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15+ Special Success Story in Hindi | Success Stories- सफलता की कहानी

सफलता पाने के लिए पढ़िये यह Success Story in Hindi. जिन सफलता की कहानी को पढ़कर आपको खूब सारा मोटिवेशन मिलेगा, और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाएंगे।

लक्ष्य प्राप्ति के लिए आज हम आपके लिए लाए हैं Success Stories in Hindi. आशा करते हैं आपको आज की हमारी यह कहानियां पसन्द आएंगी, तो चलिए शुरू करते हैं।


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Success Story in Hindi


एडिसन की सफलता


बल्ब के आविष्कारक और महान वैज्ञानिक थॉमस अलवा एडिसन, बचपन से ही अन्य बच्चों से भिन्न थे। वे विद्यालय तो जाते थे लेकिन उनका मन पढ़ाई लिखाई में नहीं लगता था,

लेकिन हां विभिन्न प्रकार के अटपटे से क्रियाकलापों को करने में उन्हें बहुत आनंद आता था।

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   एक दिन एडिसन विद्यालय से घर आए, तब वे बहुत छोटे थे। उनके विद्यालय से एक नोट आया था। एडिसन से कहा गया कि यह नोट तुम्हारी माँ के अलावा कोई भी नही पढ़ सकता।

तब एडिसन ने अपने अध्यापकों की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी मां को दे दिया।

उसकी मां ने जब वह नोटिस पड़ा तो वह घबरा गयी। वह भावुक हो रही थी और फिर थोड़ी ही देर बाद रोने भी लगीं।

एडिसन ने अपनी मां को जब रोते  हुए देखा तो उनसे रहा नहीं गया। उन्होंने मां से पूछा, ” मां क्या हुआ! आखिर ऐसा क्या लिखा है इसमें जो आप रोने लगीं?”

एडिसन की मां उसे बहुत प्रेम करती थी। तो उन्होंने कहा, ” बेटा इसमें लिखा है कि आपका बेटा बहुत प्रतिभाशाली है। उसके लिए यह विद्यालय और यहां के अध्यापक अनुकूलित नहीं है।

अतः आप उसे स्वयं उसके स्तर की शिक्षा दें।”

   एडिसन खुश हुआ।और तब से उसकी मां ही उसे पढ़ाया करती थी। एडिसन की मां ने उन्हें तब तक पढ़ाया जब तक कि वे मर नहीं गयी।

  मां के जाने के बाद एडिसन ने अपने अनेक प्रकार के प्रयोग किये, जिसमे वे बार -बार असफल भी हुए लेकिन फिर उन्होंने अपने समय का सबसे बड़ा आविष्कार बल्ब बनाया।

लगातार 100बार असफल होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं माने। तब जाकर उन्हें सफलता मिली।

   उसके बाद एक दिन उन्हे अपनी मां की बहुत याद आई जब उन्होंने अपनी मां का सामान देखा तो उसमें उन्हें वही बचपन वाला नोटिस मिला, जब उन्होंने उसे पढ़ा तो उनकी आंखों में आंसू आ गए उसमे लिखा था,

कि “आपका बच्चा मानसिक रूप से अस्वस्थ है। वह हमारे विद्यालय में नहीं पढ़ सकता।”

फिर एडिसन ने उस नोटिस के पीछे लिखा, ” मां आपकी शिक्षा ने आपके पागल बेटे को आज जीनियस बना दिया।”

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सीख | Success Story in Hindi : ” जीवन मे सफलता पाना उतना भी कठिन नहीं है इसके लिए तो बस निरन्तर प्रयास और लगन की आवश्यकता होती है।”


अब्दुल कलाम की कहानी

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   भारत के महान वैज्ञानिक जिनको हम सब मिसाइल मैन के नाम से जानते हैं, उनका प्रारंभिक जीवन बहुत अच्छा नहीं गुजरा। उन्होंने अपने बचपन मे बहुत ही गरीबी देखी थी।

स्वंय का गुजारा करने के लिए, और अपनी पढ़ाई करने के लिए उन्होंने बचपन में ही अखबार बेचना और चाय की दुकान पर कार्य किया करना प्रारंभ कर दिया। अब्दुल कलाम जी ने बचपन से ही भेदभाव , जातिवाद आदि कई ऐसी घटनाओं को सहन किया था।

जब वे छोटे थे तो, उनका प्रवेश विद्यालय में किया गया।

कक्षा में उनका पहला दिन था। उनके कक्षा में आते ही बहुत से दोस्त बन गए। एक उनका मित्र था। वह हिन्दू परिवार से था। उसका परिवार बहुत ही रूढ़िवादी प्रकार का था।

   अब्दुल कलाम और उनका दोस्त कक्षा में एकसाथ ही बैठे थे। जब कक्षा में गुरुजी आए और उन दोनों को एकसाथ बैठे हुए देखा तो बहुत रुष्ट हुए उन्होंने अपने मन मे सोचा यह बालक तो पराए धर्म का है,

कहीं इसने दुसरे बच्चों का धर्म भ्रष्ट कर दिया तो मेरी तो नौकरी ही चले जयगी।

यह सोचकर उन्होंने अब्दुल कलाम को उठाया और पीछे बैठा दिया। उस समय उनको बहुत बुरा लगा। उनका दोस्त भी रोने लगा।

  दोनो बालको ने यह बात घर जाकर अपने अपने माता-पिता को बताई। अगले दिन उनके माता पिता विद्यालय में आए और गुरुजी को कहा, ” यदि आप ही बच्चों को ऐसी बातें सिखाएंगे तो बच्चों में भी ऐसे ही संस्कार आएंगे। शिक्षा तो भेदभाव से रहित होती है।”

तब उनके गुरुजी ने सब से माफी मांगी। और कलाम को अपने मित्र के साथ बैठने की अनुमति दे दी।

 इस तरह की अनेक घटनाओं और तिरस्कार के बावजूद उन्हें स्वयं को साबित किया। वास्तव में वे एक पायलट बनना चाहते थे लेकिन क़िस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने जीवन मे बहुत बड़े बड़े काम किये।

उनका चयन नासा के बैज्ञानिक के रूप में भी हो गया था लेकिन उन्होंने देश की सेवा के लिए वह भी ठुकरा दिया। ईस प्रकार कलाम ने एक सादा जीवन बड़े आदर्शों और सफलताओं के साथ जिया।


सीख | Success Stories in Hindi  : ” अपने साथ होने वाले अत्याचारों से डरिये मत। बस अपने लक्ष्य को सामने रखिए और अपने मार्ग में आई बाधाओं से निरंतर संघर्ष  से लड़ते रहिये।”

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दोस्तों अभी आपने पढ़ी सफल लोगो की कहानी. अब यह हैं कुछ अन्य Motivational Stories जिन्हें पढ़कर आपको बहुत कुछ सींखने को मिलेगा, और आप सफलता की सीढ़ी चढ़ पाएंगे।


Stories for Success in Hindi


 धूर्त बगुला

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   एक जंगल के किनारे एक तालाब था। तालाब में मछलियां केकड़ा और एक बगुला रहा करते थे। बगुला अब बुढ़ा हो चुका था, वह अपने खाने पीने का इंतजाम भी नहीं कर पा रहा था।

उसने अब इस बारे में बहुत सोचा, उसके दिमाग मे एक युक्ति आई, जिससे कि उसका कार्य भी सफल हो जाएगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा।

बगुले ने तालाब के जीवों में यह खबर फैला दी कि यहां जल्द ही सूखा पड़ने वाला है। मैं एक दुज़रे तालाब जनता हुन जहां मैं तुम सबको सुरक्षित पहुंचा सकता हूँ।

सूखे की बात से केकड़ा और सभी मछलियां बहुत ही चिंतित हुईं। मछलियां तो पानी के बगैर रह ही नहीं सकती थी अतः उन्होंने बगुले से कहा, ” बगुले चाचा! कृपया कर के आप हमें पहले नए जलाशय में ले जाएं।

अब बगुले की युक्ति सफल हो रही थी। बगुला एवज तालाब की 1 मछली पकड़कर वहीं तालाब के किनारे एक पत्थर के पीछे खाता और मछलियों के कंकाल को वहीं छोड़ देता। बहुत दिन बीत चुके थे।

एक दिन एक केकड़ा उस बगुले के पास आया उसने कहा, ” चाचा जी क्या आप केवल मछलियों को ही उस नए तालाब पर ले जाएंगे! मेरी तो बारी ही नहीं आ रही है।

तब बगुले ने अपने मन मे सोचा, रोज तो मैं मछलियों को अपना भोजन बनाता हूँ, आज केकड़े को खाकर ही अपना पेट भरूँगा।

   उसने हंसकर कहा, ” चलो आज तुम्हारी ही बारी हुई, आ जाओ पीठ पर।” केकड़ा खुश होकर बगुले की पीठ पर बैठ गया।

लेकिन थोड़ी दूर पहुंचने पर केकड़े ने देखा कि तालाब के किनारे तो मछलियों की हड्डियां पड़ी हुई हैं, वह समझ गया कि बात क्या है। उसने वहीं पर बगुले की गर्दन को जकड़ लिया बगुला तड़प तड़प कर मर गया।

  केकड़ा किसी तरह तालाब पर वापस पहुंचा। उसने सभी को बगुले का राज बता दिया। सभी अब बगुले के चंगुल से मुक्त हो गए। इस प्रकार केकड़े ने अपनी औऱ बाकी बची हुई सभी मछलियों की जान बचाई।

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सीख | Safalta ki Kahani in Hindi : ” बुध्दि के प्रयोग से कठिन समय मे सफलता पाई जा सकती है। “


धर्म का पीड़ा

सफलता की कहानी


  बहुत समय पहले, एक ज्ञानी पुरुष अपने शिष्यों के साथ एक मेले में विचरण कर रहे थे। मेले में अनेक प्रकार की झांकिया, लोगों के देखने के लिए रखी गयी थी,

जिसमे सभी लोग अपनी आपनी हैसियत के अनुसार अपना दान भी कर रहे थे। सबसे अधिक भीड़ धार्मिक झाकियों में थी।

  तभी एक झांकी पर उनकी नजर पड़ी वहां एक पंडित अपने आसन पर एक माला लेकर बैठा हुआ था। उसे अपने जप से ज्यादा उन रुपयों की चिंता हो रही थी, जो कि दान में दिए जा रहे थे।

वह बार बार अपनी आंखें खोलकर रूपयों को ही देखे जा रहा था। वे उस पण्डित को देखकर हंसे और आगे बढ़ गए, उनके शिष्यों को कुछ समझ ही नहीं आया।

वे आगे गए और उन्हें एक साधु और दिखे, जिनके सामने कुछ लोग बैठकर अपने भविष्य के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए बैठे हुए थे।

ग्रन्थों और अपनी विद्या का प्रयोग गलत तरीके से प्रयोग करते हुए देख ज्ञानी पुरूष को फिर से हंसी आई और वे फिर से आगे बढ़ गए।

वे सब अब अपने आश्रम की ओर आ रहे थे, तो उन्हें एक मनुष्य दिखा जो कि रस्ते में पीड़ा से कराहते हुए एक अन्य व्यक्ति की मदद कर रहा था, जिसे देखकर महापुरुष भावविभोर हो गए।

जब सब आश्रम पहुंचे तो उनके शिष्यों ने उनसे , उनके पहले हंसने और फिर उनके रोने का कारण पूछा। तब महापुरुष बोले, ” प्रथम दो घटनाएं ईश्वर के प्रति झूठे प्रेम को दर्शा रही थी,

वहां बस ईश्वर की भक्ति का ढोंग था । तीसरी घटना में भले ही वह व्यक्ति ईश्वर के सामने ध्यान लगाकर नहीं बैठा था। लेकिन वह दूसरों की सहायता कर ईश्वर की सच्ची भक्ति कर रहा था।

सच्ची भक्ति ईश्वर को ध्यान में रखकर जरूरतमन्दों की सहायता करने में ही होती है न कि ईश्वर की भक्ति का ढोंग करने में।


