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Special Top 10 Moral Stories in Hindi Short Moral Story with pictures

मजेदार तथा प्रेरणादायक Top 10 Moral Stories in Hindi. आशा करते हैं आपको इन कहानियों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, तो चलिए शुरू करते हैं Moral Story in Hindi with Pictures –


top 10 moral stories in hindi


Top 10 Moral Stories in Hindi 1


” स्वार्थी मित्रता ”


    रोहित और श्याम दो बहुत ही पक्के मित्र थे। दोनों हमेशा साथ में रहते थे। उन दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत पसंद था। वे कुछ काम भी करते थे तो साथ में करते थे।

पूरे गांव में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती थी। वे दोनों अपने खाली समय में ढेर सारी मस्ती और खेलकूद करते थे।


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    एक दिन श्याम की मां ने श्याम को शहर जाने को कहा, शहर में उसकी मासी रहती थी और घर से वहां शहर, अपनी मौसी के वहां उसको कुछ सामान पहुंचाना था।

श्याम ने इस कार्य के लिए रोहित से मदद मांगी। रोहित ने ख़ुशी से हां कर दी।

    रोहित और श्याम दोनों ही मौसी के घर जाने के लिए अपने गांव से निकले। वे दोनों मस्ती करते हुए और खूब सारी बातें करते हुए शहर जा रहे थे।

  वे दोनों आधे रास्ते में पहुंचे ही थे कि, दोनो को एक सियार रस्ते से आता हुआ दिखाई दिया। वह उन दोनों की ओर ही आ रहा था।  वहीं रस्ते पर बहुत से पेड़ थे,

श्याम , अपने दोस्त की ओर न सोचते हुए, खुद और अपने सामान को लेकर पेड़ पर चढ़ गया। रोहित को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था, जब श्याम उसे छोड़कर ,समान को अपने साथ ले गया तो उसे बहुत बुरा लगा।

   रोहित को उसकी माँ ने एक बार बताया था कि, यदि किसी जानवर के सामने कोई मरा हुआ व्यक्ति होता है तो वे उसे छोड़ देते हैं। उसने झट से बेहोशी का नाटक करा,

और जमीन पर लेट गया। सियार उसके पास आ पहुंचा, सियार अब रोहित को सूंघने लगा, उसके शरीर में कुछ हलचल न होते देख, सियार ने उसे कुछ नहीं किया और आगे बढ़ गया।

श्याम पेड़ से नीचे उतरा और रोहित को उठाने लगा, वह बोला,” उठ मेरे दोस्त, मेरे भाई! तुझे कुछ हुआ तो नहीं?”

 रोहित तो बेहोशी का केवल नाटक कर रहा था, वह उठा और उसने कहा, ” मैं ठीक हूँ, मुझे क्या होगा? “

श्याम बोला, ” सियार तुम्हारे कान में क्या कह रहा था?”

श्याम को पेड़ से कुछ ढंग से दिख नहीं रहा था, जब सियार रोहित को सूंघ रहा था तो उसने सोचा कि वह रोहित के कान में कुछ बोल रहा है।

उसकी गलतफलमी को रोहित ने दूर नही किया। रोहित ने कहा कि ,सियार मेरे कान में बोल रहा था, ” स्वार्थी मित्रों की संगति से दूर रहो।”

यह सुनकर श्याम का सर शर्म से नीचे झुक गया।


¤ सीख | Top 10 Moral Stories in Hindi : ” कठिनाई में साथ देने वाले मित्र ही सच्चे मित्र होते हैं।”

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Moral Story in Hindi 2


” हठी कुत्ता “


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एक बार गांव की गौशालाओं मे एक कुत्ता घुस गया।

गौशाला में सभी गाएं बहुत ही प्रेम और सौहार्द से रहती थीं। गाएं बहुत ही सीधी थी। कुत्ते ने जब गायों को देखा तो वह खुद को बलशाली समझने लगा।

वह जा कर के गायों के खाने की नान के पास रास्ते में बैठ गया।

    थोड़ी देर बाद दो गाएं खाना खाने के लिए अपनी नान के पास जाने लगीं , वे नान की ओर जा ही रहीं थी कि, उन्होंने देखा कि, एक कुत्ता उनके रास्ते मे बैठा है।

वे दोनों कुत्ते के पास गयीं।

जैसे ही गाएं कुत्ते के पास पहुंची, कुत्ता जोर जोर से गायों के ऊपर भौंकने लगा। एक गाय ने उसे समझाने के लिए कहा, ” देखो भाई हमको भूख लगी है, हमको खाना खाने जाना है, कृपया तुम हमारे रास्ते से हट जाओ।”

कुत्ता उनकी बात सुनने की बजाय उन पर और ज्यादा जोर से भौंकने लगा। गायें उसकी भौंकने की आवाज से तंग आकर वापस अपने तबेले में चले गईं।

   गायों को जाते देख, कुत्ता खुद को और बहादुर समझने लगा। कुत्ता वहीं अड़ा रहा, रास्ते पर।

 बड़ी वाली गाय जो थी, वह अपने साथ एक सांड को उस ही जगह ले आई जहां उन दोनों गायों को कुत्ता परेशान कर रहा था। गाय और सांड उस जगह पर पहुंचे। कुत्ता अभी भी वहीं पर था।

अब कुत्ता सांड को देखकर भी जोर जोर से भौंकने लगा। सांड ने पहले, कुत्ते से निवेदन किया कि वह उनके रस्ते से हट जाए। लेकिन कुत्ता हटने की बजाय और जोर जोर से भौंकने लगा।

   सांड को भी गुस्सा आ गया। सांड ने अपनी गर्जनी आवाज में मुह से हुंकारा । जैसे ही सांड ने हुंकार लगाई वैसे ही कुत्ता डर के मारे खड़ा हो गया।

अब उसकी सारी हेकड़ी निकल चुकी थी। उसने सांड और गाय से माफी मांगी और वहां से चला गया।

गायों ने मिलकर अपना भोजन किया।


¤सीख | Moral Story in Hindi :- ” अपनी क्षमताओं पर विश्वास होना चाहिए, घमण्ड नहीं।”

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Moral Stories in Hindi with Pictures 3


” भूखा शेर “


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   एक बार जंगल मे एक शेर बहुत ही भूखा था। वह भूख की वजह से कभी इधर, कभी उधर भटक रहा था।  उसने अपने मन में सोचा, ” लगता है,

यहां बैठे बैठे कोई काम नहीं बनने वाला, मुझे अभी अपनी भूख को भुलकर बाहर से अपने लिए कुछ खाने का इंतजाम स्वयं ही करना पड़ेगा।”

