुल से जाने का दिन भी आ ही गया।
दोनों जाने की तैयारी करने लगे। इतने में उन दोनों के पास एक गुरु आए। उन्होंने देखा कि, इन दोनों के मन मे बहुत उत्साह है अपने घर जाने के लिए।
गुरुजी बोले, ” बच्चों! तुम्हारी शिक्षा-दीक्षा तो समाप्त हो चुकी है, लेकिन तुम्हें जाने से पूर्व एक परीक्षा देनी होगी। यदि तुम इस परीक्षा में सफल हो गए, तभी ही तुम इस गुरुकुल से जाने योग्य होंगे।”
दोनों दोस्त अचरज में पड़ गए और गुरुजी से परीक्षा के बारे में पूछने लगे। बच्चों की उत्सुकता को देखते हुए, गुरुजी ने अपनी शक्तियों के प्रयोग से अपने हाथ में दो तोते उतपन्न किये। गुरुजी बोले,
” इन पंछियों को तुम दोनों को ऐसी जगह ले जाकर मारना है जहां पर कोई भी तुम्हें न देख रहा हो। ध्यान रहे कोई भी नहीं! अपना परिणाम सुनाने के लिए मुझे बाहर वृक्ष के नीचे मिलना।
मैं तुम दोनों का वहीं इंतजार करूँगा।”
गुरुजी ने दोनों को एक-एक तोता दे दिया।
दोनों मित्र अलग अलग तोते को किसी ऐसी जगह मारने निकले जहाँ उन्हें कोई भी नहीं देख रहा हो।
मुरली एक गुफा के अंदर चला गया। गुफा बहुत ही अंधेरी थी। मुरली को लगा कि वहां उसे कोई भी नहीं देख रहा होगा अतः उसने झट से अपने तोते की गर्दन मरोड़ दी। तोता वहीं पर समाप्त हो गया।
मुरली मर हुआ तोता लेकर गुरुदेव के पास पहुंचा। उसने गुरुदेव को मरा हुआ तोता सौंप दिया औऱ इसकी जानकारी भी दी कि उसने इसे कैसे मारा। मुरली को परिणाम की बहुत ही जल्दी थी,
लेकिन गुरुदेव ने कहा कि जब तक घनश्याम नहीं आ जाता तब तक वे परिणाम नही सुनाएंगे।
शाम हो गयी मुरली गुरुकुल नहीं आया, अब गुरुदेव को चिंता होने लगी। लकिन फिर वह गुरुदेव के सम्मुख उपस्थित हुआ। मुरली उसके हाथ का तोता देख बहुत ही अचंभित हुआ।
गुरुदेव ने भी उससे उसके देर से आने का कारण पूछा।
तब घनश्याम बोला,
Moral part of this motivational short stories in hindi- ” गुरुदेव मैं इस तोते को नही मार सका। मैं इस परीक्षा में विफल हो गया। मैं इसको मारने के लिए जहां भी ले गया मुझे कोई न कोई देख ही रहा था।
मैं पहले इसको मारने जंगल ले गया वहां मुझे पेड़-पौधे और जंगली जानवर देख रहे थे।
फिर मैं इसको लेकर नदी किनारे ले गया। वहां मछलियां और नदी की लहरें मुझे देख रही थीं। फिर मैं एक अंधेरी गुफा में गया। वहां कोई भी नहीं था। लेकिन वहां का सन्नाटा मुझे देख रहा था।
और सबसे बड़ी बात मैं स्वयं भी देख रहा था। अतः मैं इसे नहीं मार पाया।”
गुरुदेव उसका उत्तर सुनकर बहुत ही खुश हुए औऱ अब परिणाम सुनाने लगे। गुरुदेव ने कहा, ” जो शिक्षा मैं तुम्हें देना चाहता था, वह घनश्याम पहले ही सीख गया है। अतः इस परीक्षा में वही विजयी है।
” गुरुदेव ने अपनी शक्तियों से उस मरे हुए कबूतर को भी जीवित कर दिया।
