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15+ Great Short Stories in Hindi with Moral | Small Hindi Short Stories

15 सर्वश्रेस्ट सीख देने वाली प्रेरक Short Stories in Hindi. आशा करते हैं, आपको आज की हमारी यह कहानियां पसंद आएँगी , तो चलिए शुरू करते हैं।


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” बुद्धिमान चित्रकार “


बहुत पहले, एक राजा हुआ करता था। वह बहुत ही महान और प्रतापी राजा था। एक बार युद्ध के दौरान उसकी एक आंख और एक टांग खराब हो गयी।

लेकिन फिर भी उसकी प्रजा उसका बहुत ही आदर औऱ सम्मान करती थी।

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    राजा की राजमहल में लगी हुई सारी तस्वीरें बहुत पुरानी हो चुकी थी। राजा ने सोचा, क्यों न एक तस्वीर बनवाई जाए!

उसने मंत्री को चित्रकार को बुलवाने का आदेश जारी कर दिया।

 देश-विदेश से चित्रकार आए। लेकिन राजा की हालत देखकर कोई भी तसवीर बनाने को तैयार नहीं था, सब सोच रहे थे कि राजा तो पहले से ही अपंग है,

कहीं गलत तस्वीर बन गयी तो, गुस्से में पता नहीं क्या करेंगे। तभी 1 नौजवान ने तसवीर बनाने के लिए अपना हाथ उठाया। राजा ने उसे तस्वीर बनाने की आज्ञा दी।

 कुछ समय के प्रयत्न के बाद उसने राजा की एक बहुत सुंदर तस्वीर बनाई।

जब राजा ने उस तस्वीर को देखा तब वह भावविभोर और आश्चर्य चकित रह गया।

चित्रकार ने उसकी, एक आंख से शिकार पर निशाना साधते हुए, पालती मारकर बैठी हुई तस्वीर बनाई थी।

राजा बहुत खुश हुआ और पूछा, तुमने यह कैसे किया? जबकि कोई भी तस्वीर बनाने को तैयार नहीं हो रहा था।

नौजवान बोला, ” महाराज! मैं आपके ही राज्य का हूँ और आपके बारे में सब जनता हूँ। सब आपकी गलत तस्वीर बनने के बाद आपके गुस्सा हो जाने के कारण आपकी तसवीर बनाने से डर रहे थे,

पर मुझे पता है, अगर मैं कैसी भी तसवीर बना देता वह अपको पसंद होती। अतः मैने प्रयास किया।”

राजा उसकी बनाई हुई तस्वीर से ही नहीं, बल्कि उसके उत्तर से भी बहुत खुश हुआ। और उसको इनाम के साथ अपने महल में एक पद पर उसको नौकरी पर भी रख लिया।


सीख :- ” दूसरो की कमजोरियों को नजरअंदाज कर उनकी अच्छाइयों को देखना चाहिए।”


Short Story in Hindi 2


” जंगल का ढाबा “


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    एक बार जंगल में एक ढाबा खुला, वहां कुछ जानवर काम किया करते थे। और जो कोई भी भूखा जानवर वहां आता था, उसको खाना खिलाते थे और बदले में कुछ काम करवा लेते थे।

थोड़े ही दिन में इस भोजनालय की खबर शहरों में पहुंच गयी। सैलानी वहां आने लगे और अब उन जानवरों को खाने के बदले रुपये देने लगे।

जानवर उन रुपयो से इंसानों के खाने योग्य व्यंजन का इंतजाम करते थे।

   एक दिन एक लगभग 12 साल का बच्चा अपने माता पिता के साथ जंगल की सैर करने आया। उसको भूख लग गयी थी। वह अपने पिता से कुछ रुपये लेकर वहां जंगल के उस मशहूर ढाबे में पहुँच गया।

सामने बन्दर बैठा था , उसने बन्दर मामा से पूछा, ” बन्दर मामा पकौड़े कितने के हैं !”

  बन्दर ने बताया ,” 50 के तुम्हारी मुट्ठी भर के दे दूंगा। तुम्हें कितने चाहिए?”

बच्चे ने अपने रुपये देखे, और कहा, ” आप मुझे 35 के ही पकौड़े दे दो।”

बन्दर ने उसे 35 रुपये के पकोड़े दे दिए। और बिल भी दिया। बच्चे ने सोच समझ कर बिल में पूरे पचास रुपये रखे और वहाँ से चला गया।

जब बन्दर ने यह देखा तो वह हैरान रह गया।

 क्योंकि 15 रूपये बच्चे ने बन्दर की बख्शीश के लिए छोड़ दिये थे, जबकि उसके पास पूरे 50 रुपये थे वह पेट भरने के लिए भी उन रुपयों का उपयोग कर सकता था।

बन्दर ने यह बात ढाबे के अन्य जानवरो को भी बताई। सब बहुत खुश हुए।


सीख | Short Moral Stories in Hindi:- ”अपने साथ साथ दूसरो के बारे में और उनकी भावनाओं के बारे में भी सोचना चाहिए।”

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Hindi Short Stories 3


“आलस्य ”


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   एक गांव में एक जमींदार का घर था। उनके घर में ईश्वर की असीम कृपा थी। उस परिवार में 2 भाई थे, जिनकी शादी हो चुकी थी। भाइयों का आपस में बहुत प्रेम था। उनमे से बड़े भाई का एक बेटा भी था।

एक बार अचानक रात में, बड़े भाई के बेटे के सर में बहुत तेज दर्द हुआ, वह जोर जोर से रोने लगे गया। उसके मम्मी पापा दोनों की नींद खराब हो गयी। रात बहुत हो चुकी थी,