   वह आलस्य त्याग कर उठा और अपनी गुफा से बाहर आया। गर्मी के दिन थे। ऊपर से भरी दोपहर! शेर ने फिर से खाने के बारे में सोचा और धूप और गर्मी को नजरअंदाज कर निकल पड़ा,

अपने खाने की तलाश में। थोड़े देर चलने के बाद उसे एक पेड़ के नीचे एक चूहे का बिल दिखाई दिया। शेर ने सोचा, ” अगर बिल यहां है तो चुहा भी यहीं कहीं होगा। आज बहुत भूख लगी है,

लगता है आज चूहे से ही अपना गुजारा करना पड़ेगा। वह चूहे को इधर उधर ढूंढने लगा।

चूहा वहीं अपनी चीजों के साथ खेल रहा था। उसको भनक भी नहीं थी कि शेर उसको मारकर खाने के लिए वहां आ पहुंचा है।

  शेर दबे पांव चूहे की ओर बढ़ रहा था, तभी अचानक चूहे की नजर अपनी ओर बढ़ रही बडी सी  परछाई पर पड़ी, वह घबरा गया, और उसने देख ही लिया कि आज वह शेर के हाथों से नहीं बचने वाला।

    वह अपने आप को बचाने के लिए पूरी जान लगाकर भागा, शेर ने उसका पीछा किया। वह भागते भागते जमीन की एक सुरँग के द्वार पर पहुंच गया,

Intrusting Part of this Top 10 Moral Stories in Hindi with Pictures- लेकिन अचानक शेर को एक हिरन दिखाई दिया, उसने सोचा कि, चूहे से तो मेरा पेट भरेगा ही नही।

आज हिरन का ही शिकार करता हूं।

फिर वह चूहे को छोड़कर उस हिरन के पीछे पड़ गया। चूहा तो जान बचाकर उस सुरँग में घुस गया।

    हिरन अपनी लम्बी-लम्बी टांगों से ऊंची-ऊंची छलांग लगाकर भागने लगा, शेर भी उसके पीछे दौड़ा।  परन्तु हिरन उसकी पहुंच से बहुत आगे निकल गया।

अब तो हिरन कहीं नजर भी नही आ रहा था। वह फिर से चूहे के लिए वापस पीछे दौड़ा। अब उस जगह पर चूहा भी नहीं दिखाई दिया।

अब शेर बहुत ही थक गया था। वह पछताने लगा। और अपनी गुफा मे लौट आया।


¤सीख | Top 10 Moral Stories in Hindi : ” अधिक लालच के कारण हाथ आई कुछ वस्तु भी छूट जाती है।”

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Story with Moral 4


” मधुर बांसुरी “


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एक बार रामगढ़ गांव के पास वाले गांव में अचानक ही, बहुत सारे चूहे उतपन्न हो गए। पहले तो गांववालों ने इस बात को अधिक महत्व नहीं दिया,

परन्तु बाद में, वे चूहे , दुकानों में रखा अनाज बर्बाद करने लगे। चूहे घरों में कपड़ो को कुतर जाते थे। धीरे धीरे यह समस्या बहुत बढ़ गयी। अब गांव वाले भी इससे परेशान होने लगे।

   गांव में चूहों का बड़ा ही आतंक फैला हुआ था। सभी गांव के लोग बहुत ही परेशान थे, उनको कोई उपाय नहीं सूझ पा रहा था। उन सभी ने अपनी ओर से एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था परन्तु वे चूहे वहां से खत्म ही नहीं हो पा रहे थे।

      एक दिन एक बांसुरी वादक उस गांव से गुजर रहा था, तो उसे रस्ते में कुछ लोग अफरा तफरी में दौड़ते हुए नजर आए। उससे रहा नहीं गया और एक व्यक्ति से पूछ लिया!

” भाई यहां हो क्या रहा है?” बांसुरी वादक ने पूछा।

उस व्यक्ति ने बांसुरी वादक को सारी बात और अपने गांव के हालात बता दिए। बांसुरी वादक ने कुछ  सोचा और कहा, ” मैं आपकी चूहे भगाने में मदद कर सकता हूं।”

  यह सुनकर व्यक्ति बहुत खुश हुआ और उसको गांव के अंदर ले गया।

सभी लोग इकट्ठा हुए। और गांव के सरपंच ने उस लड़के से पूछा,” क्या तुम चूहों को भगाने में हमारी मदद करोगे? “

  बांसुरी वादक बोला, ” मैं इन चूहों को हमेशा के लिए आप लोगो के जीवन से अलग कर दूंगा। लेकिन मुझको इनाम में पूरे 10 हजार रुपये चाहिए।”

    उसके बताए गए रुपये थोडे ज्यादे थे लेकिन फिर भी, लोग उसकी बात मान गए।

बांसुरी वादक ने, अपनी बांसुरी से एक बड़ी ही सुंदर धुन बजाई। सब लोग मनमोहित हो गए। इंसानो के अलावा और कोई भी थे, जिनको यह बांसुरी की धुन बहुत ही पसन्द आई और वे थे चूहे।

गांव के सारे चूहे, दुकानों, घरों और बाकी जगहों से निकल कर, उस धुन को सुनते हुए उस लडके के पास आए और बांसुरी वादक के आस पास मंडराने लगे।

Intrusting Part of this Top 10 Moral Stories in Hindi- उन सभी को धुन इतनी पसन्द आई कि सभी चूहे नाचने लगे। अब जब सभी चूहे बाहर आ गए तो, बांसुरी वाला नदी की ओर चल पड़ा, सभी चूहे धुन के ,और बांसुरी वादक के पीछे नाचते-नाचते चल दिये।

बासुरी वाला नदी के थोड़ा अंदर चला गया। चूहे भी नदी में कूदने लगे। एक -एक करके सभी चूहे नदी में समाहित हो गए और मर गए।

   बांसुरी वादक नदी से बाहर आया। सब बहुत खुश हुए। लेकिन जब बांसुरी वादक ने अपना इनाम मांगा तो वे लोग मुकर गए। बांसुरी वादक को बहुत गुस्सा आया। उसने कहा,

” तुम लोगों ने अपना वचन नहीं निभाया न, अब तुम सभी को इसका हर्जाना देना होगा। देखना अब तुम लोग स्वयं मुझे 10 की जगह 20 हजार रुपये दोगे।”

यह कहकर वह अपनी बांसुरी से एक और, पहले से भी अधिक मधुर धुन बजाने लगा। उस धुन को सुनकर सभी गांव के बच्चे अपने अपने घरों से बाहर आकर नाचने लगे। बांसुरी वादक धुन बजाता ही जा रहा था।

