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51+ Special Suvichar in Hindi with Images | सर्वश्रेष्ठ सुविचार हिंदी मे

लक्ष्य प्राप्ति के लिए पढ़िये यह Suvichar in Hindi. जिनसे आपको बहुत कुछ सींखने को मिलेगा, इन सुविचार को आप अपने जीवन मे अपनाकर सफलता पा सकते हैं।

जीवन में निश्चित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए Suvichar in Hindi इन सुविचारों के साथ मे आपको उनके अर्थ भी जानने को मिलेंगे, जिससे आपको यह सुविचार समझने में आसानी होगी।


suvichar


Suvichar in Hindi


   ” जिस मनुष्य का अपने क्रोध पर काबू नहीं होता, वह गिरे हुए सूखे पत्ते के समान है, जो कि हवा का एक झोंका आने पर उड़ जाता है।”


अर्थात : क्रोध सभी को आता है लेकिन जिसने अपने क्रोध पर विजय प्राप्त कर ली, वह पूरे विश्व को जीत सकने की काबिलियत रखता है। लेकिन जो अपने क्रोध पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता वह अपने जीवन को यूं ही व्यर्थ गंवा देता है क्योंकि क्रोध की वजह से वह कोई भी कार्य अच्छे से नहीं कर पाता।


   ” सामने पर शहद से मधुर वचन बोलने वाले, और पीठ पीछे बुराई करने वाले व्यक्तियों से कभी भी मित्रता नहीं करनी चाहिए।”


अर्थात : मित्रता जात-पात, समय या फिर अमीरी-गरीबी देखकर नहीं की जाति। लेकिन मित्रता करते समय उस व्यक्ति की प्रकृति जरूर जांच लें। क्योंकि यदि शून्य के साथ किसी निश्चित संख्या का गुणन किया जाता है तब गुणनफल शून्य ही प्राप्त होता है।


   ” जिसे स्वयं के मन पर काबू नहीं होता है, उसका चरित्र बहुत ही दुर्बल होता है। “


अर्थात : अपने मन पर काबू करना सीखिए। मन बहुत चंचल प्रकृति का होता है कभी कभी इसकी चंचलता हमारे लिए बहुत हानिकारक होती है। स्वयं को मन के वश में मत होने दीजिए ,बल्कि मन को अपने वश में करना सीखिए।


   ” यदि आप कीसी व्यक्ति के चेहरे पर हंसी ला सकते हैं तो आपसे महत्वपूर्ण व्यक्ति कोई नहीं।”


अर्थात : किसी को प्रसन्न करना कोई आसान बात नहीं है। यदि आप ऐसा कर सकते हैं तो यह सोचिए कि आपके ऊपर ईश्वर की असीम कृपा है। ईश्वर ने आपको कुछ विशेष हुनर प्रदान किया है जिस वजह से आप दूसरों को उनकी खोई हुई मुस्कान वापस कर सकते हैं।


  ” यदि किसी पौधे में पुष्प खिल रहे हैं तो भँवरे उस पर स्वयं आ जाते हैं। उसी प्रकार चरित्रवान बनने से लोग स्वयं पर मुग्ध हो जाते हैं।”


अर्थात : सभी प्रकार के पुष्प बहुत ही सुंदर , सुगन्धित और मनमोहक होते हैं ये अपनी खूबसूरती से सभी के मन को मोहने की क्षमता एखते हैं। उसी प्रकार हमें अपने चरित्र और व्यक्तित्व को भी अपने अच्छे कर्मो द्वारा उतना ही आकर्षक बनाना होगा, जिससे कि बाहरी व्यक्ति हमारी काबिलियत को पहचान सकें और हमारे जैसा बनने का प्रयास करें।


suvichar in hindi


   ” धैर्य का हीरा संकट रूपी सभी पाषाण खंडों को काट देता है।”


अर्थात : धैर्य में बहुत शक्ति होती है। धैर्य की शक्ति का प्रयोग कर जीवन मे आई सभी मुसीबतों से छुटकारा मिल जाता है। धैर्यवान मनुष्य अपने जीवन मे आई सभी मुसीबतों का सामना बहुत ही बहादुरी से करता है। ऐसे ही व्यक्ति अपने साथ साथ दूसरों की सहायता भी करते हैं तथा इस कार्य से उनको जीवन में और अधिक सच्चे कार्य करने की हिम्मत मिलती है।


   ” मनुष्य सफलता के बगैर रह सकता है, लेकिन चरित्र के बिना नहीं।”


अर्थात : मनुष्य का चरित्रवान होना उसके समाज में सुख-शांति से जीवन व्यतीत करने के लिए बहुत ही आवश्यक है। कहा गया है कि, मनुष्य अपने जीवन मे यदि सफल नहीं भी होता है तो उसका चरित्रवान होना, उसको असफलता मिलने पर भी समाज में सम्मान बनाए रखता है।


   ” जिस कार्य में आपकी रुचि हो, वह कार्य कर के देखिए, निःसन्देह फिर आप भविष्य में किसी और कार्य के पीछे नहीं भागेंगे। “


अर्थात : आपको जो करना अच्छा लगता है, जिस कार्य को करते हुए आपको समय कस पता ही नहीं चलता ऐसे कार्य बहुत ही कम होते हैं, लेकिन ऐसे रुचि वाले कार्य आपको मिल जाएं तो आप उन कार्यों से भागे नहीं क्योकि, यदि आप उससे बेहतर की खोज निकलेंगे निश्चित तौर पर आप उस रुचि वाले कार्य को भी खो सकते हैं।


   ” अपनी आस-पास की संगति को भी चरित्र से ही जोड़कर देखा जाता है। व्यक्ति का चरित्र इतना प्रबल होता है कि वह सदा बाह्य परिस्थितियों से अछूत रहता है। “


अर्थात : चरित्र के यश से, मनुष्य हमेशा अपने सत्कर्मो की वजह से अपने कार्यों में सफल होता जाता है। यदि कोई मनुष्य चरित्रवान है तो उसको बरी परिस्थितियो से लड़ने में अधिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।

यदि मनुष्य चरित्रहीन होता है तो न ही उसे समाज स्वीकार करता है और न ही वह किसी विकट परिस्थितियों से बच सकता है। उसकी गलती न होने पर भी समाज की पहली उंगली उस पर ही उठती थी।