तो, सभी दवाई की दुकानें बंद हो चुकी थी।

उसकी मां ने बहुत से तरीके आजमाकर देख लिए। परन्तु किसी भी उपाय से कुछ भी नहीं हो पा रहा था।

   बच्चे का दर्द बढ़ता ही जा रहा था, वह और जोर जोर से रोने लग गया। उसकी आवाज सुनकर घर के बाकी लोग भी जग गए। बच्चे के माता पिता ने सबसे सहायता मांगी,

लेकिन कोई उनकी सहायता करने को तैयार नहीं था, बल्कि उसके घर के लोग तो यही कह रहे थे कि बच्चे को चुप कराओ, हमारी नींद खराब हो रही है।

  पास के ही झोपड़ी में एक महिला रहती थी, उसे भी रोने की आवाजें  सुनाई दी। उसे पता चल गया कि बच्चा क्यो रो रहा है, उसे भी नींद आ रही थी, पर उसने आलस्य त्याग दिया.

और उसने जल्द से काढ़ा बना दिया, और उनके घर ले गई। काढ़ा पीते ही, बच्चे को आराम हुआ और वह सो गया। उसके बाद और लोग भी चैन की नींद सो पाए।


सीख | Short Moral Stories in Hindi:- ” यदि थोड़ी सी कठिनाई के बाद अधिक सुख प्राप्त हो रहा हो तो, उस कठिनाई को झेलने में ही समझदारी है।


Small Story in Hindi 4


” गधे की जीत “


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एक बार एक गधा और एक सारस बहुत अच्छे मित्र थे वे दोनों जंगल में घूम रहे थे। रस्ते में बहुत सारे गड्ढे थे। दोनो सम्भल सम्भल कर चल रहे थे।तभी अचानक गधा एक गहरे गड्ढे में गिर गया।

सारस को अब चिंता होने लगी। उसने बहुत सारे प्रयास कर के देख लिए, परन्तु वह अपने मित्र को नहीं निकाल सका।  वह रोने लगा।

   पास में ही एक लकड़हारा जंगल में लकड़ियां काट रहा था। उसने सारस के रोने की आवाज सुनी, वह बात का पता लगाने के लिए वहां पहुंचा। उसने देखा कि एक गधा गड्ढे में गिरा हुआ है,

और एक सारस उसे देख कर रो रहा है।

उसने अपने लाभ के लिए गधे को निकालने का प्रयत्न किया, लेकिन गधा नहीं निकला। तब उसने सोचा, सारस को ही अपने साथ लिए चलता हूं।

   उसने गधे को जिंदा ही दफनाने के लिए बहुत सारी मिट्टी को गड्ढे में डाल दिया। और सारस को लेकर चला गया।

यहाँ , बहुत सी मिट्टी गड्ढे में भर जाने के कारण गड्ढा अब छोटा हो गया था। गधा बड़ी मुश्किल से मिट्टी से बाहर आया और फिर वह गड्ढे से भी निकल गया। उसने देखा कि, उसका मित्र तो आस-पास है ही नहीं।

  वह जंगल मे उसे ढूंढने लगा। तभी एक लकडहारा उसे दिख गया।

उसकी लकड़ियों के साथ साथ एक सारस भी उसने बांधा हुआ था। गधा अब सारी बात समझ गया, कि उसके ऊपर मिट्टी क्यों डाली गई।

   उसने अपने दोस्त को बचाने के लिए एक युक्ति बनाई। उसने युक्ति के अनुसार, कुछ अजीब सी आवाज निकली। लकडहारा घबरा कर देखने गया, कि आसपास कोई मांसाहारी जीव तो नहीं है,

उतनी देर में, गधे ने अपने दोस्त को कैद से छुड़वा लिया। दोनों वहां से भाग निकले। और घर जाकर खुशी खुशी अपनी आज के दिन की जीत को मनाने लगे।


सीख | Short Moral Stories in Hindi:- ”मुश्किलों से कभी डरना, या फिर उनसे कभी हार नही माननी चाहिए।”

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Special Motivational Story 5


“कठिन रास्ता “


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एक बार बहुत सी चींटियां जंगल के एक पेड़ के नीचे जमीन में अपने झुंड के साथ रहतीं थी। वे सब सभी कार्यों को बड़ी ही मेहनत लगन और ईमानदारी से करती थीं।

उन चींटियों के झुंड में बहुत सारी छोटी चीटियां थी, जो कि आपस मे मित्र थी। उन छोटी चींटियों में से छोटू चिंटी सबसे होशियार और ईमानदार थी। वह किसी भी कार्य को बहुत ही अनोखे अंदाज में करना पसंद करती थी।

जिससे कि उसको अपने कार्य में संतुष्टि होती थी। कभी कभी वह अपने इस अनोखे ढंग से कार्य करने मे विफल भी हो जाती थी लेकिन वह कभी हार नही मानती थी।

    वे सभी चीटियां बहुत ही प्रयत्नशील थी ,

अतः उन्होंने अपनी संख्या जल्द ही दोगुनी तिगुनी कर ली थी और अपना कार्यक्षेत्र भी बड़ा लिया।

   बरसात के दिन आ गए थे, कभी धूप आ रही थी कभी नहीं। एक दिन अचानक बहुत तेज बारिश आ गयी। पूरी जमीन दलदली हो गयी।

    जहां वे चीटियां रहती थी, वहां भी पानी आने लग गया। सभी चीटियां परेशान हो गई कि अब करें तो क्या करें! एक तो उनकी संख्या भी बहुत हो चुकी थी। सबको एक साथ बचा पाना मुश्किल था।

सभी बचने के उपाय सोचने लगे।

   तभी अपने पूरे समूह को छोटू चिंटी ने एक उपाय बताया, कि वे सब यहां से बाहर निकलकर सड़क के मार्ग से कहीं सूखे स्थान पर चले जाएं।

इसकी बात पर तो वैसे भी कोई भरोसा नहीं करता था। सब चींटियों ने सोचा कि, यदि हम सड़क के मार्ग से जाएंगी तो हमारी मृत्यु निश्चित ही है। यह सोचकर किसी ने भी उसकी बात नहीं मानी।

यहां तक कि उसके मित्र भी उसके साथ जाने को तैयार नहीं हुए।

  मार्ग कठिन जरूर था लेकिन छोटू निकल पड़ी, अकेले ही। वह सभी मुश्किलें पार कर एक पत्ते के सहारे एक सूखे स्थान पर चले गई। जब उसने पीछे अपनी जगह को देखा तो, वहां सभी चीटियां मर गई थी। सब इधर उधर पड़ी हुई थी।

उसको बहुत बुरा लगा। लेकिन फिर वह अपनी नई राह की ओर निकल पड़ा।


सीख | Short Stories in Hindi:– ” कभी भी हार नही  माननी चाहिए। “


Short Moral Stories in Hindi 6


” गुरुजी और मेंढक “


    एक बार एक विद्यालय में शिक्षक छात्रों को पढ़ा रहे थे। गुरूजी हमेशा अपनी बातों को बच्चों के सामने प्रयोगात्मक तरीके से रखते थे, ताकि बच्चे उस प्रयोग से शिक्षा ग्रहण कर उससे कुछ सीख ले सकें।

   एक बार गुरुजी ने एक मेंढक को पकड़ा और अपनी कक्षा के सभी बच्चों को लेकर विद्यालय के मैदान में लेकर चले गए। उन्होंने एक बच्चे से विद्यालय की रसोई से एक कटोरी लेकर आने को कहा,

बच्चे के कटोरी लाने तक उन्होंने आग जलाई। बच्चा कटोरी लेकर आया।

    गुरुजी ने कटोरी में पानी डाला और फिर उस पानी से भरी कटोरी में मेंढक को डाल दिया। मेंढक पानी मे मस्ती से खेलने लगा।

अब गुरुजी कटोरी को चिमटी की मदद से पकड़कर आग के ऊपर ले गए पानी थोड़ा गर्म हुआ। मेंढक ने भी अपना तापमान पानी के गर्म होने के साथ बदल लिया। पानी थोड़ा और गर्म हुआ।

मेंढक ने भी अपना तापमान थोड़ा और बदल लिया।

   जैसे जैसे कटोरी का पानी गर्म होता जाता, वह मेंढक भी अपना तापमान उस पानी के अनुसार बदलता जाता।

एक स्थिति ऐसी आई कि अब पानी उबलने ही वाला था। अब मेंढक से सहन नहीं हो रहा था। वह अपना तापमान भी नहीं बदल पा रहा था तब मेंढक ने बाहर आने का प्रयास किया।

लेकिन वह अब बाहर भी नहीं आ पा रहा था। वह चित पड़ने लगा ।

तभी गुरुजी ने उसे आग के ऊपर से हटा दिया और ठंडे पानी में डाल दिया। मेंढक थोड़ी देर तक बेहोश रहा, लेकिन फिर बाद में उसे होश आया। और वह वहां से भाग निकला।

  अब गुरुजी ने बच्चो को बताया, ” वह मेंढक गर्म पानी में रहकर मरने ही वाला था। तब मैं ने उसे वहां से हटा दिया।”

“बच्चों बताओ ! अगर मेंढक मर जाता तो वह किसकी वजह से मरता? मेरी , गर्म पानी की या फिर आग की?” गुरुजी ने पूछा

बच्चे सोच में पड़ गए।

तभी गुरुजी ने बताया, ” मेंढक हममें से किसी की भी वजह से नही मरता। वह खुद की ही वजह से मरता। क्योकि जब उसको कटोरी से बाहर आ जाना चाहिए था, तब वह अपना तापमान बदलने में था।

और उसने अपनी सारी ऊर्जा उसने उसी कार्य में लगा दी जिस कारण वह कटोरी से बाहर आने में असमर्थ हो गया।”

बच्चे समझ गए। जो गुरु जी उन्हें समझाना चाहते थे।


सीख | Hindi Short Stories :- ” परिस्थितियों के विकट और विक्राल रूप धारण करने से पूर्व ही उनसे निपट लेना चाहिए। क्षमता से बाहर हो जाने पर परिस्थियां अंत का कारण बन जाती हैं।”

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Short Moral Stories in Hindi 7


“मेहनत का फल “


   एक किशन नाम का व्यक्ति था, वह अकेला रहता था। उसके परिवार में कोई नहीं था। वह सब्जी बेचने का काम करता था। जिससे होने वाली कमाई से वह अपना गुजर-बसर किया करता था।

   वह हर सुबह किसानों से जाकर सब्जियां लेकर आता था, और उन्हीं सब्जियों को लेकर घर-घर जाकर सब्जियों को बेचता था। लेकिन वह इस कार्य से अधिक सन्तुष्ट नहीं था।

  एक बार एक सब्जी बेचने वाली बूढ़ी औरत उस गांव में आ गयी। वह किशन को टक्कर दे रही थी। वह भी घर घर सब्जी पहुंचाती थी। लेकिन थोड़े ही दिनों में, उसकी सब्जियां अधिक बिकने लग गईं।

और किशन की सब्जियां ऐसे ही रह जाती थी, ऐसा किशन के गांव में देर से पहुंचने की वजह से होता था। बहुत दिनों तक ऐसा ही चलता रहा।