   अब गांव वालों ने सोचा कि, चूहों की तरह कहीं हमारे बच्चों ने भी अपने प्राण गंवा दिए तो, हम सबका क्या होगा! यह सोचकर उन सबने मिलकर 20 हजार रुपयों का इंतजाम किया और बांसुरी वादक को दे दिए।

बांसुरी बादक ने बांसुरी बजाना बन्द कर दी। सभी बच्चे भी सामान्य हो गए और अपने अपने घर वापस चले गए।

गांववालों ने लड़के से माफी मांगी। बांसुरी वादक लड़के ने उन्हें माफ कर दिया और वहां से चला गया। अब सभी गांव के लोग हंसी  खुशी अपना जीवन जीने लगे।


¤सीख | Top 10 Moral Stories in Hindi : ” बेईमानी करना कभी कभी बहुत हानिकारक होता है। अपने वादों और बोली के प्रति ईमानदार रहिये।”

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Top 10 Moral Stories in Hindi 5


” पाखंडी लोमड़ी “


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    एक जंगल में एक लोमड़ी थी, वह बहुत ही झूट बोलती थी और बहुत दिखावा करती थी। वह जंगल में सबसे कहती कि, वह जंगल की सबसे शक्तिशाली जीव है, वह शेर से भी ज्यादा बलशाली है।

    वह रोज अपने नए नए बहादुरी के किस्से जंगल के सभी जानवरों को सुनाती रहती थी। हालांकि उसकी बातों में एक प्रतिशत भी सच्चाई नही होती थी।

वह अपने और हाथी की लड़ाई के किस्से , कभी शेर से भिड़ने के किस्से बड़ी ही वीरता के साथ सुनाती थी। डर के मारे सभी जानवर अब उससे डरने लगे।

Intrusting Part of this Top 10 Moral Stories in Hindi- वे लोग लोमड़ी को उसका मन पसन्द भोजन भी दे देते थे, तांकि लोमड़ी  उन जानवरों से खुश रहे। और उनको कोई नुकसान न पहुचाए।

   सभी जानवर उस पर यकीन करने लग गए थे। धीरे धीरे वह लोमड़ी के किस्से पूरे जंगल में फैल गए। और कुछ ही दिनों बाद यह बात , जंगल के राजा शेर को भी पता चल गई।

शेर बहुत ही बुद्धिमान और न्याय प्रिय राजा था।

   जब शेर को यह बात पता चली तो उसको बहुत आश्चर्य हुआ और यह बात बहुत ही हास्यप्रद लगी। शेर ने कुछ जानवरों को इकट्ठा किया।  और उनसे कहा,

” देखो प्रियजनों! लोमड़ी आप सभी को मूर्ख बना रही है। उसने जो भी आप सभी को अपनी वीरता या, बहादुरी के किस्से सुनाए हैं वे सब मिथ्या है।

मुझसे तो उसका कभी सामना भी नहीं हुआ, तो मुझसे भिड़ने की बात तो बहुत दूर है, और रही हाथी से लड़ने की बात तो, हाथी दादा यहीं हैं, आप सभी उनसे पूछ सकते हो कि सच क्या है! “

Moral Part of this Moral Stories in Hindi with Pictures- तभी शेर के बगल में खड़े हाथी ने सिर हिलाकर कहा, “नही महाराज नहीं ।

उसका और मेरा आमना सामना भी कभी नहीं हुआ है। आप सत्य ही कह रहे हैं।”

फिर शेर बोला, ” आप सभी जानवर बढ़े भोले हैं, किसी की बातों पर भी आ जाते हैं। आप लोगो को किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है।”

 “मेरे पास एक तरकीब है, जिससे कि लोमड़ी अपना सच स्वयं उगल देगी। लेकिन उसके लिए मुझे आप सभी के साथ कि जरूरत है। क्या आप लोग मेरा साथ दोगे?”

सभी जानवरों ने उसका साथ देने का वादा किया।

 तरकीब के अनुसार सभी चूहा और गिलहरी लोमड़ी के पास गए। बाकी जानवर बाहर ही छिप कर खड़े थे। लोमड़ी अपनी गुफा में आराम कर रही थी,

चूहे ने लोमड़ी से बड़े ही परेशान और दुखी स्वर में कहा, ” सुनिए जंगल की सर्वश्रेष्ठ प्राणी, जंगल में एक बाहर का शेर आ गया है। उसने हमारे जंगल के राजा, और हाथी दादा को भी मार डाला है।

वह बहुत शक्तिशाली है, वह हमें भी मार डालेगा। अब तो बस आप ही हमारा एकमात्र सहारा हैं। वरना हमें भी मरने से कोई भी नहीं बचा सकता। आप ही हमारी मदद कर सकतीं हैं।

आपने तो कितने ही बलशालियों को धूल चटवा दी है, फिर वो शेर आपके सामने क्या चीज है। “

Moral Part of this Top 10 Moral Stories in Hindi- यह सुनकर लोमड़ी के तो होश ही उड़ गए। उसे अब बहुत डर लगने लग गई। उसने चूहे और गिलहरी से कहा,

” तुम दोनों यही रुको मैं अभी आती हूँ।”

लोमड़ी अपनी गुफा के एक किनारे चले गयी। वह वहां जाकर सोचने लगी के, अब तक तो सब ठीक ही चल रहा था, ये पता नहीं शेर यहाँ कहां से आ गया। अब तो मेरा भांडा फुट ही जयगा। कुछ न कुछ उपाय तो जरूर करना पड़ेगा।

वह कुछ देर सोचने के बाद चूहे के पास आई । चुहा बोला, ” आप करेंगी ना हमारी सहायता?? आपके नुकीले व धारदार पंजों के वार से वह शेर दुम दबाकर भाग जाएगा अथवा मर जाएगा।”

लोमड़ी बोली, ” आज न मेरा जन्मदिन है, आज के दिन मैं किसी को भी नहीं मार सकती। “

  अब चूहे को कुछ-कुछ समझ आ रहा था। लोमड़ी फिर से सोने का नाटक करने लगी।

  इतने में पीछे छिपे जानवर बाहर निकल आए और लोमड़ी के ऊपर हंसने लगे, शेर और हाथी भी आ गए। उन दोनों को जीवित देखकर लोमड़ी आश्चर्यचकित रह गई।

   शेर ने कहा, ” हमे कुछ नहीं हुआ है। यह सब नाटक तुम्हारा पर्दा फाश करने के लिए किया गया था। ताकि तुम किसी को भी और डरा न सको।”

   लोमड़ी ने माफी मांगीं और सब प्रेम से फिर से पहले की तरह रहने लगे।


¤सीख | Moral Stories in Hindi with Pictures : – ” भोले भाले लोगों का कभी फायदा नहीं उठाना चाहिए। यह पाप के समान है।”