मुरली को समझ आ गया कि उसे अभी और बहुत कुछ सीखना बाकी है यहाँ अतः वह फिर से गुरुकुल में चला गया। घनश्याम अपना सामान लेकर सभी गुरुओं का आशीर्वाद लेकर अपने घर की ओर चल दिया।
◆ सीख | | Motivational Story in Hindi : किसी के “देख न लेने” का भय ही हमें गलत कार्यों को करने से रोकता है। अतः हमें यह सोचना चाहिए कि हमे ईश्वर तो देख ही रहे हैं, तांकि हम जीवन मे कोई गलत कार्य न कर सकें।
” कृतज्ञता “
एक बार एक बहेलिया जंगल गया। उसे एक गिद्ध मिला। गिद्ध शिकारी पक्षी होते हैं अतः बहेलिये ने अपनी सुरक्षा के लिए उस गिद्ध को पकड़ने के लिए जाल फेंका। गिद्ध उस जाल में फंस गया।
अब बहेलिया उस गिद्ध को घर ले आया।
घर लाते ही बहेलिये ने गिद्ध के बड़े बड़े पंखों को काट डाला। अब वह उड़ नहीं सकता था। वह कूद-कूदकर ही अपना भोजन ग्रहण करता।
Intrusting part of this best motivational story in hindi- बहेलिये के घर से थोड़ी ही दूरी पर एक शिकारी रहता था। उसने बहुत दिनों से शिकारी के घर पर रह रहे गिद्ध को देखा,
वह एक बिना पँखों के रह रहे गिद्ध को देख बहुत ही विचलित हुआ।
एक दिन शिकारी ने बहेलिये से कहा, ” तुम्हारे घर में एक गिद्ध है ना? जिसके पंख तुमने काट दिये हैं!! गिद्ध तो शिकारी पक्षी होते हैं। वे छोटे जीवों को मारकर उनका भक्षण करते हैं।
तुमने उसके पंख क्यों कुतर डाले?”
इस पर बहेलिया बोला, ” मुझे उससे खतरा था। उस समय मुझे जो ठीक लगा मैंने किया। अब यह मुझे किसी भी प्रकार की कोई भी हानि नहीं पहुँचा सकता है।”
शिकारी बोला, ” मेरे ख्याल से यह तुम्हारे किसी काम का नहीं है! क्या तुम इसे मुझे दे सकते हो?”
बहेलिये ने हामी भरी और गिध्द को शिकारी को सौंप दिया।
शिकारी ने गिद्ध की दवा-दारू की। वह बहुत महीनों तक उसकी सेवा में लगा रहा। कुछ ही महीनों में उसके पंख उगना शुरू हो गए फिर धीरे धीरे उसके पंख पहले के ही तरह बहुत विशाल हो गए।
शिकारी अपनी मेहनत से उसको पहले जैसा कर बहुत ही खुश हुआ और जब उसको लगा कि, गिद्ध पूरी तरह से ठीक हो गया है, तब उसने गिद्ध को खुले आकाश में उड़ा दिया। गिद्ध ने उसे आजाद कर दिया।
Moral part of this short motivational stories in hindi with moral- अब गिद्ध स्वतंत्र था। लेकिन वह शिकारी का कृतज्ञ था। वह उसके एहसान का बदला तो नहीं चुका सकता था,
लेकिन उसने मन मे सोचा कि मुझे शिकारी के लिए कुछ न कुछ तो करना ही चाहिए।
गिद्ध ने शिकारी को एक खरगोश का शिकार करके उसे भेंट स्वरूप शिकारी को दे दिया।
बाहर पेड़ पर बैठा एक पक्षी गिद्ध से बोला, “मैं तुम्हें कई दिनों से देख रहा हूँ। लेकिन मुझे समझ नहीं आया कि तुमने शिकारी को प्रसन्न करने की कोशिश क्यो की?
उससे तो तुम्हें कोई खतरा भी नहीं है!”