   ” चरित्र परिवर्तनशील नहीं होता बल्कि इसका विकास निरन्तर होता रहता है। “


अर्थात : चरित्र कभी बदलता नहीं है। चरित्र निर्माण यदि एक बार कर लिया तो वह नित्य सँवरता जाता है। एक बार यदि किसी मनुष्य का चरित्रनिर्माण हो गया तो उसको फिर किसी भी बुराइयों से लड़ने की जरूरत नहीं होती। लेकिन हां चरित्र को हमेशा बुराइयों से बचाकर रखना पड़ता है। क्योंकि एक बार यदि चरित्र गिर गया, तो उसको फिर से बनाने में बहुत समय लगता है।

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Hindi Suvichar

सुविचार


   ” अहंकार के कारण मनुष्य में वह सभी गुण आ जाते हैं जो कि मनुष्य को सभी के लिए अप्रिय बना देते हैं।”


अर्थात | सुविचार : अहंकार मनुष्य को कभी भी सफलता के मार्ग पर अग्रसर होने से रोकता है। यदि मनुष्य में अहंकार उतपन्न हो जाता है तो वह स्वयं के लिए तो महान बन जाता है लेकिन दूसरों के दृष्टि में सदा के लिए गये जाता है। मनुष्य को सदा ही अपने अहंकार को त्यागने की कोशिश करनी चहिये। पहली बात तो यह है,

कि अपने मन को सदैव धरती से जुड़ा हुआ ही रखना चाहिए। लेकिन यदि अहंकार आस पास भी भटक रहा है तो उसको उस समय ही अपने आप से दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। दूसरों की नजरों में अप्रिय बनने से तो बेहतर है अहंकार और ऐसे सभी दुर्गुणों का त्याग कर दें।


   ” सभी को प्रसन्न रखने का मन्त्र सफलता ही है।”


अर्थात | हिंदी सुविचार : मनुष्य का जन्म धरती पर कर्म करने के लिए हुए होता है। यदि वह अपने जीवन के लक्ष्य को पूर्ण करना चाहता है तो उसको निरनट प्रयत्नशील रहना पड़ता है। यदि उसने थोड़ी सी भी कामचोरी अपने कार्य के प्रति की तो उसको इसके अच्छे परिणाम नहीं देखने को मिलते। यदि वह अपने जीवन में सफलता चाहता है,

तो उसे निरन्तर प्रयासरत होना पड़ेगा। सफलता प्राप्त करने पर ही कोई व्यक्ति समाज मे सम्मान पाता है। और सभी का व्यक्ति से प्रसन्न भी रहते हैं। सभी के दिलों में अपने लिए जगह यदि बनानी है तो जीवन मे सफलता की बहुत आवश्यकता है।


   ” सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है और असफलता हमे दुनिया का परिचय कराती है।”


अर्थात | सुविचार : सफलता ही हमारा परिचय संसार को कराती है और  असफलता दुनिया के असली चेहरे को हमारे सम्मुख प्रस्तुत करती है। यदि कोई मनुष्य गलती से भी असफल हो जाता है तो उसे दुनिया के सामने खड़े होने के लिए बहुत ज्यादे साहस की आवश्यकता होती है,

क्योंकि दुनिया की रीत है वे कभी हमारे प्रयासों को नहीं देखती उसे तो केवल दूसरों की कमियां ही नजर आती हैं। असफल व्यक्ति की समाज मे कोई भी इज्जत नही करता। दुनिया के दबाव में आकर वह व्यक्ति सदा ही अपने जीवन मे इस असफलता रूपी पाप के बोझ के नीचे दबकर अपने प्राणों की आहुति तक देने पर मजबूर हो जाता है।


   ” उम्मीद हमेशा कायम रखें। क्योंकि दरवाजे हमेशा खटखटाने के बाद ही खुलते हैं।”


अर्थात | सुविचार हिंदी मे : आपके मार्ग पर कितनी ही कठिनाइयां क्यों न आ जाएं आपको धैर्य से काम लेना है क्योंकि कभी-कभी गुच्छे की आखरी चाबी भी ताला खोल देती है। अर्थात प्रयास कर-कर के तक चुके मनुष्य को प्रयास छोड़देने चाहिए, लेकिन कभी अपनी आस नहीं छोड़नी चाहिए।

क्योंकि उम्मीद उस दीपक के समान है जो कि निराशा रूपी अंधकार को अपने प्रकाश से दूर कर सकता है। उम्मीद की किरण जगाए रखने से आत्मविश्वास बढ़ता है, और निराशा कम होती जाती है। जब कभी ऐसा कठिन समय आए तो यह याद रखना कि यदि आपके भाग में रात्रि आई है तो पूर्णिमा भी आएगी और उस रात चन्द्रमा का प्रकाश आप के जीवन के अंधेरे में अपनी रौशनी और चांदनी अवश्य प्रदान करेगा।

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suvichar hindi me


   ” सफलता प्राप्त करने के मार्ग पर आपकी दृणशक्ति असफलता के विचार से कई गुना अधिक होती है।”


अर्थात | सुविचार : यदि किसी कार्य को करने के प्रति दृण इच्छाशक्ति हो तो, बड़े से बड़े कार्य भी आसानी से सम्पन्न हो जाते हैं। किंतु इस इच्छाशक्ति के अभाव से छोटे कार्य भी बहुत बड़े लगने लगते हैं। जब मन की दृण शक्ति कमजोर होती हुई नजर आए तब यह सोचना चाहिए कि जो कार्य आप कर हैं उसकी शुरुआत आपने क्या सोचकर की थी,

उस समय आपके मन मे उस कार्य कप करने के प्रति क्या धारणाएं थी। उन्हीं विचारों को फिर से जगाकर आप वे कार्य पुनः आरम्भ के सकते हैं। यही वह कारक है जो आपके गिरते हुए आत्मविश्वास को पुनः जागृत कर आपको अपने लक्ष्य पूर्ति के मार्ग पर पुनः अग्रसित कर सकती है और आप अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।


Good Morning Suvichar


   ” बीता हुआ समय यदि आपके वर्तमान में नकारात्मक प्रभाव डालने लगे तो उसको अपनी खोई हुई चीजों की तरह छोड़कर भूल जाना चाहिए।”


अर्थात | Suvichar in Hindi : जो बीत गया सो बीत गया। उसका प्रभाव अपने वर्तमान पर बिल्कुल भी न होने दें। यदि आपने अपने  गुजरे हुए बुरे अतीत की परछाई भी अपने वर्तमान में पड़ने दी तो आपका वर्तमान तो खराब होगा ही साथ ही आपके भविष्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