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Story in Hindi with Moral 6


” मदारी और बन्दर “


एक बार किसी जंगल में , एक बन्दर का परिवार एक घने और विशाल पेड़ पर रहता था। वही पेड़ उनका घर था, और वे सब अपने इस घर से बहुत प्रेम करते थे।

बन्दर के परिवार में, मानी बन्दर, बन्दर की पत्नी, और उसका बेटा बंटी थे। वे सभी आपस में बहुत ही प्रेम से रहते थे।

       एक बार मानी बन्दर अपने परिवार के लिए, खाने की तलाश में अपने घर से दूर जंगल के अंदर गहराई में चले गया। उसकी पत्नी और उसका बेटा बंटी अब घर (पेड़) में अकेले थे, बंटी छोटा था।

इसलिए उसकी मां उसका ध्यान रखने के लिए घर पर ही रुकती थी। रोज तो, बन्दर अपने घर पर जल्द लौट आता था, परन्तु उस दिन उसको खाना न मिलने पर थोड़ी देर हो गयी। रात होने को आई और वह घर पर नहीं पहुंचा।

Intrusting part of this Top 10 Moral Stories in Hindi with Pictures- उस दिन संयोग से शाम को ही, कोई मदारी उस जंगल में अपने कमाई के साधन के लिए, कुछ जानवरों को ढूंढ रहा था।

तब जंगल में घूमते घूमते, उस मदारी को उस बन्दर का घर, उसका पेड़ दिख गया।

उसमे एक बन्दरिया, अपने बेटे के साथ सोई हुई थी। मदारी ने चालाकी से उस बन्दरिया को अपना बन्दी बना लिया, और चुपचाप अपने साथ ले गया। बंटी सोया ही रह गया।

उसे पता ही नहीं चला कि उसकी मां उसके साथ नहीं है। रात हो चुकी थी। बंटी सोया हुआ था। तब मानी बन्दर अपने पेड़ पर खाना लेकर वापस आ गया।

उसने अपने घर आकर देखा कि, उसका बेटा ,बंटी सोया हुआ था, परन्तु वहां उसकी पत्नी नहीं थी। उसने अपने बेटे को उठाया और उससे पूछा, “बेटा तुम्हारी माँ कहाँ हैं?”

बंटी उठा और कहा, ” मैं और माँ तो साथ मे ही सोए थे, पता नहीं माँ कहाँ गयी।” इतना कहकर वह रोने लगा।

थोड़े देर तक जब बन्दर की पत्नी लौटकर नहीं आई तो, बन्दर को चिंता होने लगी। वह अपने बच्चे को लेकर अपनी पत्नी को ढूंढ़ने के लिये निकल गया।

उसने रास्ते मे सब जानवरों से पूछा, लेकिन किसी को भी उसकी पत्नी के बारे में नहीं पता था।

Moral Part of this new Top 10 moral stories in hindi- तब उन्हें रास्ते में एक भालू दिखाई दिया, भालू ने बताया कि, एक मदारी किसी बन्दरिया को लेकर जा रहा था।

बन्दर समझ गया कि वही उसकी पत्नी है। भालू भी अब उनके साथ बन्दरिया को ढूंढने के लिए आ गया।

    वे सब चलते-चलते जंगल के किनारे एक तंबू के पास पहुंच गए। तम्बू में बहुत से जानवर थे, बन्दर को उन जानवरों में अपनी पत्नी भी दिख गयी।

तभी बन्दर और भालू ने मिलकर एक युक्ति बनाई, और युक्ति के अनुसार भालू ने मदारी को बहलाया उसी दौरान बन्दर ने अपनी पत्नी और अन्य जानवरों को मदारी की कैद से छुड़वा लिया।

 सभी जानवर वहां से भाग निकले। छोटा बंटी अपनी मां से मिलकर बहुत खुश हुआ और वे सब अपने अपने निवास स्थान पर वापस चले गए।


¤सीख | Top 10 Moral Stories in Hindi : ” एक से भले दो। किसी कार्य को अन्य की सहायता से करने पर वह कार्य सरल और जल्द सफल हो जाता है।


Hindi Moral Story 7


” सूझ-बूझ का फल “


    एक बार की बात है, जंगल में एक सियार रहता था। वह बहुत ही बुद्धिमान और चालाक था। वह अपनी होशियारी के कारण ही आज तक जंगल में जीवित बचा हुआ था।

अपनी चालाकी और बुध्दिमानी से वह बड़े बड़े जानवरों और यहाँ तक कि जंगल के राजा शेर को भी मात दे देता था।

     एक दिन वह जंगल में यूं ही घूम रहा था। तो उसको वहां एक हाथी का मृत शरीर दिखाई दिया । हाथी को देखकर उसके मन में तो लड्डू फूटने लगे। वह हाथी के मृत शरीर के पास गया।

उसने अपने नुकीले दांतों को हाथी के मांस में डाला, उसकी चमड़ी इतनी मोटी थी कि, वह हाथी के मांस को फाड़ ही नहीं पाया। अब उसके लिए समस्या उतपन्न हो गयी, कि वह इसका आनंद कैसे उठाए।

  तभी रास्ते से एक शेर अपने शिकार के लिए जंगल में भटकता हुआ आ रहा था। सियार ने उस शेर को दूर से ही देख लिया था, उसने अपने मन में सोचा कि, ” इसको, बुला ही लेता हूँ अपनी मदद के लिए।

थोड़ा सा दे दूंगा चखने के लिए। लेकिन काश ऐसा हो जाय कि यह इस हाथी को फाड़ भी दे और  इसे खाने से मना भी कर दे।” यह सोचकर उसने शेर को आवाज दी। ” शेर महाराज इधर आइए। “

  शेर उसकी ओर आया। वहां आते ही उसने देखा कि, एक विशाल काय हाथी जमीन पर धराशायी हुआ पड़ा है। उसने सियार से पूछा, ” अरे वाह ! ये क्या है?”

