Recent NewsSE Original

Great Surya Mantra in Hindi | Special Surya Dev Mantra – सूर्य मंत्र

मन को असीम शांति प्रदान करने वाला Surya Mantra in hindi जिसका जाप करने से सूर्यदेव की अनुकंपा सदैव आप पर बनी रहेगी, तो चलिए शुरू करते हैं सूर्य मंत्र-

सूर्य से ही सम्पूर्ण जगत प्रकाशमान है, पढ़िये यह Great Surya Dev Mantra जिससे आपको एक अनोखी शांति का अनुभव होगा, और सूर्यदेव की दिव्यदृष्टि आप पर हमेशा रहेगी।


surya mantra


Surya Mantra


यह कहना गलत नहीं होगा कि सूर्य देव संसार की आत्मा हैं। हमारी सभ्यता, हमारी संस्कृति हमें सिखाती है, किसी वस्तु का आदर करना। परन्तु यह सभ्यता, हमें हमारे वेद-पुराणों से मिली है।

   हमारे वेद हमें सिखाते हैं कि अपने इस अशाश्वत जीवन में कुछ ही चीजें ऐसी हैं जो कि शाश्वत हैं और सत्य भी हैं। जिनमें से ही एक उदाहरण हैं सूर्य देव।

वेदो में सूर्य को ईश्वर का दर्जा दिया गया है। वेदों में ही सूर्य को नए जन्म की आत्मा कहा गया है। हमारे राष्ट्र में तो वैदिक काल से ही सूर्य की उपासना की जाती है। जो कि फलदाई होता है ।


Surya Mantra in Hindi


ॐ “जपाकुसुम संकाशम् काश्य पेयम्

         महाद्युतम तमोरीम पापघ्नम्

         प्रणतोरिम दिवाकरम् ।।”


 इस सूर्य मंत्र का 21 बार , 111 बार , इसी प्रकार निश्चित संख्या में जप करने से मन को असीम शांति तो मिलती ही है, साथ ही सूर्यदेव की अनुकम्पा भी बनी रहती है।

Also Read : Chankya Niti


surya mantra in hindi


 सूर्य देव को पूजने के लिए उनके मंत्रों का जप भी आवश्यक है।  उनका ध्यान करने से शारिरिक रोगों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं धरती पर वे ही परमात्मा का साक्षात रूप हैं, जिसे हम देख सकते हैं।

सूर्यदेव सदा हमारे साथ रहें और सदा ही हम पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें इसके लिए उनका आह्वान किया जाता है। सूर्यदेव के आह्वान के लिए भी मन्त्र है,

जिसके उच्चारण की मान्यता है, कि सूर्यदेव उस समय आपके साथ ही है और आपको अपनी छात्र-छाया प्रदान कर रहे हैं।

 ऐसा  माना जाता है, सूर्य देव को पूजने और उनकी आराधना करना जीवन के लिए, और मानवता के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। लेकिन सूर्यदेव की पूजा के लिए कुछ विशेष मंत्रोच्चार किया जाता है,

जिससे माना जाता है कि आराधना से प्राप्त होने वाला फल अधिक फलदायी और प्रभावी हो। और सभी की सम्पन्नता की कामना भी की जाती है।

Also Read : Tenali Ram Moral Stories

Also Read : BK Shivani Quotes


Surya Mantra | सूर्यदेव आह्वान मन्त्र :


ॐ सहस्त्र शीर्षाः पुरूषः सहस्त्राक्षः सहस्त्र पाक्ष

स भूमि ग्वं सब्येत स्तपुत्वा अयतिष्ठ दर्शां गुलम् ।।


 सूर्यदेव से सम्बंधित पौराणिक कथा


सूर्य मंत्र


बहुत समय पहले की बात है, त्रेता युग की एक कथा बहुत ही मशहूर है। वह है दंबोद्धव असुर की कथा। दंबोद्धव को सहस्रकवच नाम से भी जाना जाता था।

क्योंकि उसे सूर्य भगवान से वरदान में 1000 कवच प्राप्त हुए थे।

      वास्तव में दंबोद्धव सूर्य देव का बहुत बड़ा भक्त और उपासक था। असुर वंश से होने के कारण उसमे बहुत सी बुराइयां थी। अमर होना कौन नहीं चाहता।

अतः उसने भी एक बार उसने अमर होने का सोचा, अमर होने के लिए उसने कई वर्षों तक सूर्यदेव की तपस्या की। तपस्या को कई वर्ष हो गए, सूर्य देव उससे प्रसन्न भी थे,

किन्तु उन्हें भी यह आभास था कि, यह तो असुर है, यह अवश्य ही कुछ न कुछ ऐसा वरदान माँगेगा जिससे कि वह अपना लाभ और दूसरों को हानि पहुंचा सके।