   किशन परेशान हो गया। कई दिनों से उसकी बिल्कुल भी कमाई नही हो पाई थी।

एक दिन वह बुढ़िया के उससे जल्दी सब्जी बेच लेने का कारण जानने के लिए उसका पीछा करने लगा।

   बुढ़िया को पता लग गया कि कोई उसका पीछा कर रहा है, उसने किशन से पूछ लिया कि तुम मेरा पीछा क्यों कर रहे हो।

 किशन बोला, ” माताजी , मैं बहुत परेशान हूँ, आपके जल्दी आने की वजह से मेरी बहुत दिनों से कमाई नहीं हो पाई है।”

बुढ़िया बोली, ” मैं अपनी सब्जियां घर में ही उगाती हूँ तभी मैं अपनी सब्जियां तुमसे पहले ही जाकर बेच आती हूँ।”

   इतना कहकर वह चले गई। अब किशन को समझ आ गया था कि उसको क्या करना है।

वह घर गया और उसके घर मे जितने प्रकार के बीज थे, सब उसने अपने आस पास की जमीन में बो दिए। कुछ ही हफ्तों में उसकी बहुत अच्छी खेती हो गयी।

  अब वह अपनी ही खेत की सब्जियों को बाजार और गांव में बेचने लगा। धीरे धीरे वह अमीर हो गया। उसने अपनी कमाई से एक दुकान ले ली। अब वो वहीं अपनी सब्जियां बेचने लगा।

फिर उसने अपनी दुकान में कुछ कम वाले रख लिए। उसने अपना एक घर बनाया। बहुत सारी खेत की जमीन भी ले ली। उसकी तरक्की देख एक अमीर करोड़ीमल ने अपनी बेटी की उससे शादी कर दी।

किशन अब अपने जीवन से बहुत खुश था।

अब वह और उसकी पत्नी सुखी सुखी एक साथ अपना जीवन व्यतीत करने लगे।


सीख | Short Stories in Hindi:- ” किसी भी कार्य को मेहनत व लगन से कर के जीवन सुंदर बनाया जा सकता है।”


Great Hindi Kahani 8


” मकई से आमदनी “


   तीन दोस्त थे, मोहन, राम और महेश। तीनों आपस में बहुत ही पक्के मित्र थे। वे तीनों साथ मिलकर मक्के की खेती करते थे। वे अपना काम बड़ी ही ईमानदारी से करते थे,

जब फसल तैयार हो जाती थी तो वे सारे मक्को को बाजार में ले जाकर बेच आते थे। जो भी कमाई होती थी ,उसे वे सब अपनी पत्नियों को दे देते थे।

    उन तीनों की पत्नियां भी आपस में मित्र थी। अपना अपना काम करके वे एक साथ बैठ जाती थी गप्पे मारने के लिए।

एक दिन महेश की पत्नी एक महंगी साड़ी और महंगे महंगे जेवर पहन के आई । मोहन और राम की पत्नियां उसको देखती ही रह गयी। उन्होंने उससे पूछा कि, कहाँ से आया यह सब!

तो महेश की पत्नी ने कहा, ” मेरे पति ने जो पूंजी मुझे रखने के लिए दी थी उसका ही उपयोग करके मैं ने यह सब खरीदा है। है न सुंदर?”

उसकी शान देखकर अन्य दोनो सहेलियों ने भी अपने पति की जमापूंजी से अपने लिए महंगे महंगे कपड़े और जेवर ले लिए।

   जब उनके पतियों ने यह सब देखा तो, उन्होंने अपनी पत्नियों को बहुत डाँठा और कहा, तुम सब कुछ भी करो लेकिन हमें हमारा पैसा 1 महीने के अंदर ही वापस चाहिए।

उनकी पत्नियों ने एक उपाय करा, उपाय के अनुसार उन्होंने व्यापार में अपने पतियों की मदद की। उन्होंने मक्के को भूनकर बेचना शुरू कर दिया। एक महिला मक्के को छिलती थी, एक उसको भुनती थी.

और तीसरी उस मक्के को नमक, मिर्च और निम्बू से लेप कर बेचती थी।

  इस तरह उन लोगों ने मक्के बेचकर महीने भर में ही लगभग 2-3 लाख का कारोबार कर लिया। उनके पति उनसे बहुत खुश हुए।

  लेकिन उनकी पत्नियों ने इस काम को जारी रखने के लिए कहा, ताकि वे भी घर को चलाने और व्यापार में उनकी मदद कर सकें।


सीख | Short Story in Hindi :- “गलतियों से प्रेरणा लेने वाले लोग ही जीवन में कुछ सही कर, जीवन का सदुपयोग कर पाते हैं।”

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Small Hindi Kahani 9


“अनमोल बोल “


    एक बार की बात है। दो बड़े ही पक्के मित्र हुआ करते थे। राम और सोहन। सोहन थोड़ा चंचल स्वभाव का था। और राम सरल स्वभाव का।

   एक बार दोनो मित्र अपनी अपनी माँ को लेकर मन्दिर गए। सबने पूजा याचना की । सब ठीक से हो रहा था, तभी एक व्यक्ति की चलते समय सोहन से टक्कर हो गयी। यह सब अकस्मात ही हुआ।

चंचल को बहुत गुस्सा आया। उसने , व्यक्ति को बहुत ही बुरा भला सुना दिया। तभी वहां राम आ गया ,राम के समझाने पर वह चुप हुआ और  यक्ति से माफी मांगी और दोनों पूजा करने चल दिये।

   पास में खड़े पण्डित जी यह सब देख रहे थे । पण्डित जी ने सोहन से कहा, “पुत्र तुम ऐसा करो, कि एक थैले में रेत भरकर वहां सामने रास्ते पर बिखेर दो।”

  सोहन को थोड़ा अजीब लगा पर वह चले गया आज्ञा का पालन करने।

उसने एक थैले में रेत भरकर रस्ते में उलट दी और उसको समान रूप से  फैला दिया। वह पण्डित जी के पास पहुंचा। उसने कहा,” पण्डित जी कार्य समाप्त हुआ।”

   अब पण्डित जी ने फिर कहा,” सुनो पुत्र! तुमने जो भी रेत रास्ते में फेंकी है, उस रेत को अब दुबारा से थैले में भरो, और वापस ले आओ।”

वह गया। थोड़ी रेत भी उठाई। लेकिन सारी रेत को उठा पाना सम्भव नहीं था। वह आधी रेत लेकर पण्डित जी के पास पहुंचा।

    उसने सारी बात पण्डित जी को बताई।

अब पण्डित जी बोले, ” बेटा ! मैं तुम्हें यही समझाना चाहता हूं। जिस प्रकार बिखरी हुई पूरी रेत को उठा पाना एक असम्भव कार्य है, उसी प्रकार मुख से निकली वाणी को वापस लेना भी असम्भव है।

किसी को सरल शब्दों में भी उसकी गलती का एहसास दिलाया जा सकता है। अतः जो भी बोला करो, सोच समझकर ही बोला करो।”

  सोहन समझ गया और तब से उसने कसम खाई कि वह अबसे जीवन के प्रति सजग रहेगा और कभी भी अपने मुख से अपशब्दों का प्रयोग नहीं करेगा।


सीख | Short Story in Hindi :- मुख से निकला हुआ प्रत्येक शब्द अनमोल होता है, अतः जो भी बोलें सोच समझ कर और मीठा बोलें।


Hindi Short Stories with Moral 10


” कुम्हार और मिट्टी का घड़ा “


  एक बार एक कुम्हार ने बहुत ही सुंदर मिट्टी का घड़ा बनाया। इतना ही नहीं उसने उस घड़े को रंगों की सुंदर चित्रकारी करके उसको बेहद आकर्षक भी बनाया।

घड़ा इतना सुंदर बना कि कुम्हार को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह उसने ही बनाया है। ऐसा घड़ा उसने अपने जीवन मे पहली बार बनाया था।

    वह अपने घड़े को निहार रहा था। उसका उस घड़े से मन ही नहीं भर रहा था।

   तभी सभी निर्जीव चीजें सुंदर से घड़े को देख अचानक जीवित हो उठी और आपस में चर्चा करने लगीं।

  मिट्टी बोली, ” इस सुंदर घड़े को इतना सुंदर रूप मैंने ही दिया है। मैं नहीं होता तो, घड़ा भी नही होता। इसलिए इतने सुंदर घड़े को बनाने का पूरा श्रेय मुझे ही जाता है। “

मिट्टी की बात सुनकर बाल्टी में छलकता हुआ पानी बोला, ” अगर मैं नहीं होता तो मिट्टी को एक साथ बांधता कौन? मैं घड़े को बनाने का सबसे अधिक महत्वपूर्ण कारक हूँ। मुझे ही सारा श्रेय जाना चाहिए।”

बर्तन बनाने वाली चक्री बोली, ” वाह वाह! क्या बात कहीं है तुम दोनों ने! पागल हो गए हो तुम सब। मिट्टी तो सब जगह होती है, और पानी भी! सभी जगहें इस सुंदर घड़े सी क्यों नही  होती हैं फिर?

मेरा तो कार्य ही मिट्टी के बर्तन बनाना है। अतः मैं ने ही इस घड़े को बनाया है। इसको बनाने का श्रेय मेरा है।”

रंग बोले, ” घड़े तो और भी हैं, लेकिन इतना सुंदर कोई भी नहीं। क्योंकि इसमें रंग भरे गए हैं। अतः घड़े को सुंदर हम ने बनाया है। अतः सुंदर घड़े को बनाने का श्रेय हमको ही जाना चाहिए।”

अब सबकी बहस चल ही रही थी कि, कुम्हार वहीं बैठा सबकी बात विनम्रता पूर्वक सुन रहा था।

जब बहुत हो गया तो वह अपनी जगह से उठा,  और बोला, ” सब चुप हो जाओ! मुझ पर कृपा करके तुम सब चुप हो जाओ। अगर तुम सबको यही लगता है, की इसको बनाने का श्रेय तुम लोगो  को ही जाना चाहिए,

तो चलो घड़े से ही पूछ लेते हैं कि किसको इस घड़े को बनाने का श्रेय जाना चाहिए!”

घड़े ने सारी बात सुनी, उसकी आंखें खुल गयी। घड़ा बोला, ” न ही मिट्टी को, न ही पानी को, न चक्री को ,  न रंगों को और न ही कुम्हार को! मुझे बनाने का श्रेय….(थोड़ी देर रुकने के बाद) तुम सभी को जाता है।”

“किसी एक के भी न होने पर मेरा अस्तित्व ही नहीं होता। अतः आप सभी बहुत ही महत्वपूर्ण हैं मेरे लिए। धन्यवाद।” घड़ा बोला।

सभी खुश हुए।


सीख | Short Stories in Hindi:- “किसी वस्तु को बनाने में, एक की मेहनत और बहुतों की मेहनत से बहुत फर्क पड़ता है। अतः उस कार्य के सफल होने पर श्रेय किसी एक का नहीं बल्कि सभी का होता है।”

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Special Hindi Short stories 11


“बिल्ली का पंजा “


    एक गांव में चार मित्र रहते थे, राघव , मोहन, तीरथ और लखन। उनका अनाज का व्यापार था। अनाज को इकट्ठा रखने के लिए उन्होंने एक गोदाम बनाया हुआ था। वहीं वे अपना सारा अनाज भण्डार के लिये रखते थे।

   एक बार उस अनाज के भंडार में बहुत से चूहे आ गए। पहले तो उनको पता नही चला, लेकिन जब कुतरी हुई बोरियां उन्होंने देखी, और एक दो चूहे भी देखे तब उन्हें पता लगा कि गोदाम में चूहे घुस चुके हैं।

तब एक दिन वह चूहे मारने वाली दवा ले आए और गोदाम की सफाई करने लगे। सफाई करते समय उन्होंने देखा कि 1-2 नहीं वहां हजारों की संख्या में चूहे थे, वे दवाई से खत्म नही हुए।

उन्होंने और भी उपाय करे लेकिन चूहों को खत्म नहीं कर पाए।

  तब उन्हें किसी ने सुझाव दिया कि, एक बिल्ली पाल लो। उन चारों दोस्तों ने इस बारे में सोचा, यह उपाय सही है हमें कोई खर्चा भी नहीं करना पड़ेगा और चूहे भी खत्म हो जाएंगे।

  वे कहीं से एक बिल्ली लेकर आ गए। बिल्ली के चारों पंजे हर एक दोस्त के हिस्से में आए। उनको ही उन पंजो की रक्षा करनी होती थी। थोड़े ही दिनों में उनके गोदाम के बहुत से चूहे खत्म हो गए।

एक बार मोहन के पंजे वाले हिस्से में बिल्ली को कुछ चोट लग गई। उसने बिल्ली की मरहम पट्टी कर दी। तभी बिल्ली को एक चूहा दिखाई दिया परन्तु वह उसको पकड़ने में असफल हो गए।

  तभी अचानक एक जलते दिए से उसकी पट्टी टकरा गई और उसकी पट्टी में आग लग गयी। वह डर के मारे यहाँ वहां भागने लगी। उसके इधर उधर दौड़ने से अनाज की बोरियों में भी आग लग गयी।

और पूरा भण्डार घर, जलकर राख हो गया। पर बिल्ली को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।

    सभी दोस्त केवल मोहन पर इस बात का इल्जाम लगाने लगे कि उसकी वजह से ही गोदाम जला है, क्योंकि बिल्ली को उसके हिस्से के पंजे में दिए से आग लग जाने के कारण ही आग फैली।

सब झगड़ा करने लग गए। झगड़े को सुलझाने के लिए वे सब पंचायत में सरपंच के पास पहुंच गए। सरपंच ने सारा मामला सुना।

  कुछ देर सोचने के बाद सरपंच बोला, ” मोहन की गलती है, लेकिन पूरी नहीं। क्योंकि बिल्ली तुम तीनो के पंजे के हिस्से के सहारे ही चल रही थी।

अतः तुम्हारे हिस्से के पंजो ने ही बिल्ली को आग लगाने के लिए इधर उधर दौड़ाया है। इसलिए गलती तुम तीनों की भी है। तुम तीनो को भी मोहन के साथ इस नुकसान को भरना होगा।”

सबने सरपंच की बात मान ली।

सरपंच और आपसी सहायता के साथ उन्होंने फिर से एक नया व्यापार शुरू किया।


सीख | Short Stories for Kids in Hindi :-” दूसरों पर आरोप लगाने से पहले, खुद की गलतियों के बारे में भी सोच लेना चाहिए।”


Great Short Story in Hindi 12


” हाथी की कहानी “


    एक बार एक महावत एक हाथी के ऊपर सवार होकर हाथी को कहीं ,शायद जंगल की ओर ले जा रहा था। हाथी शायद पालतू था। उसके पैरों में रस्सी लगी हुई थी,

जो, कि ऊपर बैठे महावत के हाथों में किसी घोड़े की लगाम की तरह ही लगी हुई थी।

     रास्ते से एक महिला गुजर रही थी। उसने देखा कि, एक विशालकाय हाथी केवल एक रस्सी से बंधा हुआ है, और महावत के साथ चल रहा है।  उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ,

क्योंकि इतने विशाल जानवर को बांधे रखने और कैद में रखने के लिए कम से कम बड़ी बड़ी लोहे की जंजीरों की आवश्यकता तो होती ही है।

  महिला ने इस बारे में बहुत सोचा, हाथी आगे बढ़ गया था। तभी वह महिला आगे गयी और महावत को रोक लिया। अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए, महिला ने पूछा, ” क्या आप मुझे यह बात बता सकते हैं,

कि, यह हाथी आपके साथ केवल एक रस्सी के सहारे कैसे टिका हुआ है, जबकि यह चाहे तो, किसी भी पल इस रस्सी के बंधन से छुटकारा पाकर यहां से भाग भी सकता है!”

महिला के प्रश्न पर महावत ने उत्तर दिया, ” यह मेरी कैद से नहीं भाग सकता। इसे हमने इसके बचपन से ही अपने पास रखा है। इसे बचपन से ही रस्सी में रखा जाता था,

इसने बहुत कोशिश की है पहले, तब इसके पास उतनी क्षमता नहीं थी, की यह  इस रस्सी से बाहर आ सके। यह बार बार विफल हो जाता था। इसकी असफलता के कारण से ही अब यह प्रयास भी नही करता रस्सी से बाहर निकलने की।”

इतना कहकर वह अपने हाथी को लेकर आगे बढ़ गया। महिला ने सोचा, इस हाथी की कहानी भी इंसानों के जैसी ही है, हम भी 1 बार प्रयास करने के बाद हार मान जाते हैं और यह भी हार मान गया है।

