New Surya Namaskar Mantra in Hindi with Asana (Poses) | सूर्य नमस्कार
आज हम आपको बताएंगे Surya Namaskar Mantra जिसमें 12 सूर्य नमस्कार मंत्र के साथ साथ उनके आसन भी दर्शाए हैं, जिन्हें करने से सूर्य देव की कृपा आप पर बनी रहेगी। तब चलिए जानते हैं Surya Namaskar Mantra in Hindi with Asana–
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Surya Namaskar Mantra
सूर्य नमस्कार मन्त्र मुख्य रूप से बारह मन्त्र होते हैं। जो कि हमारी स्वस्थता के साथ हमारी समृद्धि और सफलता की ओर हमें प्रसारित करते हैं। जो कि इस प्रकार हैं:
● ॐ मित्राय नमः ||1|| |
● ॐ रवये नमः ||2|| |
● ॐ सूर्याय नमः ||3|| |
● ॐ भानवे नमः ||4|| |
● ॐ खगाय नमः ||5|| |
● ॐ पूषणे नमः ||6|| |
● ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ||7|| |
● ॐ मरीचये नमः ||8|| |
● ॐ आदित्ययनमः ||9|| |
● ॐ सवित्रे नमः ||10|| |
● ॐ अर्काय नमः ||11|| |
● ॐ भास्कराय नमः ||12|| |
● ॐ सवितृ सूर्यनारायणाय नमः।13। |
” इसका एक अन्य भाग भी है, (इसे तेरहवाँ मन्त्र भी कहा जाता है।) “
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Asana of Surya Namaskar Mantra in Hindi
1. मन्त्र : ॐ मित्राय नमः ||
आसन : प्रणामासन।
2. मन्त्र : ॐ रवये नमः ||
आसन : हस्त-उत्थानासन।
3. मन्त्र : ॐ सूर्याय नमः ||
आसन : उत्तानासन।
4. मन्त्र : ॐ भानवे नमः ||
आसन : अश्वसंचालनासन ।
5. मन्त्र : ॐ खगाय नमः ||
आसन : चतुरंग दण्डासन ।
6. मन्त्र : ॐ पूषणे नमः ||
आसन : अष्टांग नमस्कार ।
7. मन्त्र : ॐ हिरण्यगर्भाय नमः ||
आसन : भुजंगासन।
8. मन्त्र : ॐ मरीचये नमः ||
आसन : अधोमुक्त श्वासासन।
9. मन्त्र :ॐ आदित्ययनमः ||
आसन : अश्वसंचालनासन।
10. मन्त्र : ॐ सवित्रे नमः||
आसन : उत्तानासन।
11. मन्त्र :ॐ अर्काय नमः ||
आसन : हस्तउत्थानासन।
12. मन्त्र :ॐ भास्कराय नमः ||
आसन : प्रणामासन ।
Surya Namaskar in Hindi
सूर्य नमस्कार मन्त्र मुख्य रूप से 12 ऐसे मन्त्र हैं जो कि, एक निश्चित सूर्य-नमस्कार आसन के साथ किये जाते हैं। इससे शारिरीक सन्तुलन के साथ साथ मानसिक और आध्यात्मिक सन्तुलन भी बना रहता है।
सूर्यदेव का ध्यान करना, उनके प्रति हमारी आस्था को दर्शाता है। सूर्य नमस्कार केवल आस्था से शीष झुकाना नहीं है, सूर्य नमस्कार कुछ आसनों का संग्रह है।
जिसके निरन्तर उपयोग से हमारा शारिरिक तथा मानसिक दोनो ही रूपों में विकास होता है। प्रत्येक आसन को एक के बाद एक दोहराने से ऊर्जा मिलती है,
साथ ही हमारी चयापचयी क्रियाओं को करने में भी सहायता मिलती है।
इन आसनों को तेजी के साथ दोहराने से हमारा मेरुदंड मजबूत होता है। मेरुदंड अर्थात रीढ़ की हड्डी शारिरिक ढांचे के लिए जितनी आवश्यक होती है,
सूर्य नमस्कार के आसन भी उसी प्रकार रीढ़ की हड्डी को स्वस्थ रखने के लिए उतने ही आवश्यक होते हैं।
इड़ा, पिंगला औऱ सुषुम्ना मुख्य रूप से वे नाड़ियां हैं, जो कि मेरुदंड अर्थात रीढ़ की हड्डी से जुड़ी हुई होती हैं। इनकी स्वस्थता और रक्षा के लिए एक सुनिश्चित और सुनियोजित रीढ़ की हड्डी का होना बहुत ही आवश्यक है।
योग के संदर्भ से नाड़ियों को स्वस्थ रखने सबसे महत्वपूर्ण है, और कुछ नाड़ियां तो ऐसी होती हैं, जिनके लिए अलग से व्यायाम करने की आवश्यकता होती है। इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना नाडिया उन्हीं नाड़ियों में से हैं। योग का ही एक हिस्सा है सूर्य नमस्कार।
सूर्य नमस्कार के आसनों का अभ्यास शीघ्रता से करने से पिंगला नाड़ी को लाभ पहुंचता है, जब इन्हीं आसनों को धीरे-धीरे सूर्य नमस्कार मंत्रो के साथ किया जाता है ,
तब इन्हीं आसनों को करने से इड़ा तथा पिंगला दोनो ही नाड़ियों के लिए लाभदायक होती हैं।
सामान्यतः सभी मन्त्र एक ही मतलब बतलाते हैं, कि हम सूर्य को हृदय से प्रणाम करते हैं।
इन मंत्रों के उच्चारण के साथ सूर्य नमस्कार के योगासन करने से बहुत लाभ मिलता है। मंत्रोच्चार शरीर की ऊर्जा को एक ही दिशा में अग्रसित करता है।
चूंकि मेरुदंड से ही शरीर की ऊर्जा का आदान-प्रदान होता है।
अतः इन मंत्रों का उच्चारण ऊर्जा के निरन्तर प्रवाह के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसका उल्लेख, हमारे वेद-पुराणों में भी मिल जाता है। ये मन्त्र और आसन केवल आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी उत्तम हैं।
इनके नियमित प्रयासों से जीवन में एक बहुत ही अच्छा और धनात्मक बदलाव आता है, जो कि जीवन को बदलने और उसको सही दिशा में अग्रसर करने में पूर्णतः सक्षम है।
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Surya Namaskar Mantra lyrics
इसी सन्दर्भ में:-
ॐ आदित्यस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने।
आयुः प्रज्ञा बलं वीर्यं तेजस्तेषां च जायते ॥
अर्थात | सूर्य नमस्कार :- जो व्यक्ति सूर्य नमस्कार को प्रतिदिन करते हैं, या इसका नित्य अभ्यास करते हैं, उनकी आयु, प्रज्ञा , बल और वीर्य में वृद्धि होती है।
जब लोग सूर्य नमस्कार का अभ्यास शुरू करते हैं, तब उन्हें अपनी शुरुआत धीरे धीरे ही करनी चाहिए। योग से मिलने वाले लाभों से हम सभी वर्तमान में विदित हैं। आज पूरा विश्व योग के महत्व को जान गया है,
तभी योग आज केवल स्वदेशी न होकर वैश्विक हो गया है। सूर्य नमस्कार के नित्य अभ्यास से इसके लाभ कुछ ही दिनों के अंदर महसूस किए जा सकते हैं।
इसके अभ्यास को मंत्रों के साथ करने से जीवन लम्बा होता है, आयु बढ़ती है और शारिरिक तेज भी बढ़ता है।
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Benefits of Surya Namaskar Mantra in Hindi :
ये सभी आसन करने से मनुष्य की काया सुडौल और सुव्यवस्थित रहती है, आज के समय मे स्वस्थ औऱ सुंदर दुखना कौन नहीं चाहता,
सूर्यनमस्कार मन्त्र और सूर्य नमस्कार आसन ही वह विधा है, जिसको नियमित रूप से अपनाकर हम बहुत प्रकार के रोगों से छुटकारा पा सकते हैं।
सूर्य नमस्कार आसान से, त्वचा के रोग दूर होते हैं तथा एक सुंदर चेहरे का निर्माण होता है, चेहरा निखरने के साथ- साथ उस पर तेज भी आता है। मोटे लोगों के लिए तो यह बहुत ही असरदार और फायदेमंद होता है।
चतुरंग दण्डासन, भुजंगासन आदि से उदररोग दूर होते हैं। शरीर की चर्बी भी घटती है और शरीर मे पहले की अपेक्षा हल्कापन आता है।
लेकिन उत्तानासन और चतुरंग दण्डासन , सर्वाइकल जैसे रोगों में हानिकारक हो सकता है। अतः इन लोगों को किसी चिकित्सक की सलाह से पूछताछ व परामर्श कर ही इनका अभ्यास करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार मन्त्र शरीर की उर्जा प्रदान करने में बहुत सहायक होते हैं। अतः इससे सभी बड़ी और छोटी नाड़ियां खुल जाती है। इसका प्रयास करके हाथ-पैरों का दर्द हमेशा के लिए दूर हो जाता है।
हम सभी अपने दैनिक जीवन मे बहुत व्यस्त रहते हैं जिसके कारण हम सभी को अपना ख्याल रखने का समय ही नहीं मिल पाता। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना हमारे लिए प्राथमिक होना चाहिए,
जिससे कि हम स्वस्थ रहे। हम स्वस्थ्य रहेंगे तभी समाज भी स्वस्थ रहेगा। समाज स्वस्थ होगा तभी देश का विकास हो पाएगा।
सूर्य नमस्कार श्लोक
●● ॐ ध्येयः सदा सवितृ-मण्डल-मध्यवर्ती,
नारायण: सरसिजासन-सन्निविष्टः।
केयूरवान् मकरकुण्डलवान् किरीटी,
हारी हिरण्मयवपुर्धृतशंखचक्रः ॥
यह श्लोक सूर्य के लिए प्रार्थना और उनकी महत्ता को बताता है, सूर्यनमस्कार के 12 मंत्रों का उचित उपयोग करने से पहले सूर्यदेव के बारे में सब कुछ पता होना चाहिए,
जिससे कि उनकी महत्ता का ज्ञान हो सके। सूर्य देव बहुत ही उदार देवता है। इनके महत्व का विवरण हमारे वेद और पुराणों में ही मिल जाता है, वेदों में तो सूर्यदेव को वेदों की आत्मा भी कहा जाता है।
सूर्य देव की महत्ता से जुड़ी हुई एक कथा प्रचलित है।
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” सूर्यपुत्र कर्ण “
पांडव माता कुंती के पुत्र थे कर्ण । लेकिन उनका लालन पालन माँ राधे ने किया था।
वास्तव में एक बार ऋषि दुर्वासा कुंती के पिता के महल में पधारे। कुंती तब कुंवारी ही थीं। जब वह महल में आए तब कुंती ने पूरे एक वर्ष तक ऋषि दुर्वासा की बहुत सेवा की। उन्हें पता था कि कुंती का विवाह भविष्य में पांडु से होने वाला है,
और उन्होंने अपनी दिव्यदृष्टि से यह पता लगा लिया कि उसको कभी भी पांडु से संतान नहीं होने वाली।
लेकिन यह बात उस समय उन्होंने कुंती को नहीं बताई। लेकिन उन्होंने खुश होकर एक वरदान दे दिया। उनके वरदान के अनुसार,
कुंती किसी भी देवता का ध्यान कर उनसे सन्तान प्राप्ति का वर मांगेगी तो वे देवता उसकी इच्छा पूर्ण कर उसको सन्तान का सुख दे देंगे। कुंती वरदान पाकर बहुत खुश हुई।
कुंती अभी अविवाहित ही थी, लेकिन उसे अपने वरदान के प्रति बहुत ही उत्सुकता थी। उससे प्रतीक्षा नही हो रही थी, वह अपने वरदान को आजमाना चाहती थी। अतः अब उसने सबसे पहले सूर्यदेव का ध्यान किया,
सूर्यदेव प्रकट हुए और कुंती को अपने समान ही तेज आभा वाला एक तेजस्वी पुत्र प्रदान किया। कुंती बहुत खुश हई। जब कर्ण को सूर्यदेव ने प्रदान किया,
तो सूर्यदेव ने उसको जन्म के साथ ही कवच और कुंडल भी दिए। वह कवच और कुंडल कर्ण के शरीर पर बचपन से ही चिपके हुए थे।
लेकिन कुंती को बाद में पता चला कि विवाह से पूर्व ही सन्तान उतपन्न होना उस कन्या के पूरे कुल के लिए बहुत ही शर्मिंदगी भरा होता है। अतः जब उसे यह एहसास हुआ तो उसने कर्ण को एक डब्बे में डालकर गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया।
यह राज कि, कर्ण वास्तव में सूर्य पुत्र है और कुंती ही उसकी सगी मां है, किसी को भी नहीं पता था। यह राज उसके मरणोपरांत ही खुल पाया।
Surya Namaskar Mantra Story Part 2- कर्ण में सूर्य का जैसा ही तेज था। वह बहुत ही बहादुर था। वह एक नीच जाति में पला बड़ा। लेकिन उसमें कुछ कर दिखाने की क्षमता थी,
अतः वह एक क्षत्रिय बन कर एक गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने लगा। उसकी वीरता को वहां के गुरुओ ने भी स्वीकार किया।
पांडवों का वह सबसे बड़ा भाई था । लेकिन दुर्योधन का मित्र होने के कारण उसे अपने ही भाइयों के विरुद्ध युद्ध लड़ना पड़ा। यह उसके लिए बहुत ही विचित्र बात थी। वह इस युध्द में जीत चुका होता,
यदि उसका कवच और कुंडल जो कि उसे भगवान सूर्य ने उसके जन्म के समय प्रदान किये थे, वे इंद्र को नहीं देता। असल मे इंद्र को पता था कि जब तक सूर्य द्वारा दिये हुए रक्षा कवच कर्ण के पास हैं पांडव युध्द कभी नहीं जीत सकते ।
तभी इंद्र एक याचक की तरह कर्ण के पास गए और उससे उसका कवच माँग लिया। कर्ण को तभी दानवीर कर्ण के नाम से भी जाना जाता है।
तो इस प्रकार सूर्य पुत्र कर्ण का जीवन बहुत ही संघर्षवान रहा और उसने सूर्यदेव की कृपा से अपने जीवन मे आई प्रत्येक समस्या को डटकर पीछे छोड़ा।
Conclusion | सूर्य नमस्कार
आज आपने जाने Surya Namaskar Mantra in Hindi अगर आप ऊपर दिए गए सूर्य नमस्कार के आसनों को ठीक प्रकार से करेंगे, तो सूर्य देव की कृपा आप पर बनी रहेगी।
सूर्य देव की कृपा अपने ऊपर बनाये रखने हेतु पढ़िये यह 12 Surya Namaskar Mantra in Hindi, और उन्हें दर्शाए गए आसन के साथ कीजिये।
आपको आज की हमारी यह Surya Namaskar Mantra in Hindi with Asana (Poses) पोस्ट कैसी लगी, बताइये नीचे कमैंट्स में, और ऐसी ही जानकारी जानने के लिए चेक कीजिये हमारी प्लेलिस्ट को।