सीख | Success Story in Hindi : ” दूसरों की सहायता करना किसी पुण्य से कम नहीं है और ईश्वर भी उनके साथ होते हैं जो कि परोपकार करने में अपने भले को भूल कर दूसरों को पूर्ण सहयोग देते हैं।”


डरपोक घोड़ा


   एक बार जंगल मे एक घोड़ा बाघ के डर से इधर उधर भाग रहा था। तभी उसे रास्ते मे एक आदमी मिला, आदमी ने घोड़े से पूछा, “तुम ऐसे भाग क्यो रहे हो। “

  इस पर घोड़े ने उसे जवाब दिया, ” मैं एक बाघ के डर से भाग रहा हूं। वह मेरे ही पीछे पड़ा हुआ है। मैं अपनी जान बचाने के लिए भाग रहा हूँ ताकि अपनी जान बचा सकूं और थोड़े दिन और जीवित रह सकूं।”

   तब उस व्यक्ति ने कहा, ” यह बात है। क्या मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ?” तब घोड़े ने कहा, ” क्या सच मे आप मेरी सहायता करेंगे? मैं बहुत आभारी रहूँगा।”

व्यक्ति बोला, ” मैं तुम्हारी मदद तो कर दूंगा लेकिन उसके लिए तुम्हें मेरी हर बात सुननी होगी और उसे मानना भी होगा । मुझे तुम्हारे मुह में लगाम और तुम्हारी पीठ में कांठी कसनी होगी।”

घोड़े को उस समय कुछ भी समझ मे नहीं आ रहा था। उसने व्यक्ति की बात मान ली।

    व्यक्ति ने जल्द से उस पर कांठी कसी और उसके मुँह में लगाम लगा दी। फिर वह उस पर सवार होकर उसे अपने अस्तबल पर ले गया। और अस्तबल पर ले जाकर बांध दिया। और उसे वहीं बन्दी बना लिया।

    घोड़ा थोडे दिन तो मस्ती में रहा। लेकिन जब उससे काम कराया जाने लगा तो वह बहुत ही दुखी हुआ। अब वह हर समय यही सोचता रहता कि, जंगल का जीवन कितना अच्छा था।

मौत का डर था लेकिन मैं स्वतंत्र था। यहाँ तो मैं पल पल मर रहा हूँ।


सीख | Success Stories in Hindi  : ” गुलामी के जीवन से स्वतंत्र मृत्यु अच्छी है। और अपनी स्वतंत्रता के रक्षक आप स्वयं ही हैं।”

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Real Success Story in Hindi


राजा की दरिद्रता


     एक बार एक राज्य में एक साधु रहते थे। वे अपने आश्रम में कुछ कार्य कर रहे थे तभी उन्हें एक सिक्का मिला वह स्वर्ण का था। साधु तो मोह-माया से परे थे। यह सिक्का उनके किसी भी काम का नहीं था।

तो उन्होंने निश्चय किया कि वे ये सिक्का किसी ऐसे व्यक्ति को देंगे जो कि गरीब हो, दरिद्र हो और जिसे इस सिक्के की अत्यंत  आवश्यकता हो।

यह विचार करके उन्होंने वह सिक्का अपने पास रख लिया। और अपने कार्य में व्यस्त हो गए।

वे कुछ दिनों तक ऐसे व्यक्ति की तलाश करते रहे, परन्तु उन्हें कोई भी गरीब दरिद्र नहीं मिल पाया।

फिर एक दिन अचानक उनकी नजर एक राजा पर पड़ी जो कि लोभ में आकर दुसरे राज्य पर आक्रमण करने के उद्देश्य से अपनी पूरी सेना को लेकर जा रहा था।

साधु महाराज को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने वह सिक्का उस राजा के आगे फेंक दिया। सिक्का राजा के कदमों पर आ गिरा, राजा यह देखकर कुछ चकित हुए ।

लेकिन उन्हें थोड़ा क्रोध भी आया जब उन्हें यह पता लगा कि साधु ने वह सिक्का जानबूझकर राजा के पास फेंका था।

राजा अपना रथ छोड़कर साधु के पास आए। राजा ने साधु का अभिवादन किया फिर उनसे पूछा, ” आपने यह सिक्का जानबूझकर मेरे आगे क्यों फेंका? क्या आप जानते नहीं मैं एक सम्राट हूँ।”

तब साधु शालीनता के साथ बोले, ” हे राजन! जब मुझे यह सिक्का मिला तब मैंने यह सोचा कि मैं यह सिक्का किसी दरिद्र को दूँगा लेकिन मुझे पूरे संसार में कहीं भी कोई दरिद्र व्यक्ति नहीं मिला,

लेकिन जब मैं ने तुम्हें देखा तो मुझे लगा कि यहां के सबसे अधिक दरिद्र व्यक्ति तुम हो। जो कि इतना सम्पन्न राज्य होते हुए भी दुज़रे राज्य को हड़पने की कामना रखते हो!

तुम्हे कभी भी किसी चीज से संतुष्टि नहीं हुई और न आगे होगी।”

साधु की बात सुनकर राजा को बहुत बुरा लगा । उसको अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने साधु  से माफी भी मांगी। फिर वह अपनी सेना को लेकर वापस अपने महल चला गया।


सीख | Success Story in Hindi for Student : ” लोभी मनुष्य कभी भी संसार मे सुख का आनंद नहीं उठा सकता। अतः लोभ को त्यागें और जीवन में सुख का अनुभव करें।”


सन्तोष का फल


  बहुत समय पहले की बात है, एक बार किसी देश में अकाल पड़ गया। एक बहुत ही पिछड़ा हुआ नगर था। उस नगर में भूखों मरने की स्थिति उतपन्न हो गयी। तभी बाहर से उस नगर में सहायता दी गयी।

उस नगर में आटा और चावल दिए गए वहां के लोग उस भोजन को एकसाथ बनाकर लोगों में बांट दिया करते थे।

खाना बहुत से लोगों के लिए बनाना होता था इसलिए रोटियां छोटी- बड़ी हो जाती थी। छोटे बच्चे जब खाने की लाइन में खड़े होते तो वे भगदड़ मचा दिया करते, कि उनको बड़ी रोटी चाहिए।

  एक छोटी लड़की थी। वह भोजन के लिए कभी भी झगड़ा नहीं करती थी। पहले दिन से ही वह चुपचाप एक जगह खड़ी हुई। सव्ही बच्चव ने अपनी अपनी बड़ी रोटी ली,

अंत मे बारी आई उस लड़की की। टोकरी में आखिरी रोटी बची हुई थी। उसने बिन कुछ कहे सन्तोष पूर्वक वह रोटी उठाई और अपने घर चले गई।

अगले दिन भी ऐसा ही हुआ। लेकिन तीसरे दिन जब वह रोटी लेकर घर गयी तो, जब वह रोटी को खाने के लिए तोड़ रही थी तो उसे रोटी के मध्य एक सोने का सिक्का मिला। उसने अपनी मां को वह सोने का सिक्का दिखाया।

उसकी मां ने अपनी बेटी से कहा, ” बेटी ये सिक्का उस व्यक्ति का होगा जिसने रोटी बनाने के लिए आटा गूंदा होगा। जो इसे वापस कर के आओ।”

  वह लड़की दौड़ती हुई गयी और उसने यह सिक्का उस व्यक्ति को दे दिया। वहीं पास में एक धनी व्यक्ति खड़े यह सब देख रहे थे। उन्हें छोटी सी बच्ची की ईमानदारी पर बहुत गर्व हुआ,

औऱ उन्होंने लड़की को शाबासी दी। उन्होंने फैसला किया कि अब वे उस लड़की को अपनी धर्मपुत्री बनाएँगे। वे उसके माता पिता से मिले। और उनसे अपने मन की बात कही। माता-पिता मान गए।

   धनी व्यक्ति के गुजर जाने के बाद बड़े होकर वही लड़की उनकी संपत्ति की उत्तराधिकारी बनी। उसकी एक सिक्के को लौटने की ईमानदारी ने ही उसे पूरी सम्पत्ति का अधिकार दिला दिया।


सीख | Success Story in Hindi : ” सन्तोष का फल सदैव सुखदायी होता है।”


Safalta ki Kahani in Hindi


” मकड़ी को चींटी की सीख “


  एक बार की बात है।एक दीवार पर एल मकड़ी अपना जाला बुन रही थी। मकड़ी थोड़ी आलसी थी। जहां अन्य मकड़ियां केवल कुछ क्षणों में ही अपना जाला बुनकर तैयार कर लेती थीं,

वहीं उस मकड़ी को अपना जाला बुनने में कई दिन लग जाते थे।

    उस दिन जब वह अपना जाला बुन रही थी, तब भी उसके यही हाल थे। उससे काम नहीं किया जा रहा था। ऐसे आलस करते करते दो दिन बीत गए। उसे जल्द से जल्द अपना जाल बनाकर तैयार करना था।

   जब वह आलस के मारे एक जगह पर बैठ गयी तो उसकी नजर एक चींटी पर पड़ी। चींटी अपनी पीठ पर अपने भार का दो-तीन गुना वजन उठाकर दीवार पर चढ़ रही थी।

अब मकड़ी उस चींटी को देखने लगी।

   चींटी बार बार दीवार से निचे गिर रही थी। लेकिन वह बिना हार माने ही फिर से दीवार पर चढ़ने के लिए तैयार हो जाती। यह देखकर मकड़ी आश्चर्य में थी। फीर धीरे धीरे ही सही।

मकड़ी के देखते ही देखते चींटी ने दीवार को पार कर लिया।

   तब मकड़ी को उससे प्रेरणा मिली उसने सोचा, ” यह चींटी तो मुझसे भी छोटी थी और इसने अपना कार्य कितनी ईमानदारी और मेहनत के साथ किया। अब मैं भी अपने किसी भी कार्य मे आलस नहीं करूंगी।”

यह सोचकर वह उठी और, उसने अपने हिम्मत और मेहनत से अपना जाल कयच्छ ही क्षणों में पूरा कर लिया।


सीख | Success Stories in Hindi  : ” किसी भी कार्य को मेहनत व लगन से कर उस कार्य को सफल बनाया जा सकता है।”


” शेर बना सन्त “


सफलता की कहानी- एक जंगल था । वहां बहुत से जानवर रहा करते थे। वहां का शेर अब बूढा हो चुका था। उससे अब जंगल के बीच मे जाकर शिकार नहीं किया जा रहा था।

भूख बीबी बुढ़ापे में कुछ ज्यादा ही लग रही थी।

अपने शिकार के बारे में बहुत सोचने के बाद उसे एक युक्ति सूझी। युक्ति के अनुसार, उसने पूरे जंगल मे एक खबर फैला दी, कि वह अब बूढा हो चुका हूं उसने अब शिकार का त्याग कर दिया है।

अब से वह घाँस-फूस और फल ही खाएगा और भगवान की भक्ति में लीन हो जाएगा।

   धीरे धीरे यह खबर पूरे जंगल मे फैल गयी। जंगल के सभी जानवर बहुत भोले-भाले थे वे सब शेर की बात में आ गए। उन्होंने आपस मे कहा और सोचा, आज तक हमने ऐसा बाघ नहीं देखा, जो ऐसा सन्त हो।

ऐसे सन्त के हमें दर्शन करने चाहिए। ऐसे सन्त से मिलकर हमारा भी मार्गदर्शन होगा। यह सोचकर वह एक एक कर के शेर से मिलने जाने लगे।

लेकिन यह तो शेर की योजना थी। जैसे ही कोई भी उसकी गुफा में आ जाता था तो वह उसी समय उस पर हल्ला बोल देता था। इस प्रकार उसकी खाने की समस्या हल हो जाती थी।

यह बात फैलते-फैलते लोमड़ी तक पहुंच गई। लोमड़ी बहुत चालाक थी। उसे शेर के सन्त होने और घाँस खा कर जीने की बात कुछ हजम नहीं हुई। उसने भी अब निश्चय कर लिया कि वह सच्चाई का पता लगाकर ही रहेगी।

  एक दिन लोमड़ी चुपचाप शेर की गुफा में गयी। यह जानने की आखिर बात है क्या!!