लेकिन सूर्यदेव को दंबोद्धव को दर्शन देने ही पड़े! वे दंबोद्धव की तपस्या से प्रसन्न थे। उन्होंने दमबोद्धव से एक वर मांगने को कहा।

   दमबोद्धव तो सूर्यदेव से मिलकर प्रसन्न था ही, क्योंकि सूर्यदेव उसके लिए अमृतत्व पहुँचाने वाले एकमात्र कारक थे। अन्य देवताओं से उसको कोई भी सहानुभूति या फिर सांत्वना नहीं थी।

  उसने सूर्यदेव का अभिवादन किया, और कहा, ” हे सूर्यदेव! मुझे अपने वरदान में अमरत्व चाहिए।”

इस पर सूर्यदेव ने कहा, ” वत्स! यह तो असम्भव है। यह वरदान मैं तुम्हें कदापि नहीं दे सकता। तुम कोई औऱ वरदान मांग सकते हो!”

सूर्यदेव ने दंबोद्धव को कोई अन्य वरदान मांगने को कहा।

 इस पर थोड़ा सोचने के बाद दंबोद्धव ने सूर्यदेव से कहा, ” हे प्रभु ! आप मुझे अमरत्व का वरदान नहीं दे सकते तो कोई बात नहीं। आप मुझे एक हजार कवच प्रदान करिए। जिनको कोई भी भेद न सके।”

सूर्यदेव मान गए।

लेकिन दंबोद्धव ने सूर्यदेव के सम्मुख एक शर्त रख दी। दमबोद्धव ने कहा, ” यदि कभी मुझसे कोई युद्ध करे तो वह उसी समय मुझसे हार जाय अथवा यदि कोई भी मेरा 1 कवच तोड़ने का प्रयास करे,

तो उसको इसके लिए एक हजार वर्ष की तपस्या करनी पड़े। साथ ही यदि कोई हजार वर्षों की तपस्या कर मेरा कवच तोड़ भी दे तो वह उस ही क्षण मृत्यु को प्राप्त हो जाय।”

   सूर्यदेव उसको यह वरदान नहीं देना चाहते थे, किन्तु वे यह वरदान देने के लिए विवश थे। अतः अब दमबोद्धव को अमरत्व के समान ही वरदान मिल चुका था। अब वह स्वयं को सर्वशक्तिशाली समझने लगा।

उसने तीनो लोकों को अपनी धृष्टता से परेशान करना शुरू कर दिया। देवताओं में इतना साहस नहीं था कि वे उससे युद्ध कर सकें क्योंकि उन्हें पता था कि यदि वे दमबोद्धव से युध्द करते हैं ,

तो उनकी मृत्यु निश्चित ही है। तभी सब देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और उनसे समाधान माँगा।

   भगवान विष्णु ने देवताओं को आश्वासन दिया कि, वे धरती पर मनुष्य रूप में अवतरित होकर दमबोद्धव का सर्वनाश करेंगे।

बहुत समय बीत गया। और दमबोद्धव का अत्याचार भी बढ़ गया।

Also Read : Great Ravindra Nath Quotes

Also Read : Vikram and Betal Stories


सूर्य मंत्र कथा भाग 2 | Surya Mantra


वहीं ब्रह्मा पुत्र “प्रजापति दक्ष” ने अपनी पुत्री मूर्ति का विवाह , ब्रह्मा जी के ही मानस पुत्र, धर्म से करवाना सुनिश्चित कर दिया। दोनों का विवाह हुआ और कुछ समय पश्चात ही मूर्ति ने दो बालकों को जन्म दिया।

एक का नाम था नर, और दूसरे का नारायण। वास्तव में नर और नारायण के रूप में भगवान विष्णु दमबोद्धव का सर्वनाश करने, स्वयं अवतरित हुए थे।

   नर और नारायण कहने को तो दो अलग अलग शरीर थे, लेकिन दोनों में आत्मा एक ही थी। शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करके, थोड़ा बड़े होने पर, नारायण चले गए तप करने और नर दमबोद्धव के पास आ गए युद्ध करने के लिए।

   दमबोद्धव अपनी ही मस्ती में चूर था। क्योंकि उसको मृत्यु का भय नहीं था। एक विलक्षण आभा वाले बालक को अपने समीप आते देख दमबोद्धव डर गया।

लेकिन दमबोद्धव , उस बालक को यह प्रदर्शित नही  करना चाहता था कि वह उस बालक से डर रहा है, दमबोद्धव ने नर से पूछा, ” कौन है तू, बालक? और यहाँ क्यों आया है?”

नर ने कहा, ” मैं नर हूँ। मेरे भाई नारायण तपस्या में लीन हैं। मैं यहां तुमसे युध्द करने के लिए आया हूँ। “

 उसकी बात सुनकर दमबोद्धव को बहुत क्रोध आया उसने कहा, तुच्छ बालक तू मुझसे युध्द करेगा! आ युद्ध कर!