अपनी अतीत कि अच्छी यादों और अतीत के बुरे वक्त से आपने जो शिक्षा ग्रहण की उसको सदैव याद रखिये किंतु उसके बारे में सोच- सोचकर अपना समय बर्बाद मत कीजिए। आपका समय बहुत कीमती है इसे किसी कार्य को करने में व्यय कीजिए। कोई भी आपके वर्तमान औए आपकी मेहनत को आपसे नहीं छीन सकता। यदि आप अपने वर्तमान को अच्छा बनाने का प्रयत्न करेंगे तो भविष्य स्वतः ही सुनहरा हो जाएगा।


   ” व्यक्ति की पहचान और सम्मान उन शब्दों से नहीं होती, जिन शब्दों को उसके सामने प्रशंशा के तौर पर किया जाता है, बल्कि उन शब्दों से होता है, जो कि उसकी अनुपस्थिति में कहे गए।”


अर्थात | Hindi Suvichar on Life : किसी व्यक्ति को प्रसन्न करने के लिए लोग उसकी चापलूसी के लिए न जाने क्या क्या प्रपंच रच डालते हैं इतना ही नहीं वे अपने लाभ के लिए किसी की झूठी तारीफ करने से भी नहीं हिचकिचाते। सामने तो खूब प्रशंशा होती है लेकिन जब वह व्यक्ति सामने नहीं होता उसकी खूब बुराई भी की जाती है।

यह संसार ऐसे दुष्ट और पाखंडी लोगों से भरा पड़ा है। ऐसे लोगो की संसार में कोई इज्जत नहीं रहती लेकिन वे फिर भी अपनी आदतों से बाज नही आते। लेकिन जिन व्यक्तियों की बुराई की जाती है उनको भी यह ध्यान रखना चाहिए कि वे किसी की भी नजरों में बुरे न बनें लोग उनके सामने तथा पीठ पीछे दोनो ही समय उस व्यक्ति की प्रशंसा ही करें।


   ” उद्देश्य और उपलब्धियों के बीच को जोड़ने वाली कढ़ी अनुशासन है।”


अर्थात | Hindi Suvichar : मनुष्यों और जानवरों मे केवल 1 ही चीज का अंतर है वह है अनुशासन। अनुशासन से ही मनुष्य को श्रेष्ठ कहा जाता है। मनुष्य ही धरती का सबसे बुद्धिजीवी प्राणी होता है। अपनी बुध्दि के बल पर ही मनुष्य बड़े बड़े कार्यों को अंजाम तक पहुंचता है। लेकिन मनुष्य के जो उद्देश्य होते हैं वे कभी कभी बड़े कठिन होते हैं।

उन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मानव को बहुत ही मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। यदि कोई व्यक्ति अपने कार्य मे कर्तव्यनिष्ठ होने के साथ साथ अनुशासित भी है तब उसका कार्य सफलता को प्राप्त कर ही लेता है। परन्तु यदि कोई व्यक्ति अनुशासित नहीं है तो उसका कार्य कभी भी समय पर समाप्त नहीं हो सकता औरन ही वह कोई उपलब्धियों को पा सकता है।


सुप्रभात सुविचार हिंदी मे


   ” आत्म अनुशासन मनुष्य के लिए मन की परतन्त्रता है।”


अर्थात | सुप्रभात सुविचार हिंदी : परतन्त्रता कभी भी किसी के लिए भी उचित नहीं है। ईश्वर ने जितनी भी रचनाओं को रचा है उन सभी को स्वतंत्रता का समान अधिकार होता है। लेकिन एक स्थान ऐसा भी है जहां पर परतन्त्रता लाभदायक होती है। वह है मन-मस्तिष्क की परतन्त्रता। मन की प्रकृति बहुत ही चंचल होती है। यदि इसको काबू में नहीं रखा जाए,

तो यह मनुष्य को अपने काबू में कर लेता है। अतः मन की परतन्त्रता बहुत ही आवश्यक है। इससे आत्मानुशासन बना रहता है तथा मन भी हमारे वश में होता है। एक सफल व्यक्ति बनने के लिए यह प्रक्रिया बहुत ही आवश्यक होती है वरना भविष्य में चलकर पछताने के सिवा कुछ भी प्राप्त नहीं होता।


   ” प्रतिभा, को क्षमता में बदलने के सबसे बड़ा कारक, आत्मविश्वास, अनुशासन, समय और लगन हैं।”


अर्थात | Suvichar in Hindi : प्रतिभा है मनुष्य में छिपी होती है। यदि कोई व्यक्ति पढ़ाई-लिखाई में उत्तम नहीं है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि वह बेकार व्यक्ति है इसका अर्थ तो यह है कि वह व्यक्ति किसी अन्य कार्य को करने के लिए उत्तम है। लेकिन केवल प्रतिभाओं से काम नहीं चलता। प्रतिभा को सही दिशा में प्रयत्नों के द्वारा क्षमता में बदलना पड़ता है,

जिससे कि हमारे अंदर छिपी हुई प्रतिभाएं किसी न किसी काम आ जाएं। किन्तु प्रतिभा को क्षमता में परिवर्तित करने के लिए कुछ चरणों की अत्यधिक आवश्यकता होती है, वह हैं आत्मविश्वास, अनुशासन, समय और लगन। समय तो हमारे जीवन का ही भाग होता है। किसी कार्य को करने के लिए उस कार्य के प्रति लगन का होना बहुत आवश्यक है और साथ ही अनुशासन और आत्मविश्वास उस कार्य को शीघ्रता से पूर्ण करने में अत्यधिक सहायक होते हैं।

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Suvichar Hindi Me


   ” जब आप कार्य करते हैं तो केवल काम पर ही ध्यान दें। यदि आप क्रीडा कर रहें हैं तो उस पर ही ध्यान दें। तभी आप अपने प्रत्येक कार्य में सफल हो पाएंगे। “


अर्थात | Suvichar Hindi Me : जब आप कोई कार्य करते हैं तो उसे मन लगाकर और अपना ध्यानकेन्द्रित कर के करें क्योंकि कार्य तभी सफल हो सकता है जब उसको पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से किया जाए। आप जिस कार्य को कर रहे हैं वह कार्य मन लगाकर एवं ध्यानपूर्वक करें जिससे कि कार्य समय पर पूरा होकर सफल हो सकेगा।