  लोमड़ी जब गुफा के बाहर पहुंची तो उसने देखा कि वहां पर बहुत से पंजो के निशान थे। लेकिन वे अभी पंजो के निशान केवल गूफ़ा में प्रवेश करने के थे, बाहर आने का 1 भी निशान नहीं था।

अब उसका संदेह सत्य होता दिख रहा था। अब वह सतर्क हो गयी। उसने धीमे धीमे अपने पांव आगे बढ़ाए, और शेर की गुफा के अंदर प्रवेश किया, जैसे ही वह अंदर पहुंची उसने जानवरों की हड्डियां और कंकाल देखे।

अब उसके सारी बात समझ मे आ गयी। उसे पता लग गया कि आखिर पूरा माजरा है क्या।

  वह झटपट जंगल मे गयीं और सभी जंगल वासियों को सच्चाई बता दी। सभी जानवरों ने मिलकर अब उस गुफा के द्वार पर एक बड़ा सा पत्थर लगा दिया। गुफा अब हमेशा के लिए बन्द हो गयी।

शेर भी वहां तड़प तड़प कर मर गया। और जंगल के सभी जानवर प्रेम से रहने लगे।


सीख | Safalta ki Kahani in Hindi : ” किसी पर भी अंधा विश्वास करना उचित नहीं है। किसी भी चीज को जांच परख कर ही उसके बारे में कोई राय बनानी चाहिए।”


Motivational Story in Hindi for Success


” वफादार कुत्ता “


   एक गांव में सुशील अपनी पत्नी सुरेखा के साथ रहता था। उनका एक बेटा भी था, जो कि अभी एक – डेढ़ साल का ही था। बेटे के बहुत छोटे होने के कारण उसका बहुत खयाल रखना पड़ता था।

सुरेखा और उसका पति अपने बच्चे से बहुत प्रेम करते थे।

   उनके घर मे एक कुत्ता रोज खाने के लिए आता था। सुशील उस कुत्ते को बहुत अच्छा मानता था, उसे जानवर पसन्द भी थे । वह रोज ही उस कुत्ते को खाना दिया करता था।

परंतु उसकी पत्नी उस कुत्ते को अच्छा नहीं मानती थी। उसको भय था कि कहीं कुत्ता उनके बच्चे को तो कोई नुकसान न पहुंचा दे। इस कारण से वह सदा ही अपने बच्चे को उससे दूर रखती थी।

   एक दिन सुशील अपने कार्य पर गया हुआ था। उसकी पत्नी भी घर के भीतर कार्य कर रही थी। उसने अपने बच्चे को आंगन में खिलौनों के साथ खेलने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया था।

Success Story in Hindi for Student Interesting Part – अचानक उसके बेटे के सामने एक सांप आ गया। बच्चा बिल्कुल भयभीत नहीं हुआ और उस सांप से खेलने की कोशिश करने लगा।

सांप परेशान हो गया था। वह बच्चा उसे आगे नहीं जाने दे रहा था।

वह उसको नुकसान पहुंचाने का सोच रहा था।

 ईश्वर की कृपा से तभी वहां वह कुत्ता पहुंच गया। सांप बच्चे को डसने ही वाला था कि कुत्ते ने अपने मुंह से सांप को पकड़कर दूर फेंक दिया। और उसको पैरों से कुचल कर मार दिया।

  कुत्ता इस बात का सुरेखा को एहसास करने के लिए, घर के अंदर घुस गया। जब सुरेखा ने उसे देखा, तो वह हैरान रह गयी। कुत्ते के पैर और मुह खून से लतपत थे। उसने सोचा इसने आज मेरे बच्चे को मार ही दिया।

उसने गुस्से से एक बड़ा सा पतीला उठाया और कुत्ते के सर पर मार दिया। कुत्ता वहीं पर मर गया। जब वह अपने बच्चे को देखने के लिए बाहर गयी तो उसे आश्चर्य हुआ।

उसका बच्चा तो एकदम सही-सलामत था औऱ खेल रहा था। फिर उसकी नजर सांप पर गयी वह लहूलुहान दूर मरा हुआ था।अब उसको सारी बात समझ मे आ गयी।

वह अपना सर पकड़कर वहीं बैठ गयी, कि आज उसने क्या अनर्थ कर दिया।


सीख | Success Story in Hindi : ” बिन सोचे समझे जो कार्य किया जाता है उसके लिए बाद में पछताना ही पड़ता है।”


” घोड़े का घमंड “


सफलता की कहानी- एक आदमी के पास एक घोड़ा और एक गधा था। वह उन दोनों को लेकर बाजार जा रहा था। उसने गधे की पीठ पर बहुत सारा वजन लाद रखा था।

गधे के लिए वह उठा पाना बहुत मुश्किल हो रहा था।

जबकि घोड़े के पास कुछ भी नहीं था। वह अपनी ही मौज में चलता जा रहा था।

    रास्ते मे चलते चलते, गधे ने घिडे से थोड़ी मदद मांगने की सोची। उसने घोड़े से कहा, “मित्र मेरा वजन बहुत ही ज्यादा है। तुम्हारे पास तो कुछ भी नहीं है, क्या तुम मेरी थोड़ी सी मदद कर दोगे! मैं यह बोझ नहीं उठा पा रहा हूँ,

मेरी सारी ऊर्जा भी खत्म हो चुकी है। कृपया कर के मेरी मदद कर दो।”

Success Story in Hindi for Student Interesting Part – घोड़ा तो अपने ही घमण्ड में था, की उनका मालिक उसे अच्छा मानता है, घोड़ा बोला,

” तुम्हारा काम है, वजन उठाना। तुम अपना बोझ मुझे देकर स्वयं कार्य से बचना चाहते हो। मैं ऐसा कभी भी नहीं होने दूँगा।

चुपचाप अपना कार्य स्वयं करो और चलते रहो।” गधा अब चुप हो गया और तीनों अब रस्ते में चलते रहे।

  बाजार अभी दूर ही था। गधे की हिम्मत अब पूरी तरह से टूट गयी। उसके पैर लड़खड़ाने लगे। कुछ ही क्षणों में वह जमीन पर गिर गया। उसके मुँह से झाग भी आने लगा।

व्यापारी को लगा कि यह बहुत थक गया है, उसमे गधे को थोड़ा पानी पिलाया लेकिन गधा बोझ के साथ खड़ा हो ही नहीं पा रहा था। तब व्यापारी ने सारा सामान गधे से उतारकर घोड़े के ऊपर रख दिया।

समान वास्तव में बहुत भारी था।  अब उसे लगा कि, यदि मैं ने पहले ही गधे के अनुग्रह पर उसका थोड़ा सा बोझ ले लिया होता तो मुझे अभी यह पूरा बोझ नहीं ढोना पड़ता।


सीख | Success Story in Hindi for Student : ” दूसरों के दुख में हाथ बताने से स्वंय का दुख भी कम हो जाता है। “


सफलता की कहानी


“चतुर ज्योतिषी “


   एक बार एक नगर में एक राजा ने अपना भविष्य देखने के लिए एक ज्योतिषी को बुलवाने का सोचा। राजा वैसे तो दयालु था लेकिन राजा को उसकी बुराई करने वाले लोग बिल्कुल पसंद नहीं थे।

अतः उसके राज्य का एक भी ज्योतिषी राजमहल नहीं पहुंचा।

    यह खबर फैलते फैलते दुसरे नगरों में भी सबके कानों तक पहुंच गई। तो पड़ोस के नगर के ही एक ज्योतिष ने निश्चय किया कि मैं वहां जाऊंगा। वह बहुत ही बुद्धिमान था।

लेकिन उसकव भी राजा की प्रकृति के बारे में नहीं पता था। वह राजमहल की ओर चल दिया।

   पैदल मार्ग था। दो-तीन दिन लग गए राजमहल पहुँचने में। जैसे ही ज्योतिष ने महल में प्रवेश किया सभी ने उसकी बहुत आवभगत की। ज्योतिष को बहुत अच्छा लगा। फिर राजा ने उसे अपने पास अपने दरबार मे बुलाया।

राजा ने ज्योतिष से कहा, ” मैं अपना और अपने राज्य का भविष्य जानना चाहता हूं। कृपया आप मुझे भविष्य के बारे में बताईये।”

   ज्योतिष ने कहा, ” राजन मैं पहले तुम्हारे भाग्य के बारे में बताऊंगा और फिर तुम्हारे दुर्भाग्य के बारे में, जो कि सब तुम्हारे राज्य से भी सम्बंधित होगा।”

  राजा मान गया। और ज्योतिष को अपना हाथ दे दिया। जैसा कि ज्योतिष ने कहा था, उसने पहले राजा के भाग्य के बारे में बताना शुरू कर दिया। राजा को अपने बारे में अच्छी अच्छी बातें सुनकर बहुत ही आनन्द आ रहा था।

   ज्योतिष ने उसके बारे में बहुत अच्छी अच्छी बातें कही।

अब थी राजा के दुर्भाग्य की बारी। अब ज्योतिष ने राजा के बारे में उसके साथ होने वाली दुर्घटनाओं को बताना शुरू कर दिया। अपने बारे में यह सब सुनकर राजा को बहुत बुरा लगा।

Safalta ki Kahani in Hindi Interesting Part- उसने क्रोध में कहा, ” चुप हो जाओ! ज्योतिष। क्या तुम्हें पता नहीं है मैं कौन हूँ। मेरे बारे में ऐसा कहने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?

अब मैं तुमसे कुछ पूछता हूँ। तुम्हें अपना भविष्य तो पता ही होगा।

चलो मुझे यह बताओ कि तुम्हारी मृत्यु कब होने वाली है!?

    ज्योतिष तो उसकी बातों को सुनकर बहुत ही ज्यादा भयभीत हो गया। उसे पता चल गया कि राजा अब उसे प्राणदण्ड देने वाला है। लेकिन ज्योतिष तो चालाक था। अतः उसने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया।

इसने थोड़ा सोचा फिर राजा से। बोला, ” राजन मेरी मृत्यु तुम्हारी मृत्यु के ठीक एक दिन पहले होगी। “

  अब राजा बहुत डर गया। उसे सच में लगा कि ऐसा ही होने वाला है। राजा अब अपनी बात से पलट गया। उसने ज्योतिष से कहा, ” मैं तो मजाक कर रहा था, आप तो बुरा ही मान गए।”

अब राजा ने उसको बहुत से उपहार दिए और विदा करने पर कहा, ” महाशय आप अपना ध्यान रखना।”

   ज्योतिष भी मंद मंद मुस्कुराते हुए वहां से चला गया।


सीख | Success Story in Hindi : ” कठिन समय मे बुद्धि का प्रयोग ही, जान के जोखिम से बचा सकता है।”


” गरीब और अमीर “


सफलता की कहानी-  एक गरीब मोची था।  उसकी छोटी सी जूते-चप्पल सिलने की दुकान थी। वह बहुत ही निश्चिंत रहता था। और जब भी उसका मन करे या फिर जब वह कुछ काम को खत्म करके उठता,

तो वह गाना गाने लगता था।

वह अपने जीवन से खुश था। और ईश्वर को उसे ऐसा जीवन प्रदान करने के लिए धन्यवाद देता था, की ईश्वर ने उसे दो वक्त की रोटी देने का प्रबंध कर रखा है। वह अपने कार्य से वापस आकर, दिया बाती करता और खाना खा कर आराम से सो जाता।

वह रात को अपने खिड़की दरवाजे भी बंद नहीं करता था।

   उसके ही बगल में एक अमीर व्यक्ति का घर था। वह इतना अमीर था कि वह यदि कोई कार्य न भी करे तो जीवनभर बैठ कर खा सकता था। उसके पास बहुत सारा धन था।