   सियार बोला, ” महाराज! आइए, मैं तो आपका ही इंतजार कर रहा था। मैं ने इस हाथी को आपके लिए मारा है। कृपया इसे चख कर मेरी भेंट और स्वागत को स्वीकार करिए।”

    शेर उसकी आवभगत देखकर बहुत खुश हुआ और बोला, ” शुक्रिया सियार! मुझे तुम्हारी, मेरे प्रति कर्तव्यनिष्ठा बहुत पसंद आई। मैं तुम्हारा निवेदन अवश्य स्वीकार कर लेता,

परन्तु बात यह है कि मैं किसी और द्वारा किये गए शिकार को नहीं खाता। उम्मीद करता हूँ कि, तुम मेरी भावनाओं को समझोगे! चलो, ठीक है, अब मैं चलता हूं, मेरा शिकार का समय है।

मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ। तुम कभी आना मेरे घर, मेरी गुफा में तुम्हे इस हाथी से भी अधिक स्वादिष्ट भोजन करवाऊंगा।”

  इतना कहकर शेर अपने शिकार की तलाश में आगे निकल गया।

सियार उस शेर की बातों से बेहद खुश हुआ। और उसकी खुशी का कारण यह भी था कि, उसका भोजन, एक विशालकाय हाथी शेर के पेट में जाने से भी बच गया।

लेकिन उसके सामने अब भी एक समस्या थी कि, अब उसकी हाथी को चीरने में कौन मदद करेगा!

    सियार परेशान होकर हाथी के पास ही बैठ गया। तभी वहां से एक बड़ा सा तेंदुआ गुजर रहा था, तेंदुए ने सियार को देख लिया और वह उसके पास चला गया।

सियार को एक बड़े हाथी के पास बैठा देख, तेंदुआ बोला, ” क्यों भई सियार भांजे, आज तो बड़ा माल हाथ लगा है! क्या यह तुमने स्वयं के बल से प्राप्त किया है?”

  सियार फिर अपने मन मे सोचने लगा, ” अगर मैं इसे सच बताता हूँ तो यह भोजन मुझे इसके साथ भी बांटना पड़ेगा। ” तभी उसे एक उपाय सुझा।

   उपाय के अनुसार सियार बोला, ” नहीं नहीं मामाश्री, जैसा आप सोच रहे हैं वैसा बिल्कुल भी नहीं है। यह हाथी तो, मेरे महराज शेर का शिकार है, अभी वे स्नान करने गए हैं। मैं उनके भोजन की रखवाली के लिए यहां बैठा हुआ हूं ।”

तेंदुआ बोला, ” अच्छा! लेकिन वह तुम्हें भी तो कुछ हिस्सा देगा ही, चलो तुम्हारे हिस्से में से कुछ हिस्सा हम दोनों खा लेते हैं। “

  सियार अब मुश्किल में पड़ गया। उसने सोचा कि यह तो मेरे प्रिय भोजन को खा कर ही दम लेने वाला है। अब मैं क्या करूँ! इससे मदद नहीं लेता हूँ। आगे जो होगा देखा जाएगा।

  सियार ने उस तेंदुए से कहा, ” एक बार शेर का शिकार बिना पूछे किसी जानवर ने खा लिया था। उस दिन शेर को बहुत गुस्सा आया,

और शेर ने उस जानवर के साथ साथ उसके परिवार को भी अपना शिकार बना डाला। तब से कोई भी उसके भोजन को खाना तो दूर देखना भी नहीं चाहता।

मुझे लगता है, आपको इस विषय के बारे में नहीं पता, शायद तभी आप ऐसी बातें कर रहे हैं।”

  ” मुझे शेर ने ही इस बात का ध्यान रखने के लिए कहा है कि यदि किसी को इस विषय के बारे मे न पता हो तो उसे बता दूं और उनके भोजन का ख्याल भी रखूं।”

यह सुनकर तेंदुआ बहुत डर गया। उसने सरपट दौड़ लगाई और वहां से नौ दो ग्यारह हो गया।  सियार ने फिर सुकून भरी सांस ली।

लेकिन उसके सामने अब भी हाथी को चीरने की समस्या खड़ी थी। वह बहुत परेशान हो गया। उसने अब हाथी को खाने का मन भी बदल दिया।

    परन्तु उस ही समय एक बाघ सियार के पास आया। बाघ ने सियार से फिर से वही प्रश्न पूछा ” सियार..! यह हाथी ?? चलो खाते हैं।”

Moral Part of this Top 10 Moral Stories in Hindi- बाघ, सियार की इस बार आखरी आस थी। सियार ने जो कहानी तेंदुए को सुनाई वही कहानी बाघ को भी सुनाने लगा।

लेकिन इस बार सियार ने और कुछ भी कहा, ” सियार बोला, इसमें से कुछ हिस्सा मेरा है।

अगर तुम मेरे हिस्से में से खा लोगे तो शेर कुछ नहीं करेगा। मैं उससे कह दूंगा कि मैं ने अपना हिस्सा खा लिया है। लेकिन शेर को यहाँ से गये हुए बहुत देर हो चुकी है।

वह किसी भी समय यहां आ सकता है। मैं तुम्हे जब चेतावनी दूंगा, शेर के आने की ,तो तुम यहाँ से तुरंत भाग जाना । बाघ मान गया।

   बाघ ने कुछ ही क्षणों में हाथी को अपने नुकीले दांतो से फाड़ डाला। सियार बहुत ही खुश हुआ। लेकिन बाघ अब उसका भोजन खाने लगा।

जैसे ही बाघ ने 1 बार हाथी के मांस को काटकर अपने मुंह मे लिया, वैसे ही सियार को बहुत गुस्सा आ गया।

सियार ने चिल्लाकर कहा, ” भागो शेर आया।”

  इतना सुनते ही सियार भाग खड़ा हुआ। सियार अब निश्चिंत था, उसका सारा भोजन उसके ही पास था। अब वह उस भोजन को बिना किसी डर के खा सकता था।

 उसका भोजन कई दिनों तक चला और उसने खूब मौज ले लेकर खाया। सियार ने अपनी सूझ बूझ से बिन किसी विवाद के न केवल अपनी जान बचाई, और साथ ही अपने भोजन को भी अपने लिए सुरक्षित रखा।


¤सीख | Moral Story in Hindi : ” अपनी बुद्धिमानी के उचित प्रयोग से अपना कार्य किसी से भी आसानी से करवाया जा सकता है। सूझ बूझ से किये गए कार्य सदा फलदायी होते हैं।”


Moral Stories in Hindi 8


” गधे की परछाई “


     बहुत समय पहले की बात है, मीरपुर नाम का एक गांव था। वहाँ खेती बहुत ही अच्छी होती थी। वहां के किसान बहुत ही मेहनती थे। जब किसानों की फसल तैयार हो जाती थी तो,

वे अपनी फसल व्यापारियों को कुछ दाम लगाकर बेचते थे। और व्यापारी गांव से शहर जाकर उस फसल से प्राप्त अन्न को दुगने दामों में शहर के बाजार में बेच आते थे।

गांव बड़ा ही खुशहाल था। सभी अपनी अपनी मेहनत और उसके परिणाम से अपने जीवन को व्यतीत करने से बहुत खुश थे।