तब गिध्द बोला, “भय उन लोगों से करना चाहिए जो हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं। और उनसे डटकर सामना भी करना चाहिये। लेकिन जो मदद करते हैं उनको डराने की बजाय उनका आदर करना अच्छी बात है।
भले ही मुझे उससे कोई खतरा नहीं है, लेकिन मेरे कठिन समय में उसने ही मेरी मदद की थी जिस कारण मैं उसका कृतज्ञ हूँ । मैं उसके लिए जो कर सकता हूँ वह मैं अवश्य करूँगा।” गिद्ध वहां से फिर जंगल की ओर उड़ चला।
◆ सीख | Motivational Stories in Hindi : सहायता करने वालों का सदैव सम्मान करना चाहिए और उनके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए।
Inspirational Stories in Hindi
” समझदारी “
बहुत समय पहले, एक बार एक जंगल मे बारहसिंघा और बारहसिंघा का बच्चा, जोकि बड़ा हो रहा था, एक साथ चर रहे थे। जंगल मे घूमना के साथ साथ मां बारहसिंघा अपने बच्चे को जीवन की नीतियां भी सिखाती थी।
बारहसिंघा का बच्चा बहुत ही प्यारा और अभी अबोध था। उसे जंगल के रीति-रिवाजों का उतना ज्ञान नहीं था।
जंगल मे चरते समय शिकारियों का एक दल उनके पास से गुजर रहा था। माँ बारहसिंघा को शिकारी कुत्तों की भनक लग गयी। अब उसने झट से अपने बच्चे को अपने आगे लिया,
और एक झाड़ी के पीछे अपने बच्चे का मुंह बन्द करके छिप गई।
Intrusting part of this best motivational story in hindi- शिकारी कुत्ते वहां से गुजरे लेकिन उनको पता नहीं चला कि वहां कोई जीव है।कुत्ते आगे बढ़ गए।
जब मां बारहसिंघा को कुत्तों के जाने की संतुष्टि हो गयी तो, वह अपने बच्चे को लेकर बाहर आ गयी।
अपने और अपनी मां को इस तरह से छिपते देख बारहसिंघा के बच्चे को अच्छा नहीं लगा। उसने अपनी माँ से पूछा, ” माँ! भगवान की कृपा से हमारे तो इतने अच्छे और नुकीले सींग हैं।
जिससे हम किसी का भी काम तमाम कर सकते हैं। लेकिन हम उन कुत्तों से डरकर झाड़ी के पीछे क्यो चले गए? जंगल के राजा शेर की बात अलग है इन कुत्तों को तो हम सबक सीखा ही सकते थे!!”
Moral part of this short motivational stories in hindi with moral- उसकी मां अपने बच्चे से बोली, ” बेटा तुम सही कह रहे हो, लेकिन यह डर हममें हमारे पूर्वजों से आया है।
जब भी कोई जंगली शिकारी जानवर आता है तो हम पहले अपनी सुरक्षा को देखते हैं,
और हमारे मन में अपने प्राणों का भय उतपन्न हो जाता है। बिना लड़ाई के यदि हम बच सकते हैं और अपने प्राणों की रक्षा कर सकते हैं तो इसमें बुराई क्या है।”
मां बारहसिंघा ने अपने बच्चे को तो समझा दिया, लेकिन उस दिन वह अपने बेटे की बात से बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुई उसने मन में सोचा, यदि हम भी पूर्वजो के बताए नियमों का अनुसरण करेंगे,
तो आने वाली कई पीढ़ियां भी भयभीत ही रहेंगे। यदि बहादुरी से इनका सामना कर मैं विजयी हो जाती तो सभी में बहादुरी का सन्देश जाता और सब भयमुक्त हो जाते।
◆ सीख | Motivational Story in Hindi for Success : जीवन मे कभी भी भयभीत नहीं होना चाहिए बल्कि अपने भय पर विजय प्राप्त करनी चाहिए।
Motivational Short Stories in Hindi
” क्रोध पर विजय “
एक गांव में एक गुरुकुल था। वहां बहुत से योगी अपने आपको सिद्ध करने के लिए आते थे। उस गुरुकुल में एक बहुत ही ज्ञानी, वृद्ध योगी भी निवास करते थे। उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी।