लेकिन वह हर समय एक ही डर से जूझता रहता था, कि कहीं उसका धन चोरी न हो जाए। वह हर समय अपने घर के खिड़की दरवाज़े बन्द रखा करता था। लेकिन जब भी वह मोची को गाते हुए देखता तो उसे बड़ी ही ईर्ष्या होती थी।

वह सोचता था, मेरे पास तो इतनी फुरसत ही नहीं है कि मैं निश्चिंत हो सकूं। और यह जब देखो खुशी से गाना ही गाते रहता है।

   तब उसके मन मे एक ख्याल आया। उसने मोची की खुशी और  स्वतंत्रता छीनने का लिए एक युक्ति सोची।

Real Success Story in Hindi Interesting Part- युक्ति के अनुसार उसने मोची कप एक दिन अपने घर पर बुलाया। उसकी खूब खातिरदारी करी। फिर उसे उसने पाँच हजार रुपये भी दिए।

मोची को बहुत ही आश्चर्य हुआ।

वह रुपये नहीं ले रहा था परन्तु तब उसे धनी आदमी ने कहा कि तुम्हें यह रुपये कभी भी वापस करने की जरूरत नही है।

   मोची ने फिर रुपये ले लिए और वह अपने घर आ गया। पांच हजार रुपए उसके लिए बहुत मायने रखते थे अतः उसने उन्हें बहुत संभाल कर रखा।

उसे रुपये चोरी हो जाने का डर लगा रहता तो वह अपने खिड़की दरवाजे भी बंद कर के सोता था। अब गाना , गाना तो जैसे वह भूल ही गया था। फिर एक दिन उसे ऐहसास हुआ कि इन रुपयों की वजह से उसका मूल रूप उससे छीन गया है।

ऐसे वह नहीं जी सकता।

  वह फटाफट गया और धनी व्यक्ति से माफी मांगते हुए उसका धन वापस कर आया। अब उसे बहुत अच्छा लग रहा था। अब वह पहले की तरह ही जीवन व्यापन करने लगा ।


सीख | Success Stories in Hindi  : ” रुपयों से कभी खुशी और सुख शांति नहीं खरीदी जा सकती।”


Success Story in Hindi for Student


” गधे की मूर्खतापूर्ण चालाकी “


   एक नमक का व्यापारी था। उसके पास एक गधा था। वह व्यक्ति गांव और शहर में जाकर नमक को बेचा करता था। अपने नमक को वह गधे पर लाद कर ले जाता और जहां जहां जरूरत होती वहां नमक बेचकर आता था।

अपने गांव से शहर या अन्य गांवों में जाने के लिए रास्ते मे कई छोटे छोटे नालों को पार करना पड़ता था। रोज तो वे सभी ठीक से पार हो जाते थे।

  लेकिन एक दिन जब व्यापारी अपने गधे के साथ नमक बेचने के लिए अपने घर से निकले तो उनके मार्ग में वही नाले आने लगे । गधे का बोझ थोड़ा ज्यादा था।

तो 2 नालों को तो उसने भी अच्छे से पार किया लेकिन तीसरे नाले में इसका सन्तुलन बिगड़ा और वह वहीं धड़ाम से गिर गया। पानी मे नमक के बोझ के साथ गिरने से नमक की पूरी बोरी गीली हो गयी।

साथ ही कुछ नमक तो पानी मे ही बह गया।व्यापारी ने गधे को उठाया और फिर दोनो ही शहर की ओर चल दिये। गधे को भी अब आराम था क्योंकि नमक के पानी मे बहने से उसका वजन जो कम हो गया था।

अब गधे के मन मे चालाकी सूझी उसने सोचा कि, ” यदि पानी मे गिरने से मेरा वजन हल्का हो सकता है तो अब मैं रोज ही इस युक्ति को आजमाउंगा और अपने वजन को कम कर लूंगा जिससे कि मुझे अधिक वजन नहीं उठाना पड़ेगा।

Motivational Story in Hindi for Success Interesting Part- अगले दिन भी वह नाले में बैठ गया। व्यापारी ने कुछ नहीं कहा। और उसे उठाकर शहर की ओर ले गया।

   अब तीसरे दिन भी उसने ऐसा ही किया, लेकिन आज उसका ऐसे गिरना व्यापारी को हादसा नहीं लगा। उसे पता चल गया कि गधा नाटक कर रहा है। यह रोज जानबूझकर मेरा सारा नमक पानी मे बहा दे रहा है।

आज तो मैं इसकी अच्छे से खबर लूँगा। तब व्यापारी ने उसे उठाया और वापस घर ले गया। गधा सोच रहा था कि व्यापारी उसके बारे में सोचकर उसे घर ले जा रहा है।

   जैसे ही वे दोनों घर पहुंचे, व्यापारी ने अपना लम्बा सा डंडा निकाला औऱ गधे की खूब पिटाई कर डाली। अब गधे को सबक मिल चुका था। फिर उसने आगे से ऐसी गलती कभी नहीं की।


सीख | Success Story in Hindi for Student : ” मूर्ख लोगों को बिना सबक न सिखाए वे अपने आपको चालक ही समझते हैं।”


” कबूतरों की संख्या “


सफलता की कहानी- एक जंगल था। वहां सभी जानवर बहुत ही प्रेम और सौहार्द से रहते थे। जंगल के विकास के लिए सभी जानवर मिलकर प्रतिदिन कुछ न कुछ नया करते ही रहते थे।

एक बार उन्होंने एक सभा करने का सोचा,

जहां वे जंगल से जुड़ी समस्याओं को एक दुसरे से सुनेंगे , हास-परिहास होगा, और भी बहुत सी गतिविधियों को संचालित किया जाएगा।

   सभी जानवर इस सभा को संचालित करवाने के लिए मान गए। सभा रात को रखी गयी। उसके आयोजन के लिए सभी दो तीन दिन पहले से ही जुट गए।

   पूरी तैयारी हो चुकी थी।अब इंतजार था तो बस उस शाम का जब सभी मिलकर कुछ नया करने वाले थे। सभी बहुत उत्साहित थे। अब  वह शाम भी आ ही गयी। सब अपनी तरफ से कुछ न कुछ लेकर उस सिबह मे उपस्थित हुए।

क्यों कि सभा देर तक चलने वाली थी, खाने का इंतजाम सब स्वंय ही कर के गए।

अब सभा का प्रारंभ हुआ। सबने अपनी अपनी राय रखी। और जंगल के विकास के लिये कई उपाय सामने आए। फिर हास-परिहार का भी सिलसिला शुरू हो गया।

पहेलियां पूछी जा रहीं थी जिनका सटीक उत्तर कछुआ दे रहा था। खरगोश को कछुआ एक रत्ती पसन्द नहीं था। तो कछुए में सोचा क्यों न इससे एक ऐसा प्रश्न पूछा जाए जिसका जवाब इसके पास हो ही न!

अब सबकी निगाहें तो कछुए पर ही टिकी हुई थी। तो खरगोश ने अपना प्रश्न पूछा।

  प्रश्न यह था- ” यह बताओ कि इस जंगल मे कितने कबूतर है।”

जंगल मे किसी भी जानवर को इस प्रश्न का उत्तर नही पता था। सब सोच में पड़े हुए थे।

Motivational Stories in Hindi for Success Interesting Part- तभी कछुए ने उत्तर दिया , ” इस जंगल मे पांच हजार तीन सौ चौसठ कौए हैं।”

कछुए की बात सुनकर सब हैरान रह गए। खरगोश बोला, ” तुम इतने यकीन से कैसे कह सकते हो?”

 तब कछुआ बोला, ” यदि तुम्हें मेरी बातों पर विश्वास न हो तो तुम स्वयं ही गिन सकते हो। कबूतरों के रिश्तेदार अन्य जंगलों में भी होते हैं।

यदि इस संख्या में से एक भी कबूतर कम निकले तो समझना कि हमारे जंगल के कबूतर अन्य जंगल मे अपने रिश्तेदारों से मिलने गए हैं। और यदि यहां एक भी कबूतर अधिक हुआ तो, समझना कि उनके रिश्तेदार उनसे मिलने के लिए आए हैं।”

   तब सभापति भालू बोले, ” क्यों खरगोश आई बात समझ में?” सब हंसने लगे। और सभी ने कछुए की बुध्दिमानी की तारीफ की और उसके लिए तालियां भी बजाई।


सीख | Success Story in Hindi : ” जैसा सवाल वैसा ही जवाब “


Motivational Success Stories in Hindi


” घमण्डी मोर “


सफलता की कहानी- एक जंगल मे एक मोर रहता था। वह सुंदर था। उसे अपनी सुंदरता पर बहुत अधिक घमण्ड था।

वह स्वयं को जंगल का ही नहीं बल्कि पूरे संसार का सबसे सुंदर प्राणी मानता था।

वह अन्य जानवरों और पक्षियों के सामने स्वंय की तारीफ किया करता था, जिससे कि अन्य पक्षी लज्जित होकर वहां से चले जाते थे।

    एक दिन वह तालाब में गया। वह पानी पी रहा था, तब उसे अपनी परछाई तालाब के पानी मे दिखी। वह बहुत ही खुश हुआ और उसने अपने आप को उस दिन सकह में देखा। वह अब खुद ही बोलने लगा,

” मैंने स्वयं को जितना सुंदर सोचा था मैं तो उससे भी अधिक सुंदर हूँ। वाह! मेरे ये सुंदर पंख। ऐसे पंख तो किसी के पास भी नहीं होते। मैं ईश्वर की सबसे सुंदर रचना हूँ। शायद ईश्वर मुझे बहुत अधिक प्रेम करते हैं।

   वहीं पास में एक सारस बैठा हुआ था। उसने उसकी बातों पर गौर नहीं किया। और अपने कार्य मे व्यस्त हो गया। मोर की नजर भी उस पर पड़ी। वह धीरे धीरे उस सारस के पास गया।

मोर ने सारस के सामने भी अपनी बढ़ाईं करना शुरू कर दिया। लेकिन सारस एक कान से सुनता और दुसरे कान से निकाल देता। अब मार्को गुस्सा आया। उसने अब सारस को भला बुरा कहना शुरू कर दिया, वह बोला,

Motivational Story in Hindi for Success Interesting Part- ” सारस हो न तुम! कितने बेरंग पक्षी हो तुम । तुम्हें देखकर तो मुझे लग रहा है कि ईश्वर तुम्हारे जीवन मे रंग घोलना भूल ही गए।

मुझे देखो कितना सुंदर हूँ मैं। और तुम कितने बदसूरत!!”

सारस के सब्र का बांध अब टूट चुका था। उससे अब चुप नहीं रह गया वह बोला, ” घमण्डी मोर! जिस रूप और जिन पँखों पर तुझे इतना घमण्ड है क्या वो तुझे उड़ा सकते हैं।

नहीं। तू कभी भी आसमान की ऊंचाइयों को नहीं छू सकता। ईश्वर ने तुझे पंख तो दिए लेकिन उनमें उड़ने की शक्ति देना भूल गया।”

  आज मोर को एक टक्कर का प्राणी मिला । इतना कहकर सारस आसमान की ऊँचाई पर उड़ गया। मोर उसे देखता ही रह गया। उसे बहुत शर्मिंदगी भी महसूस हुई।


सीख | Safalta ki Kahani in Hindi : ” यदि सुंदर वस्तुओं की कोई उपियोगिता नहीं है तो वह वस्तु सुंदर होते हुए भी महत्वपूर्ण नहीं होती।”


Conclusion


आज आपने पढ़ी Success Story in Hindi आशा करते हैं, आपको आज की हमारी यह Motivational Stories in Hindi for Success पसन्द आईं,

और इनसे बहुत कुछ सींखने मिला, ऐसी ही अन्य सफलता की कहानी और मोटिवेशनल कहानियां पढ़ने के लिए बने रहें Sarkaariexam के साथ।

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