      एक बार सभी जगहों पर बहुत गर्मी पड़ रही थी। व्यापारियों का गाँव से शहर जाना बहुत ही कठिन हो गया।

   गर्मी के ही दिनों, एक व्यापारी को शहर जाना था। उस दिन बहुत ही गर्मी हो रही थी, शायद वह दिन उस गर्मी के मौसम का सबसे गर्म दिन था।

व्यापारी को शहर में उस ही दिन किसी भी हालत में समान पहुंचाना ही था। वह 2-3 बोरियों को स्वयं उठाकर चल दिया। पैदल रास्ता था। वह चलते चलते थक गया। एक तो गर्मी,

ऊपर से बोरियों का वजन। वह थककर एक पेड़ के नीचे बैठ गया।

 तभी रस्ते से एक गधे वाला जा रहा था। व्यापारी ने उसको आवाज लगाकर रोक लिया। व्यापारी ने उस आदमी से कहा, ” भाई मुझे शहर जाना है, और मेरे पास बहुत वजन भी है,

क्या आप आज के दिन के लिए मुझे आपका गधा किराए में दे सकते हैं!”

   गधे के मालिक ने हां कर दी। व्यापारी ने कुछ रुपये उसे दे दिए और गधा स्वयं ले लिया। गधे को पाकर व्यापारी को कुछ चैन मिला। उसने सोचा कम से कम बोझ का झंझट तो अब खत्म हुआ।

बोरियों को मैं अब गधे पर रखकर ही शहर तक ले जाऊंगा।

   गधे के मालिक ने कहा, ” मुझे भी शहर तक ही जाना है, चलो मैं भी तुम्हारे साथ ही चलता हूँ। जब तुम्हारा काम हो जाए तो तुम मेरा गधा मुझे वापस कर देना। “

व्यापारी मान गया। अब गधा , गधे का का मालिक और व्यापारी तीनो शहर के लिए निकल पड़े। धूप बहुत तेज थी। थोड़ी देर चलने के बाद व्यापारी और गधे का मालिक थक गए।

वहाँ कहीं पेड़ नहीं थे। और न ही किसी चीज की छाया थी, जिसमें बैठकर वे लोग आराम कर सकें।

    तभी व्यापारी गधे की छाया में बैठ गया। और आराम करने लगा।

Moral Part of this new moral stories in hindi- जब गधे के मालिक ने यह देखा तो वह बोला, ” तुम यहाँ से उठो मेरे गधे की छाया में , मैं बैठूंगा।

तुम कहीं और चले जाओ।”

 तभी व्यापारी ने कहा, ” आज के लिए यह गधा मेरा है, अतः इसकी छाया भी मेरी ही है, तुम जिद मत करो, और मुझे गधे की छाया में बैठने दो।”

इस पर गधे का मालिक बोला, ” तुम्हारी मुझसे केवल गधे की ही बात हुई थी, छाया की नहीं। तुमने मुझे केवल गधे के ही रुपये दिये हैं। छाया के नही। अतः ये छाया अब भी मेरी ही है। तुम यहाँ से उठ जाओ”

     तब व्यापारी क्रोध में बोला, ” तुम गधे की छाया को गधे से कैसे अलग कर सकते हो! अतः जब मैं ने तुम्हें गधे के रुपये दिए , उसमे कुछ हिस्सा छाया का भी था।”

  दोनो में बहुत कहा-सुनी हुई। थोड़ी ही देर में उन दोनो में झगड़ा भी शुरू हो गया।  इतना ही नहीं दोनो मारपीट पर भी उतर आए।

 मौके का फायदा उठाकर गधा वहां से भाग निकला। गधा अकेले नहीं गया, वह व्यापारी के अनाज की बोरियां भी अपने साथ ही ले गया।

    इस तरह झगड़े की वजह से व्यापारी ने अपना सामान तो खोया ही, साथ ही गधे वाले ने अपना गधा भी खो दिया।


¤सीख | Top 10 Moral Stories in Hindi : ” लड़ाई-झगड़े से आज तक किसी का भी भला नहीं हुआ, और न ही भविष्य में होगा। सभी के साथ मिल बांटकर व प्रेम पुर्वक जीवन का हर क्षण व्यतीत करना चाहिए।


Moral Story in Hindi 9


” नाग औऱ मेंढक “


बहुत समय पहले, किसी गांव के बीचों बीच एक नदी बहती थी। धीरे धीरे उस नदी का पानी कम हो गया। एक स्थिति तो ऐसी आई के, नदी का उद्गम स्थल ही समाप्त हो गया।

जिस मार्ग से नदी बहा करती थी उस मार्ग में पानी के छोटे छोटे तालाब बन गए। तालाबों की संख्या बहुत थी।

  प्रत्येक तालाब में बहुत सारे मेंढक उतपन्न हो गए। एक तालाब में मेंढक वर्ग का एक अपना राजा हुआ करता था। इस प्रकार, प्रत्येक तालाब में अलग अलग मेंढक राजा थे।

   जो सबसे बड़ा वाला तालाब था, उसमे एक रतन नाम का मेंढक था, वह अपने मेंढक समूह का राजा था। उसका समूह और तालाब बड़ा होने की वजह से उसको खुद पर बहुत घमण्ड था।

वह थोड़ी ईर्ष्यालु प्रकृति का था। बाहर दूसरे तालाब के मेंढक राजाओं के साथ उसकी बिल्कुल भी नहीं बनती थी। वह सबसे बहुत झगड़ा करता था।

     अब सभी मेंढक उसकी प्रकृति के बारे में समझ गये। कोई उससे बोलने तक को तैयार नहीं था। अब उसका अपनी ही प्रजा के लिए गुस्सा बढ़ता जा रहा था।

एक दिन उसने बगल के तालाब के मेंढक राजा से बहुत लड़ाई की। खूब तू-तू ,मैं-मैं के बाद रतन अपने तालाब में आया और अपनी प्रजा से कहा,

 ”  सब युद्ध के लिए तैयार हो जाओ। उस छोटे से तालाब के मेंढक ने आज मेरा बहुत अपमान किया है। हम सबको अब इस अपमान का बदला उससे लेना है।”

     कोई भी उसकी बातों पर नहीं आया। क्योंकि सबको पता था कि झगड़ा तो इस रतन ने ही शुरू किया होगा। सब वहां से इधर उधर चले गए।

रतन मेंढक को बहुत गुस्सा आया। उसकी बात न मानने पर उसने सभी मेंढकों को दण्डित कर दिया।

फिर वह अपने पुत्रों के पास गया। उसने अपने पुत्रों से कहा,” देखो  पुत्र! उस पड़ोसी मेंढक ने तुम्हारे पिताजी का अपमान किया है। तुम अपने पिता का बदला लेने उसके पास जाओगे!”

