सोने की कुल्हाड़ी | The Golden Axe Story in Hindi | सोने की कुल्हाड़ी की कहानी
आज आप पढ़ेंगे सोने की कुल्हाड़ी मोरल कहानी (The Golden Axe Story in Hindi ), जिसमे आप सीखेंगे किस तरह एक ईमानदार व्यक्ति को उसकी ईमानदारी का एक बड़ा उपहार मिला। तब चलिये पढ़ते हैं, सोने की कुल्हाड़ी कहानी (Sone Ki Kulhadi Story In Hindi)–
सोने की कुल्हाड़ी
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एक गाँव मे एक मोहन नाम का आदमी रहता था, जो बहुत गरीब और अच्छे स्वभाव का था, गाँव मे गरीब होने के बावजूद सभी लोग उसकी बड़ी इज्जत किया करते थे।
मोहन जंगल मे से सूखी लकड़ियों को काटकर बाजार में उन्हें बेचकर अपना गुजारा करता था, रोजाना की तरह ही वह एक दिन अपनी कुल्हाड़ी लेकर जंगल गया, और जंगल मे कोई सुखा हुआ पेड़ ढूंढने लगा, जिसे काटकर वह बाज़ार में जाकर बेचता।
कुछ ही देर ढूंढने के बाद उसे एक बिल्कुल तालाब के किनारे पेड़ मिला, जिसे काटने के लिए वह उस पेड़ पर चढ़ गया।
जैसे ही मोहन ने टहनी काटने के लिए कुल्हाड़ी टहनी पर मारी, वैसे ही उसकी कुल्हाड़ी नीचे तालाब में जाकर गिर गयी। ऐसे में वह परेशान होकर नीचे उतरा।
वह बहुत परेशान हो गया,उसकी एकमात्र कुल्हाड़ी जो कि तालाब में गिर गयी थी, और मोहन को तैरना भी नहीं आता था, जिससे वह कुल्हाड़ी के लिए पानी मे नहीं जा रहा था।
तभी तालाब में से एक देवी बाहर निकली, और उन्होंने मोहन को तीन कुल्हाड़ी दिखाई, पहचानों तुम्हारी कुल्हाड़ी को सी है, उनमें से एक मोहन की असली लोहे की कुल्हाड़ी, दूसरी सोने की कुल्हाड़ी, तीसरी चांदी की कुल्हाड़ी थी।
मोहन बहुत ज्यादा ईमानदार था, उसने लोहे वाली कुल्हाड़ी में हाथ लगते हुए कहा, देवी मेरा आपको प्रणाम यही लोहे वाली मेरी कुल्हाड़ी है।
देवी मोहन की ईमानदारी से बहुत ज्यादा खुश हो गईं, और बदले में मोहन को तीनों कुल्हाड़ी दान में दे दी।
जिन्हें बेचकर उसने एक नया व्यापार शुरू किया, और ईमानदारी के दम पर काफी अमीर भी बन गया।
Sone Ki Kulhadi (The Golden Axe Story in Hindi ) Moral-
सोने की कुल्हाड़ी कहानी (Sone Ki Kulhadi Story In Hindi) | ईमानदारी हमेशा काम आती है, ईमानदार व्यक्ति की हर कोई मदद करता है। ईमानदारी कभी भी चुप नहीं सकती। कोई भी व्यक्ति ईमानदारी से बड़े से बड़ा पड़ हासिल कर सकता है।