एक बार एक 55-60 साल का व्यक्ति उस कुटिया में वृद्ध योगी के पास आया, उसने योगी का सममान किया उन्हें प्रणाम किया और कहने लगा,
” मुझ पर कृपा करिए गुरुदेव। मैं अपने जीवन से तंग आ गया हूँ ,
मैं अब उस संसार मे विलासिता की वस्तुओं के साथ नही रहना चाहता। मैं ने जो कुछ ज्ञान अपने जीवन में अर्जित किया है वह अब मैं संसार को देना चाहता हूं। मुझे आप कृपया इस सेवा का अवसर दें।”
गुरुजी ने कुछ सोचा और कहा, ” ठीक है, इसके लिए तुम्हें शिक्षक की उपाधि ग्रहण करनी होगी। तुम कल सुबह नहा धोकर आना।”
Intrusting part of this short motivational story in hindi- वह व्यक्ति योगी की बहुत इज्जत करता था और उन पर उसकी सच्ची आस्था थी। वह अगले दिन आया।
परन्तु जैसे ही वह द्वार पर पहुंचा एक महिला ने जोर-जोर से झाड़ू लगाया,
जिससे कि सारी धूल व्यक्ति के ऊपर चले गई। व्यक्ति को बहुत गुस्सा आया वह क्रोध में गाली देने लगा और उसने पास में पड़े पत्थर को , महिला को मारने के लिए उठा लिया। लेकिन महिला सतर्क थी।
क्योंकि ऐसा करने के लिये उससे गुरुदेव ने ही कहा था। वह वहां से भाग गई। व्यक्ति नहा कर दुबारा आश्रम आ गया।
वह गुरुदेव के पास गया। लेकिन गुरुदेव ने कहा, ” तुम अभी यहाँ शिक्षण देने के लायक नहीं हो, तुम 1 वर्ष बाद आना।”
एक वर्ष बाद वह नहा-धोकर फिर आश्रम पहुँच जाता है, लेकिन इस बार भी उस पर धूल लग जाती है, वह फिर उस महिला को बहुत डांटता है। फिर वह वापस नहा-धोकर गुरुदेव के पास आता है,
और गुरुदेव उसे फिर से 1 वर्ष का समय दे देते हैं। ऐसे ही 4-5 वर्ष बीत जाते हैं।
Moral Part of this motivational story in hindi for students- लेकिन इस बार… वह फिर से नहा-धोकर आता है, महिला उस पर कूड़े से भरी टोकरी व्यक्ति पर उलट देती है,
परन्तु इस बार व्यक्ति को बिल्कुल भी क्रोध नहीं आता वह व्यक्ति महिला को प्रणाम करता है,
” आप मेरी गुरु है और आपने ही मेरे अंदर के क्रोध और घमण्ड जैसे विकारों को दूर करने मे मेरी सहायता करी है। इसके लिये आपका धन्यवाद।” वह फिर से नहाने घर चला जाता है।
यह बात महिला गुरुदेव को बताती है। व्यक्ति भी वहाँ पहुंच जाता है। इस बार गुरुदेव , व्यक्ति से बहुत ही प्रसन्न होते हैं और उसके आश्रम में शिक्षण करवाने के लिए तैयार हो जाते हैं।
अब जाकर उस व्यक्ति को शिक्षक की उपाधि मिलती है।
◆ सीख | Short Motivational Stories in Hindi with Moral : जो व्यक्ति अपने क्रोध पर विजय प्राप्त कर लेता है वह पूरे संसार पर विजय प्राप्त कर लेता है।
Short Motivational Story in Hindi for Success
” किसान की भूमिका “
एक बार किसी राज्य के राजा युध्द में विजयी होकर, युद्ध क्षेत्र से अपने राज्य वापस लौट रहे थे। उनके साथ बहुत से सैनिक भी थे।
युद्ध के लंबे चलने और बहुत लंबी यात्रा मरने के पश्चात वे सभी बहुत थक चुके थे।
उनका खाना भी समाप्त हो गया था। सब भूखे थे। अतः वे लोग, अपने राज्य के किसी गांव के किनारे बैठ गए। दिन बहुत ही अच्छे थे। गांव में फसल भी बहुत बढ़िया हुई थी।
Intrusting Part of this motivational stories in hindi for success-राजा ने अपने मंत्री को बुलाया और उससे कहा,
” सभी की खाने की पूर्ति के लिये इस गांव के सबसे बड़े खेत से सारी फसल काटकर यहां ले आओ।”
मंत्री राजा की आज्ञा का पालन करने के लिए गांव के अंदर की ओर चल दिया। गांव के लोग राजा को भगवान का दर्जा देते थे। तो मंत्री को यकीन था कि, खाने के लिए कुछ व्यवस्था जल्द ही हो जाएगी।
मंत्री खेत तक पहुंच गए। वह अपने साथ कुछ सैनिकों को भी लाए थे। तभी रस्ते से गांव का एक स्थानीय आदमी जा रहा था। मंत्री ने उस आदमी को रोका और उससे कहा,
” मुझे इस गाँव के सबसे बड़े खेत पर ले चलो।”
गांव के आदमी ने शीघ्र ही मंत्री और सैनिकों को खेत पर पहुंचा दिया। मंत्री ने सैनिकों को सारी फसल काटने का आदेश दिया। वह व्यक्ति विचलित ही गया उसने कहा, ” रुक जाइये !आप यह सब क्यों कर रहे हैं।
‘ तभी मंत्री ने सारी बात उस व्यक्ति को बता दी, की मैं एक मंत्री हूँ हम सभी यद्ध क्षेत्र से लौट रहे हैं। हमारे साथ राजा भी हैं और हमारा सब अनाज खत्म ही चुका है।
जिस कारण हम सभी बहुत भूखे हैं। तभी मैं खाने की खोज में यहाँ आया हूँ।
यह सुनते ही कि, राजा और सभी सैनिक भूखे है वह बिन कूछ सोचे समझे सभी को अपने खेत पर लेकर चल गया। उसने कहा, ” मंत्री जी यह मेरा खेत है,
छोटा है पर इसमें लगे फल-अनाज आप सब के लिए पर्याप्त होंगे। वह खेत मेरा नही था अतः मैं उसे आपको काटने की अनुमति नही दे सकता था।”
Moral Part of this motivational story in hindi- मंत्री उसकी बात सुनकर बहुत प्रभावित हुए उन्होंने वापस जाकर यह पूरी बात राजा को बताई।
राजा भी बहुत खुश हुए क्योंकि उनको लगा कि उनकी प्रजा बहुत ही समझदार हैं।
जैसा वे अपने राज्य को बनाना चाहते थे राज्य उस ही दिशा में अग्रसर है। राजा ने खुश होकर मंत्री को बहुत सारी स्वर्णमुद्राएँ दी और किसान के खेत की फसल के बदले इस धन को देने का आदेश दे दिया।
मंत्री दुबारा 4-5 औऱ सैनिकों को अपने साथ ले गए। उन्होंने किसान व्यक्ति को वे स्वर्णमुद्राएँ सौंप दी और फिर सैनिकों और किसान में मिलकर वह फसल काटी और छावनी में ले गए।
◆ सीख | | Motivational Story in Hindi : ” ईमानदार औऱ दूसरों की सहायता करने वाले व्यक्ति सदा ही अपने कार्यों के बल पर सबके हृदयों को छू जाते हैं। औऱ स्वयं के जीवन मे सफल होते हैं।”
Motivational Hindi Story
” जैसा बोओगे वैसा पाओगे “
एक गांव में हरिया अपनी पत्नी औऱ बेटे, राम के साथ रहता था। राम केवल 5 साल का ही था, उसकी मां का देहांत हो गया। हरिया ने ही अपने बेटे को पाल-पोसकर बड़ा किया।
वह उससे बहुत प्यार करता था। जब राम छोटा था तो हरिया ने उसे बहुत ही लाड-प्यार दिया। वह दिन भर काम में व्यस्त रहता था और शाम को आकर अपने बेटे के लिए खाना बनाया करता था ,
खाना खिलाकर वह अपने बेटे को लोरी सुनाकर सुला देता था।
जब वह बड़ा हुआ तो उसने अपने बेटे की शादी कर दी। जल्द ही राम का बेटा भी हो गया। राम ने अपने बेटे का नाम मोहन रखा। वह भी धीरे धीरे बड़ा हो रहा था।
वह अपने दादाजी हरिया के साथ बहुत ही मैत्रीपूर्ण तरीके से रहता था। वह घर में सबसे ज्यादा अपने दादाजी की ही बात मानता था।
हरिया बुढ़ा हो रहा था। साथ ही उस पर बीमारी की मार भी पड़ रही थी। हरिया को बहुत ज़्यादा खांसी और बुखार रहने लगा।
Intrusting Part of this motivational stories in hindi for success- अब मोहन की माँ अर्थात राम की पत्नी को यह चिंता सताने लगी कि मोहन के दादाजी की बीमारी कहीं मोहन पर न आ जाए।
उसने अपने पति राम से इस विषय पर बात की। राम अपनी पत्नी और बेटे से बहुत प्यार करता था। अतः उसने भी इस समस्या को गम्भीरता से लिया। राम की पत्नी ने , राम को सलाह दी,
कि आप अपने पिताजी को घर के बाहर आंगन में रहने के लिए कह दें। राम अपने बच्चे के प्रेम में इतना अंधा हो चुका था कि उसने अपनी पत्नी की बात मान ली और अपने पिताजी हरिया को बाहर आंगन में रहने को बोल दिया।
हरिया बहुत दुखी हुआ और रोने लगा हरिया ने रोते हुए अपने पुत्र से कहा , ” बेटा! ठंडी के दिन है। तुम मुझे एक कम्बल दे देना ताकि मैं बाहर ठण्ड से मर न जाऊं।”
राम बोला, ” नहीं पिताजी ! ऐसा क्यों कह रहें है। मैं आपकी सभी जरुरतों के समान यही बाहर लाकर रख दूँगा।”
हरिया खांस खांस कर रात को वहीं बाहर खटिया पर एक कम्बल ओढे सो गया। अब राम का बेटा, मोहन अपने दादाजी को देखने लगा, वह केवल 6 ही साल का था। उसे ज्यादी समझ नहीं थी।
Moral Part of this motivational story in hindi for students- अतः उसने दादाजी की स्थिति को देख कर अपनी मां से कहा, ” मां क्या जब मैं बड़ा हो जाऊंगा तो,
मुझे भी आपको और पिताजी को बाहर सुलाना होगा?”
राम भी अपने कार्य से आ गया था उसने अपने बेटे की बातें सुनी, उसको अपना बचपन याद आ गया कि कैसे उसके पिताजी बचपन में मां के न होते हुए भी उसका इतना खयाल रखते थे।
उसको अपनी गलती समझ आ गयी और अपनी गलती पर बहुत पछतावा हुआ।
उसकी पत्नी को भी लगा, कि बच्चे जैसा अपने आस-पास होता हुआ देखते हैं वे वैसा ही सीखते हैं। मोहन को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए न कि ऐसी!
दोनो पति पत्नी ने मिलकर हरिया से माफी मांगी औऱ उसको ससम्मान घर के अंदर ले गए। अब मोहन भी अपने दादाजी को पाकर बहुत खुश हुआ।
◆ सीख | Motivational Stories in Hindi : ” आप जो भी कर रहे हैं, वह आपके भविष्य का बीज है। भविष्य में आपको अपने कर्मों के वैसे ही फसल और फल मिलेंगे जिस प्रकार के आपने बीज अपने वर्तमान समय में बोए हों।
Best Motivational Story in Hindi
” मोची और परियां “
एक गांव में एक मोची रहता था। वह जूतियों की जोड़ी बनाकर बाजार में बेचता था। उसका कार्य ठीक -ठाक ही चल रहा था। परन्तु वह अपने कार्यों में इतना व्यस्त रहता था,
के उसे अपने लिए खाना बनाने का भी समय नहीं मिलता था ,
और वह प्रायः भूखा ही सो जाता था। उसके खाने-पीने का कोई निश्चित समय नहीं था। गांव के किसी व्यक्ति ने उसे सलाह दी कि, कार्य तो तुम्हारा ठीक ही चल रहा है, तुम्हें अब शादी कर लेनी चाहिए।
उनकी बातों को मोची ने हल्के में ही लिया परन्तु कुछ दिनों बाद ही, उसे एहसास हो गया कि उसको शादी कर ही लेनी चाहिए।
क्योंकि यदि उसके घर में कोई होगा तो उसको गृहस्थ जीवन से तो छुटकारा मिलेगा और अपने कार्य को और अधिक मन लगाकर कर सकेगा।
Intrusting Part of this motivational short stories in hindi- उसने गांव की एक लड़की से शादी कर ली। अब मोची केवल अपने कार्य पर ध्यान देता और उसकी पत्नी घर को सम्भालती थी।
वह समय पर खाना बनाकर अपने पति को देती थी।
सभी चीजें सही हो रही थी। मोची का कार्य भी अच्छा चल रहा था। दोनो पति-पत्नी सुख-शांति से अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे।
लेकिन एक समय ऐसा आया कि बाजार में मंदी छा गयी। जिसके कारण मोची का कार्य भी मंदा पड़ गया। अब उसकी बिक्री भी बहुत कम होने लगी। कुछ दिनों में ही उसकी बिक्री होना बंद हो गयी
मोची बहुत परेशान रहने लगा। लेकिन उसकी पत्नी बहुत समझदार और बुद्धिमान थी। वह हर कार्य मे अपने पति की मदद करती थी। उन कठिन समय में उसकी पत्नी,
अपनी पहले की बचत से घर चला रही थी।
मोची को अपने घर चलाने की चिंता सताने लगी। वह अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था और उसको दुखी नहीं देख सकता था। उसने परेशान होकर अपना मोची का कार्य समाप्त करने की सोची।
उसने अपबे आधा मोची का अर्थात जूते बनाने का सामान बेच डाला। उनको बेचकर आए रुपयों को उसने अपनी पत्नी को दे दिये। बाकी का बचा हुआ सामान उसने घर के बाहर एक मेज पर बेचने के लिए लगा दिया।
बहुत दिन बीत गए लेकिन कोई भी उनका समान लेने आ ही नहीं रह था। एक दिन मोची बाहर धूप में सामानों को बेचने के चक्कर से बैठा हुआ था। धूप बहुत ही तेज थी।
वह धूप में बैठे-बैठे थक गया और वहीं सो गया।
तभी वहां से कुछ पारियां गुजर रहीं थी । उन परियों ने उस मोची को देखा, उन्होंने अपने जादू से मोची की हालत पता कर ली। वे वहां सर चली गयी।
रात को जब मोची और उसकी पत्नी अंदर सोए हुए थे तब परियां आई और उन्होंने 1 जोड़ी सुंदर जूतियां वहां बनाकर रख दीं। और वहां से चले गई। सुबह उठकर
जब मोची उठा तो उसने देखा कि,
वहां बहुत ही सुंदर जूती की जोड़ियां रखी हुई हैं। वह बाजार गया और उन्हें बेच आया। उनके बहुत ही अच्छे पैसे मोची को मिले।
Moral Part of this motivational story in hindi for students- उस दिन रात को फिर से परियां आईं और इस बार 4 जोड़ी सुंदर जूतियां उसकी मेज पर रख दी।
मोची ने सुबह फिर से देखा तो, वहां फिर से सुंदर जूतियां थी, वह उन्हें बेच आया।
इस प्रकार थोड़े दिनों तक परियां उसकी मेज पर जूतियों को छोड़ जाती और मोची को उनको बेचकर अच्छे पैसे मिल जाते। धीरे धीरे उसकी हालत अच्छी हो गयी।
उसने फिर से जूते बनाने का कार्य शुरू कर दिया ।
लेकिन वे पता करना चाहते थे कि आखिर उनकी मदद कर कौन रहा है। एक दिन रात को दोनों पति पत्नी अपने घर में छिप गए। उन्होंने बाहर उनकी मदद करने वालो के लिए खूब सारे उपहार रखे थे।
वे दोनों छिप कर बाहर ही देख रहे थे।
तभी पारियां आईं और उन्होंने उन उपहारों को ग्रहण किया। परियों को बाहर देख दोनों पति-पत्नी आश्चर्य-चकित रह गए और वे बाहर उनसे मिलने आए।
उन दोनों ने परियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। परियां भी उनसे मिलकर बहुत खुश हुई।
फिर वे उपहार लेकर वहां से सदा के लिए चली गईं।
◆ सीख | | Motivational Story in Hindi for Success : बुरा वक्त सभी का आता है। बुरे समय में साथ देने वालो को कभी भी नहीं भूलना चाहिए।
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Conclusion
आज आपने पढ़ी Motivational Story in Hindi. अगर आप इनसे सीख लेकर उन्हें अपने जीवन मे निवेश करेंगे, तो निश्चित ही आपको सफलता प्राप्त करने से कोइ नहीं रोक सकता।
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Thnaks…!