मेंढक के दोनों पुत्र एक दूसरे की ओर तांकने लगे, उन्हें मेंढक को कुछ जवाब देने में डर लग रहा था। तभी बड़ा बेटा कुछ हिम्मत जुटा कर अपने पिता मेंढक से बोला, ” महाराज!  आपने बचपन से ही हमें कहीं बाहर जाने की अनुमति नही दी है।

तो हम उन मेढकों का सामना कैसे करेंगे। वे बहुत ही शक्तिशाली और बुद्धिमान हैं। थोड़ी ही देर में हमे धराशायी कर देंगे। माफ करिए महाराज ! आपने हमे कभी जीतना सिखाया ही नही है।

हम उन मेंढकों से कभी भी नहीं जीत पाएंगे। कृपया कर आप स्वयं चले जाइए लड़ने के लिए।”

      रतन मेंढक अपने बेटे की बातों को सुनकर शांत रह गया। उसके दोनों मेंढक पुत्र वहां से चले गए। मेंढक ने मन ही मन सोचा, इन के मुह में अब जबान आ गयी हैं । मुझे इनका कुछ न कुछ करना पड़ेगा। तभी ये अपनी मर्यादा में रहेंगे।

कुछ बुजुर्ग मेंढक यह सब देख रहे थे वे रतन के पास आए, और रतन को समझाने लगे,

वे रतन को समझाते हुए बोले, “देखो बेटा! लड़ाई झगड़े में कुछ भी नहीं रखा है, तुम यह बदले का विचार त्याग दो। हम सब तुम्हारे साथ हैं।

यदि तुमने पहले शुरुआत नहीं की होती तो झगड़े की नौबत ही नहीं आती। अपने ऊपर और अपनी सोच में काबू करना सीखो।”

    बस इतना सुनना था कि, मेंढक गुस्से से आग बबूला हो गया। वह तालाब से बाहर आ गया। अब रतन को अपने कुल के तालाब में भी बदले की भावना नजर आई।

   वह अब अपने दुश्मन ,पड़ोस के तालाब वाले मेंढक के अलावा अपने कुल के बुद्धिजीवी मेंढकों से भी बदला लेना चाहता था।

जब वह तालाब के बाहर इधर उधर टर्र-टर्र करके फुदक रहा था तो, उसने देखा कि, एक जहरीला सांप अपने बिल की ओर जा रहा था। रतन मेंढक ने सोचा, ” जब अपने ही दुश्मनों की भांति व्यवहार करते हैं, तो दुश्मन से दोस्ती कर लेनी चाहिए।”

    यह सोचकर वह सांप के पास चला गया।

सांप रुक गया, और मेंढक को अपनी ओर आता देख वह अचंभित रह गया।

   मेंढक ने सांप से कहा, ” नागराज प्रणाम”

सांप ने कहा, ” मैं तो तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन हूँ, तुम मेरे पास क्यों आए हो?”

मेंढक ने कहा, ” मैं तुम्हें बहुत सारे भोजन के विषय मे बताने आया हूं। मेरे बहुत से दुश्मन मेंढक हैं जिनसे मैं छुटकारा पाना चाहता हूँ, जिसमे तूम ही मेरी मदद कर सकते हो।”

सांप ने कहा, ” मैं तुमसे दोस्ती तो नहीं कर सकता लेकिन भोजन की बात है तो मैं तुम पर विश्वास कर लेता हूँ। मुझे बताओ किस का काम तमाम करना है?”

  मेंढक ने उसे अपने दुश्मन राजा मेंढक के बारे में बता दिया। सांप ने तालाब तक, अपने बिल के अंदर ही अंदर से एक सुरंग बना दी। सांप से उस सुरंग के माध्यम से उस तालाब के सभी मेंढकों को मार डाला।

लेकिन उसने अन्य तालाबों तक भी मेंढक को बिन बताए ही सुरँग बना दी।

     सांप ने यह बात जाकर रतन मेंढक को बता दी, कि उसने उसके सभी दुश्मन मेंढकों को मार डाला है। सांप की इस बात पर मेंढक बहुत खुश हुआ।

लेकिन सांप ने मेंढक से कहा, ” इतने सारे मेंढक खाते खाते अब मुझे आदत हो गयी है। मुझे और खाना चाहिए। नहीं तो मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा।”

अब मेंढक सोच में पड़ गया। उसने अपने मन मे सोच, मेरे कुल में भी तो कुछ ऐसे लोग हैं जो मुझे पसंद नहीं है, आज उनका ही खेल खत्म कर देना चाहिए।”

Moral Part of this Top 10 Moral Stories in Hindi with Pictures- मेंढक ने सांप को अपने तालाब के उन बुजुर्ग मेंढक और बुद्धिमान मेंढकों के बारे में बताया।

सांप ने कुछ ही दिनों में उनका भी काम तमाम कर दिया।

सांप फिर से रतन मेंढक के पास गया और उसे धमका कर खाने के बारे में कहा। इस बार डरकर मेंढक ने अपने बेटे को खाने को कहा। उसने सोचा कि मैं और मेरी पत्नी जीवित रहेंगे,

तो हम फिर से अच्छी औलादों को जन्म दे सकते हैं। वैसे भी इन लोगों के मन मे मेरे लिए कोई इज्जत बची ही नहीं है।

इस बार सांप ने रतन मेंढक के बच्चों को भी मार डाला। सांप फिर से मेंढक के पास गया और कहा, ” खाना!!..”

    मेंढक ने मन मे सोचा, अब तो मेरे तालाब में कोई बचा ही नही है, मेरे और मेरी पत्नी के अलावा। अब उसने सोचा कि मेरी पत्नी तो वैसे भी अब बूढ़ी हो चुकी है।

मैं तो किसी दूसरी बाहर की राजकुमारी मेंढकी से शादी कर उसके साथ जीवन व्यतीत कर सकता हूँ।

   मेंढक ने सांप को इस बार उसकी पत्नी को खाने के लिए कहा।

सांप ने जल्द ही उसकी पत्नी को भी मार डाला।

   सांप फिर से मेंढक के पास खाने के लिए आ गया।

मेंढक बोला, ” मित्र मैं ने अपने पूरे परिवार को तुम्हें सौंप दिया। अब मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है। कृपया मेरा पीछा छोड़ दो।”

सांप बोला, ” मैं ने तो तुमसे पहले ही कहा था कि मैं तुमसे मित्रता नहीं कर सकता, तुमने मेरी बात नहीं मानी, अब मुझको तो खाने के लिए चाहिए कुछ।”