यह आज प्रयास कर आजाद भी घूम सकता था लेकिन उसने अपने मन में यह बात बैठा ली है कि अब उससे यह कार्य कभी नही हो पाएगा।


सीख | Hindi Short Stories :- “ निरन्तर प्रयास करने के बाद भी यदि सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही हो तो निराश न होने के बजाए उस कार्य को करने के लिए अलग ढंग से प्रयास करते रहने चाहिए। “

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Very Small Story in Hindi 13


” दो अलग-अलग पत्थर “


   बहुत समय पहले की बात है, एक तालाब के किनारे बहुत से पत्थर थे, कुछ पत्थर गोल मटोल, बहुत ही सुंदर थे, और कुछ पत्थर खुरदुरे और गंदे थे।

   वहां दो पत्थरों में एक बार दोस्ती हो गयी। एक पत्थर खुरदुरा और बदसूरत था, दूसरा पत्थर गोल मटोल और चिकनी सतह का था, वह दिखने में बहुत ही सुंदर था।

 उन दोनों की दोस्ती उनके बहुत दिनों तक साथ रहने से हुई।

एक दिन दोनों बात ही कर रहे थे कि, तभी बदसूरत पत्थर ने गोल पत्थर से पूछा, ” मैं बहुत ही बदसूरत और खुरदुरा हूँ फिर भी तुमने मुझे अपना दोस्त बनाया। मैं बहुत ही भाग्यशाली हूँ।”

 गोल मटोल पत्थर बोला, ” दोस्त ऐसा मत सोचो। हम सब पत्थर किसी न किसी चट्टान के भाग है। चट्टान से टूटने के समय मैं दिखने में तुमसे भी गन्दा था। परन्तु बहुत सारी मुश्किलों को पार करके मैने यह रूप पाया है।

मैंने न जाने कितने ही तूफानों को झेला, कई बार नदियों के साथ बहा, नदी कभी मुझे चट्टानों में पटक देती थी तो कभी अन्य पत्थरों के नीचे मैं दब जाता था। लेकिन मैं हार नहीं मानता था,

मैं फिर से नई उम्मीदों के साथ नदी के थपेड़े खाकर भी बाहर आया और अपना संघर्ष मैने जारी रखा। तब जाकर मैं ने यह रूप पाया है।”

“इतना ही नहीं, यह तालाब भी पहले एक नदी का भाग था, मैं भी उसी नदी में बहकर यहाँ आया था। बड़े बड़े पत्थरों के कारण नदी ने अपने कई रास्ते बना लिये, गर्मी पड़ने के कारण नदी सूखते गयी,

और यह तालाब भी सूख गया। अगर नदी अब भी बह रही होती , तो मैं भी अभी यहां नहीं होता।”

खुरदुरे पत्थर को उसकी बात सुनकर आश्चर्य हुआ। फिर गोल पत्थर बोला, ” मैं तुम्हें यह बात इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि तुम भी अपने आपको बदसूरत न समझो।

क्योंकि तुम भी अपनी कड़ी मेहनत औऱ लगन से अच्छा सुंदर और आकर्षक रूप पा सकते हो, इतना ही नही, तुम मुझसे भी अच्छे बन सकते हो, बस तुम अपनी मेहनत को जारी रखना।”इतना कहकर उनकी यह चर्चा समाप्त हुई।

बरसात के दिन आ गए। तालाब पानी से भर गया और नदी दुबारा से अपने पहले रूप में आ गयी। दोनो दोस्त पत्थर फिर अपनी अपनी राह पर चल दिये।


सीख | Short Story in Hindi :- ” खुद की कमियों को नजरअंदाज कर अपने गुणों को विकसित करने में ध्यान देना चाहिए ताकि हमारे गुणों की विकसितता से हमारे अवगुण छिप जाएं।”


Short Stories in Hindi for Kids 14


” चिड़िया के बच्चे का संघर्ष “


   एक बार एक बाग में एक आम का पेड़ था। उस पेड़ में एक चिड़िया ने अपना घोंसला बनाया था।  उस चिड़िया ने अपने घोंसले में एक अंडा दिया था।

   बाग में अक्सर लोग आते जाते रहते थे। चिड़िया का घोंसला नीचे खड़े व्यक्तियों को आराम से दिख जाता था।

  एकदिन एक युवक उस बाग में टहलने आया। उसने देखा कि, चिड़िया का घोंसला एक अंडे से भरा हुआ है। उसे उस घोसले में कुछ रूचि जगी। अब वह रोज आकर थोड़ा बाग में टहलता था,

और उस घोंसले को देखता था। दिन में चिड़िया अपने घोंसले में नही रहती थी,

वह अपने लिए खाने का इंतज़ाम करने के लिए जाती थी। उस समय ही वह युवक आता था।

   एक दिन कुछ यूं हुआ कि, युवक आया बाग में और उसकी नजर इधर उधर न जाकर सीधे चिड़िया के घोंसले में गयी। उसने देखा कि, घोंसले में जो अंडा था वह चटक गया था। लग रहा था कि अब चिड़िया का बच्चा अंडे से बाहर आ जाएगा।

युवक बहुत ही ज्यादा उत्साहित था। चटकी हुई जगह से अंडा कुछ फटा। चिड़िया का बच्चा बाहर आने की कोशिश कर रहा था। बहुत कोशिशों के बाद भी चिड़िया का बच्चा बाहर नहीं आ पाया।

वह कुछ देर के लिए रुक गया। युवक उस क्रिया को बिल्कुल ध्यान पूर्वक देख रहा था, और उसने सोचा कि उसे चिड़िया के बच्चे की मदद करनी चाहिए।

लेकिन उसे लगा कि यदि वह अभी अंडे को हाथ लगाएगा तो बच्चे को नुकसान भी हो सकता है अतः उसने पास में पड़ी एक डंडी उठाई और  अंडे में लकड़ी की सहायता से इतना छेद कर दिया जिससे बच्चा बाहर आ जाए।

Intrusting Part of this short stories for kids in hindi- बच्चा बाहर निकल गया आसानी से। परन्तु उसके पंख और उसका शरीर सूजा हुआ था। युवक ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया। और वहां से चला गया।

   चिड़िया के बच्चे का पूर्ण रूप से विकास नही हो पाया । असल में अंडे से बाहर आने के लिए जो वह प्रयास कर रहा था,वह हर चिड़िया के लिए आवश्यक होता है। वह क्रिया उसके पंखों के लिए अतिआवश्यक होती है,

उसकी वजह से ही वे भविष्य में अच्छे पंख पाकर उड़ सकते हैं। परन्तु उस युवक की  नादानी की वजह से वह बच्चा अविकसित ही रह गया और कभी भी नहीं उड़ पाया।


सीख | Short Stories in Hindi:- ” किसी की मदद करने से पहले उन परिस्थितियों को अच्छी तरह से जांच परख लेना चाहिए।”


Hindi Short Stories for Kids 15


” साहसी वीरू की कहानी”


   बहुत समय पहले एक गांव में एक वीरू नाम का 15 वर्षीय बालक रहता था। वह विद्यालयी छात्र था। उसका वास्तविक नाम वीरमणि था। वह बहुत ही होशियर और बहादुर था।

उसके विद्यालय में वह बहादुरी के क्रियाकलापों में अक्सर हिस्सा लिया करता था। उसे पुलिस की बहादुरी की कहानियों में बहुत ही उत्साह आता था।

वह बचपन से ही अपने साथ के  बच्चों से बहुत अलग था। उसे दूसरों की मदद करना बहुत ही अच्छा लगता था और वह खेलकूद की बजाय इन कार्यों को करके अधिक सन्तुष्ट रहता था।

एक बार वह सुबह-सुबह अपने विद्यालय को जा रहा था। उसने देखा कि, उसके गांव के कुएं के पास बहुत ही भीड़ इकट्ठा हुई थी, उसे लगा कि जरूर कुछ न कुछ गड़बड़ है।

नहीं तो इतनी भीड़ अपने लिए पानी भरने के लिए तो कभी नहीं आएगी। तभी वह जल्दी से अपना विद्यालय भूलकर उस कुए के पास गया।

   कुएं के पास जाकर उसने देखा तो, एक महिला कुएं की ओर देखते हुए बहुत रो रही थी। वीरू ने पूछा, ” क्या हुआ है आंटी जी?” महिला इतना ज्यादा रो रही थी कि उसके मुह से साफ साफ आवाज भी नहीं आ रही थी।

तभी वीरू को पास में खड़े एक व्यक्ति ने बताया कि, उस महिला का 2 वर्षीय बालक कुँए में गिर गया है। जिस वजह से वह महिला बहुत ही रो रही है।

  वीरू को बहुत आश्चर्य हुआ कि, कोई भी उस महिला की मदद नहीं कर रहा है। सब वहां बेबाक मूर्ति बने खड़े थे। कोई भी उसकी मदद करने को तैयार नहीं था।

सब केवल और केवल स्थिति को तमाशा बनाकर देखने के लिए आए थे।

Intrusting Part of this short stories for kids in hindi- वीरू ने बिना किसी सोच विचार के अपना बस्ता उतारा और कुएं की ऊपरी सतह पर रख दिया।

वह और देर न करते हुए सीधे कुएं में कूद गया। कुआं बहुत ही संकरा था।

उस कुएं में जाने का अर्थ था स्वयं यमराज को अपने प्राण लेने के लिए बुलाया जाना।

  परन्तु वह बहुत ही बहादुर था। उसने कुएं के अंदर जाकर जल्द से छोटे दो वर्षीय बालक को अपनी गोद में उठाया और बाहर निकाल लाया। उस बच्चे की मां ने वीरू को बहुत दुआएं दीं।

आसपास के लोगों ने भी उसको बहुत  बधाई दी। उसके साथी भी इस घटना को देख रहे थे। अब वीरू और उसके साथी सभी एक साथ विद्यालय जरा देर से पहुँचे।

  विद्यालय में देर से पहुंचने का कारन जब मास्टर जी ने पूछा तो वीरू ने  गर्दन नीचे झुका ली परन्तु उसके साथियों ने सारी घटना की व्याख्या गुरुजी के सामने कर दिया,

कि कैसे वीरू ने अपनी जान की परवाह किये बिना ही एक छोटे से बच्चे के प्राणों की रक्षा की। गुरुजी इस घटना के व्याख्यान को सुनकर बहुत खुश हुए उन्होंने वीरू को शाबासी दी, और पूरी प्रार्थना सभा के सामने उसे इनाम भी दिया।

इसी के साथ गुरुजी ने सभी बच्चों को वीरू की तरह ही निडर और बहादुर बनाने का सन्देश भी दिया।


सीख | Hindi Short Stories :- ” मुश्किल में फंसे लोगों की सहायता से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए, चाहे इसके लिए जान भी दांव पर क्यों न लगानी पड़ जाए।”


Conclusion:


आज आपने पढ़ी Short Stories in Hindi. आशा है, आपको आज की हमारी यह Short Moral Stories in Hindi पसंद आयी,

Short Stories for Kids in Hindi जैसी और रोचक कहानियां पढ़ने के लिए चेक कीजिये हमारी प्लेलिस्ट को , और बने रहें के साथ।

thanks..!

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