यदि आप अपने कार्य के प्रति ईमानदार औऱ सजग है और उस कार्य को किसी भी कीमत पर करना चाहते हों तो आपको बस थोड़े से सकारात्मक विचारों और उस निश्चित विषय के बारे में। जानकारी होना बहुत आवश्यक है। इन तरीकों को अपनाकर आप अपने कार्य मे सफल होने के साथ साथ उस कार्य में निपुण भी हो सकते हैं।


   ” बिना अनुशासन के कोई दृणसंकल्प को पूर्ण करना केवल एक स्वप्न के समान है। “


अर्थात | Hindi Suvichar : अनुशासन जीवन का वह भाग है जिसके अभवः में हम केवल बिना पूंछ वाले जानवरों के समान है। मनुष्य को अपने जीवन के कार्यों को सफल करने के लिये एक सच्चे मन के दृणसंकल्प की आवश्यकता होती है।

जिससे कि मनुष्य को अपने कार्यों करने की हिम्मत मिलती है। और वह परिश्रम पूर्वक अपने है कार्य आसानी से के सकता हैं। अनुशासन उस कार्य को समय पर पूर्ण करने का एक सबसे महत्वपूर्ण कारक होता है। यदि अनुशासनहीन व्यक्ति किसी कार्य को पुए करने की ठानता है तो निश्चित ही वह कार्य असफल हो जाता है या निश्चित समयावधि के बाद सम्पन्न होता है।


   ” शरीर के लिए जितना आवश्यक व्यायाम होता है, मस्तिष्क के लिए उतना ही आवश्यक अध्धयन करना होता है। “


अर्थात | Suvichar Hindi Me : यदि कोई इस धरती पर जन्मा है तो उसे अपने जीवन के कर्तव्यों को पूरी तरह से स्वयं में ग्रहण करने की आवश्यकता है। और इन कर्तव्यों का पालन मृत्यु तक उसे करना ही पड़ता है नही तो उसका जीवन चक्र चलता ही जाता है। उन ही कर्तव्यों में से एक कर्तव्य शिक्षा ग्रहण करना भी होता है। शिक्षा ही वह कारक होता है,

जिससे कि मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति होती है। सही-गलत में अंतर करने का बोध होता है। स्व्स्थ और हृष्ट पुष्ट रहने के लिए जिस प्रकार व्यायाम किया करता है, ठीक उसी प्रकार शरीर के सबसे महत्वपूर्ण भाग , मस्तिष्क को भी हृष्ट पुष्ट रखने के लिए शिक्षा और निरन्तर अध्ययन की आवश्यकता होती है।


सुविचार हिंदी मे


   ” भविष्य का अनुमान लगाने के लिए अतीत की गणना करना बहुत आवश्यक है।


अर्थात | Suvichar in Hindi : जिस प्रकार हमारा अतीत गुजरा है, जिस प्रकार का जीवन हम वर्तमान में जी रहे हैं उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारा भविष्य किस प्रकार का होगा। यदि हमने हमारे अतीत में अच्छे कर्म किये हैं तो और अभी वर्तमान में भी कर रहें हैं तो निश्चित रूप से हमारा भविष्य भी अच्छा ही होगा। लेकिन यदि हमने अतीत में भी कोई अच्छा कार्य नहीं किया,

और वर्तमान में भी आलस्य, क्रोध जैसे विकारों से हम घिरे हुए होंगे तो हमारा भविष्य भी हमे इन विकारों से भी बदतर हालात हमे दिखाने पर मजबूर हो सकता है। भविष्य , वर्तमान औऱ अतीत के कर्मो का दर्पण होता है यह हमें वही दिखाता है, जो कि कर्मों के आधार पर सत्य होता है।


   ” अपना ध्यान पढ़ाई में लगाने सबसे अच्छा और स्थायी मनोरंजन है।”


अर्थात | Hindi Suvichar on Life : जीवन मे बहुत से ऐसे कार्य होते हैं जिनको करने से मन को शांति मिलती है, और उसी कार्य को बार बार दोहराने से स्वयं को प्रसन्नता भी होती है। मन की शांति औऱ प्रसन्नता से ही उस कार्य को करने से एक मनोरंजन जैसा प्रतीत होता है। यदि आप अपने मन को अध्ययन की ओर अग्रसित करते हैं तो, प्रारंभ में तो बहुत ही असुविधा का अनुभव होता है,

लेकिन जब आप अध्ययन करना चालू रखते हैं तो आपका मन भी धीरे धीरे पुस्तकों की ओर आकर्षित होने लगता है। जिससे कि मन को शांति मिलती है। और फिर धीरे धीरे अध्ययन की ओर रुझान भी बढ़ने लगता है। अपने इसी व्यवहार से हम एक अच्छी आदत को अपने अंदर समाहित कर सकते हैं।

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Hindi Suvichar on Life


   ” विद्या से बड़ी कोई औषधि नहीं है। “


अर्थात | सुप्रभात सुविचार हिंदी :  विद्या धन है, विद्या वैद है, और विद्या ही औषधि भी। अर्थात  विद्या को ग्रहण हम अपने लाभ के लिए ही करते हैं, इसके निरन्तर अभ्यास से ज्ञानवर्धन तो होता ही है साथ ही भविष्य में यह विद्या ही हमें समाज मे सम्मान और सफलता भी प्रदान करती है। आज विद्या के कारण ही बड़े बड़े चिकित्सक बन पाएं है,

जिससे कि हर रोज का निवारण समय पर किया जा सकता है। विद्या ही वह औषधि है, जिसके उपयोग करके हम अपने मन के विकारों को सदा सदा के लिए दूर कर सकते हैं। विद्या बहुत ही अनमोल है। इसकी शक्ति पूरे विश्व मे विराजमान है। आज के इस आधुनिक युग मे संसार के विकास की गति को देखते हुए, विद्या के बिना इस संसार का कोई भी अस्तित्व नहीं है।


   ” जो इंसान के अंदर रहता है वह स्वाभिमान होता है और जो बाहर दिखता है उसे घमण्ड कहा जाता है। “


अर्थात | Hindi Suvichar : अभिमान और गौरव यदि इंसान के अंदर ही रहे तभी बेहतर है क्योंकि यदि वह अभिमान, आत्मरक्षा के लिए भी बाहर आ गया तो समाज उसे घमण्ड की संज्ञा देने लगते हैं। लेकिन कई बार लोगों में सच का घमंड भी होता है, यह प्रायः उम्मीद से अधिक प्राप्त हुई सफलता के जॉन लोगों में देखा जा सकता है। सफलता सभी को नही भाती।

जो शुरुआत से ही उदार होता है उस व्यक्ति को सफलता मिलने पर उसको प्रसन्नता अवश्य होती है लेकिन वह अपनी इस प्रसन्नता को अपने घमण्ड में कभी नहीं बदलता। लेकिन जो मूर्ख लोग होते हैं वो छोटी सी सफलता के बाद भी हवा में महल बनाना शुरू कर देते हैं और घमण्डी हो जाते हैं, उनका घमण्ड एक दिन बुरी तरह से चकनाचूर भी हो जाता है।


   ” संसार मे अन्य वस्तुओं को देखने से, अपने मन के विकारों को देखना सबसे बेहतर है। “


अर्थात | Suvichar Hindi Me : संसार की प्रयेक वस्तु इतनी मनमोहक होती हैं कि उनमें खो जाने का मन करता है। किंतु बाहरी वस्तुओं के आकर्षण से हम स्वयं के बारे में सोचना भूल जाते हैं। जिस दिशा में हमें बाहरी वस्तुएं ले जाती है हम भी उसी ओर बहे चले जाते हैं, जो कि हमारे भविष्य के लिए बहुत हानिकारक होता है।

अपने अंदर के विकारों को सदा दूर करने की कोशिश करनी चाहिए। शुरू से ही हमे सही मार्ग में चलना सिखाया जाता है। लेकिन जब मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है तब कोई भी सहायता के लिए नहीं आता है। तभी हर किसी को स्वयं के बिकारों को दूर कर के उन विकारों को अपने जीवन से दूर करना होगा, यही सबसे उचित कार्य होगा।


   ” यदि कार्य को करने में विशेषताओं का प्रयोग किया जाए तो हर कदम पर प्रगति का अनुभव होगा। “


अर्थात | Suvichar in Hindi : हर कार्य को करने के लिए अलग अलग तरह के तरीके की आवश्यकता होती है। यदि उन तरीको को सही प्रकार से प्रयोग किया जाए तो कार्य की सफलता निश्चित ही होती है।

हमें अपना पूरा श्रम और  अपने प्रयासों को अपने कार्यों को सिद्ध करने में लगा देना चाहिए फिर चाहें कार्य सफल हो या न हो मन मे एक संतुष्टि रहेगी। हमारी विशेषताएं भी हमारे लिए तभी महत्वपूर्ण होती हैं, जब उनका उचित उपयोग किया जा सके। अन्यथा विशेषताओं का हमारे जीवन मे कोई महत्व नहीं होगा।


   ” किसी भी परिस्थिति के लिए चिंतित होना, केवल समय की बर्बादी और भविष्य में पछतावा करना है। “


अर्थात | Hindi Suvichar on Life : सुख-दुख जीवन मे लगा ही रहता है। लेकिन दुःख-सुख की परिस्थितियों के लिये चिंतित होना केवल अपना समय बर्बाद करना है। परिस्थितियों का सामना करने की हिम्मत सभी में होनी चाहिए।

हर परिस्थिति का सामना करने के लिए अपने मन और तन को मजबूत करना बहुत आवश्यक है। कठिनाई के लिए चिंतित होना बहादुर व्यक्तियों का कार्य नहीं है। बल्कि सच्चाई, ईमानदारी से उस कठिनाई का सामना करना ही किसी भी कर्मठ मनुष्य को शोभा देता है। सुख हो या दुख कभी भी अतिउत्साही नहीं होना चाहिए और कठिन परिस्थितियों में कभी भी घबराना नहीं चाहिए।

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सर्वश्रेष्ठ सुप्रभात सुविचार हिंदी


   ” सूक्ष्म हृदय से कोई बड़ा नहीं होता। बड़े बनने के लिए अपने हृदय को भी विशालता प्रदान करनी पड़ती है। “- सुविचार


अर्थात | सुविचार हिंदी मे : व्यक्तित्व को विशाल बनाने के लिए, स्वयं के हृदय को भी विशाल बनाना पड़ता है। उचित चरित्र, दयाभाव, कठिन समय मे दूसरों की सहायता करनी, आदि ऐसे कारक है जो कि किसी व्यक्ति को महान बनाते हैं। किसी की सहायता करने से हम छोटे नहीं हो जाते, बल्कि लोगों की नजरों में हमारा कद, हमारा स्थान बढ़ जाता है।

जब कोई किसी की शायद करता है तो आवश्यकता वाले पक्ष के मन में सहायक के लिए बहुत ही उदार भाव उमड़-उमड़ कर आते हैं, जिससे कि वह सहायक सभी के हृदयों में अपना स्थान बना पाता है। कभी कभी तो देखा जाता है कि इन गुणों को अपनाने से तथा उदारता दिखलाने से शत्रु भी मित्र बन जाते हैं। परन्तु यह सब केवल दिखावे के लिए जो करेगा निश्चित ही वह पाप का भागीदार होगा।


   ” दूसरों के ऊपर व्यंग्य करना सरल है, लेकिन स्वयं को परखने के लिए जिगर की आवश्यकता होती है। “


अर्थात | Suvichar Hindi Me : संसार मे कोई भी पूर्ण नहीं होता, सभी में कुछ न कुछ खामियां जरूर होती हैं। लेकिन यह बात भी सत्य है कि सभी में कुछ न कुछ गुण भी विद्यमान होते हैं। बस जरूरत है तो अपनी खामियों से सिख लेने की तथा अपने गुणों को कार्य करने में प्रदर्शित करने की। यदि कोई मनुष्य बहुत अवगुणी है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उसमें एक भी गन नहीं है,

इसका अर्थ यह है कि उसके अंदर जो गुण है उसको उसने कभी बाहर लाने का प्रयत्न ही नहीं किया। यदि कोई मनुष्य बार बार प्रयास से अपने गुणों को कार्य मे परिवर्तित करने की कोशिश करता है तो निश्चित रूप से उसके अवगुण, गुण की पूर्णता से छिप जाते हैं और हर कार्य में उस मनुष्य की सहायता भी करते हैं।


   ” कर्म और उसके फल की दूरी बीच लम्बा समय लगता है। जिसकी प्रतीक्षा धैर्यपूर्वक की जाती है। “


अर्थात | सुविचार हिंदी मे : कर्म करते रहिए, कर्म के बाद मिलने वाले फल के लिए कभी अधिक उत्सुक होकर अपना समय नष्ट न करें। क्योंकि फल की आशा में उत्सुक लोग यदि अपनी आशा से कम प्राप्त करते हैं तो उन्हें बहुत ही दुःख होता है। साथ ही उनका कर्म के बाद से फल आने तक का समय भी नष्ट हो जाता है।

इतने समय मे यदि वे कुछ कार्य करते तो न ही यह निराशा होगी और फल भी प्राप्त होने पर खुशी होगी। अतः धैर्यवान होकर कर्म और प्रतिफल के बीच के रास्ते को तय करना चाहिए, कहा भी जाता है कि सब्र का फल मीठा होता है। अतः धीरज से कार्यों को करने में ही हम सबकी भलाई है। समय लगेगा किन्तु निश्चित समयावधि के पश्चात होने वाली प्रसन्नता की बात ही कुछ और होगी।


   ” ईश्वर से इस धरती पर कर्म करते हुए सौ वर्ष तक जीने की कमाना करनी चाहिए क्योंकि कर्मशील व्यक्तियों को ही धरती पर जीने का अधिकार है। “- सुविचार


अर्थात | Suvichar in Hindi : जीवन ईश्वर का हम सभी को दिया गया अमूल्य वरदान होता है। इसका प्रयोग जीवन मे सत्कार्यों को करने में उपयोग करना चाहिए। सभी को अपने जीवन से बहुत ही लगाव होता है। सभी ईश्वर से यही कामना करते हैं कि हमारा जीवन सफल हो, और लम्बी आयु का वरदान भी मांगते हैं। कोई भी मरना नहीं चाहता ।

मृत्यु से सभी को भय लगता है जो कि स्वाभाविक भी है। लेकिन जो लोग निष्काम , निष्क्रिय , केवल अपने जीवन को बैठे-बैठे व्यर्थ करने में लगे रहते हैं उनको यह वर मांगने का कोई अधिकार नहीं है। एक तो वे लोग अपना समय बर्बाद कर अपने जीवन के अमूल्य क्षणों को नष्ट कर रहे हैं और उन्हें साथ ही लम्बी आयु भी चाहिए, यह बहुत ही गलत बात है। वहीं जो सफल लोग होते हैं जिन्होंने अपने जीवन मे बहुत से अच्छे कार्य मन लगाकर और अपनी मेहनत से किये होते हैं वे अपने सत्कर्मो के हिसाब से बहुत जीते हैं क्योंकि अन्य लोगों को और धरती को ऐसे ही लोगो  की आवश्यकता है।


   ” आपके द्वारा किया गया कठिन परिश्रम कभी भी खाली नहीं जाता, वह किसी न किसी रूप में आपको प्रतिफल के रूप में मिल ही जाता है।”


अर्थात | सुविचार हिंदी मे :  मनुष्य कर्मों के बंधन में बंधा हुआ होता है, यदि वह अच्छे सत्कर्म करता है तो स्वाभाविक रूप से उसे उसके कर्मों का फल मिलकर ही रहता है। यदि उसने गलत कर्म किये हैं तभी भी उसे अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ता है। यह जीवन का चक्र है जो कि जीवन के अंत होने तक चलता ही रहता है।

मनुष्य चाहें जितने भी प्रयास करले अपने कर्मों का लेकिन फिर भी अंत में उसको ये कर्म करने ही पड़ते हैं। उसी प्रकार यदि किसी मनुष्य ने स्वयं के जीवन को सफल बनाने के लिए और अपने कर्मचक्र को सफलतापूर्वक तय करने के लिए कठिन परिश्रम किया है तो उसका फल भी उसे मिलकर ही रहता है, फल मिलने में उसे थोड़ा विलम्ब आवश्य होगा लेकिन उसका प्रयास और परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाएंगे।

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सर्वश्रेष्ठ सुविचार हिंदी मे


   ” केवल तैयारी करने में असफल होने का अर्थ है, असफलता के लिए तैयारी और प्रयास करना।”


अर्थात | Hindi Suvichar : जब तक जीवन मे सफ़लता का आभास न हो, रुकना नहीं चाहिए। निरन्तर अपने प्रयासों को जारी रखना चाहिए। यदि कोई प्रयास करने में ही थक चुका है, तो वह अपने जीवन मे कभी भी सफलता को प्राप्त नहीं कर सकता। सफलता प्राप्त करना उतना सरल नहीं है जितना इसके बारे में विचार विमर्श करना। बोलना तो सदा सरल ही रहा है।

हमे प्रयास भी उसी प्रकार से करने होंगे कि हम बातों के साथ साथ कार्य को भी सरलता से कर सकें। यदि कोई केवल थोड़े से प्रयास से ही थक चूका है, और भविष्य में प्रयत्न नहीं करना चाहता इसका अर्थ यह है कि उसको असफलता से कोई भी दिक्कत नहीं है और उसने असफलता के लिए ही प्रयास किया। जीवन की कठिनाइयों से भागने वाले मनुष्य कभी भी जीवन मे सुख का अबुभव नही कर सकते।


   ” बिना अवसर के काबिलियत किसी काम की नही रह जाती। “- सुविचार


अर्थात | Hindi Suvichar on Life : यदि आप में कुछ कर दिखाने का जज्बा है और आप जीवन में अपने अपकप सफलता की सीढ़ियों में चलकर सफलता की बुलंदियों को छूना चाहते हैं तो आपको अपने प्रयासों को सदा ही जारी रखने की आवश्यकता है। और जीवन मे स्वयं को साबित करने का जो भी अवसर मिले उसको अपने हाथ मे लेकर स्वयं को साबित करना चाहिए।

एक भी मौका यदि आपके हाथ से छूट गया तो आपको बहुत कठिनाई हो सकती है। क्योंकि जीवन बार बार अवसर नहीं देता है। एक बार अवसर गया तो फिर उसके दुबारा आने के आसार बहुत कम होते हैं। और बिना अवसरों के हमारी, काबिलियत, गुण सब निरर्थक ही है।


   ” यदि आप चाहते हैं कि कोई कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो जाए तो उन कार्य को दूसरों को सौंपने से बेहतर है कि कार्य को स्वयं किया जाए।”


अर्थात | सुविचार हिंदी मे :  हमेशा प्रयास करें कि अपना काम आप स्वयं करें। हमारे पूर्वज हमें यही सन्देशित करके गए हैं कि हमे अपना कार्य स्वयं ही करना चाहिए। आज लोग अपना कार्य स्वयं से करने में स्वयं का अपमान महसूस करते हैं। जबकि ऐसा वास्तव में होता नहीं है, यह तो केवल मन का भरम है।

वे लोग केवल समाज मे अपनी प्रतिष्ठा को समाज मे नीचे नहीं गिराना चाहते, क्योंकि उन्होंने पहले ही अपनी प्रतिष्ठा का, समाज के सामने महल जो खड़ा किया होता है। दूसरों को कार्य सौंपना स्वयं के लिए ही हानिकारक होता है, दूसरा क्या पता उस कार्य को उतने समर्पण भाव से न करे जितना कि आप कर सकते हैं।


  ” शिक्षा वह कारक है जिसकी सहायता से रूढ़िवादी संसार को परिवर्तित किया जा सकता है। “


अर्थात | Suvichar in Hindi : शिक्षा जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार होता है। इसको प्राप्त करना ही मनुष्य को पूर्णता प्रदान करता है। तभी तो जीवन का एक बहुत बड़ा बभाग हम शिक्षा ग्रहण करने में लगा देते हैं। शिक्षा जीवन मे वर्तमान समय में इतनी महत्वपूर्ण हो चुकी है जितना कि भोजन को ग्रहण करना।

शिक्षा के तेज से ही यह संसार विकास के रूप में चमकता हुआ आगे ही बढ़ता जा रहा है। शिक्षा हमे सदाचार, नीतियाँ आदि का परिचय करवाती है। शिक्षा के बिना जीवन इस प्रकार का है जिस प्रकार पशुओं का जीवन होता है। शिक्षा में जग को बदलने की शक्ति होती है। शिक्षा ही समाज मे उतपन्न विकारों को दूर करने में समाज की सहायता करती है।


   ” परिश्रम  से सौभाग्य जन्म लेता है। “- सुविचार हिंदी मे


अर्थात | Suvichar Hindi Me : परिश्रम सफलता की कुंजी होती है, परिश्रम की इस कुंजी का उचित उपयोग कर के हम अपने लिए सफलता का द्वार अपने लिए खोल सकते हैं। परिश्रम से सफलता मिलती और सफलता से सौभाग्य का जन्म होता है। जीवन मे खुशियों का आना प्रारम्भ हो जाता है। यदि कोई अपने कठिन परिश्रम से कोई दर्जा प्राप्त करता है, तो यह केवल उसकी ही जीत नहीं बल्कि उसके पूरे परिवार की जीत होती है, जो कि हर मुश्किल घड़ी में उस व्यक्ति का साथ देता है।


हिंदी सुविचार संग्रह


   ” महानता प्रत्येक बार गिर कर उठने का नाम है। “


अर्थात | Suprabhat Suvichar : यदि आप कुछ लगरी कर रहे हैं और कार्य में बार बार असफल होने के बाद भी अपने प्रयासों को निरन्तर जारी रख रहे हैं तो, आप ही सही अर्थों में सफलता के हकदार होते हैं। जिसमे करने की इच्छा होती है, ईश्चर भी उसकी अधिक परीक्षा लेते है।

लेकिन यह तथ्य भी उचित है कि, उनको सफलता भी उसी स्तर की प्राप्त होती है जिस दर्जे की उसने मेहनत और परिश्रम किये होते हैं। वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए  बार बार गिरता है, और फिर नई उम्मीदों के साथ उठकर अपने प्रयासों में पुनः लग जाता है। ऐसे व्यक्ति ही महान कहलाते हैं।


   ” जब तक कोई कार्य सफलतापूर्वक सम्पन्न नहीं हो जाता वह असम्भव ही लगता है। “


अर्थात | सुविचार हिंदी मे : जब हम किसी कार्य को कर्म प्रारम्भ करते हैं, तो उस कार्य की चिंता भी हमे शुरू से ही होने लग जाती है, की आगे क्या होगा! कैसे होगा! होगा भी या नहीं! इन्हीं सब विचारों को मन मे लेकर हम कार्य के प्रति शंका उतपन्न कर देते हैं,

साथ ही अपने समय को भी नष्ट करते हैं, हमे सकारात्मक दिशा में सोचने की आवश्यकता है, क्योंकि जब तक हम उस कार्य को अपना मन लगाकर नहीं करेंगे वह कार्य हमारे लिए असम्भव ही होगा। और जब तक वह कार्य सफल नहीं हो जाता तब तके हमे उसकी चिंता यूं ही सताती रहेगी।


   ” अज्ञानी होना उतनी लज्जा की बात नहीं है। लेकिन मन मे कुछ सीखने की भावना न होना बहुत गलत है। “- सुविचार


अर्थात | Hindi Suvichar : अज्ञानता कोई पाप नहीं है, लेकिन अज्ञानता को दूर करने के लिए ज्ञान को प्राप्त करना भी उचित नहीं है। मूर्ख लोग सदा ही ज्ञान की बातों में अपना अपमान महसूस करते हैं, क्योंकि वे कभी ज्ञान के उस स्तर तक सोच ही नहीं सकते।

मन मे सदा ही कुछ न कुछ सीखने की भावना होनी चाहिए, क्योंकि क्या पता कोई चीज ऐसी हो जो आपको तो आती हो, और दूसरों को नही, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि दूसरे लोग जो चीज जानते हों वो आपको नहीं आता हो। अतः अपने ज्ञान चक्षुओं को सदा खुला ही रखना चाहिए तथा जहां से भी जो भी ज्ञान प्राप्त हो उसे ग्रहण कर लेना चाहिए।


  ” अपनी कुछ कर दिखाने की क्षमता को पहचान कर और उसमें पक्का विश्वास कर ही विश्व निर्माण में सहयोग दिया जा सकता है। “


अर्थात | Hindi Suvichar on Life : अपने अंदर के गुणों का पहचान कर उनको बाहर लाने का प्रयत्न करना चाहिए। यदि आप में क्षमता है तो कोई भी आपको आपके ओहदे से वंचित नहीं रख सकता। आपकी क्षमता आप को संसार मे सम्मान दिलाने के लिए पर्याप्त होती है,

साथ ही अपनी उचित क्षमता और गुणों के आधार पर ही आप बाहरी कार्यों में अपना योगदान दे सकते हैं तथा आपकी छोटी सी सहायता भी राष्ट्रनिर्माण और विश्वनिर्माण में बहुत ही सहायक हो सकती है। अपने प्रयासों को जारी रखें।


   ” मनुष्य अकेले ही संसार में आता है और अकेला ही चला जाता है। अतः उसे अपने कर्मों के फल को भी अकेले ही भोगना पड़ता है।”- सुविचार हिंदी मे


अर्थात | Suvichar Hindi Me : मनुष्य अपने पिछले जन्म के कर्मो के कारण इस धरती पर जन्म लेता है, उसकी जन्म के समय जो भी स्थिति रही हो, लेकिन वह अपने वर्तमान के कर्मो से अपना यह जीवन सफल बना सकता है। मनुष्य इस संसार मे आकर जिस प्रकार के भी कर्म करता है ,संसार मे उसे उसी प्रकार के परिणामो का सामना भी करना पड़ता है।

वह स्वयं ही अपनी अच्छी अथवा बुरी स्थिति का जिम्मेदार होता है। यदि उसने अच्छे कर्म किये होंगे तो वह अच्छे परिणामों का भागीदार होगा। लेकिन यदि उसने अच्छे कर्म नहीं किये हैं तो निश्चित रूप से उसे जीवन दण्ड भी प्रदान करेगा, भले ही वह दण्ड प्रत्यक्ष क्यो न हो, लेकिन उसका आभास बहुत ही गहरा होता है।


हिंदी सुविचार


   ” एक श्रेष्ठ व्यक्ति ही, कथनी से अधिक कर्मों में विश्वास रखता है। “


अर्थात | Suvichar in Hindi : एक महान व्यक्ति केवल उपदेश को प्रचार-प्रसारित करने में नहीं बल्कि अपने विचारो के अपने कर्मों द्वारा व्यक्त करने का प्रयास करता है। कहा भी गया है कि कथनी से करणी श्रेष्ठ होती है। केवल बात मत करिए, अपने कार्यों को साकार रूप देकर उसमे मेहनत कर अपने कार्यों को सफल भी बनाइए।

अपने कार्यों को करना आपका ही कर्तव्य है, यदि कोई ऐसा नहीं करता तो वह अपने कर्तव्यों से भाग रहा है , उसे अपनी जिम्मेदारियों का आभास कराने के लिए फिर ईश्वर ही कुछ ऐसा करते हैं कि उसे अपनी गलतियों का ऐहसास होता है और फिर वह अपने कार्यों में दुबारा लग जाता है।


   ” सुंदरता प्रत्येक वस्तु मे होती है परन्तु कोई भी उसे देख नहीं पाता। “- सुविचार


अर्थात | सुविचार हिंदी मे : सुंदरता देखने के लिए मन की आँखों की आवश्यकता होती है, जो लोग धरती की सुंदरता पर सवाल उठाते हैं, वे कभी भी धरती को समझ ही नहीं पाते क्योंकि उनके मन मे तो वह दृष्टि होती ही नहीं कि वे धरती की उस सुंदरता को देख सकें।

सुन्दरता प्रत्येक वस्तु में होती है, किसी मे बाह्य तो किसी मे आन्तरिक। बस उसको देखने के लिए जिन दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, उसे सबको स्वयं में विकसित करना चाहिए। तांकि वे प्रत्येक जीवित अथवा निर्जीव वस्तुओं की सुंदरता को देख सके।


   ” सफलता बहुत पहले से किये जा रहे प्रयासों पर निर्भर होती है। बिना इन प्रयासों के सफलता कभी भी नहीं प्राप्त की जा सकती।” – सुविचार हिंदी मे


अर्थात | सुविचार हिंदी : सफलता प्राप्त करना जीवन मे सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है, बिना सफलता के सब्सर में कुछ भी सम्भव नही है, आप अपनी इच्छाओं को पूरा नहीं कर सकते यदि आप एक सफल व्यक्ति नहीं है। आपको बार-बार दूसरों के सामने हाथ फैलाना पड़ता है, तथा इस कार्य मे लज्जा भी महसूस होती है,

लज्जा से तो बेहतर होगा कि, आप परिश्रम करें और सफलता को प्राप्त करें। सफलता के लिए परिश्रम के साथ साथ निरन्तर प्रयासों की भी आवश्यकता होती है, इनके बिना सफलता कभी भी प्राप्त नहीं कि जा सकती।


   ” मन के हारे, हार है और मन के जीते जीत। “- सुविचार


अर्थात | Suvichar Hindi Me : यदि आपने एक निश्चित लक्ष्य बना रखा है तो उस पर अडिग रहना भी आपका कर्तव्य है। यदि आप प्रारम्भ से ही सोचेंगे कि जो के आप कर रहे हैं वह आपसे हो जाएगा, तो आपकी यही सकारात्मक सोच आप में कार्य करने की ऐसी शक्ति के विकसित करेगा जिससे कि आप कार्य को कर भी पाएंगे और उसमें सफल भी हो जाएंगे।

लेकिन यदि आप अपने मन मे सोचेंगे कि यह कार्य तो मुझसे कभी भी नहीं हो सकेगा तो वास्तव में वह कार्य आपसे कभी भी नहीं हो पाएगा और आप उस कार्य को करने में बार बार असफल होते रहेंगे। मन को सकारात्मक दिशा में ले जाइए। जीवन मे सब सही होगा।


Conclusion | Suvichar in Hindi


जीवन में निश्चित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, कुछ महत्वपूर्ण प्रभावों की आवश्यकता होती है, यदि जीवन मे निश्चित लक्ष्य नहीं बन पाया है तो चिंता मत कीजिए ,

जिसमे आपकी रुचि हो ऐसे कार्य को चुनिए और उसको पूर्ण करने के लिये पूरी लगन और परिश्रम से मेहनत करिए, सफलता आपको निश्चित रूप से मिलकर रहेगी।

लेकिन कुछ स्थितियां जीवन मे ऐसी भी आती है, जहां हमे यह समझ नहीं आता कि जो हम कर रहे हैं क्या वह सामाजिक दृष्टि से सही है, अथवा नहीं! ऐसे प्रश्नों के ही हल के लिए आज आपने पढ़े, ऐसे सुविचार हिंदी जो कि आपकी हर कठिन , निर्णय लेने वाली स्थितियों में सहायक हो सकते हैं।

आज आपने पढ़े Suvichar in Hindi. आशा करते हैं, आपको आज के हमारे यह सुविचार पसंद आये।

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