    मेंढक डर के मारे वहा से भागने की कोशिश करने लगा लेकिन उस समय ही साँप ने जल्द से उसे पकड़कर निगल डाला। वह मेंढक भी मर गया।


¤सीख | Moral Story in Hindi : “शत्रुओं का साथ अपने मित्रों को हानि पहुंचाने के लिए कभी नहीं करना चाहिए। वरना स्वयं का अंत निश्चित ही होता है।”


Story in Hindi 10


” आलसी पुत्र और गढ़ा हुआ खजाना “


     एक बार की बात है, किसी गांव में चंदू नाम का किसान रहता था। वह बहुत ही मेहनती और समझदार था। उसके तीन पुत्र थे। चंदू जितना मेहनती और ईमानदार था,

उसके पुत्र उतने ही आलसी थे। गांव में चंदू के बहुत सारे खेत खलिहान थे। जिसको वह स्वयं की मेहनत  से बनाकर उनमें अनाज उगाता था। फिर वह अनाज को बेचकर अपना जीवन व्यापन करता था।

उससे जितना भी धन आता था, वह अपने बच्चो की परवरिश में खर्च कर देता था।

     जब उड़के तीनों पुत्र छोटे थे तो, किसान की सभी बातों का आदर करते थे और उसकी हर बात मानते थे। किसान छत था कि उसके बेटे बड़े होकर जो कार्य करें ,

पूरी मेहनत और निष्ठा से करें। लेकिन भविष्य में हुआ कुछ उल्टा ही।

   समय बीत गया, अब उसके तीनों पुत्र जवान हो चुके थे। पढ़ाई लिखाई तो उन लोगों ने पहले से ही छोड़ दी थी। अब वे कुछ काम धंधा न कर पाए तो, वे पिता की कमाई हुई पूंजी को अपने फिजूल के कार्यो, और मस्ती मजाक में खर्च करने लग गए।

किसान को अपने पुत्रों को ऐसे देख बहुत दुख होता था। वह अपने पुत्रों से कुछ कहता, तो उसके पुत्र उसी के ऊपर गुस्सा करते थे, अब चंदू किसान बुड़ा भी हो चुका था।

उसके पुत्र उसकी किसी भी बात को नहीं मानते थे।

   एक दिन किसान चंदू ने अपने पुत्रों को मार्ग पर लाने के लिए एक युक्ति सोची। युक्ति के अनुसार उसने पहले तो बीमार होने का नाटक करा। और अपने तीनों पुत्रों को अपने पास बुलाया।

वह बोला, ” सुनो पुत्रो! लगता है मेरा अंत समय अब निकट है। लगता है, अब मैं ज्यादा जिंदा नहीं रहूंगा। समय आ गया है कि मैं तुम्हे एक सच्चाई के बारे में आज बता ही दूं । ”

    सबसे बड़ा बेटा बोला, ” कहिये पिताजी! आप क्या कहना चाहते हैं।”

चंदू बोला, ” तुम लोगों से मैं बहुत प्रेम करता हूँ। तुम तो गलत मार्ग पर आ गए थे। अतः मैं ने तुम सबसे छुपकर एक बड़ी सी बोरी में कुछ पैसे और जमीन जायजाद के कागजात गाड़ कर छिपा दिए।

मैं ने यह तुम सबके लिए ही किया। क्योकी यदि तुम सब धन उड़ा देते तो तुम्हारे भविष्य के लिए क्या बचता! मेरे इस धरती से जाने के बाद तुम सब हमारे घर के पीछे वाले खेत से वह खजाना निकाल लेना और आपस में बांट लेना।”

   खजाने की बात सुनकर वे तीनों बहुत ही लालायित हो गए, खजाने के लिए। उन तीनों से रुका नही गया। वे तीनों अगली सुबह ही खेत पर अपनी अपनी कुदाल लेकर चले गए।

उन्होंने शाम तक खेत की खुदाई की। उन लोगों ने दो दो इंच नीचे तक पूरे खेत को खोद डाला। लेकिन खजाना कहीं भी नहीं मिला। तीनो को बहुत क्रोध आया। वह अपने पिता के पास गए।

और बताया कि खजाना नहीं मिला। अब किसान ने बीमारी से ठीक हो जाने का झूठ अपने बेटों से कहा।

पिता के ठीक हो जाने की वजह से वे सब अपना क्रोध भूल गए।

   किसान अपने बेटों के साथ खेत देखने गया, और बोला, ” चलो कोई बात नहीं, खजाना यहीं है, बस अभी शायद उसका समय नहीं आया है, तुम्हारे पास आने का।

और देखो न मैं भी तो अब बिल्कुल ठीक हो फय हूँ।अब खेत खोद ही दिया है तो इसमें बीज भी बो देते हैं। “

Moral Part of this Top 10 Moral Stories in Hindi with Pictures- सभी भाइयों ने अपने पिता के साथ जाकर खूब मेहनत के साथ खेत में बीज बोए।

   उस साल बरसात भी ठीक ठाक हुई थी। कुछ समय बाद जब तीनों भाइयों ने खेत को देखा तो वहां बहुत अच्छी फसल लहलहा रही थी। वे तीनों बहुत खुश हुए और यह बात बताने के लिए अपने पिता के पास गए।

उन्होंने पिता को यह बात बताई , ” पिताजी आप जल्द से हमारे खेत को चलकर देखिए, आप हैरान हो जाएंगे। “

    उनका पिता बात को समझ गया था। वे तीनों अपने पिता को खेत में ले गए।

  चंदू किसान भी, खेतबकी फसल और बच्चों की खुशी देखकर बहुत खुश हुआ। उसने अपने पुत्रों से कहा, ” यही वो खजाना है जो मैं तुम्हें असल में देना चाहता था।

यदि तुम हर साल इतनी मेहनत करोगे तो, हर साल तुम्हे ये खजाना प्राप्त हो सकेगा।”

 अब उसके बेटों को सबक मिला और उन सबने गलत कामों को छोड़कर अच्छे कार्यो और अपने खेत मे मन लगाया।


¤सीख | Top 10 Stories in Hindi with Moral :  ” परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। और मेहनत से ही सभी कार्य सफल और मीठे होते हैं।”

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Conclusion


आज आपने पढ़ी Top 10 Moral Stories in Hindi. आशा करते हैं आपको हमारी यह Moral Stories in Hindi with Pictures पसन्द आयी, तथा इनसे कुछ नया सीखने को मिला।

ऐसी ही और इन्टरस्टिंग कहानियाँ पढ़ने के लिए बने रहिये sarkaariexam के साथ।

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