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The Three Fishes Story in Hindi | Tale of The Three Fishes- तीन मछलियां

प्रेरणादायक और मनोरंजन से भरी The Three Fishes Story in Hindi. आशा करते हैं, आपको यह तीन मछलियां कहानी मनोरंजन के साथ साथ प्रेरक भी लगेगी। तो चलिए शुरू करते हैं।

the three fishes story in hindi


The Three Fishes Story in Hindi


तीन मछलिया


   एक बार की बात है। सोनगढ़ नगर के किनारे एक नदी बहती थी। उस नदी में बहुत सारी मछलियां रहती थी। उन मछलियों में तीन मछलियां थी।

जो कि बहुत ही पक्की मित्र थीं। वे तीनों हर कार्य मे एक दूसरे की सहायता करती थीं।

  लेकिन तीनो ही मछलियां स्वभाव में बिल्कुल अलग थी। पहली मछली के अनुसार किसी भी मुसीबत से स्वयं का बचाव करना उचित था। दूसरी मछली के अनुसार अपनी सुरक्षा ही किसी मुसीबत से छुटकारा दिला सकती थी। जबकि तीसरी मछली मुसीबतों को भाग्य के भरोसे छोड़ देती थी।

  वह सोचती थी, जो भाग्य में होना है वह तो होकर ही रहेगा। उसमे मैं या कोई और कुछ नहीं कर सकता।

   इन भिन्नताओं के बाद भी, तीनो बड़ी ही अच्छी और पक्की सहेलियां थी।

   कुछ मुसीबत वाली घटनाओं को छोड़कर तीनो एक साथ ही रहती थी। क्योंकि मुसीबत वाली घटनाओं में तीनों की राय बदल जाती थी। लेकिन इसका प्रभाव उनकी मित्रता पर कभी नहीं पड़ा।

      एक बार सोनगढ़ के कुछ मछुआरे नदी के किनारे गए। वहां वे तीनों मछलिया एक साथ अपना खाना ढूंढने आई थी। मछुआरों ने उन तीनों को देख लिया।

अब वे मन ही मन यह सोचने लगे कि नदी के इस भाग में बहुत सारी मछलियां होंगी। यह सोचकर वे सभी आपस मे बात करने लगे।

  एक मछुआरा बोला, ” भाइयों मुझे लगता इस हिस्से और नदी के थोड़ा आगे तक मछलियों का अड्डा होगा। हमे यही से अपने लिए अच्छी और ताजी मछलियां चुननी चाहिए। क्या कहते हो?”

इस पर दूसरा बोला, ” भाई तुम ठीक ही कह रहे हो। शायद यहाँ बहुत सी मछलियां हों। यदि ऐसा हुआ तो हमारे तो भाग्य ही खुल जाएंगे।”

  तीसरा मछुआरा दोनो की हां में हां मिलाते हुए बोला, ” हां भाइयों तुम सही कह रहे हो। अब आज तो समय भी अधिक हो गया है। गांव जाकर जाल और मछली पकड़ने वाले कांटे को लाने में देर लग जाएगी।

अब हम कल सुबह ही आएंगे और अपने कार्य की शुरुआत करेंगे।”

   अब सभी मछुआरों ने वहीं से मछली पकड़ने का फैसला लिया और वहां से चले गए।

   वही दूसरी ओर उन तीनों मछलियों ने उन मछुआरों की सभी बातें सुन ली थी। तीनो मछलियां घबरा गई औऱ जल्द से अपने समूह को इकट्ठा करने में लग गयी।

सभी मछलियों के इकट्ठा हो जाने के बाद उन तीनो ने सभी को मछुआरे लोगों की बात बताई।

    अब सब इससे बचने का समाधान ढूंढने लगे। दो मछलियों की तो एक जैसी राय थी, कि इस समस्या से बचने का एक ही हल है, हमें नदी का यह हिस्सा छोड़ देना चाहिए। सभी मछलियों को यह बात ठीक लगी।

लेकिन तीसरी मछली को यह बात कुछ ठीक नहीं लगी।

 उसने कहा, ” जो होगा देखा जाएगा। वैसे भी हमारे भाग्य में जो लिखा होगा हमारे साथ भी वही होगा। मैं तो अपनी जन्मस्थली छोड़कर कही भी नही जाने वाली।

ऐसा भी तो हो सकता कि वे मछुआरे कल यहाँ आए ही न और हमे भी कुछ न हो। मुझे लगता है हमे इस मुद्दे को गम्भीरता से लेने की जरूरत नहीं है”

   तीसरी मछली की बातें सुनकर कुछ औऱ मछलियां भी उसकी बातों में आ गयी और उन्होंने भी नदी के उस हिस्से से जाने से मना कर दिया।

  दोनो मछलियों ने सभी को बहुत समझाने का प्रयास किया लेकिन वे हर बार असफल रही।

  वे दोनों मछलियां, तो अपनी जान बचाकर वहां से अन्य मछलियों को भी ले गयी। लेकिन वह तीसरी मछली और उसका साथ देने वाली मछलियां वहीं रहीं।

   अगले दिन मछुआरे आए। उन्होंने अपना जाल नदी में डाल दिया। बची हुई सभी मछलियां नदी में बिछे हुए जाल में फंस गई। तब तीसरी मछली सोच रही थी,

काश मैं ने अपने मित्रों की बात मान ली होती तो मुझे आज यह दिन नही देखना पड़ता। अब तो लगता है यह मेरे जीवन का आखरी दिन है।

    उस मछली को बहुत ही पछतावा हो रहा था। अब उन मछुआरों ने जाल बाहर निकाला। सभी मछलियां उसमे फंस चुकी थी। जाल के बाहर निकलते ही, सभी मछलियां पानी के बिना  तड़प तड़प कर मर गयी।

    बाद में जब वे दोनों मछलियां अपनी मित्र को देखने आई तो वहां तो कोई था ही नहीं। अब वे समझ गयी कि उन मछलियों को मछुआरे ले गए। उन दोनो को अपनी दोस्त के चले जाने का बहुत दुख हुआ।


सीख | the three fishes story in hindi : ” सब कुछ भाग्य के भरोसे न छोड़कर स्वंय प्रयास करने चाहिए।”

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मछली और मेंढक

तीन मछलियां


    एक तालाब था उसमें बहुत सारे जलीय जीव,जैसे मछलियां, केकड़े मेंढक आदि रहते थे। उसमे दो मछलियां थी एक का नाम सतबुद्धि था और दूसरी का नाम सहस्र बुद्धि था।

सतबुद्धि के पास सौ दिमाग थे और  सहस्र बुद्धि के पास एक हजार दिमाग थे। उन दोनो को ही अपने अपने दिमागों पर बहुत घमंड था। दोनो स्वंय को श्रेष्ठ समझती थी।

   सतबुद्धि औऱ सहस्र बुद्धि दोनो आपस मे मित्र थीं। उन दोनों का दोस्त था एक मेंढक। इसके पास एक ही बुद्धि थी और उसका नाम भी एकबुद्धि ही था।

   पूरे तालाब में सतबुद्धि और सहस्र बुद्धि को बहुत ही योग्य समझा जाता था। कोई भी समस्या हो सब उनहीँ के पास आते थे। वे दोनों इस बात पर स्वंय पर गर्व करते थे।

  एक दिन गांव के मछुआरे उस तालाब में आ गए। वे हर तालाब से मछलियों को चुन रहे थे। उन्होंने देखा कि इस तालाब में तो बहुत सी मछलियां थी। लेकिन अब उनकी टोकरी मछलियों से भर चुकी थी।

उन्होंने आपस मे बात की कि वे कल आकर इन मछलियों को ले जाएंगे।

   यह बात एक मछली ने सुन ली और जाकर सतबुद्धि और सहस्र बुद्धि को बता दिया। धीरे धीरे यह बात पूरे तालाब में फैल गयी। सबको चिंता होने लगी कि अब क्या होगा।

लेकिन सब सतबुद्धि और सहस्र बुद्धि पर ही निर्भर थे। उन्हें लग रहा था कि वे कोई न कोई उपाय कर लेंगी।

  मेंढक को नही लग रहा था कि वे कुछ उपाय दे पाएंगी। क्योंकि यह एक विकट समस्या थी। मेंढक ने सबको वह स्थान छोड़ देने के लिए कहा।

The Three Fishes Story in Hindi Moral Part: लेकिन मेंढक की बात किसी ने नहीं मानी क्योंकि सभी सतबुद्धि और सहस्र बुद्धि को अधिक योग्य समझते थे।

मेंढक ने सोच लिया था कि वह अपने परिवार को लेकर कही दूर के तालाब में चला जाएगा।

   मेंढक तो रात को ही अपने परिवार के साथ दूसरे तालाब में चल दिया। अगला दिन हो आया। दोनो मछलियां अभी तक कोई उपाय नहीं कर पाई थी। अंत मे उन दोनों ने सुझाव दिया,

कि उन सबको तालाब की तलहटी पर चले जाना चाहिए। सबने ऐसा ही किया।

मछुआरे आ गए। जब उन्होंने जाल फेंका  तो कोई भी वहाँ नही था। तब उन्हें शक हुआ कि मछलियां तालाब की सतह पर होंगी। उन्होंने जाल को गहरे पानी मे छोड़ा। अब सभी केकड़े, मछलियां फंस गई।

उन्हें मेंढक की बात न मानने का बहुत दुख हुआ। लेकिन अब कोई भी कुछ नहीं कर सकता था।

   मछुआरे उन्हें लेकर चले गए। मेंढक ने चतुराई की और स्वयं पर विश्वास किया इसलिये उसने अपने और अपने परिवार की जान बचा ली।


सीख | Three Fishes Story in Hindi : ” हमेशा स्वंय पर विश्वास करना चाहिए। और मुसीबत के समय धैर्य और बुद्धि से काम लेना चाहिये।

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Conclusion | तीन मछलियां


आज आपने पढ़ी The Three Fishes Story in Hindi. आशा करते हैं, आपको आज की यह Tale of the Three Fishes पसन्द आयी, और इससे कुछ नया सींखने को मिला। ऐसी ही रोचक कहानी और पढ़ने के लिए बने रहें के साथ।

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