   दोनों युध्द करने लगे। युद्ध लम्बे समय तक चला । नारायण की एक हजार वर्ष की तपस्या भी पूर्ण हो गयी, जैसे ही नारायण की तपस्या पूर्ण हुई वैसे ही, नर ने युद्ध भूमि में दमबोद्धव का एक कवच तोड़ दिया।

 जैसे ही कवच टूटा नर, मृत्यु को प्राप्त हो गया। नर के मृत होते ही, नारायण वहां आ गए। दूर से बिल्कुल नर के जैसे ही बालक को अपनी ओर आते देख दमबोद्धव आश्चर्यचकित हो गया। उसने पूछा,” नर तुम जिवित कैसे हो?”

 तभी उसने देखा कि, नर तो जमीन पर बेसुध पड़ा हुआ है। उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था।

तभी नारायण बोले, “मैं नारायण हूँ यह मेरा भाई है, हम दोनों में एक ही आत्मा है।” तब नर के सम्मुख बैठकर नारायण ने कुछ मंत्रोच्चारण किया, उसके मन्त्र पड़ते ही नर जीवित हो गया।

   इस बार नर तपस्या करने चला गया और नारायण युद्ध करने लगा। नर के एक हजार वर्षों की तपस्या के पश्चात, नारायण ने दमबोद्धव का एक कवच और तोड़ दिया, लेकिन इस बार वह भी मर गया।

  नर अपनी तपस्या से वापस आया और नर ने फिर से मन्त्र पड़ कर नारायण को जीवित कर दिया। अब दमबोद्धव समझ गया कि, इन दोनों को महामृत्युंजय मंत्र और इसके सभी गुण तपस्या द्वारा मिल चुके हैं।

उसका भय अब और बढ़ गया।

Also Read : Best Moral Stories Collection


सूर्य मंत्र कथा भाग 3 | Surya Mantra


अब एक भाई तपस्या करता और दूसरा दमबोद्धव का कवच तोड़ता और इस ही समय मृत्यु को प्राप्त हो जाता।

 यह प्रक्रिया चलती रही। जब दमबोद्धव का एक सौ ग्यारहवीं बार कवच टूटा तो उसे विश्वास हो गया कि ये दोनों मिलकर मेरे सारे कवच तोड़ डालेंगे। अब मुझे सावधान हो जाना चाहिए।

  दमबोद्धव ने बहुत सोचा, और सूर्यदेव का आह्वान किया सूर्यदेव तो सत्य जानते ही थे, वे नहीं आए दमबोद्धव को बचाने के लिए।

परेशान होकर दमबोद्धव भागकर भगवान सुर्य के निवास स्थान पर चला गया और सूर्यदेव से शरण मांगने लगा।

  दमबोद्धव सूर्यदेव का भक्त था वे उसको शरण मे कैसे नहीं लेते! अब दमबोद्धव को सूर्यदेव ने अपनी शरण मे ले लिया। दमबोद्धव सूर्यदेव की शरण मे स्वयं को बहुत सुरक्षित महसूस कर रहा था।

दमबोद्धव की सुरक्षा ज्यादे दिन नहीं टिकी।

  दोनों भाइयों ने अब उसका पता ढूँढ ही लिया और सूर्य लोक चले गए।

सूर्यदेव ने उसे बचाया क्योंकि वह उनकी शरण में था। लेकिन कब तक बचता वह!

नर और नारायण ने उसको बाहर निकालने का मार्ग खोज ही लिया और  999 बार उसका कवच तोड़ डाला। अब थी अंतिम कवच की बारी। तो अंत में नारायण ने उस कवच को तोड़ा।

  अब दमबोद्धव के पास अपनी रक्षा के लिए एक भी कवच नहीं बचा था। नर और नारायण दोनों भाइयों ने मिलकर उसका अंत कर दिया।

इस प्रकार सूर्य देव का वरदान भी भंग नहीं हुआ और तीनों लोकों को दमबोद्धव के अत्याचार से भी छुटकारा मिल गया।

सूर्य मंत्र का जप करने से सूर्यदेव सदा ही अपने भक्तों के साथ रहते हैं। कोई भी कठिन घड़ी हो, वे अपबे भक्तों का हर कठिनाई से लड़ने में मदद करते हैं,

और सूर्यदेव न केवल अपने भक्तों को बल्कि सभी जीव-जंतुओं को अपने प्रकाश से उनका मार्गदर्शन करते हैं।

Also Read : Alibaba 40 Chor Story


Conclusion


आज आपने पढ़ा Surya Mantra in Hindi. आशा है, आपको आज का हमारा यह Surya Mantra पोस्ट पसंद आया होगा, सूर्य मंत्र– ऐसे ही अन्य रोचक पोस्ट पढ़ने के लिए चेक कीजिये हमारी प्लेलिस्ट को। और बने रहिये sarkaariexam के साथ।

thanks..!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *